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17 अक्तूबर 2024

दीपावली : महालक्ष्मी की साधना का सिद्ध मुहूर्त

  


दीपावली : महालक्ष्मी की साधना का सिद्ध मुहूर्त

दीपावली महालक्ष्मी की साधना के लिए और उनके पूजन के लिए एक अति विशिष्ट मुहूर्त माना गया है । गृहस्थ के लिए लक्ष्मी अर्थात धन धान्य का महत्व अलग से बताने की शायद आवश्यकता नहीं है  । इस दिन महालक्ष्मी के मंत्र का जाप करना चाहिए । अगर संभव हो तो उनके किसी स्तोत्र का पाठ करना भी लाभदायक रहता है ।

श्री यंत्र

इसके अलावा आप इस दिन अपने घर में श्रीयंत्र स्थापित कर सकते हैं । श्री यंत्र कई प्रकार के होते हैं । जिनमें तांबे के ऊपर बने हुए श्री यंत्र सामान्यतः हर जगह उपलब्ध होते हैं । सुनार की दुकान पर आपको चांदी के ऊपर बने हुए श्री यंत्र भी मिल जाएंगे और कई जगह आपको सोने के या सोने की प्लेटिंग के बने हुए श्री यंत्र भी मिल जाएंगे ।

इसके अलावा श्री यंत्र कई चीजों से बनते हैंजिनमें स्फटिक और अन्य मणियाँ शामिल है ! मणि यानी कि रत्न से बने हुए श्री यंत्र भी उपलब्ध होते हैं ये थोड़े महंगे होते हैं और इनकी कीमत रत्न के वजन के हिसाब से होती है ।




श्री यंत्र का लॉकेट भी मिलता हैआप चाहे तो उसे गले में भी पहन सकते हैं ।

अक्षय तृतीया के दिन कोई भी लक्ष्मी का मंत्र या स्तोत्र आप श्री यंत्र के ऊपर संपन्न करके उसे अपनी तिजोरीपूजा घरआलमारी या अपने गल्ले में रख सकते हैं ।

लक्ष्मी की अनुकूलता देने वाली तांत्रिक सामग्री :-

 

एकाक्षी नारियल

 

 


एक = एक अक्ष = आँख

इसके अलावा जो विशेष तांत्रिक सामग्री लक्ष्मी के घर में स्थायित्व के लिएया घर में लक्ष्मी के रुकने के लिए या बेवजह के खर्चों को रोकने के लिए सहायक होती हैउसमें सबसे महत्वपूर्ण है एकाक्षी नारियल ।

सामान्यत: आपने देखा होगा कि नारियल के ऊपर तीन छेद होते हैं । जिसे दो आंख तथा एक मुंह कहा जाता है । एकाक्षी नारियल में दो की जगह केवल एक ही आंख होता है । जो सामान्य नारियल होते हैंउसमें इस प्रकार से सैकड़ों नारियल में से किसी एक नारियल में दो की जगह एक ही आंख होता हैयानी कि उसमें तीन की जगह केवल दो काले बिंदु दिखाई देंगे और उनको एकाक्षी नारियल कहा जाता है ।

इसके अलावा कुछ तांत्रिक एकाक्षी नारियल भी होते हैंजो कि अलग-अलग प्रकार के आकारों मे पाए जाते हैं । उनके अंदर भी इस प्रकार की आंख की आकृति बनी हुई होती है ।

वह भी महालक्ष्मी कृपा प्रदान करने में सहायक होते हैं ।

 

हत्था जोड़ी

 

 

एक और तांत्रिक वस्तु है..... हत्था जोड़ी !

