16 अक्टूबर 2025

भगवती महालक्ष्मी का बीज मंत्र

  


भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....

इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है...............




॥  श्रीं ॥


  • भगवती लक्ष्मी का बीज मन्त्र है.
  • गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.
  • न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
  • अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
  • विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
  •  
  • रात्रि ९ से ५ के बीच 108 माला या यथा शक्ति जाप करें.
  • क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।

15 अक्टूबर 2025

दीपावली पर : अभिमंत्रित पारद श्री यंत्र

     



गृहस्थ के जीवन में लक्ष्मी नही है तो कुछ भी नही है । यह हम सभी जानते हैं ।

सम्पूर्ण ऐश्वर्य और समृद्धि के लिए श्री यंत्र का अनादि काल से उपयोग हों रहा है । आप इसकी विशिष्ठता इसी बात से समझ सकते हैं कि लगभग सभी उच्च कोटि के तंत्र पीठों में इसकी स्थापना अनिवार्यं रूप से की जाती है ।
श्री यंत्र तांबा,पीतल,सोना,चाँदी,जैसे धातुओं से बनाए जाते हैं । 

पारा भी तंत्र मे अत्यंत विशिष्ट धातु माना गया है । उससे बने विग्रह विशेष लाभदायक भी कहे गए हैं । 
पारे से बने कुछ छोटे पारद श्री यंत्र अभिमंत्रित करके ₹1008/[एक हजार आठ रुपये ] मे उपलब्ध हैं । 

इस यंत्र को आप अपने पूजा स्थान मे रख सकते हैं । चाहें तो गल्ले तिजोरी या अलमारी मे भी रख सकते हैं । जो पाठक इच्छुक हैं वे मुझे 7000630499 पर  संपर्क करके इसे प्राप्त कर सकते हैं ।


यंत्र आपके नाम से सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित जानकारी लगेगी जो आप भेज देंगे :-

भेजे गए शुल्क की रसीद की फोटो ।  
आपका एक ताजा खींचा हुआ फोटो 
नाम 
गोत्र (अगर मालूम हो )
जन्मतिथि (अगर मालूम हो )
जन्म का समय (अगर मालूम हो )
जन्म का स्थान (अगर मालूम हो )

पूरा पता , पिन कोड के साथ, जिसमे आपको यंत्र भेजना है ।
आपका व्हाट्सएप्प  नंबर जिसपर आपको मंत्र तथा यंत्र भेजने की सूचना भेजी जाएगी । 

आप पेमेंट के लिए इस QR code का भी प्रयोग कर सकते हैं



14 अक्टूबर 2025

लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गणपति साधना

 लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गणपति साधना

 


गजाननं भूतगणादि सेवितं कपीत्थ जम्बू फल चारू भक्षितम ।

उमासुतम शोक विनाशकारणम नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम ।


गज के समान मुख वाले, भूतादि गण जिनकी सेवा करते हैं ऐसे विविध भोज्य पदार्थों के प्रेमी तथा बाधओं को दूर करने वाले देवी जगदम्बा के प्रियपुत्र भगवान गणेश के चरण कमलों को मैं सादर प्रणाम करता हूं ।


कलियुग में फलदायक साधनाओं के विषय में कहा गया है कि:-

 

‘कलौ चण्डी विनायकौ’

 

अर्थात कलियुग में चण्डी तथा गणपति साधनायें ज्यादा फलप्रद होंगी। 

गणपति साधना को प्रारंभिक तथा अत्यंत लाभप्रद साधनाओं में गिना जाता है। योगिक विचार में मूलाधार चक्र को कुण्डली का प्रारंभ माना जाता है तथा गणपति उसके स्वामी माने जाते हैं। साथ ही शिव शक्ति के पुत्र होने के कारण दोनों की संयुक्त कृपा प्रदान करते हैं।

 

भगवती लक्ष्मी को चंचला कहा गया है । चंचला अर्थात जो एक स्थान पर ज्यादा देर तक न रह सकती हो । केवल लक्ष्मी का पूजन तथा साधना यद्यपि फलदायक होती है मगर अल्पकालिक होती है । लक्ष्मी के साथ गणपति का पूजन लक्ष्मी को स्थायित्व प्रदान करता है।

 

आगे की पंक्तियों में भगवान गणपति का एक स्तोत्र प्रस्तुत है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करना लाभप्रद होता है। यद्यपि यह कहना उचित नही होगा कि इस स्तोत्र के पाठ से आप धनवान बन जायेंगें, परंतु धनागमन के नए मार्गों के संबंध में नए विचार उपाय आदि आपके मस्तिष्क में उत्पन्न होंगें, जिनका सही प्रयोग कर आप धन प्राप्ति कर सकेंगें।

 

गणपति स्तोत्र

 

ऊं नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्य प्रदायिने ।

दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परात्मने ।

लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोपशोभितं ।

अर्धचंद्रधरं देवं विघ्न व्यूह विनाशनम ।

ॐ हृॉं हृीं ह्रूँ हृैं हृौं हृः हेरम्बाय नमः ।

सर्व सिद्धिप्रदो सि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदो भवतः ।

चिंतितार्थ प्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः ।

सिंदूरारूण वस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः ।


फलश्रुति:-

इदं गणपति स्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः ।

तस्य देहं च गेहं च लक्ष्मीर्न मुश्चति ।

 

इस स्तोत्र का 108 पाठ करें। इससे पहले भगवान गणपति के सामने अपनी इच्ठा या मनोकामना रखें तथा इसका पाठ प्रारंभ करें । भगवान गणपति की कृपा से आपको अपनी इच्ठा की पूर्ति में अवश्य सहायता मिलेगी।

