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25 मार्च 2021

होलिका दहन भैरव साधना

 होलिका दहन तन्त्र साधनाओं का विशिष्ट सिद्ध मुहूर्त है :-

  • होलिका दहन कि रात्रि करें|
  • अपने सामने एक सूखा नारियल , एक कपूर की डली , 11 लौंग 11 इलायची, 1 डली लोबान या धुप रखें |
  • सरसों के तेल का दीपक जलाएं |
  • हाथ में नारियल लेकर अपनी मनोकामना बोलें | नारियल सामने रखें |
  • दक्षिण दिशा कीओर देखकर इस मन्त्र का 108 बार जाप करें |
  • अर्धरात्रि के बाद पूरी सामग्री होली कि अग्नि में डाल दें |





|| ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भ्रः | ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रः |ख्रां ख्रीं ख्रूं ख्रः|घ्रां घ्रीं घ्रूं घ्र: | म्रां म्रीं म्रूं म्र: | म्रों म्रों म्रों म्रों | क्लों   क्लों क्लों क्लों |श्रों श्रों श्रों श्रों | ज्रों ज्रों  ज्रों ज्रों | हूँ हूँ हूँ हूँ| हूँ हूँ हूँ हूँ | फट | सर्वतो रक्ष रक्ष रक्ष रक्ष भैरव नाथ हूँ फट ||

22 मार्च 2021

पंचमुखी रुद्राक्ष कवच

 




[प्रातः स्मरणीय परम श्रद्धेय सदगुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्दजी]

ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्वात्मकाय सर्वमन्त्रस्वरूपाय सर्वयन्त्राधिष्ठिताय सर्वतन्त्रस्वरूपाय सर्वतत्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकण्ठाय पार्वतीमनोहरप्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महामणि मुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलयकाल- रौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय मूलधारैकनिलयाय तत्वातीताय गङ्गाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय वेदान्तसाराय त्रिवर्गसाधनाय अनन्तकोटिब्रह्माण्डनायकाय अनन्त वासुकि तक्षक- कर्कोटक शङ्ख कुलिक- पद्म महापद्मेति- अष्टमहानागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपाय चिदाकाशाय आकाश दिक् स्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलङ्करहिताय सकललोकैककर्त्रे सकललोकैकभर्त्रे सकललोकैकसंहर्त्रे सकललोकैकगुरवे सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकलवेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकललोकैकशङ्कराय सकलदुरितार्तिभञ्जनाय सकलजगदभयङ्कराय शशाङ्कशेखराय शाश्वतनिजवासाय निराकाराय निराभासाय निरामयाय निर्मलाय निर्मदाय निश्चिन्ताय निरहङ्काराय निरङ्कुशाय निष्कलङ्काय निर्गुणाय  निष्कामाय निरूपप्लवाय निरुपद्रवाय निरवद्याय निरन्तराय निष्कारणाय निरातङ्काय निष्प्रपञ्चाय निस्सङ्गाय निर्द्वन्द्वाय निराधाराय नीरागाय निष्क्रोधाय निर्लोपाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियाय निस्तुलाय निःसंशयाय निरञ्जनाय निरुपमविभवाय नित्यशुद्धबुद्धमुक्तपरिपूर्ण- सच्चिदानन्दाद्वयाय परमशान्तस्वरूपाय परमशान्तप्रकाशाय तेजोरूपाय तेजोमयाय तेजो‌sधिपतये जय जय रुद्र महारुद्र महारौद्र भद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर खट्वाङ्ग चर्मखड्गधर पाशाङ्कुश- डमरूशूल चापबाणगदाशक्तिभिन्दिपाल- तोमर मुसल मुद्गर पाश परिघ- भुशुण्डी शतघ्नी चक्राद्यायुधभीषणाकार- सहस्रमुखदंष्ट्राकरालवदन विकटाट्टहास विस्फारित ब्रह्माण्डमण्डल नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर नागेन्द्रनिकेतन मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विश्वरूप विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन विषविभूषण विश्वतोमुख सर्वतोमुख माम# रक्ष रक्ष ज्वलज्वल प्रज्वल प्रज्वल महामृत्युभयं शमय शमय अपमृत्युभयं नाशय नाशय रोगभयम् उत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरान् मारय मारय मम# शत्रून् उच्चाटयोच्चाटय त्रिशूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खड्गेन छिन्द्दि छिन्द्दि खट्वाङ्गेन विपोधय विपोधय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय बाणैः सन्ताडय सन्ताडय यक्ष रक्षांसि भीषय भीषय अशेष भूतान् विद्रावय विद्रावय कूष्माण्डभूतवेतालमारीगण- ब्रह्मराक्षसगणान् सन्त्रासय सन्त्रासय मम# अभयं कुरु कुरु मम# पापं शोधय शोधय वित्रस्तं माम्# आश्वासय आश्वासय नरकमहाभयान् माम्# उद्धर उद्धर अमृतकटाक्षवीक्षणेन माम# आलोकय आलोकय सञ्जीवय सञ्जीवय क्षुत्तृष्णार्तं माम्# आप्यायय आप्यायय दुःखातुरं माम्# आनन्दय आनन्दय शिवकवचेन माम्# आच्छादय आच्छादय हर हर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक सदाशिव परमशिव नमस्ते नमस्ते नमः ॥
----------------------------
विधि :-
  1. भस्म से  माथे पर  तीन लाइन वाला तिलक त्रिपुंड बनायें.
  2. हाथ में पानी लेकर भगवान  शिव से रक्षा की प्रार्थना करें , जल छोड़ दें.
  3. एक माला गुरुमंत्र की करें . अगर गुरु न बनाया हो तो भगवान् शिव को गुरु मानकर "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का जाप कर लें.
  4. यदि अपने लिए पाठ नहीं कर रहे हैं तो # वाले जगह पर उसका नाम लें जिसके लिए पाठ कर रहे हैं |
  5. रोगमुक्ति, बधामुक्ति, मनोकामना के लिए ११ पाठ ११ दिनों तक करें . अनुकूलता प्राप्त होगी.
  6. रक्षा कवच बनाने के लिए एक पंचमुखी रुद्राक्ष ले लें. उसको दूध,दही,घी,शक्कर,शहद,से स्नान करा लें |अब इसे गंगाजल से स्नान कराकर बेलपत्र चढ़ाएं | ५१ पाठ शिवरात्रि/होली/अष्टमी/अमावस्या/नवरात्री/दीपावली/दशहरा/ग्रहण कि रात्रि करें पाठ के बाद इसे धारण कर लें |