यह एक पौधे की जड़ होती है । जिसका आकार बिल्कुल मनुष्य के हाथ के जैसा दिखाई देगा और वह भी एक हाथ नहीं बल्कि एक हाथ की जोड़ी के जैसा । ऐसा लगता है जैसे दो हाथों को आपस में मिलाकर रखा गया हो । हत्था जोड़ी बहुत दुर्लभ नहीं है । इसे प्राप्त किया जा सकता है । कई जड़ी बूटी की दुकानों पर या घूमने वाले घुमंतू व्यक्तिओं से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं । यह अगर आप अपने घर में रखे तो भी आपको लक्ष्मी के और व्यवसाय के संबंध में अनुकूलता प्राप्त होगी ।

बिल्ली की जेर


इसके अलावा एक और चीज है जो काफी प्राचीन काल से ही लक्ष्मी प्रदायक मानी जाती है । वह है बिल्ली की जेर या बिल्ली की नाल । बिल्ली जब अपने बच्चे का प्रसव करती है तो उसके साथ उसकी नाल भी बाहर निकलती है । यह बिल्ली की नाल बदबूदार होती है बिल्ली अधिकांश अवसरों पर इसे स्वयं खा जाती है ।

अगर सौभाग्यवश किसी प्रकार से आपको यह नाल प्राप्त हो जाए तो इसे सुखाकर आप सिंदूर कपूर इलायची आदि डालकर किसी सोने की डिबिया में या चांदी की डिबिया में या प्लास्टिक के डिब्बे में अपने पूजा स्थान में या अपने गल्ले में या अपनी तिजोरी में इसे रखेंगे तो वह आपके लिए अनुकूलता प्रदान करेगी । यदि आप उसे सामने रखकर उसके सामने लक्ष्मी के मंत्र का जाप कर लेते हैं या महालक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करते हैं या कमलगट्टे की आहुतियां उसके सामने यज्ञ करके प्रदान करते हैं तो उसकी तेजस्विता बढ़ जाती है । वह आपको ज्यादा अनुकूलता प्रदान करती है ।

 

कनकधारा यंत्र


लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए अन्य यंत्रों में एक सबसे उपयोगी यंत्र है कनकधारा यंत्र । कनकधारा यंत्र को स्थापित करके यदि आप नित्य कनकधारा स्तोत्र का एक बार या अपनी क्षमता अनुसार ज्यादा पाठ करेंगे तो 6 महीने से साल भर के भीतर आपको आर्थिक लाभ होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी ।

 

हां ! इसके लिए जरूरी है कि आपका कोई काम हो यानि आप कुछ पुरुषार्थ करते हों । घर बैठे बैठे कुछ भी नहीं मिलता है । मान लीजिए आपकी दुकान होगी तो वह ज्यादा चलने लग जाएगी ।

लेकिन अगर आप नौकरी करते हैं तो वहां तो सीमित संभावनाएं होती है उसमें बहुत ज्यादा लाभ आपको नहीं दिखेगा । हां ! खर्चों में कमी आ सकती है ।

यदि आप की दुकान है या कोई व्यवसाय है जिसमे आय बढ़ने की संभावनाएं हैं तो कनकधारा का जाप करने से आपको निश्चित रूप से उसका लाभ दिखाई देगा ।

 

अष्ट लक्ष्मी यंत्र

 

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए एक अन्य वस्तु जो उपयोगी है वह है अष्ट लक्ष्मी यंत्र । इसमें आठ प्रकार की लक्ष्मीयों के यंत्र बने हुए होते हैं या उनकी आकृति बनी हुई होती है ।

इस यंत्र को भी आप लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए स्थापित कर सकते हैं ।

 

कुबेर यंत्र


एक और यंत्र है जो महालक्ष्मी कृपा प्राप्त करने के लिए यानि धन समृद्धि प्राप्त करने के लिए सहायक होता है । वह है कुबेर यंत्र ! कुबेर यंत्र भी कई स्थानों पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है या किसी तांत्रिक प्रतिष्ठान से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं । कुबेर को भगवान या देवताओं के कोषाध्यक्ष के रूप में स्वीकार किया जाता है । यानी कि वे देवराज इंद्र के कोषाध्यक्ष है । अब देवताओं के पास अकूत धन संपदा होती है और उसके प्रभारी हैं यक्ष राज कुबेर । उनके यंत्र को स्थापित करके उनके मंत्र का जाप करने से भी लक्ष्मी से संबंधित अनुकूलता प्राप्त होती है ।

 