 


12 अक्टूबर 2025

गुरु दीक्षा और लक्ष्मी पूजन मे ऑनलाइन भाग लीजिये : इस दीपावली मे





देवी महालक्ष्मी की साधना का सबसे विशिष्ट मुहूर्त होता है दीपावली ! इस अवसर पर अगर गुरु के सानिध्य में लक्ष्मी पूजन का अवसर मिले तो उसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए । इस प्रकार के पूजन से परिवार में चली आ रही दरिद्रता और आर्थिक संकट में निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होता है । गृहस्थ के जीवन में धन की कमी से होने वाली समस्याओं के विषय में बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह हर कोई जानता है ।  लेकिन....  
उन समस्याओं से निजात पाने और आर्थिक लाभ बढ़ाने व्यापार या नौकरी में बेहतर आर्थिक अवसर पाने के लिए भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना अनिवार्य होता है । उसके लिए अगर आप आध्यात्मिक उपायों का सहारा लें तो उसमें सर्वश्रेष्ठ उपाय महालक्ष्मी की दीक्षा और उनके पूजन को माना गया है । यदि वह दीपावली जैसे विशिष्ट अवसर पर संपन्न की जाए, जो कि उनका स्वयं का सिद्धि पर्व है; तो इसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है । 


यदि आप आर्थिक समस्याओं से परेशान है !
आपका व्यापार नहीं चल रहा है.....  तो आप अवश्य इस अवसर का लाभ उठाएं । ऑनलाइन पूजन अनुष्ठान मे भाग लें और मिलने वाले मंत्र का नित्य जाप करके आर्थिक अनुकूलता की ओर अपने कदम बढ़ाए.....  




नोट:शिविर ऑनलाइन होगा जो भी साधक शिविर में सम्मिलित होना चाहते हैं, वे कृपया नीचे दिये गये नम्बरों में से किसी भी नम्बर पर सम्पर्क कर सकतें है। 👇


🔴 प्रशांत पांड़े (दिल्ली) 8800458271

🟠  रजनीश आचार्य (छिंदवाड़ा) 9425146518

🟠 देवेन्द्र उइके (नागपुर): 9096078410 

🟡मनोहर सरजाल (छत्तीसगढ़)+91 90091 60861

🟡सचिन किसवे (लातूर)+91 93257 77190

🟠 सुभाष शर्मा (उदयपुर) 9929140845

🟡प्रेमजीत सिंह (पटना)+91 87574 02620

🟡विनयशर्मा(गुना)9685224686

🔴कपिल वास्पत (इंदौर) 9179050735

🔵रणजीत अन्कुलगे (उदगीर) 9923440540

🟡विनय शर्मा ( अयोध्या)09235712271

🟢करुणेश कर्ण (पटना)+91 98522 84595

🟣स्वाति शर्मा (गाजियाबाद) 9958862952,9354101677

🔵सन्तोष नागतोडे (मोइझिरि) 9301107239

🟠 कार्यालय भोपाल 0755-+917554269368

2 अक्टूबर 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: शताब्दी वर्ष पर शुभकामनायें

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: शताब्दी वर्ष पर शुभकामनायें


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का एक प्रमुख, गैर-राजनीतिक और विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने महाराष्ट्र के नागपुर में विजयादशमी के दिन की थी। यानि इस वर्ष अर्थात 2025 की विजयदशमी को संघ पूरे सौ साल का हो जाएगा । संघ की स्थापना का मूल उद्देश्य भारतीय समाज को संगठित, सशक्त और गौरवशाली बनाना था, जो भारतीय संस्कृति और विरासत के मूल्यों पर आधारित हो। अब आप इस संगठन के सैद्धान्तिक और वैचारिक सामाजिक प्रभाव को इस बात से समझ सकते हैं कि भारत के सर्वोच्च पदों पर संघ के तैयार किए गए व्यक्तित्व विराजमान हैं :-


आइये जानते हैं कि आखिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है क्या और उसने ऐसा कौन सा कार्य किया है जिसकी वजह से उसे इतना राष्ट्रव्यापी समर्थन और सहमति प्राप्त है ।
संघ की कार्यप्रणाली निम्नलिखित प्रमुख सिद्धांतों पर टिकी हुई है:

व्यक्ति निर्माण: संघ का मानना है कि राष्ट्र का निर्माण व्यक्तियों के निर्माण से होता है। इसलिए, स्वयंसेवकों को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से मजबूत बनाने पर जोर दिया जाता है।

हिंदुत्व और राष्ट्रीयता: संघ 'हिंदुत्व' को एक जीवन-पद्धति और भारतीय संस्कृति के रूप में देखता है। यह सभी भारतीयों को एक समान राष्ट्रीय पहचान के तहत संगठित करने पर बल देता है।

सेवा भाव: निस्वार्थ भाव से समाज और राष्ट्र की सेवा करना संघ के स्वयंसेवकों का मूल मंत्र है।

अनुशासन और समर्पण: संघ अपने स्वयंसेवकों में कठोर अनुशासन, समर्पण और निःस्वार्थ कार्य की भावना पैदा करता है।

कार्यप्रणाली (शाखा तंत्र)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशिष्टता उसकी अनूठी कार्यप्रणाली में निहित है, जिसे 'शाखा' कहा जाता है।

