यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
10 अप्रैल 2016
छिन्नमस्ता साधना मन्त्र
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
नवरात्री : सरस्वती साधना
लाभ - विद्या तथा वाकपटुता
विधि ---
- पूर्णिमा तक सवा लाख जाप करें |
- रात्रि में जाप करें.
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- सफ़ेद रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
4 अप्रैल 2016
24 मार्च 2016
भगवती महाविद्या महाकाली
महाकाली की साधना जीवन का सौभाग्य है । यह साधना साधक को आध्यात्मिक रुप से परिपूर्णता प्रदान करती है साथ ही साथ उसे जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की उपलब्धता भी कराती है । महाकाली का स्वरूप अत्यंत ही विकराल है ! भयानक है ! उनके गले में मुंडमाला है ! जिह्वा बाहर लपलपा रही है ! नेत्र क्रोध से लाल-लाल होकर भयानकता में वृद्धि कर रहे हैं ! ऐसी विकराल स्वरूपिणी होते हुए भी ! महाकाली के भीतर का मातृत्व , उनकी सहजता , उन की असीम कृपा का अनुभव, जब साधक कर लेता है, तो उसके जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रह जाती ।
हर क्षण उसे यह एहसास होता है कि कोई उसके साथ है । कोई ऐसा ! जो उसे हर कदम पर मार्गदर्शन भी देगा ! फिसलते हुए कदमों का सहारा भी बनेगा ! और जब किसी गलत दिशा की ओर कदम उठाएंगे तो उन कदमों को रोकने के लिए संकेत भी देगा । ऐसी अद्भुत साधना है महाकाली साधना !! इस साधना को कर लेने के बाद साधक भीड़ से हट कर खड़ा हो जाता है । उसकी एक अलग पहचान बनने लगती है । उसके व्यक्तित्व में कुछ अलग नूर आ जाता है । लोग अपने आप उसकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं । उसके पास खड़ा हो जाने पर से एक अजीब सा सुकून, एक अजीब अजीब सी शांति, महसूस होती है जैसे किसी वटवृक्ष की छाया में आकर खड़े हो गए हो ! ऐसे साधक के पास बैठने मात्र से ही समस्याओं को व्यक्ति भूल जाता है ! भगवती महाकाली अपने साधकों इतना कुछ देती है कि वह अपने दोनों हाथों से समेट नहीं सकता । जैसे एक शिशु अपनी मां को पुकारता है ! अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ! ठीक वैसा ही महाकालि का साधक भगवती महाकाली को पुकारता है ! अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए , और ठीक जैसे एक शिशु की आवाज पर उसकी मां दौड़ी चली आती है, वैसी ही भगवती भी अपने साधकों की पुकार पर तत्क्षण पहुंच जाती है । उसे अपने आंचल में समेट लेती है और उसकी सारी जरूरतों को पूरा कर देती है । ऐसी अदभुत लीला विहारिणी भगवती महाकाली की साधना करना जीवन का सौभाग्य है । जो साधक इस साधना को अपने जीवन में शामिल कर लेते हैं , और इस साधना में निरंतर लीन रहते हैं , वे उनके सानिध्य को उनके स्पर्श को उनकी उपस्थिति को महसूस करने में सक्षम हो जाते हैं और भगवती अपनी कृपा का अनुभव अपने साधकों को अवश्य कराती है ।
11 मार्च 2016
मेरे गुरुदेव : स्वामी सुदर्शननाथ जी
जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
5 मार्च 2016
भोले बाबा की साधना
यह साधना भोले बाबा के उन भोले भक्तों के लिए है जो कुछ जानते नहीं और जानना भी नहीं चाहते |
शिव पंचाक्षरी मन्त्र है |
कर सकें तो कम से कम 1 बेलपत्र और एक कलश जल बाबा के ऊपर चढ़ा दें बाकी बाबा देख लेंगे
2 मार्च 2016
देवाधिदेव - भगवान शिव
देवाधिदेव - भगवान शिव
भगवान शिव का स्वरुप अन्य देवी देवताओं से बिल्कुल अलग है। जहां अन्य देवी-देवताओं को वस्त्रालंकारों से सुसज्जित और सिंहासन पर विराजमान माना जाता है,वहां ठीक इसके विपरीत
शिव पूर्ण दिगंबर हैं,
अलंकारों के रुप में सर्प धारण करते हैं
श्मशान भूमि पर सहज भाव से अवस्थित हैं।
उनकी मुद्रा में चिंतन है, तो निर्विकार भाव भी है!
आनंद भी है और लास्य भी।
भगवान शिव को सभी विद्याओं का जनक भी माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि हैं और अंत भी।
यही नही वे संगीत के आदिसृजनकर्ता भी हैं, और नटराज के रुप में कलाकारों के आराध्य भी हैं।
वास्तव में भगवान शिव देवताओं में सबसे अद्भुत देवता हैं । वे देवों के भी देव होने के कारण महादेव' हैं तो, काल अर्थात समय से परे होने के कारण महाकाल भी हैं ।
वे देवताओं के गुरू हैं तो, दानवों के भी गुरू हैं ।
देवताओं में प्रथमाराध्य, विनों के कारक व निवारणकर्ता, भगवान गणपति के पिता हैं तो, जगद्जननी मां जगदम्बा के पति भी हैं ।
वे कामदेव को भस्म करने वाले हैं तो कामेश्वर भी हैं ।
तंत्र साधनाओं के जनक हैं तो संगीत के आदिगुरू भी हैं ।
उनका स्वरुप इतना विस्तृत है कि उसके वर्णन का सामर्थ्य शब्दों में भी नही है।सिर्फ इतना कहकर ऋषि भी मौन हो जाते हैं किः-
परिवार का कोई सदस्य या फिर कोई ब्राह्मण रोगी के नाम से मंत्र जाप कर सकता है। इसके लिये संकल्प इस प्रकार लें
" मैं(अपना नाम) महामृत्युंजय मंत्र का जाप, (रोगी का नाम) के रोग निवारण के निमित्त कर रहा हॅू | भगवान महामृत्युंजय उसे पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें''
इस मंत्र के जाप के लिये सफेद वस्त्र तथा आसन का प्रयोग ज्यादा श्रेष्ठ माना गया है।रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें।
1 मार्च 2016
शिवलिंग की महिमा
इसके बारे में कहा गया है कि,
मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः
रसात्परतरं लिंगं न भूतो न भविष्यति ॥
शिवलिंग कोई भी हो जब तक भक्त की भावना का संयोजन नही होता तब तक शिवकृपा नही मिल सकती।
27 फ़रवरी 2016
20 फ़रवरी 2016
शिवरात्रि शिविर : 6 और 7 मार्च
- (0755 ) 4283681
- (0755 ) 4269368
- (0755 ) 4221116
19 फ़रवरी 2016
शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक मन्त्र
- नवरात्रि में जाप करें.
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.