स्वर्णाकर्षण भैरव 

एक और तांत्रिक स्वरूप है स्वर्णाकर्षण भैरव ! जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे भगवान शिव का जो सक्रिय स्वरूप है वह है भैरव । भैरव के कई स्वरूप माने गए हैं उसमें से एक स्वरूप है स्वर्णाकर्षण भैरव । स्वर्ण का मतलब है सोनाआकर्षण मतलब उसे अपनी ओर खींचने की क्रिया और भैरव याने कि वह जो इस प्रकार की क्रिया को संपन्न करता है ।

स्वर्णाकर्षण भैरव का यंत्र भी अगर आपको कहीं से प्राप्त हो जाए तो उसे स्थापित करके और अगर स्वर्णाकर्षण भैरव का यंत्र प्राप्त ना हो पाए तो आप किसी शिवलिंग के सामने बैठकर भी स्वर्णाकर्षण भैरव का मंत्र पढ़कर आर्थिक अनुकूलता प्राप्त कर सकते हैं । यह ध्यान रखेंगे कि स्वर्णाकर्षण भैरव का मंत्र रात्रि काल में किया जाएगा और उसकी कम से कम 11 माला अर्थात 1100 बार उसका रोज उच्चारण करना चाहिए तभी आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।

 

पारद श्री यंत्र

श्री यंत्र पारे से भी बनाए जाते हैं । पारे के बने हुए शिवलिंग के विषय में आपने सुना होगा लेकिन पारे से श्री यंत्र भी बनाए जाते हैं और पारे से बने हुए श्री यंत्र महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक माने गए हैं । इनको स्थापित करने से भी आपको महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है ।

आप चाहें तो दीपावली पर अभिमंत्रित पारद श्री यंत्र आप मँगवा सकते हैं । इसका शुल्क है 1008 रुपये जो आप नीचे दिये क्यूआर कोड़ पर भेज सकते हैं । 

 


यंत्र आपके नाम से सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित जानकारी लगेगी जो आप मुझे मेरे नंबर 7000630499 पर व्हाट्स एप्प से भेज देंगे :-

भेजे गए एक हजार आठ रुपये के शुल्क की रसीद की फोटो ।  

आपका एक ताजा खींचा हुआ फोटो 

नाम 

गोत्र (अगर मालूम हो )

जन्मतिथि (अगर मालूम हो )

जन्म का समय (अगर मालूम हो )

जन्म का स्थान (अगर मालूम हो )


पूरा पता , पिन कोड के साथ, जिसमे आपको यंत्र भेजना है ।

आपका व्हाट्सएप्प  नंबर जिसपर आपको मंत्र तथा यंत्र भेजने की सूचना भेजी जाएगी । 

पारदेश्वरी लक्ष्मी विग्रह

पारे से बने हुए लक्ष्मी के विग्रह को पारदेश्वर लक्ष्मी कहा जाता है । यदि आपके घर में पारदेश्वरी लक्ष्मी का विग्रह स्थापित हो तो वह भी आपको आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने में सहायता करता है । पारदेश्वरी लक्ष्मी के विग्रह के सामने नित्य महालक्ष्मी मंत्र का जाप करना चाहिए या उनके किसी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।

 

इसके अलावा कुछ ऐसे सरल रोज़मर्रा के उपाय भी हैं जो महालक्ष्मी की कृपा प्रदान करते हैं ।

 

स्त्री का सम्मान


इसमें से पहला तो यह है कि प्रत्येक स्त्री का सम्मान करें क्योंकि महालक्ष्मी स्त्री तत्व है इसलिए जब आप स्त्रियों का सम्मान करते हैं तो महालक्ष्मी की प्रसन्नता आपको प्राप्त होती है । आपके घर में काम करने वाली नौकरानी भी हो तो भी उसे बेवजह अपमानित ना करें ।

 

स्वछता


अपने घर में या कार्यस्थल में जितनी शुचिता या साफ-सफाई आप बनाए रखेंगेउतनी ही संभावना है कि महालक्ष्मी की उपस्थिति वहां पर होक्योंकि वह स्वच्छ और पवित्र स्थान पर आसानी से उपस्थित हो जाती हैं । वह उनको प्रिय होता है ।

 