शाखा: यह संघ की सबसे छोटी और मूलभूत इकाई है, जो प्रतिदिन या सप्ताह में कुछ बार निश्चित समय पर एक निर्धारित स्थान पर लगती है। शाखा में स्वयंसेवक एक साथ आते हैं और शारीरिक (खेल, योग), बौद्धिक (चर्चा, गीत, कहानी) और नैतिक शिक्षा का प्रशिक्षण लेते हैं। यह एक प्रकार का संस्कार केंद्र है, जो व्यक्ति को देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए तैयार करता है।

प्रशिक्षण वर्ग: स्वयंसेवकों को क्रमबद्ध तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए प्राथमिक, संघ शिक्षा वर्ग (ओटी्सी) जैसे प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं।

संगठनात्मक संरचना: संघ का कार्य क्षेत्र केंद्र, क्षेत्र, प्रांत, विभाग, जिला, नगर और खंड के स्तरों पर संगठित है। इसका शीर्ष नेतृत्व सरसंघचालक के पास होता है।

संघ परिवार को आज सबसे शक्तिशाली माना जाता है आइये जानते हैं कि क्या है

संघ परिवार 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भारतीय समाज के लगभग हर क्षेत्र में काम करने के लिए 40 से अधिक अनुषांगिक संगठनों का एक विशाल नेटवर्क स्थापित किया है, जिसे सामूहिक रूप से "संघ परिवार" कहा जाता है। इन संगठनों के कार्य और उद्देश्य इस प्रकार हैं:

भारतीय जनता पार्टी - संघ परिवार की राजनीतिक शाखा है। इसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद और अंत्योदय (सबसे गरीब का उत्थान) की विचारधारा के आधार पर राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना और देश का शासन चलाना है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद - यह विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। इसका उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रभक्ति, सामाजिक चेतना जगाना और शैक्षणिक परिसर को राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का केंद्र बनाना है।

भारतीय युवा मोर्चा - भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा। यह युवाओं को राजनीति और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से जोड़ने का काम करती है।

भारतीय मजदूर संघ - यह भारत का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन (ट्रेड यूनियन) है। यह राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए मजदूरों के अधिकारों और उनके कल्याण के लिए संघर्ष करता है।

भारतीय किसान संघ - यह किसानों के हितों की रक्षा के लिए काम करता है। इसका उद्देश्य कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना तथा किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है।

स्वदेशी जागरण मंच - यह संगठन स्वदेशी (आर्थिक स्व-निर्भरता) नीतियों की वकालत करता है। यह विदेशी निवेश और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के खिलाफ जागरूकता फैलाता है।

लघु उद्योग भारती - लघु और मध्यम उद्योगों के हितों की रक्षा और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए काम करता है।

विश्व हिंदू परिषद - यह धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म, संस्कृति और मूल्यों की रक्षा करना, हिंदू समाज के विभिन्न संप्रदायों के बीच समन्वय स्थापित करना और धर्म परिवर्तन को रोकना है।

सेवा भारती - यह सामाजिक सेवा के लिए समर्पित संगठन है। यह देश के दूर-दराज और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा राहत और स्वरोजगार के माध्यम से सेवा कार्य करता है।

वनवासी कल्याण आश्रम - यह आदिवासी (वनवासी) समुदायों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्यरत है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक उत्थान और सांस्कृतिक संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है।

सक्षम - यह दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और उनकी क्षमताओं को विकसित करने के लिए काम करता है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान - यह शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है। यह देशभर में 'सरस्वती शिशु मंदिर' जैसे हजारों विद्यालय चलाता है, जो भारतीय मूल्यों, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति पर आधारित शिक्षा प्रदान करते हैं।

संस्कार भारती - यह कला और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के लिए काम करता है। इसका उद्देश्य भारतीय कलाओं, लोक कलाओं और संस्कृति को पुनर्जीवित करना है।

विवेकानंद केंद्र - स्वामी विवेकानंद के विचारों पर आधारित मानव निर्माण और राष्ट्र निर्माण के लिए कार्यरत है। यह योग, शिक्षा, और प्राकृतिक संसाधन विकास जैसे क्षेत्रों में काम करता है।

इतिहास संकलन योजना - इसका उद्देश्य भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से संकलित और पुनर्लेखित करना है, ताकि इतिहास में हुए विकृतियों को ठीक किया जा सके।

राष्ट्र सेविका समिति - इसका उद्देश्य महिलाओं में राष्ट्रीय भावना, चरित्र निर्माण और आत्मविश्वास को बढ़ाना है।

प्रज्ञा प्रवाह - विभिन्न क्षेत्रों में संघ के विचारधारात्मक संवाद और बौद्धिक आदान-प्रदान के लिए एक मंच।

पूर्व सैनिक सेवा परिषद - भूतपूर्व सैनिकों को सामाजिक कार्यों से जोड़कर राष्ट्र सेवा में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।

27 सितंबर 2025

नवरात्रि हवन की सरल विधि

   नवरात्रि हवन की सरल विधि:-

 


नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।

यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी राय मे चंडी प्रकाशनगीता प्रेसचौखम्बा प्रकाशनआदि से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।. 

आवश्यक सामग्री :-

1. दशांग या हवन सामग्री दुकान पर आपको मिल जाएगा .

2. घी ( अच्छा वाला लें भले कम लें पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )

3. कपूर आग जलाने के लिए .

4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,

5. हवन कुंड या गोल बर्तन ।. 

 

हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.

हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .

फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड या ईंट रेती रखें उसपर पात्र रखें.

कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.

हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.

सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें

“ ॐ अग्नये स्वाहा 

 

इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-

ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।

ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।

ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।

ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।

ॐ भूः स्वाहा ।

 

उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .

नवग्रह मंत्र :-

ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा

ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा

ऊं भौमाय नमः स्वाहा

ऊँ बुधाय नमः स्वाहा

ऊँ गुरवे नमः स्वाहा

ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा

ऊँ शनये नमः स्वाहा

ऊँ राहवे नमः स्वाहा

ऊँ केतवे नमः स्वाहा

गायत्री मंत्र :-

 

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।

 

ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,

ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,

ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,

 

ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,

 

ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,

ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,

ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा

 

माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे

 

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा

 

हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घीहवन सामग्री आदि डाल दें.

पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.

पूर्णाहुति मंत्र-

ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम उदिच्यते ।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ।।

 

इसका अर्थ है :-

वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।

वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....

 

इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.

उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,

फिर आरती करें.

अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.

माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।

 


21 सितंबर 2025

सर्व विध रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र

 

सर्व विध रक्षा हेतु हनुमान शाबरमंत्र



· इस शाबर मंत्र को किसी शुभ दिन जैसे ग्रहण, होली, रवि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग मे1008 बार जप कर सिद्ध कर ले ।

· इस मंत्र का जाप आप एकांत/हनुमान मंदिर/अपने घर मे करें |

· हनुमान जी का विधी विधान से पुजन करके 11 लड्डुओ का भोग लगा कर जप शुरू कर दे । जप समाप्त होने पर हनुमान जी को प्रणाम करे | त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें |

· जब भी आप कोई साधना करे |तो मात्र 7 बार इस मंत्र का जाप करके रक्षा घेरा बनाने से स्वयं हनुमान जी रक्षा करते है ।

· इस मंत्र का 7 बार जप कर के ताली बजा देने से भी पूर्ण तरह से रक्षाहोती है ।


इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद रोज इस मंत्र की 1 माला जाप करने पर इसका तेज बढ़ता जाता है और टोना जादु साधक पर असर नही करते ।


मंत्र :-



॥ ओम नमो वज्र का कोठा, जिसमे पिंण्ड हमारा पैठा,

ईश्वर कुंजी ब्रम्हा का ताला, मेरे आठो अंग का 

यति हनुमंत वज्र वीर रखवाला ।




सूर्यग्रहण विशेष - तंत्र रक्षा नारियल

सूर्यग्रहण विशेष  - तंत्र रक्षा नारियल 


सूर्यग्रहण के अवसर पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.


आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर

नारियल

सामान्य पूजन सामग्री

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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.

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वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.

सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."

इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.

नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.

लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"

अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. उसका पूजन करें.

लोबान का धुप या अगरबत्ती जलाएं .

नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जाप करें । 

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को अन्य पूजन सामग्री के साथ लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

सूर्य ग्रहण विशेष – व्यापार वृद्धि साधना

  सूर्य ग्रहण विशेष – व्यापार वृद्धि साधना


आवश्यक वस्तुएं :-
Ø श्री यंत्र छोटा साइज का जिसे आप अपनी जेब , पर्स,या बेग मे रख सकें ।
Ø केसर  




दिनांक 21-09-2025  को सूर्यग्रहण है । समय केलेण्डर या गूगल से देख लें ।

। । ॐ श्रीं ॐ । ।

1.      लाल कपड़े मे अपने सामने श्री यंत्र एक थाली मे रख लें।
2.   केसर को पानी मे घोल लें ।
3.   इस मंत्र का एक जाप करें और एक केसर की बिंदी श्री यंत्र पर लगाएँ ।
4.   इस प्रकार 1008 बार करें ।
5.    उसके बाद उस यंत्र को अपने पर्स या बैग मे रख लें।
6.  अधिक लाभ के लिए इसका मानसिक जाप करते रहें ।

सूर्यग्रहण विशेष - तारा शाबर मंत्र

 

       

    सूर्यग्रहण विशेष - तारा शाबर मंत्र



    ॐ आदि योग अनादि माया । 
    जहाँ पर ब्रह्माण्ड उत्पन्न भया ।
    ब्रह्माण्ड समाया । 

    आकाश मण्डल । 
    तारा त्रिकुटा तोतला माता तीनों बसै । 

    ब्रह्म कापलिजहाँ पर ब्रह्मा विष्णु महेश उत्पत्तिसूरज मुख तपे । 
    चंद मुख अमिरस पीवे
    अग्नि मुख जले
    आद कुंवारी हाथ खण्डाग गल मुण्ड माल
    मुर्दा मार ऊपर खड़ी देवी तारा । 
    नीली काया पीली जटा
    काली दन्त में जिह्वा दबाया । 
    घोर तारा अघोर तारा
    दूध पूत का भण्डार भरा । 
    पंच मुख करे हा हा ऽऽकारा
    डाकिनी शाकिनी भूत पलिता 
    सौ सौ कोस दूर भगाया । 
    चण्डी तारा फिरे ब्रह्माण्डी 
    तुम तो हों तीन लोक की जननी ।

    तारा मंत्र
    ॐ ऐं ह्रीं स्त्रीं हूँ फट्

    विधि :-
    1. रात्री काल मे जाप करें । ग्रहण काल मे जाप करने से विशेष लाभदायक है । 
    2. अपनी क्षमतानुसार 1,11,21,51,108 बार । 
    3. व्यापार और आर्थिक समृद्धि के लिए लाभदायक । 
    4. जप काल मे किसी स्त्री का अपमान न करें । 

20 सितंबर 2025

नवरात्रि के विषय में सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर

  

सबसे पहले आप सभी को महामाया के नवरात्रि शक्ति पर्व की शुभकामनाएं


शक्ति पर्व साधनाओं के माध्यम से शक्ति अर्जित करने का पर्व है ।

इस अवसर पर साधनाएं और मंत्र जाप अवश्य करें ।.