30 जनवरी 2021

पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ

 









अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप   मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.


सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं  ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.

काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय  परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.






23 जनवरी 2021

गुरु के अभाव मे साधना कैसे करें

 कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।

ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये एक सहज उपाय है कि :-

आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।

लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
  1. छिन्नमस्ता साधना ।
  2. शरभेश्वर साधना ।
  3. अघोर साधनाएं ।
  4. श्मशान साधना ।
  5. वाममार्गी साधनाएँ.
  6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/अप्सरा/यक्षिणी/पिशाचिनी साधनाएँ.
  ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

20 अक्तूबर 2020

Pratah Kal Ved Dhwani : Dr Narayan Dutt Shrimali

सुबह सुबह अपने घर मे इसे सुनें और आध्यात्मिक शक्ति संचार को महसूस करें 

गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी की सारगर्भित आवाज मे 


Dhoomawati sadhna ( धूमावती साधना) Part - 1 ....By Dr. Narayan Dutt Shr...

Chhinnamasta Sadhana (Part 1 of 2) by Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ...

Sadgurudev Narayan Dutt Shrimali द्वारा प्रदान नवार्ण मंत्र और उसका अर्थ...

महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र

 





॥ पञ्चम ज्योति छिन्नमस्ता प्रगटी ॥
॥ छिन्नमस्ता ॥


सत का धर्म सत की कायाब्रह्म अग्नि में योग जमाया । काया तपाये जोगी (शिव गोरख) बैठानाभ कमल पर छिन्नमस्ताचन्द सूर में उपजी सुष्मनी देवीत्रिकुटी महल में फिरे बाला सुन्दरीतन का मुन्डा हाथ में लिन्हादाहिने हाथ में खप्पर धार्या । पी पी पीवे रक्तबरसे त्रिकुट मस्तक पर अग्नि प्रजालीश्वेत वर्णी मुक्त केशा कैची धारी । देवी उमा की शक्ति छायाप्रलयी खाये सृष्टि सारी । चण्डीचण्डी फिरे ब्रह्माण्डी भख भख बाला भख दुष्ट को मुष्ट जतीसती को रखयोगी घर जोगन बैठीश्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथजी ने भाखी । छिन्नमस्ता जपो जापपाप कन्टन्ते आपो आपजो जोगी करे सुमिरण पाप पुण्य से न्यारा रहे । काल ना खाये ।

