12 अक्टूबर 2020

दक्षिणामूर्ति शिव

 दक्षिणामूर्ति शिव भगवान शिव का सबसे तेजस्वी स्वरूप है । यह उनका आदि गुरु स्वरूप है । इस रूप की साधना सात्विक भाव वाले सात्विक मनोकामना वाले तथा ज्ञानाकांक्षी साधकों को करनी चाहिये ।





॥ऊं ह्रीं दक्षिणामूर्तये नमः ॥

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें.
  • ब्रह्ममुहूर्त यानि सुबह ४ से ६ के बीच जाप करें.
  • सफेद वस्त्र , आसन , होगा.
  • दिशा इशान( उत्तर और पूर्व के बीच ) की तरफ देखकर करें.
  • भस्म से त्रिपुंड लगाए . 
  • रुद्राक्ष की माला पहने .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
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