इस विषय पर ब्लॉग पर बहुत सारी विधियाँ प्रकाशित हैं ।. आप उनमे से किसी भी एक का प्रयोग कर सकते हैं . 

अगर आप काम की अधिकता , अस्वस्थता या स्थानाभाव के कारण पूजा स्थान मे बैठकर नहीं कर पा रहे हैं तो महाकाली के बीज मंत्र

"क्रीं "

( उचाचारण होगा क्रीम /kreem )

का चलते फिरते , उठते बैठते लेटते, सभी अवस्थाओं मे मानसिक जाप करके भी महामाया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।


सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर 

क्या मैं नवरात्रि में देवी का मंत्र जाप कर सकता/सकती हूँ ?

हाँ ! अगर आपकी देवी पर आस्था और विश्वास है तो आप कर सकते हैं . स्त्री पुरुष दोनों मंत्र जाप कर सकते हैं . बच्चे अपने माता पिता की अनुमति और जानकारी में ही मंत्र जाप करें . 

क्या मंत्र जाप के लिए गुरु आवश्यक है ?

हाँ ! मंत्र जाप से आपके शरीर में ऊर्जा बनती है उसे नियंत्रित करने के लिए गुरु की आवश्यकता पड़ती है . यह विशेष रूप से तब आवश्यक है जब आप सवा लाख या अधिक मंत्र जाप का अनुष्ठान कर रहे हों .

यदि आप एकाध माला रोज कर रहे हैं तो आप बिना गुरु के भी मंत्र जाप कर सकते हैं . 

स्तोत्र पाठ और शतनाम सहस्रनाम का पाठ आप बिना गुरु के भी कर सकते हैं .

अगर जाप से शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी या बेचैनी जैसा आभास हो तो समझ जाइएगा कि आपका शरीर उतनी ऊर्जा सहन नहीं कर पा रहा है , तब जप या पाठ की संख्या कम कर लेंगे . धीरे धीरे संख्या बढ़ा सकते हैं . 

मैं एक स्त्री हूँ मेरा मासिक नवरात्री के बीच में आ रहा है , क्या इससे मेरी साधना खंडित हो जाएगी ? मैं क्या करू?

विश्व विख्यात मंत्र तंत्र विशेषज्ञ पूज्यपाद गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा जो निर्देश हमें मिलते थे उसके अनुसार "अगर जाप शुरू करने के बाद मासिक आ जाए तो आप पूजा स्थान में बैठकर जाप करना रोक लें, मासिक पूरा हो जाने के बाद उसे कंटीन्यू कर सकते हैं ऐसे में साधना खंडित नहीं मानी जायेगी . 

क्या मैं सुबह महाविद्या भुवनेश्वरी और रात में महाविद्या महाकाली साधना कर सकता/सकती हूँ ?

बहुत सारे मंत्र या पूजन करने की बजाय एक ही मंत्र या स्तोत्र को ज्यादा से ज्यादा बार करें । हर देवी या देवता सब कुछ देने मे समर्थ है., तभी तो वह देवता या देवी है ।

अगर जाप के दौरान कुछ गलती हो गयी तो क्या मातारानी मुझे सजा देगी और उससे मेरा नुकसान हो जाएगा ?

कोई नन्हा बच्चा अपनी माँ को बुलाने के लिए किसी भी शब्द या क्रिया का इस्तेमाल करे माता उसे समझ जाती है और उसकी आवश्यकता की पूर्ती कर देती है . जगदम्बा सम्पूर्ण विश्व की माँ हैं . वे ममत्व और वात्सलय की अंतिम सीमा हैं . वे अपनी साधना करने वाले किसी साधक साधिका को नुकसान पहुंचा ही नहीं सकती . इसलिए इस प्रकार के बेवजह के डर को अपने दिमाग से निकाल दीजिये . स्वयं को महामाया का नन्हा शिशु मानकर मन्त्र जाप करिये वे अवश्य सुनेंगी .  

क्या मंत्र जाप करने  से सम्बंधित देवी/देवता मेरे सामने प्रकट हो जायेंगे ?

सामान्य शब्दों में कहूँ तो यह वैसी ही बात है जैसे पैदल चलने वाला व्यक्ति चाँद पर पहुँचने की बात करे . चाँद पर पहुँचने के लिए आपको शारीरिक रूप से फिट होना पड़ता है ! बेहद कठोर ट्रेनिंग होती है ! इसमें महीनों या सालों का समय लगता है . फिर एक अत्यंत उच्च तकनीक वाला रॉकेट होता है जिसमे बैठकर आप चाँद पर पहुँचते हैं ! विशेष स्पेस सूट पहनकर ही आप चाँद को स्पर्श कर सकते हैं ! उसपर चल सकते हैं !

ठीक वैसे ही साधना के रस्ते पर आपको कई वर्षों की कठोर साधना करनी होगी . उच्च कोटि के गुरु के सानिध्य में ट्रेनिंग लेनी होगी , अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को उच्चतम स्तर पर पहुंचाना होगा, अपने शरीर को जागृत करके उस लायक बनाना होगा तब देवी देवता का दर्शन संभव है .