श्रीं क्लीं ह्रीं ऐं वज्र-वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा ।



1.      महाविद्या छिन्नमस्ता का शाबर मंत्र है ।
2.   नवरात्रि मे यथा संभव जाप करें ।
3.   सबसे पहले यदि गुरु बनाया हो तो उनका दिया हुआ मंत्र 21 बार जपें । 
4.   यदि गुरु न बनाया हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र 21 बार जपें ।... 
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
5.    कम से कम 1008 जाप करना चाहिए । न कर सकें तो जितना आप कर सकते हैं उतना करें ।
6.  छिन्नमस्ता  साधना से सभी प्रकार की तंत्र बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है ।

18 अक्तूबर 2020

धूमावती साधना : समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट

 





  • धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.
  • यह साधना नवरात्रि में की जा सकती है.
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए काले रंग के वस्त्र पहनकर जाप करें. जाप रात्रि ९ से ४ के बीच करें



जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें.


  • अपने सामने एक सूखा नारियल रखें.
  • उसपर हनुमान जी को चढने वाला सिन्दूर चढायें.
अब रुद्राक्ष की माला से 11 माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


अंतिम दिन मंत्र जाप से पहले काला धागा तीन बार अपनी कमर मे लपेट कर बांध दें । उस दिन मंत्र जाप पूरा होने के बाद  काले धागे को कैंची से काट्कर सूखे सिंदूर चढे नारियल के साथ रख लें.

आग जलाकर १०८ बार काली मिर्च में सिन्दूर तथा सरसों का तेल मिलाकर निम्न मन्त्र से आहुति देकर हवन करें :-


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा॥


इसके बाद नारियल को तीन बार सिर से पांव तक उतारा कर लें इसके लिए उसे सिर से पाँव तक छुवा लें तथा प्रार्थना करें कि मेरे समस्त बाधाओं का माता धूमावती निवारण करें.

अब इस नारियल को धागे सहित आग में डाल दें. 

हाथ जोडकर समस्त अपराधों के लिये क्षमा मांगें.

अंत में एक पानी वाला नारियल फ़ोडकर उसका पानी हवन में डाल दें, इस नारियल को उस समय या बाद मे किसी सुनसान जगह या नदी तालाब मे डाल दें । इसे खायें नही.

अब नहा लें तथा जगह हो तो जाप वाली जगह पर ही सो जायें.

आग ठंडी होने के बाद अगले दिन राख को नदी या तालाब में विसर्जित करें ... 

किसी विधवा स्त्री को धन या भोजन जो आपकी इच्छा हो वह दान करें .... 

14 अक्तूबर 2020

अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले

 




शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
                                महाकाल  प्रियायै चतुःषष्टि कला पूरिते |
घोराट्टहास कारिणे प्रचण्ड रूपिणीम,
                                अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

मेरी अद्भुत स्वरूपिणी महामाया जो शव के आसन पर भयंकर रूप धारण कर विराजमान हैजो काल के अधिपति महाकाल की प्रिया हैंजो चौंषठ कलाओं से युक्त हैंजो भयंकर अट्टहास से संपूर्ण जगत को कंपायमान करने में समर्थ हैंऐसी प्रचंड स्वरूपा मातृरूपा महाकाली की मैं सदैव अर्चना करता हूं |


उन्मुक्त केशी दिगम्बर रूपे,
                                 रक्त प्रियायै श्मशानालय संस्थिते ।
सद्य नर मुंड माला धारिणीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
जिनकी केशराशि उन्मुक्त झरने के समान है ,जो पूर्ण दिगम्बरा हैंअर्थात हर नियमहर अनुशासन,हर विधि विधान से परे हैं जो श्मशान की अधिष्टात्री देवी हैं ,जो रक्तपान प्रिय हैं जो ताजे कटे नरमुंडों की माला धारण किये हुए है ऐसी प्रचंड स्वरूपा महाकाल रमणी महाकाली की मैं सदैव आराधना करता हूं |



