4 सितंबर 2015

तंत्र बाधा निवारक : छिन्नमस्ता साधना








॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऎं व ज्र वै रो च नी यै हुं हुं फ़ट स्वाहा ॥ 



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें....



  • यह साधना एक प्रचंड साधना है.
  • इस साधना में मार्गदर्शक गुरु का होना जरूरी है.
  • दीक्षा लेने के बाद ही इस साधना को करें.
  • कमजोर मानसिक स्थिति वाले बच्चे तथा महिलायें इसे ना करें क्योंकि इस साधना के दौरान डरावने अनुभव हो सकते हैं.
  • प्रबल से प्रबल तंत्र बाधा की यह अचूक काट है.
  • हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोग को, प्रयोग करने वाले सहित ध्वस्त करने में इस साधना का कोई जवाब नहीं है.

3 सितंबर 2015

कृष्णम् वंदे जगतगुरु

पूरे हिंदू देवी देवताओं मेँ केवल भगवान श्रीकृष्ण को 16 कलाओं से युक्त माना जाता है 16 कलाओं का तात्पर्य पूर्ण पुरुष होता है जो जीवन की प्रत्येक विधा मेँ निपुण होता है ।
फिर चाहे वह  राधा के साथ प्रेम हो
गोपियोँ के संग रास लीला हो!
यशोदा का वात्सल्य हो!
अर्जुन को गीता का ज्ञान देता गुरु  हो !
या फिर युद्ध  मेँ विजय प्राप्त करने के लिए हर आवश्यक मार्ग का अनुसरण करने वाला रणछोड़!
कृष्ण हर स्वरुप मेँ संपूर्ण है!
उनकी पूर्णता अप्रतिम है!
एक चोर से लेकर एक प्रेमी तक!
एक योद्धा से लेकर एक बैरागी तक!
हर कोई उनके अंदर अपना इष्ट खोज लेता है ।  उनकी कही सार्वभौमिक स्वीकार्यता भारत से निकल कर संपूर्ण विश्व मेँ सर्वमान्य देवता के रुप मेँ उनको प्रतिष्ठित कर चुके हैँ । आज वे करोड़ो भारतीयोँ की संस्था का केंद्र तो है ही, साथ ही साथ करोड़ों  विदेशियोँ के आध्यात्मिक संपूर्णता और विकास का ! ज्ञान और भक्ति का ! प्रेम और उल्लास का माध्यम !  पूरी सहजता से बने हुए हैँ ।
ऐसे मेरे परम आराध्य जगतगुरु और पूर्ण पुरुष भगवान श्री कृष्ण की जन्म का उत्सव है जन्माष्टमी ।
इस दिन कृष्ण जन्म उत्सव के साथ साथ महाकाली जयंती भी होती है । इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को निन्नलिखित मंत्र से पूजन और जाप कर के प्रसन्न कर सकते हैँ,और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैँ।

।। क्लीं कृष्णाय नमः।।

21 अगस्त 2015

डोन्गरगढ साधना शिविर 22-23अगस्त 2015

गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी    एवं गुरु माता साधना सिंह के सानिध्य में ॥

 डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ मेँ साधना शिविर का आयोजन किया जा रहा है जानकारी के लिए संपर्क करेँ:-

0755  4269368
0755  4283681
0755  4221116
सर्वश्री:-
फूल सिंग मरावी   - 9098930900
बहुरसिंग राकेश    - 9009757914

मातंगी साधना



॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.

5 अगस्त 2015

शिव रुद्राष्टक


नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालुम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रय:शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजे अहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

कलातीत-कल्याण-कल्पांतकारी, सदा सज्जनानन्द दातापुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद-प्रसीद प्रभो मन्माथारी॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजंतीह लोके परे वा नाराणम्।
न तावत्सुखं शांति संताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभुताधिवासम् ॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।
जरा जन्म दु:खौद्य तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥

रूद्राष्टक इदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये,
ये पठंति नरा भक्त्या तेषां शम्भु प्रसीदति ॥