- साधना प्रारम्भ करने से पहले हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना बोले.
- महाविद्याओं की साधना दीक्षा लेकर ही करे.
- जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें.॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
- नवरात्रि में मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
- जहाँ दिशानिर्देश न हो वहाँ उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
- यथासंभव एकांत वास करें.
- सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
- बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं.
- किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- क्रोध न करें .
- किसी को नुक्सान न पहुंचाए.
- साधना को गोपनीय रखें.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
- जप के बाद दोनों कान पकड़कर सभी प्रकार की गलतियों के लिए माफ़ी मांगें.
- अंत में जप गुरु को समर्पित करें .
- उग्र सधानाये बच्चे और महिलाएं न करें.
- गुरु से अनुमति लेकर ही साधना करें .
- साधनात्मक शक्तियों के दुरुपयोग का दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक को झेलना पडता है, इसलिए सिद्धि का दुरुपयोग न करे वरना परिणाम भयानक तथा विनाशकारी होंगे .
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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13 अक्तूबर 2012
नवरात्रि साधना के सामान्य नियम
नवरात्रि : नवार्ण मन्त्रं
ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
नवरात्री में नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है ।
11 अक्तूबर 2012
निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन
साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.
भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.
वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.
तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.
मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......
यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें
गुरु दीक्षा फोटो द्वारा निशुल्क प्राप्त करने के लिये
पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २२०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.
साधना सिद्धि विज्ञान
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भोपाल [म.प्र.] ४६२०११
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नोट - आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.
4 अक्तूबर 2012
27 सितंबर 2012
26 सितंबर 2012
21 सितंबर 2012
बालकों के लिए : सरस्वती प्रयोग
यह सरस्वती प्रयोग है .
- मेरे वरिष्ट गुरु भाई स्वामी अदित्यानंद जी के द्वारा मुझे यह प्रयोग प्राप्त हुआ है.
- आप यह प्रयोग निम्नलिखित दिनों में कर सकते हैं :-
- जगन्नाथ रथ यात्रा [ अषाढ़ शुक्ल २ ]
- गुरुपूर्णिमा,
- बसंत पंचमी,
- रामनवमी,
- विजयादशमी,
- शिवरात्रि ,
- कालरात्री,
- और नवरात्रि की पंचमी
एक माला गुरु मन्त्र क जाप करें
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
अब निम्नलिखित मन्त्र का आधे घंटे तक जाप करें :-
॥ ऎं ऎं ऎं सरस्वत्यै ऎं ऎं ऎं नमः ॥
इसके बाद भीगे हुए केसर में तर्जनी उंगली डुबाकर बच्चे की जीभ पर
ऎं
लिखें. यह देवी सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे लिखते समय देवी से प्रार्थना करें की वह बच्चे पर कृपा करे तथा उसके कंठ पर विराजमान होकर उसे बुद्धिशाली बनाए.
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