हम सामान्य गृहस्थ हैं हम उतनी ज्यादा साधना नहीं करते परिणामतः उच्च स्तर की देवी ऊर्जा को सहन भी नहीं कर सकते हैं . इसलिए देवी शक्तियां हमें प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देतीं . वे स्वप्न में आभास देती हैं . कभी विचित्र गंध आपके पूजन कक्ष में आएगी . कभी घुंघरू जैसी ध्वनि सुनाई देगी . ऐसा होगा तो आपको समझना है कि कोई देवीय शक्ति आपसे प्रसंन्न होकर उपस्थित हुई है . ऐसे में उनको प्रणाम कर लेना चाहिये और उनसे कृपा का निवेदन करना चाहिए . इस प्रकार के आभास नवरात्री में विशेष रूप से होते हैं .....  

मैं कैसे समझूँ कि मेरी साधना या मंत्र जाप सफल हुआ है ?

मंत्र जाप की सफलता के लक्षण :-

आपका मनोवांछित कार्य पूरा होगा या उसमे अनुकूलता मिलेगी . 

आपको आतंरिक शांति का अनुभव होगा . 

आपके अनावश्यक खर्चे कम होने लगेंगे . 

आप और परिवार में अन्य सदस्य बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे .

पारिवारिक कलह जैसे पति/पत्नी के झगडे कम होने लगेंगे . 

घर में सकारात्मक ऊर्जा का आभास होगा .  

मन्त्र जाप करते समय मुझे जम्हाई /नींद  आती है  ऐसा क्यों ?

हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियों और हमारे अपने आलस्य की वजह से मंत्र जाप शुरू करने पर कुछ समय तक सभी साधकों के साथ ऐसा होता है . जो धीरे धीरे कम होता जायेगा . अपने पास एक गिलास में पानी रखकर बीच बीच में उसके छींटे मारते रहें तो काफी लाभ मिलेगा .  

एक दिन में या पंद्रह दिन में साधना सिद्ध हो सकती है क्या ?

ऐसा कुछ नहीं है . जैसे जैसे मंत्र जाप की संख्या बढ़ती जाती है आपका मंत्र जागृत और चैतन्य होने लगता है और धीरे धीरे कुछ सालों में आपको वह स्थिति प्राप्त होने लगती है जब आप उस मंत्र के माध्यम से अपने अभीष्ट कार्य संपंन्न कर सकते हैं . 

दूसरों के कार्य करने के लिए मैं अपनी सिद्धियों का प्रयोग कैसे कर सकता हूँ ?

जब आप तीन से पांच लाख की संख्या में मंत्र जाप कर लेते हैं तो आप उस मंत्र की सहायता से स्वयं के या दूसरों के काम कर सकते हैं . इसके साथ साथ आपकी शक्तियां भी कम होंगी . सामान्य भाषा में आपको समझाऊं तो मंत्र जाप को आप मोबाइल के बैटरी चार्ज करने जैसा समझ लीजिये . सिंपल कालिंग होगा तो बैटरी ज्यादा लम्बे समय आपके काम आएगी .  आप उसमे वीडियो चलाएंगे, बच्चे उसमे गेम खेलेंगे, दोस्त वीडियो कॉल करेगा तो बैटरी जल्दी ख़तम हो जायेगी . उसी प्रकार जब आप दूसरों का काम करेंगे तो आपकी साधना की ऊर्जा उस काम में लगेगी और आपकी ऊर्जा कम होती जाएगी . उसे रोज साधना के द्वारा रिचार्ज करते रहना पड़ेगा अन्यथा एक दिन बैटरी डेड हो जाएगी ...... उसके बाद ..... मेरा मतलब आप समझ ही गए होंगे .  दूसरों का काम गारंटी से करने का दावा करने वाले और अचानक प्रकट होने वाले विश्वविख्यात तांत्रिक और ज्योतिष बाबा इसी कारण से चार पांच साल बाद गुमनामी के अँधेरे में चले जाते हैं .... फिर उनको कोई नहीं पूछता ..... 

यह बात दिमाग में स्पष्ट रखें कि ..... दूसरों का काम करने के लिए आपको नियमित साधना करनी ही होगी और संभव हो तो किसी दुसरे पूजा स्थान पर अपने नाम से अनुष्ठान आदि भी कराते रहना चाहिए . तभी आपकी शक्तियां आपके साथ लगातार बनी रहेंगी . 

19 सितंबर 2025

बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग

 बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग


विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में मन लगने तथा बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग बसंत पंचमी/ नवरात्रि/गुप्त नवरात्री के अवसर पर आप कर सकते हैं ।

इसके लिए सामग्री
1 केसर आधा ग्राम या चौथाई ग्राम जो भी मिल जाए ।
2 सरस्वती माता का चित्र ।
3 तेल का दीपक।

सबसे पहले माँ या पिता जो भी अपने बच्चे को प्रयोग कराना चाहते हैं वह स्नान करके शुद्ध होकर सामने देवी का चित्र और दीपक जलाकर रख लेंगे ।

दीपक की लौ आपकी तरफ रहेगी ।

अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करें ।
1 माला या 5 मिनट तक गुरु मंत्र
।।ॐ गुरुभ्यो नमः ।।


उसके बाद एक घंटा या 11 माला सरस्वती मंत्र का जाप करें । जाप करते समय मन मे भाव रखेंगे कि आपके बच्चे पर महामाया सरस्वती कृपा करें और उनकी बुद्धि का विकास करें । एक बच्चे के लिए करने के बाद दूसरे बच्चे के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया दुहरानि

।। ऐं ऐं ऐं सरस्वत्यै ऐं ऐं ऐं नमः ।।

केसर के 5-6 धागे को आधा चम्मच पानी मे भिगो कर घोल लें ।
बच्चे की जीभ में अपनी तर्जनी उंगली से सरस्वती बीज मन्त्र लिखें ।

