27 सितंबर 2012

तान्त्रिक पंचांग : अषाढ़ मास

शुक्ल पक्ष :-

१- विष्णु सिद्धि दिवस
९- पार्वती जयंती,  कामाक्षी सिद्धि दिवस 




पूर्णिमा === गुरु पूर्णिमा
कृष्ण  पक्ष  :-


२ - सन्यास सिद्धि दिवस
९ - सिद्धाश्रम सिद्धि दिवस


११ - योगिनी सिद्धि दिवस



-

26 सितंबर 2012

तांत्रिक पंचांग - ज्येष्ठ मास

शुक्ल पक्ष 

  1.  वीर जयंती





  2. काल सिद्धि दिवस
  3. धूमावती जयंती
  4. शिव सिद्धि दिवस
  5. काल भैरव जयंती



 पूर्णिमा - सावित्री सौभाग्य जयंती

कृष्ण  पक्ष:-
  1.  
  2.  
  3.  
  4.  
  5.  
  6.  
  7.  
  8.  
  9.  
  10.  
  11. अपरा  सिद्धि दिवस
  12.  
  13.  
  14.  
अमावस्या  -- शनि जयंती


21 सितंबर 2012

बालकों के लिए : सरस्वती प्रयोग




यह सरस्वती प्रयोग है .

  1. मेरे वरिष्ट गुरु भाई स्वामी अदित्यानंद जी के द्वारा मुझे यह प्रयोग प्राप्त हुआ है.
  2. आप यह प्रयोग निम्नलिखित दिनों में कर सकते हैं :-

  • जगन्नाथ रथ यात्रा [ अषाढ़ शुक्ल २ ]
  • गुरुपूर्णिमा, 
  • बसंत पंचमी,
  • रामनवमी,
  • विजयादशमी,
  • शिवरात्रि , 
  • कालरात्री, 
  • और नवरात्रि की पंचमी 


सर्वप्रथम ब्रह्मा मुहूर्त ४-६ बजे उठ जाएँ . केसर के ५-१० धागे पानी में भिगा दें.

एक माला गुरु मन्त्र क जाप करें

॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

अब निम्नलिखित मन्त्र का आधे घंटे तक जाप करें :-

॥ ऎं ऎं ऎं सरस्वत्यै ऎं ऎं ऎं नमः 

इसके बाद भीगे हुए केसर में तर्जनी उंगली डुबाकर बच्चे की जीभ पर

  ऎं  

लिखें. यह देवी सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे लिखते समय देवी से प्रार्थना करें की वह बच्चे पर कृपा करे तथा उसके कंठ पर विराजमान होकर उसे बुद्धिशाली बनाए.



18 सितंबर 2012

निखिल धाम







परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.













4 सितंबर 2012

शिव शक्ति मन्त्र





॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥

 लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.

विधि ---
  1. नवरात्रि में जाप करें.
  2. रात्रि काल में जाप होगा.
  3. रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
  4. सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
  5. दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
  6. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  7. सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
  8. किसी स्त्री का अपमान न करें.
  9. किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
  10. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  11. यथा संभव मौन रखें.
  12. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.

13 अगस्त 2012

तांत्रिक पंचांग - वैशाख



वैशाख शुक्ल पक्ष :-

  • १ - पराशर जयंती 
  • ३ - अक्षय तृतीया 
  • ४ - बगलामुखी
  • ५ - शंकराचार्य जयंती 
  • ११ - मोहिनी वशीकरण सिद्धि दिवस 
  • १२ - अप्सरा सिद्धि दिवस
  • १४ - नृसिंह/सिद्ध लक्ष्मी  सिद्धि दिवस
  • वैशाख पूर्णिमा - चंडिका सिद्धि दिवस


कृष्ण पक्ष:-


  • ५ - वसुंधरा जयंती
  • ११ - वरूथिनी एकादशी 
  • १३ - कुब्जिका 
  • अमावस्या - देव पितृ कार्य अमावस्या 




11 अगस्त 2012

तांत्रिक पंचांग : चैत्र

चैत्र शुक्ल पक्ष :-

  • १ - नवरात्रारम्भ 
  • ३ - शिव गौरी  सिद्धि   दिवस 
  • ८ -दुर्गा  सिद्धि   दिवस 
  • ९ - तारा / राम    सिद्धि   दिवस 
  • ११ - कामदा एकादशी 
  • १२ - अनंग सिद्धि   दिवस 
  • १३ - महावीर सिद्धि   दिवस 
  • पूर्णिमा - हनुमान  सिद्धि   दिवस 


चैत्र कृष्ण पक्ष :-

  • १० - दश महाविद्या सिद्धि दिवस 

10 अगस्त 2012

कृष्ण जन्माष्टमी : काली जयंती : भाद्रपद कृष्ण अष्टमी










कृष्ण और काली एक ही हैं ......