क्षीण कटि युक्ते पीनोन्नत स्तने,
                               केलि प्रियायै हृदयालय संस्थिते।
कटि नर कर मेखला धारिणीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

अद्भुत सौन्दर्यशालिनी महामाया जिनकी कटि अत्यंत ही क्षीण है और जो अत्यंत उन्नत स्तन मंडलों से सुशोभित हैंजिनको केलि क्रीडा अत्यंत प्रिय है और वे  सदैव मेरे ह्रदय रूपी भवन में निवास करती हैं . ऐसी महाकाल प्रिया महाकाली जिनके कमर में नर कर से बनी मेखला सुशोभित है उनके श्री चरणों का मै सदैव अर्चन करता हूं  ||


खङग चालन निपुणे रक्त चंडिके,
                               युद्ध प्रियायै युद्धुभूमि संस्थिते ।
महोग्र रूपे महा रक्त पिपासिनीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
देव सेना की महानायिकाजो खड्ग चालन में अति निपुण हैंयुद्ध जिनको अत्यंत प्रिय हैअसुरों और आसुरी शक्तियों का संहार जिनका प्रिय खेल है,जो युद्ध भूमि की अधिष्टात्री हैं जो अपने महान उग्र रूप को धारण कर शत्रुओं का रक्तपान करने को आतुर रहती हैं ऐसी मेरी मातृस्वरूपा महामाया महाकाल रमणी महाकाली को मै सदैव प्रणाम करता हूं |

मातृ रूपिणी स्मित हास्य युक्ते,
                                प्रेम प्रियायै प्रेमभाव संस्थिते ।
वर वरदे अभय मुद्रा धारिणीम,
                                अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥


जो सारे संसार का पालन करने वाली मातृस्वरूपा हैंजिनके मुख पर सदैव अभय भाव युक्त आश्वस्त करने वाली मंद मंद मुस्कुराहट विराजमान रहती है जो प्रेममय हैं जो प्रेमभाव में ही स्थित हैं हमेशा अपने साधकों को वर प्रदान करने को आतुर रहने वाली ,अभय प्रदान करने वाली माँ महाकाली को मै उनके सहस्र रूपों में सदैव प्रणाम करता हूं |

|| इति श्री निखिल शिष्य अनिल कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम ||

12 अक्तूबर 2020

दक्षिणामूर्ति शिव

 दक्षिणामूर्ति शिव भगवान शिव का सबसे तेजस्वी स्वरूप है । यह उनका आदि गुरु स्वरूप है । इस रूप की साधना सात्विक भाव वाले सात्विक मनोकामना वाले तथा ज्ञानाकांक्षी साधकों को करनी चाहिये ।





॥ऊं ह्रीं दक्षिणामूर्तये नमः ॥

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • ब्रह्ममुहूर्त यानि सुबह ४ से ६ के बीच जाप करें.
  • सफेद वस्त्र , आसन , होगा.
  • दिशा इशान( उत्तर और पूर्व के बीच ) की तरफ देखकर करें.
  • भस्म से त्रिपुंड लगाए . 
  • रुद्राक्ष की माला पहने .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
.

11 अक्तूबर 2020

गुरु के अभाव मे साधना कैसे करें

  कई बार ऐसा होता है कि हम किसी कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते हैं ।

ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ? 
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ? 
ऐसे हज़ारों प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........ 

इसके लिये एक सहज उपाय है कि :-

आप अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।

लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
  1. छिन्नमस्ता साधना ।
  2. शरभेश्वर साधना ।
  3. अघोर साधनाएं ।
  4. श्मशान साधना ।
  5. वाममार्गी साधनाएँ.
  6. भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/अप्सरा/यक्षिणी/पिशाचिनी साधनाएँ.
  ये साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता है ।  इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये साधनाएँ नहीं की जातीं . 

इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.