ऐं

उसके बाद बच्चे को 5 मिनट सरस्वती चित्र के सामने सरस्वती मंत्र का जाप करने के लिए कहें ।
नित्य एक माला या 5 मिनट मन्त्र जाप करते रहेंगे तो ज्यादा लाभ होगा ।

यदि बड़े बच्चे हों तो वे स्वयं पहले जाप कर लें तथा बाद में केसर से बीज मंत्र लिख लें ।

जीभ में लिख रहे हैं । वहां लिखाया या नही यह देखने नही जाएंगे । अंदाजे से जीभ पर ऐं लिखना है बस ।
जीभ को पकड़ कर खींचना नही है मुंह के अंदर ही तर्जनी से आराम से माताजी का ध्यान करते हुए मन्त्र लिखना है ।

नवरात्रि के विषय में सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर

 नवरात्रि  के विषय में सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर 



सबसे पहले आप सभी को महामाया के नवरात्रि शक्ति पर्व की शुभकामनाएं

शक्ति पर्व साधनाओं के माध्यम से शक्ति अर्जित करने का पर्व है ।

इस अवसर पर साधनाएं और मंत्र जाप अवश्य करें ।.

इस विषय पर मेरे द्वारा प्रतिलिपि पर बहुत सारी विधियाँ प्रकाशित हैं ।. आप उनमे से किसी भी एक का प्रयोग कर सकते हैं . 


अगर आप काम की अधिकता , अस्वस्थता या स्थानाभाव के कारण पूजा स्थान मे बैठकर नहीं कर पा रहे हैं तो महाकाली के बीज मंत्र

"क्रीं "

( उचाचारण होगा क्रीम /kreem )

का चलते फिरते , उठते बैठते लेटते, सभी अवस्थाओं मे मानसिक जाप करके भी महामाया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।


सामान्य प्रश्न/जिज्ञासाएं और उनके उत्तर 

क्या मैं नवरात्रि में देवी का मंत्र जाप कर सकता/सकती हूँ ?

हाँ ! अगर आपकी देवी पर आस्था और विश्वास है तो आप कर सकते हैं . स्त्री पुरुष दोनों मंत्र जाप कर सकते हैं . बच्चे अपने माता पिता की अनुमति और जानकारी में ही मंत्र जाप करें . 

क्या मंत्र जाप के लिए गुरु आवश्यक है ?

हाँ ! मंत्र जाप से आपके शरीर में ऊर्जा बनती है उसे नियंत्रित करने के लिए गुरु की आवश्यकता पड़ती है . यह विशेष रूप से तब आवश्यक है जब आप सवा लाख या अधिक मंत्र जाप का अनुष्ठान कर रहे हों .

यदि आप एकाध माला रोज कर रहे हैं तो आप बिना गुरु के भी मंत्र जाप कर सकते हैं . 

स्तोत्र पाठ और शतनाम सहस्रनाम का पाठ आप बिना गुरु के भी कर सकते हैं .

अगर जाप से शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी या बेचैनी जैसा आभास हो तो समझ जाइएगा कि आपका शरीर उतनी ऊर्जा सहन नहीं कर पा रहा है , तब जप या पाठ की संख्या कम कर लेंगे . धीरे धीरे संख्या बढ़ा सकते हैं . 

मैं एक स्त्री हूँ मेरा मासिक नवरात्री के बीच में आ रहा है , क्या इससे मेरी साधना खंडित हो जाएगी ? मैं क्या करू?

विश्व विख्यात मंत्र तंत्र विशेषज्ञ पूज्यपाद गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा जो निर्देश हमें मिलते थे उसके अनुसार "अगर जाप शुरू करने के बाद मासिक आ जाए तो आप पूजा स्थान में बैठकर जाप करना रोक लें, मासिक पूरा हो जाने के बाद उसे कंटीन्यू कर सकते हैं ऐसे में साधना खंडित नहीं मानी जायेगी . 

क्या मैं सुबह महाविद्या भुवनेश्वरी और रात में महाविद्या महाकाली साधना कर सकता/सकती हूँ ?

बहुत सारे मंत्र या पूजन करने की बजाय एक ही मंत्र या स्तोत्र को ज्यादा से ज्यादा बार करें । हर देवी या देवता सब कुछ देने मे समर्थ है., तभी तो वह देवता या देवी है ।

अगर जाप के दौरान कुछ गलती हो गयी तो क्या मातारानी मुझे सजा देगी और उससे मेरा नुकसान हो जाएगा ?

कोई नन्हा बच्चा अपनी माँ को बुलाने के लिए किसी भी शब्द या क्रिया का इस्तेमाल करे माता उसे समझ जाती है और उसकी आवश्यकता की पूर्ती कर देती है . जगदम्बा सम्पूर्ण विश्व की माँ हैं . वे ममत्व और वात्सल्य की अंतिम सीमा हैं . वे अपनी साधना करने वाले किसी साधक साधिका को नुकसान पहुंचा ही नहीं सकती . इसलिए इस प्रकार के बेवजह के डर को अपने दिमाग से निकाल दीजिये . स्वयं को महामाया का नन्हा शिशु मानकर मन्त्र जाप करिये वे अवश्य सुनेंगी .  

क्या मंत्र जाप करने से सम्बंधित देवी/देवता मेरे सामने प्रकट हो जायेंगे ?