वस्त्र गंध और शृंगार

आप स्वयं भी साफ-सुथरे और अच्छे वस्त्र पहने यदि संभव हो तो इत्र या सेंट का उपयोग अवश्य करें । वह भी इस प्रकार का जिसकी खुशबू हल्की-हल्की भीनी भीनी हो ।

महिलाएं अगर है तो वह श्रंगार अवश्य करें । साधना या मंत्र जाप करते समय भी इसी प्रकार से बैठे । अच्छे वस्त्र आभूषण धारण करें और इत्र अगरबत्ती लगाकर बैठेक्योंकि महालक्ष्मी स्वयं आभूषणों से युक्त हैंस्वर्ण से अलंकृत हैमुकुट धारिणी है । वे अपने भक्तों को साज-सज्जा के साथ बैठे हुए देखना ही पसंद करती हैं । इसलिए महालक्ष्मी की साधना करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप की वेशभूषा स्वच्छ शुद्ध और पवित्र हो । साथ ही आपके आसपास का वातावरण भी सुगंधित और साफ सुथरा हो ऐसे में आपको महालक्ष्मी की साधना या उनकी पूजा करने में अनुकूलता शीघ्रता से प्राप्त हो जाएगी ।

 

गौमाता की सेवा


यदि आपके पास कोई गौशाला या गायों को संरक्षित करने का कोई स्थान हो तो वहां पर कुछ दान दक्षिणा अवश्य करते रहें । यह उनकी कृपा प्रदान करता है । गाय को कामधेनु का स्वरूप माना गया है । कामधेनु का अर्थ होता है कि वह जो आपकी इच्छा के अनुसार कोई भी चीज देने में समर्थ है । उसकी सेवा करने से आपको अनुकूलता अवश्य प्राप्त होगी ।

 

पारिजात का वृक्ष

पारिजात एक ऐसा पौधा हैजिसमें सफेद रंग के फूल खिलते हैं । इसकी डांडिया हल्की लाल रंग की होती है और यह फूल रात में ही झड़ जाते हैंरात्रि काल में खिलते हैं और सुबह होने से पहले अधिकांश फूल जमीन पर गिर जाते हैं । इसमें हल्की-हल्की खुशबू आती है यह अगर आप अपने घर में लगाएंगे तो भी आपको महालक्ष्मी से संबंधित अनुकूलता प्राप्त होगी ।

 

महालक्ष्मी के मंत्र


महालक्ष्मी के कई प्रकार के मंत्र हैं जिनमें से किसी भी मंत्र का आप उपयोग कर सकते हैं ।

महालक्ष्मी का बीज मंत्र

महालक्ष्मी का बीज मंत्र है..... 

॥ श्रीम ॥

बीज मंत्र का तात्पर्य होता है एक ऐसा मंत्र जो उस विद्या का बीज है । जैसे किसी पेड़ का बीज होता है जो उस पूरे पेड़ को अपने अंदर समेटे हुए होता है उसी प्रकार से बीज मंत्र भी संबंधित विद्या को अपने अंदर समेटे हुए होता है ।

जिस प्रकार से बीज से किसी वृक्ष के निकलकर बड़े हो जाने की संभावना होती है उसी प्रकार से बीज मंत्र का जाप करते रहने से भी संबंधित विद्या की संपूर्ण कृपा प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।


महालक्ष्मी गायत्री मंत्र


इसके अलावा आप महालक्ष्मी के गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं जो इस प्रकार से है :-

॥ ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नी च धीमही तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ॥

इसके अलावा आप महालक्ष्मी के विभिन्न स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं । जिसमें से प्रमुख स्त्रोत्र हैं 

श्री सूक्त

दूसरा है लक्ष्मी सूक्त 

तीसरा है कनकधारा स्तोत्र 

और एक है सहस्रक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र । 

यह सारे स्तोत्र तथा कुछ अन्य मंत्र मैंने पहले से ही प्रकाशित किए हुए हैं । जिसे आप इसी रचना के अन्य भागों में देख सकते हैं ।

 

इनमें से प्रत्येक स्तोत्र अपने आप में शक्तिशाली और प्रचंड है । इनका नित्य पाठ करते रहने से आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।

ऐसा नहीं है कि आपने दो महीने पाठ कर लिया और आपके घर में सोने की बारिश हो जाएगी या आप अचानक से करोड़पति हो जाए ।

ऐसा चमत्कार होने की उम्मीद ना करें । धीरे-धीरे आपको अपने व्यवसाय मेंआय में वृद्धि होती हुई महसूस होगी ....