7 अक्तूबर 2020

महादुर्गा साधना

 


॥ ॐ क्लीं दुर्गायै नमः ॥

  • यह काम बीज से संगुफ़ित दुर्गा मन्त्र है.
  • यह सर्वकार्यों में लाभदायक है.
  • इसका जाप आप नवरात्रि में चलते फ़िरते भी कर सकते हैं.
  • अनुष्ठान के रूप में २१००० जाप करें.
  • २१०० मंत्रों से हवन नवमी को करें.
  • विशेष लाभ के लिये विजयादशमी को हवन करें.
  • सात्विक आहार आचार विचार रखें ।
  • हर स्त्री को मातृवत सम्मान दें ।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें । 

30 जुलाई 2020

स्वयंसिद्ध महाकाली सर्व रक्षा मन्त्र




:: हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ::


  1. स्वयंसिद्ध मन्त्र है.
  2. तंत्र बाधा की काट , भूत बाधा आदि में लाभ प्रद है .
  3. शमशान या किसी विशेष तांत्रिक क्रिया में रक्षा के लिए उपयोग कर सकते हैं .
  4. १०८ या १००८ की संख्या में जाप करके इसका प्रयोग करें .
  5. इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं. 
  6. विभिन्न प्रकार के रक्षा घेरे के निर्माण मे भी सहायक सिद्ध मन्त्र है


आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं 

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25 जुलाई 2020

भगवती बगलामुखी साधना के लिये सामान्य नियम


भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-

  1. साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
  2. साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
  3. साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
  4. साधनाकाल में क्रोध ना करें.
  5. साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  6. साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  7. हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
  8. साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
  9. सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
  10. हवन पीली सरसों से किया जायेगा.

24 जुलाई 2020

नवग्रह पूजन

नवग्रह मन्त्रों के जाप के लिये ग्रहानुसार दिन,वस्त्रों का रंग[दान तथा धारण], ।
सोमवार - चन्द्र,सफ़ेद
मंगलवार - मंगल,लाल
बुधवार - बुध,गुलाबी
गुरुवार - गुरु,सफ़ेद
शुक्रवार - शुक्र,सफ़ेद
शनिवार - शनि,काला
रविवार - सुर्य. लाल
जपसंख्या कम से कम १०८ बार । प्रातः स्नानादि के बाद ।





ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानु शशि भूमि सुतो बुधश्च


गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः 


सर्वे ग्रहाः शान्तिकराः भवन्तु ....



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इस स्तोत्र के पाठ से ब्रह्मा विष्णु महेश तथा नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है

===
किसी भी कार्य को करने के पहले इसका पाठ करके कार्य प्रारंभ करें.

आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

 

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23 जुलाई 2020

धूमावती साधना





  • धूमावती साधना समस्त प्रकार की तन्त्र बाधाओं की रामबाण काट है.
  • यह साधना नवरात्रि में की जा सकती है.
  • दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए काले रंग के वस्त्र पहनकर जाप करें. जाप रात्रि ९ से ४ के बीच करें



जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें

॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

जाप से पहले हाथ में जल लेकर माता से अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करें.


  • अपने सामने एक सूखा नारियल रखें.
  • उसपर हनुमान जी को चढने वाला सिन्दूर चढायें.
अब रुद्राक्ष की माला से 11 माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


अंतिम दिन काला धागा तीन बार अपनी कमर मे लपेट कर बांध दें । उस दिन मंत्र जाप पूरा होने के बाद  काले धागे को कैंची से काट्कर सूखे सिंदूर चढे नारियल के साथ रख लें.

आग जलाकर १०८ बार काली मिर्च में सिन्दूर तथा सरसों का तेल मिलाकर निम्न मन्त्र से आहुति देकर हवन करें :-


॥  धूं धूं धूमावती ठः ठः स्वाहा॥


इसके बाद नारियल को तीन बार सिर से पांव तक उतारा कर लें इसके लिए उसे सिर से पाँव तक छुवा लें तथा प्रार्थना करें कि मेरे समस्त बाधाओं का माता धूमावती निवारण करें.

अब इस नारियल को धागे सहित आग में डाल दें. 

हाथ जोडकर समस्त अपराधों के लिये क्षमा मांगें.

अंत में एक पानी वाला नारियल फ़ोडकर उसका पानी हवन में डाल दें, इस नारियल को बाहर फ़ेंक दें इसे खायें नही.

अब नहा लें तथा जगह हो तो जाप वाली जगह पर ही सो जायें.

आग ठंडी होने के बाद अगले दिन राख को नदी या तालाब में विसर्जित करें ... 

किसी विधवा स्त्री को धन या भोजन कुछ भी दान करें ....