सामान्य शब्दों में कहूँ तो यह वैसी ही बात है जैसे पैदल चलने वाला व्यक्ति चाँद पर पहुँचने की बात करे . चाँद पर पहुँचने के लिए आपको शारीरिक रूप से फिट होना पड़ता है ! बेहद कठोर ट्रेनिंग होती है ! इसमें महीनों या सालों का समय लगता है . फिर एक अत्यंत उच्च तकनीक वाला रॉकेट होता है जिसमे बैठकर आप चाँद पर पहुँचते हैं ! विशेष स्पेस सूट पहनकर ही आप चाँद को स्पर्श कर सकते हैं ! उसपर चल सकते हैं !

ठीक वैसे ही साधना के रस्ते पर आपको कई वर्षों की कठोर साधना करनी होगी . उच्च कोटि के गुरु के सानिध्य में ट्रेनिंग लेनी होगी , अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को उच्चतम स्तर पर पहुंचाना होगा, अपने शरीर को जागृत करके उस लायक बनाना होगा तब देवी देवता का दर्शन संभव है .

हम सामान्य गृहस्थ हैं, हम उतनी ज्यादा साधना नहीं करते इसलिए उच्च स्तर की देवी ऊर्जा को सहन भी नहीं कर सकते हैं . देवी शक्तियां हमें प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देतीं . वे स्वप्न में आभास देती हैं . कभी विचित्र गंध आपके पूजन कक्ष में आएगी . कभी घुंघरू जैसी ध्वनि सुनाई देगी . ऐसा होगा तो आपको समझना है कि कोई देवीय शक्ति आपसे प्रसंन्न होकर उपस्थित हुई है . ऐसे में उनको प्रणाम कर लेना चाहिये और उनसे कृपा का निवेदन करना चाहिए . इस प्रकार के आभास नवरात्री में विशेष रूप से होते हैं .....  

मैं कैसे समझूँ कि मेरी साधना या मंत्र जाप सफल हुआ है ?

मंत्र जाप की सफलता के लक्षण :-

आपका मनोवांछित कार्य पूरा होगा या उसमे अनुकूलता मिलेगी . 

आपको आतंरिक शांति का अनुभव होगा . 

आपके अनावश्यक खर्चे कम होने लगेंगे . 

आप और परिवार में अन्य सदस्य बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे .

पारिवारिक कलह जैसे पति/पत्नी के झगडे कम होने लगेंगे . 

घर में सकारात्मक ऊर्जा का आभास होगा .  

मन्त्र जाप करते समय मुझे जम्हाई /नींद  आती है  ऐसा क्यों ?

हमारे आसपास की नकारात्मक शक्तियों और हमारे अपने आलस्य की वजह से मंत्र जाप शुरू करने पर कुछ समय तक सभी साधकों के साथ ऐसा होता है . जो धीरे धीरे कम होता जायेगा . अपने पास एक गिलास में पानी रखकर बीच बीच में उसके छींटे मारते रहें तो काफी लाभ मिलेगा .  

एक दिन में या पंद्रह दिन में साधना सिद्ध हो सकती है क्या ?

ऐसा कुछ नहीं है . जैसे जैसे मंत्र जाप की संख्या बढ़ती जाती है आपका मंत्र जागृत और चैतन्य होने लगता है और धीरे धीरे कुछ सालों में आपको वह स्थिति प्राप्त होने लगती है जब आप उस मंत्र के माध्यम से अपने अभीष्ट कार्य संपंन्न कर सकते हैं . 

दूसरों के कार्य करने के लिए मैं अपनी सिद्धियों का प्रयोग कैसे कर सकता हूँ ?

जब आप तीन से पांच लाख की संख्या में मंत्र जाप कर लेते हैं तो आप उस मंत्र की सहायता से स्वयं के या दूसरों के काम कर सकते हैं . इसके साथ साथ आपकी शक्तियां भी कम होंगी . सामान्य भाषा में आपको समझाऊं तो मंत्र जाप को आप मोबाइल के बैटरी चार्ज करने जैसा समझ लीजिये . सिंपल कालिंग होगा तो बैटरी ज्यादा लम्बे समय आपके काम आएगी .  आप उसमे वीडियो चलाएंगे, बच्चे उसमे गेम खेलेंगे, दोस्त वीडियो कॉल करेगा तो बैटरी जल्दी ख़तम हो जायेगी . उसी प्रकार जब आप दूसरों का काम करेंगे तो आपकी साधना की ऊर्जा उस काम में लगेगी और आपकी ऊर्जा कम होती जाएगी . उसे रोज साधना के द्वारा रिचार्ज करते रहना पड़ेगा अन्यथा एक दिन बैटरी डेड हो जाएगी ......

उसके बाद ..... मेरा मतलब आप समझ ही गए होंगे .  

दूसरों का काम गारंटी से करने का दावा करने वाले और अचानक प्रकट होने वाले विश्वविख्यात तांत्रिक और ज्योतिष बाबा इसी कारण से चार पांच साल बाद गुमनामी के अँधेरे में चले जाते हैं .... फिर उनको कोई नहीं पूछता ..... 

किसी का भी दोष निवारण करेंगे तो उसका कुछ अंशों मे दोष आपको भी झेलना ही पड़ेगा । यह बात दिमाग में स्पष्ट रखें कि ..... दूसरों का काम करने के लिए आपको नियमित साधना करनी ही होगी और संभव हो तो किसी दुसरे पूजा स्थान पर अपने नाम से अनुष्ठान आदि भी कराते रहना चाहिए . तभी आपकी शक्तियां आपके साथ लगातार बनी रहेंगी , आपके ऊपर आने वाले नकारात्मक प्रभाव का शमन भी होता रहेगा ।