जन्माष्टमी जहाँ कृष्ण जन्म दिवस है वहीँ काली सिद्धि दिवस भी है,


|| क्लीं कृष्णाय नमः ||

यथा शक्ति इस मंत्र का जाप प्रेम से करें 

3 अगस्त 2012

तांत्रिक पंचांग - 1 [महाविद्या]



  • तारा सिद्धि दिवस  -     चैत्र शुक्ल ९
  • दश महाविद्या  सिद्धि दिवस  -     चैत्र कृष्ण १० 
  • धूमावती सिद्धि दिवस  -     ज्येष्ठ शुक्ल ८
  • कामाक्षी सिद्धि दिवस  -     अषाढ़ शुक्ल १०
  • गायत्री सिद्धि दिवस  -     श्रावण शुक्ल १०
  • भुवनेश्वरी सिद्धि दिवस  -     भाद्रपद शुक्ल १२
  • महाकाली सिद्धि दिवस  -     भाद्रपद कृष्ण ८
  • छिन्नमस्ता सिद्धि दिवस  -     कार्तिक पूर्णिमा
  • कमला सिद्धि दिवस  -     कार्तिक अमावस्या 
  • त्रिपुरभैरवी सिद्धि दिवस  -     मार्गशीर्ष पूर्णिमा
  • बगलामुखी सिद्धि दिवस  -     पौष शुक्ल ३
  • त्रिपुरसुंदरी सिद्धि दिवस  -     माघ पूर्णिमा 
  • मातंगी सिद्धि दिवस  -     माघ कृष्ण ३


24 जुलाई 2012

शिव ताण्डव स्तोत्र


भगवान शिव के प्रिय शिष्य लंकाधिपति रावण के द्वारा अनेक प्रचंड स्तोत्रों की रचना की गयी है...

उनमे से भगवान शिव का सबसे प्रिय स्तोत्र है शिव तान्डव स्तोत्रम.....

यह गेय स्तोत्र है सुमधुर स्वर में इसका पाठ करने से हृदय अत्यंत आनंदित होता है..






शिव ताण्डव स्तोत्र



जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिवो शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरीविलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदांधसिंधुरस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालयानिबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिङ्गभा-निपीतपंचसायकंनमन्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमस्फुरद्धगद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकमस्रजोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥१५॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥




॥ इति शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥


16 जुलाई 2012

शिव वत आनंदमय होने के लिए

 भगवन शिव के समान आनंदमय और निर्विकार रहने के लिए निम्नलिखित मंत्र का उल्लास के साथ २४ घंटे जाप करते रहें धीरे धीरे आप आनंदमय कोष में प्रवेश करने लगेंगे .







||| आनंद कन्दाय नमः |||

15 जुलाई 2012

अघोरेश्वर महादेव साधना

अघोर साधनाएं जीवन की सबसे अद्भुत साधनाएं हैं

अघोरेश्वर महादेव की साधना उन लोगों को करनी चाहिए जो समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव गण बनने की इच्छा रखते हैं.

इस साधना से आप को संसार से धीरे धीरे विरक्ति होनी शुरू हो जायेगी इसलिए विवाहित और विवाह सुख के अभिलाषी लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए.

  1. यह  साधना  अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है.
  2. यह  दिगंबर साधना है.
  3. एकांत कमरे में साधना होगी.
  4. स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है.
  5. भोजन  कम से कम और खुद पकाकर खाना है.
  6. यथा  संभव मौन रहना है.
  7. क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे.
  8. गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें.
  9. स्नान करने के बाद बिना शरीर  पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें.
  10. अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें.
  11. जमीन पर बैठकर मंत्र जाप करें.
  12. माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है.
  13. जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें.
  14. आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें.
  15. जाप  के बाद भूमि पर सोयें.
  16. उठने के बाद स्नान कर सकते हैं.
  17. यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें.
  18. साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं. इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें.
  19. गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस साधन को करें.
  20. जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है.


|||| अघोरेश्वराय हूं ||||




11 जुलाई 2012

निखिलधाम






परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.

इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.



यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.

यहां पर  महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.