अगर आय में वृद्धि होती हुई महसूस नहीं होगी तो आपको खर्चों में कमी होती हुई अवश्य महसूस होगी ।

यह महालक्ष्मी की कृपा का प्रभाव है यदि आप निरंतर जाप करते रहेंगे तो आपको स्वयं अपने अंदर भी एक पॉजिटिव ऊर्जा का अनुभव होगा जो खुद आपको अपने व्यवसाय में आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करेगी ।


आगामी दीपावली के शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं कि आप महालक्ष्मी के विभिन्न उपक्रमों और उपायों का प्रयोग करते हुए अपने जीवन में अनुकूलता और सफलता प्राप्त करने की कोशिश करें और सफल हो !

महामाया महालक्ष्मी अपने करुणामयी नेत्रों से आप सभी के जीवन में धनऐश्वर्यसंपत्ति और कृपा की वर्षा करें ....

ऐसी शुभकामनाए...

6 अक्तूबर 2024

आर्थिक लाभ के लिए सहायक : अभिमंत्रित पारद श्री यंत्र




गृहस्थ के जीवन में लक्ष्मी नही है तो कुछ भी नही है । यह हम सभी जानते हैं ।

व्यापार में अनुकूलता और ज्यादा लाभ के लिए महालक्ष्मी के श्री यंत्र का अनादि काल से उपयोग हों रहा है ।
आप इसकी विशिष्ठता इसी बात से समझ सकते हैं कि लगभग सभी उच्च कोटि के तंत्र पीठों में इसकी स्थापना अनिवार्यं रूप से की जाती है ।
महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए मैंने कई उपाय पहले भी प्रकाशित किए हैं । जिनका कई पाठकों ने प्रयोग किया है और उन्हे अनुकूलता मिली है ।
पारा काफी महंगा होता है इसलिए कम मूल्य पर छोटे श्री यंत्र ही प्राप्त हो सकते हैं । जिनका वजन 20 से 25 ग्राम होता है ।
पारे से बने कुछ छोटे पारद श्री यंत्र को अभिमंत्रित करने का विचार कर रहा हूँ, जो लागत मूल्य ₹=1008/[एक हजार आठ रुपये ]  पर पाठकों को उपलब्ध कराऊंगा ।  इसमे पारद श्री यंत्र का मूल्य, पूजन सामग्री तथा पूजन व्यय, पेकिंग तथा कूरियर के द्वारा इसे आप तक भेजने का खर्च शामिल है । 

इस यंत्र को आप अपने पूजा स्थान मे रख सकते हैं । चाहें तो गल्ले तिजोरी या अलमारी मे भी रख सकते हैं । इसके सामने रोज एक माला महालक्ष्मी के मंत्र का जाप करेंगे तो महामाया की कृपा से तीन से छह महीने के अंदर आपको आर्थिक अनुकूलता प्राप्त होगी । 

जो पाठक इच्छुक हैं वे मुझे 7000630499 पर  संपर्क करके इसे प्राप्त कर सकते हैं ।

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आप पेमेंट के लिए इस QR code का भी प्रयोग कर सकते हैं

