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27 सितंबर 2025

नवरात्रि हवन की सरल विधि

   नवरात्रि हवन की सरल विधि:-

 


नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।

यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी राय मे चंडी प्रकाशनगीता प्रेसचौखम्बा प्रकाशनआदि से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।. 

आवश्यक सामग्री :-

1. दशांग या हवन सामग्री दुकान पर आपको मिल जाएगा .

2. घी ( अच्छा वाला लें भले कम लें पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )

3. कपूर आग जलाने के लिए .

4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,

5. हवन कुंड या गोल बर्तन ।. 

 

हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.

हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .

फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड या ईंट रेती रखें उसपर पात्र रखें.

कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.

हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.

सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें

“ ॐ अग्नये स्वाहा 

 

इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-

ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।

ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।

ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।

ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।

ॐ भूः स्वाहा ।

 

उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .

नवग्रह मंत्र :-

ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा

ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा

ऊं भौमाय नमः स्वाहा

ऊँ बुधाय नमः स्वाहा

ऊँ गुरवे नमः स्वाहा

ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा

ऊँ शनये नमः स्वाहा

ऊँ राहवे नमः स्वाहा

ऊँ केतवे नमः स्वाहा

गायत्री मंत्र :-

 

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।

 

ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,

ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,

ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,

 

ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,

ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,

 

ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,

ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,

ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा

 

माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे

 

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा

 

हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घीहवन सामग्री आदि डाल दें.

पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.

पूर्णाहुति मंत्र-

ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम उदिच्यते ।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ।।

 

इसका अर्थ है :-

वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।

वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....

 

इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.

उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,

फिर आरती करें.

अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.

माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।

 


7 सितंबर 2024

श्री विघ्नराज गणपति का हवन




गणपति विसर्जन से पहले सबकी इच्छा होती है कि गणपति हवन हो जाता तो अच्छा होता |

यदि किसी कारणवश आप किसी साधक /पंडित से हवन ना करवा सकें तो आपके लिए एक सरल हवन विधान प्रस्तुत है जो आप आसानी से स्वयम कर सकते हैं ।

किसी कुंड या बर्तन मे आप लकड़ी डालकर आग जला लें । बर्तन या कुंड को ईंट या रेत के ऊपर रखें 

ऊं अग्नये नमः ।
7 बार इस मन्त्र का जाप करें तथा आग जला लें ।

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ।
21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।

अग्नि जल जाए तब घी/ दशांग (हवन सामग्री ) से आहुति डालें |

ऊं अग्नये स्वाहा ......
7 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं गं स्वाहा .....
1 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं भैरवाय स्वाहा .....
11 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा .....
21 आहुति अग्नि मे डालें

ॐ प्रचंड चंडिकायै स्वाहा –
9 बार अपने मस्तक को स्पर्श करते हुए आहुति डालें ।

अब अपनी मनोकामना भगवान् गणपति के समक्ष निवेदन मन में या बोलकर करें

ऊं गं गणपतये स्वाहा .....
108 बार ह्रदय को स्पर्श करते हुए आहुति डालें

अन्त में कहें कि गणपति भगवान की कृपा मुझे प्राप्त हो....

दोनों कान पकड़कर सभी गलतियों के लिये क्षमा मांगे.....

तीन बार पानी छिडककर शांति शांति शांति ऊं कहें.....

संभव हो तो किसी गरीब बच्चे को भोजन/मिठाई/दान अवश्य दें

19 सितंबर 2023

श्री गणपति हवन

श्री गणपति हवन

गणपति विसर्जन से पहले सबकी इच्छा होती है कि गणपति हवन हो जाता तो अच्छा होता |

यदि किसी कारणवश आप किसी साधक /पंडित से हवन ना करवा सकें तो आपके लिए एक सरल हवन विधान प्रस्तुत है जो आप आसानी से स्वयम कर सकते हैं ।

किसी कुंड या बर्तन मे आप लकड़ी डालकर आग जला लें । बर्तन या कुंड को ईंट या रेत के ऊपर रखें 

ऊं अग्नये नमः ।
7 बार इस मन्त्र का जाप करें तथा आग जला लें ।

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ।
21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।

अग्नि जल जाए तब घी/ दशांग (हवन सामग्री ) से आहुति डालें |

ऊं अग्नये स्वाहा ......
7 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं गं स्वाहा .....
1 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं भैरवाय स्वाहा .....
11 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा .....
21 आहुति अग्नि मे डालें

ॐ प्रचंड चंडिकायै स्वाहा –
9 बार अपने मस्तक को स्पर्श करते हुए आहुति डालें ।

अब अपनी मनोकामना भगवान् गणपति के समक्ष निवेदन मन में या बोलकर करें

ऊं गं गणपतये स्वाहा .....
108 बार ह्रदय को स्पर्श करते हुए आहुति डालें

अन्त में कहें कि गणपति भगवान की कृपा मुझे प्राप्त हो....

दोनों कान पकड़कर सभी गलतियों के लिये क्षमा मांगे.....

तीन बार पानी छिडककर शांति शांति शांति ऊं कहें.....

संभव हो तो किसी गरीब बच्चे को भोजन/मिठाई/दान अवश्य दें

श्री विघ्नराज गणपति का हवन

श्री विघ्नराज गणपति का हवन

गणपति विसर्जन से पहले सबकी इच्छा होती है कि गणपति हवन हो जाता तो अच्छा होता |

यदि किसी कारणवश आप किसी साधक /पंडित से हवन ना करवा सकें तो आपके लिए एक सरल हवन विधान प्रस्तुत है जो आप आसानी से स्वयम कर सकते हैं ।

किसी कुंड या बर्तन मे आप लकड़ी डालकर आग जला लें । बर्तन या कुंड को ईंट या रेत के ऊपर रखें 

ऊं अग्नये नमः ।
7 बार इस मन्त्र का जाप करें तथा आग जला लें ।

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ।
21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।

अग्नि जल जाए तब घी/ दशांग (हवन सामग्री ) से आहुति डालें |

ऊं अग्नये स्वाहा ......
7 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं गं स्वाहा .....
1 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं भैरवाय स्वाहा .....
11 आहुति अग्नि मे डालें

ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा .....
21 आहुति अग्नि मे डालें

ॐ प्रचंड चंडिकायै स्वाहा –
9 बार अपने मस्तक को स्पर्श करते हुए आहुति डालें ।

अब अपनी मनोकामना भगवान् गणपति के समक्ष निवेदन मन में या बोलकर करें

ऊं गं गणपतये स्वाहा .....
108 बार ह्रदय को स्पर्श करते हुए आहुति डालें

अन्त में कहें कि गणपति भगवान की कृपा मुझे प्राप्त हो....

दोनों कान पकड़कर सभी गलतियों के लिये क्षमा मांगे.....

तीन बार पानी छिडककर शांति शांति शांति ऊं कहें.....

संभव हो तो किसी गरीब बच्चे को भोजन/मिठाई/दान अवश्य दें