2 अक्तूबर 2024

बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र का उच्चारण




बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र

बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र





ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंक गृध्रोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस चरु भोजन प्रिये ! सिद्ध विद्याधर वृन्द वंदित चरणे बृह्मेशविष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरव प्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद नुद, सर्व शत्रुणां मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशय आवेशय, त्रुट त्रुट, त्रोटय त्रोटय, स्फुट स्फुट, स्फोटय स्फोटय, महाभूतान् जृम्भय जृम्भय, ब्रह्मराक्षसान उच्चाटय उच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय, मम शत्रुन उच्चाटय उच्चाटय,  शत्रून चूर्णय चूर्णय, सत्यं कथय कथय, वृक्षेभ्यः संन्नाशय संन्नाशय अर्कं स्तंभय स्तंभय , गरुड पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु, लीलांगालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय, शैलकाननमहीं मर्दय मर्दय, मुखं उत्पाटय उत्पाटय, पात्रं पूरय पूरय, भूतभविष्यं यत्सर्व कथय कथय, कृन्त कृन्त, दह दह, पच पच, मथ मथ, प्रमथ प्रमथ, घर्घर घर्घर, ग्रासय ग्रासय, विद्रावय विद्रावय उच्चाटय उच्चाटय, विष्णुचक्रेण वरुणपाशेन इन्द्रवज्रेण ज्वरं नाशय नाशय, प्रविदं स्फोटय स्फोटय , सर्वशत्रून मम वशं कुरु कुरु, पातालं प्रत्यंतरिक्षं आकाशग्रहं आनय आनय, करालि विकरालि महाकालि, रुद्रशक्ते पूर्वदिशं निरोधय निरोधयपश्चिमदिशं स्तम्भय स्तम्भयदक्षिणदिशं निधय निधयउत्तरदिशं बंधय बंधय, ह्रां ह्रीं ॐ बंधय बंधय, ज्वालामालिनी स्तम्भिनी मोहिनि, मुकुट विचित्र कुण्डल नागादि वासुकी कृत हारभूषणे मेखला चन्द्रार्कहास प्रभंजने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहास निलय निलय, हुं फट्, हुं फट् विजृंभित शरीरे सप्तद्वीप कृते ब्रह्माण्ड विस्तारित स्तन युगले असि मुसल परशु तोमर क्षुरिपाश हलेषु वीरान् शमय शमय, सहस्त्र बाहु परापरादिशक्ति विष्णु शरीरे, शंकर ह्रदयेश्वरी बगलामुखी ! सर्वदुष्टान् विनाशय विनाशय, हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लीं बगलामुखी ये केचनापकारिणः सन्ति, तेषां वाचं मुखं स्तम्भय स्तम्भय, जिह्वां कीलय कीलय, बुद्धिं विनाशय विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा !

ॐ ह्रीं हिली हिली सर्व शत्रुणां वाचं मुखं पदं स्तम्भय , शत्रुजिह्वां कीलय, शत्रूणां दृष्टिमुष्टि गति मति दंत तालु जिह्वां बंधय बंधय, मारय मारय, शोषय शोषय हुं फट् स्वाहा ।

 महाविद्या बगलामुखी की कृपा प्रदान करता है । 

स्तोत्र है इसलिए वे भी कर सकते हैं जिन्होंने गुरु दीक्षा नहीं ली है । लेकिन वे नित्य 11 पाठ से ज्यादा ना करें । 

नित्य क्षमतानुसार 1,3,5,7,9,11,16,21,33,51,108 पाठ करें ।


सामने सरसों के तेल का दीपक लगा लें । 
रात्री काल बेहतर है । 
पीले रंग का आसन और वस्त्र  । 
सात्विक विद्या है । 
ब्रह्मचर्य का पालन करें । 
सात्विक आचार विचार व्यवहार रखें  । 
नशा और मांसाहार निषेध है । 
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर देखते हुए करें । 
शत्रु बाधा निवारण, तथा सर्वविध रक्षा के लिए उपयोगी है । 
नवरात्रि मे ज्यादा लाभ प्रदायक है । 

विधि :-

पहले दिन हाथ मे जल लेकर इच्छा बोलेंगे और माता के चरणों मे छोड़ देंगे । 

गुरु बनाया हो तो एक माला गुरु मंत्र की करें । 
अगर गुरु न हो तो एक माला निम्नलिखित मंत्र की करें :
।। ॐ गुं  गुरुभ्यो नमः ।। 

गुरु मंत्र का जाप रुद्राक्ष या किसी भी माला से कर सकते हैं । 

उसके बाद "ह्लीं " [ hleem ] मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने शरीर को सर से पाँव तक छू लेंगे और ऐसी भावना करेंगे कि देवी बगलामुखी आपके शरीर मे स्थापित हो रही हैं । 
इसके बाद पाठ प्रारंभ करें । 
पाठ की गिनती आप किसी भी चीज से कर सकते हैं , कागज पेंसिल पर भी कर सकते हैं । 

आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

 

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भगवती बगलामुखी की साधना के सामान्य नियम

 

    


भगवती बगलामुखी की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा और बगलामुखी दीक्षा ले लें  । 
  9. गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. 
  10. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  11. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  12. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

भुवनेश्वरी महाविद्या


 
॥ ह्रीं ॥





  • भुवनेश्वरी महाविद्या समस्त सृष्टि की माता हैं

  • हमारे जीवन के लिये आवश्यक अमृत तत्व वे हैं.
  • इस मन्त्र का नित्य जाप आपको उर्जावान बनायेगा.
  • जिनका पाचन संबंधी शिकायत है उनको लाभ मिलेगा.
  • प्रातः काल ४ से ६ बजे तक जाप करें.
  • सफ़ेद वस्त्र और आसन होगा.
  • दिशा उत्तर या पूर्व .
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • आचार विचार व्यवहार सात्विक रखें.


  • रोगनाशक महाकाली मंत्र सिद्ध रुद्राक्ष माला

      

      


      


    ॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥


    • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
    • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
    • यथा शक्ति जाप करें.

    आप इसे अपने परिवार के किसी सदस्य के स्वस्थ्य लाभ के लिए भी कर सकते हैं । 
    इसके लिए आप नवरात्रि / शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हाथ मे जल लेकर संकल्प कर लें :-

    मैं (अपना नाम बोलें ), यथा शक्ति, यथा ज्ञान [यानि जितनी मेरी शक्ति है जितना मेरा ज्ञान है उतना ] अमुक (रोगी का नाम ) के स्वस्थ्य लाभ और रोग निवारण के लिए महाकाली रोग निवारण मंत्र के (जाप संख्या बोलें ) जाप का संकल्प लेता हूँ । महा माया महाकाली मेरी त्रुटियों को क्षमा करें और प्रसन्न होकर अमुक (रोगी का नाम ) को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें । 

    1. इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें । 
    2. रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें । 
    3. जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं । 
    4. जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है । 
    5. ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
    6. आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।  
    7. रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें । 
    8. पूर्णिमा तक आपको जाप करना है । 
    9. पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें । 
    10. एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें । 
    11. अगली पूर्णिमा को अपनी रोगमुक्ति की इच्छा बोलते हुये उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें । 
    रोग निवारक महाकाली मंत्रों से सिद्ध रुद्राक्ष माला 
    अगर आप चाहें तो आपके नाम से रोग निवारक काली मंत्र से अभिमंत्रित रुद्राक्ष माला मात्र 1111 रुपये मे उपलब्ध कराने की व्यवस्था इस नवरात्रि मे कर रहा हूँ ।  
    इसे आप एक महीने तक गले मे धारण करें और उसके बाद अपनी रोगमुक्ति की इच्छा बोलते हुये उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें । 
    अगर आप इस प्रकार की रुद्राक्ष माला प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो  निम्नलिखित जानकारियाँ मुझे मेरे नंबर 7000630499 पर शुल्क की रसीद के साथ व्हाट्सप्प कर सकते हैं :-

    नाम , 
    जन्म तिथि, समय स्थान ,गोत्र (मालूम हो तो )  । 
    अपनी एक ताजा फोटो । 
    शुल्क फोन पे करने के बाद उसकी रसीद । 
    अपना पूरा पोस्टल एड्रेस और मोबाइल नंबर । 

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    UPI आईडी - 
    sanilshekhar@fifederal



    नवरात्रि : अखंड ज्योति तथा दुर्गा पूजन की सरल विधि - youtube video

     

    नवरात्रि हवन की सरल विधि:-

     नवरात्रि हवन की सरल विधि:-

     


    नवरात्रि मे आप चाहें तो रोज या फिर आखिरी मे हवन कर सकते हैं ।

    यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा विधि विधान नहीं कर सकते हैं ।. जो साधक हैं या कर्मकाँड़ी हैं वे अपने गुरु से प्राप्त विधि विधान या प्रामाणिक ग्रंथों से विधि देखकर सम्पन्न करें ।। मेरी राय मे चंडी प्रकाशनगीता प्रेसचौखम्बा प्रकाशनआदि से प्रकाशित ग्रंथों मे त्रुटियाँ काम रहती हैं ।. 

    आवश्यक सामग्री :-

    1. दशांग या हवन सामग्री दुकान पर आपको मिल जाएगा .

    2. घी ( अच्छा वाला लें भले कम लें पूजा वाला घी न लें क्योंकि वह ऐसी चीजों से बनता है जिसे आपको खाने से दुकानदार मना करता है तो ऐसी चीज आप देवी को कैसे अर्पित कर सकते हैं )

    3. कपूर आग जलाने के लिए .

    4. एक नारियल गोला या सूखा नारियल पूर्णाहुति के लिए ,

    5. हवन कुंड या गोल बर्तन ।. 

     

    हवनकुंड/ वेदी को साफ करें.

    हवनकुंड न हो तो गोल बर्तन मे कर सकते हैं .

    फर्श गरम हो जाता है इसलिए नीचे स्टैन्ड या ईंट रेती रखें उसपर पात्र रखें.

    कुंड मे लकड़ी जमा लें और उसके नीचे में कपूर रखकर जला दें.

    हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित हो जाए तो पहले घी की आहुतियां दी जाती हैं.

    सात बार अग्नि देवता को आहुति दें और अपने हवन की पूर्णता की प्रार्थना करें

    “ ॐ अग्नये स्वाहा 

     

    इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें-

    ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये न मम् ।

    ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदं इन्द्राय न मम् ।

    ॐ अग्नये स्वाहा । इदं अग्नये न मम ।

    ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय न मम ।

    ॐ भूः स्वाहा ।

     

    उसके बाद हवन सामग्री से हवन करें .

    नवग्रह मंत्र :-

    ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा

    ऊँ चंद्रमसे नमः स्वाहा

    ऊं भौमाय नमः स्वाहा

    ऊँ बुधाय नमः स्वाहा

    ऊँ गुरवे नमः स्वाहा

    ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा

    ऊँ शनये नमः स्वाहा

    ऊँ राहवे नमः स्वाहा

    ऊँ केतवे नमः स्वाहा

    गायत्री मंत्र :-

     

    ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।

     

    ऊं गणेशाय नम: स्वाहा,

    ऊं भैरवाय नम: स्वाहा,

    ऊं गुं गुरुभ्यो नम: स्वाहा,

     

    ऊं कुल देवताभ्यो नम: स्वाहा,

    ऊं स्थान देवताभ्यो नम: स्वाहा,

    ऊं वास्तु देवताभ्यो नम: स्वाहा,

    ऊं ग्राम देवताभ्यो नम: स्वाहा,

    ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः स्वाहा ,

     

    ऊं सरस्वती सहित ब्रह्माय नम: स्वाहा,

    ऊं लक्ष्मी सहित विष्णुवे नम: स्वाहा,

    ऊं शक्ति सहित शिवाय नम: स्वाहा

     

    माता के नर्वाण मंत्र से 108 बार आहुतियां दे

     

    ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा

     

    हवन के बाद नारियल के गोले में कलावा बांध लें. चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट लें. उसके मुंह में घीहवन सामग्री आदि डाल दें.

    पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें.

    पूर्णाहुति मंत्र-

    ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णम उदिच्यते ।

    पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ।।

     

    इसका अर्थ है :-

    वह पराशक्ति या महामाया पूर्ण है उसके द्वारा उत्पन्न यह जगत भी पूर्ण हूँ उस पूर्ण स्वरूप से पूर्ण निकालने पर भी वह पूर्ण ही रहता है ।

    वही पूर्णता मुझे भी प्राप्त हो और मेरे कार्य अभीष्ट मे पूर्णता मिले ....

     

    इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति देनी चाहिए.

    उसके बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें,

    फिर आरती करें.

    अंत मे क्षमा प्रार्थना करें.

    माताजी को समर्पित दक्षिण किसी गरीब महिला या कन्या को दान मे दें ।