15 जून 2020

गर्भस्थ शिशु को ज्ञानी तथा बुद्धिमान बनायेँ

अभिमन्यु की कथा आपने सुनी होगी । उसने गर्भ मे ही चक्रव्युह का ज्ञान प्राप्त कर लिया था ....

विश्वविख्यात तंत्र विशेषज्ञ सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा उन गोपनीय मंत्रों का उच्चारण किया गया है जिससे गर्भस्थ शिशु चेतना प्राप्त कर लेता है ...
गर्भस्थ शिशु को ज्ञानी तथा बुद्धिमान बनाने के लिए गर्भवती माता इसे सुने । 



14 जून 2020

भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र


भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र



ॐ क्रीं  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  ह्रीँ  ह्रीँ  हूं  हूं स्वाहा ।

शुचिजायामहापिशाचिनी,  दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी,  वीँ हं वाराहिकेह्रीँ महामायेखं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं  महालक्ष्यै ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ  हसकहल ह्रीँ  हस्त्रैँ  ॐ ह्रीँ  क्लीँ  मे  स्वाहा । 

ॐ ॐ ह्रीँ  ईं स्वाहा । 

दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।

खड्गमुण्डधरेकुरुकुल्ले तारे, ॐ  ह्रीँ  नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच ।  मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके, सर्वजगद वशमानय वशमानय ।
मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।

विस्फारिणी । कपालधरे ।  घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ  रोँ रोँ  रीँ  ह्रीँ  श्रीँ  हसौः सौँ  वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ कति कति स्वाहा |

काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।

हृदयाये ॐ ह्रीँ  क्रीँ  मे स्वाहा ।

ठः ठः ठः क्रीँ  ह्रं  ह्रीँ  चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् 
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके ।  श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके ।  करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ ।  निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।

रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ  क्रीँ  क्रीँ  हूं  हूं ह्रीँ  ह्रीँ फट् स्वाहा ।

शक्तिरुपायै ।  रोँ  वा गणपायै  । रोँ  रोँ  रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै ।  प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।

ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।

शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ  ह्रीँ  रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके ।  शक्ति । मार्तण्ड ।  भैरवि ।  विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।

खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।

ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।

कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।

पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय  महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके ।  स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।



आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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13 जून 2020

अघोरेश्वर महादेव




॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥

  • १,२५,००० मंत्र का जाप .
  • दिगंबर/नग्न  अवस्था में जाप करें
  • अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं. 
  • लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए  चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं  करें. यह गम्भीर  नुकसान कर सकता है.
  • गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे  की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
  • जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
  • जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
  • शिव कृपा होगी.
  • रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.

7 जून 2020

सूर्य ग्रहण विशेष – लक्ष्मी प्रयोग

सूर्य ग्रहण विशेष – लक्ष्मी प्रयोग




गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी द्वारा प्रदत्त 108 महालक्ष्मी यंत्र
आवश्यक सामग्री.
  1. भोजपत्र 
  2. अष्टगंध
  3. कुमकुम.
  4. चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
  5. उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
  6. दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.

विधि विधान :-

  • ग्रहण काल मे इसे करने से विशेष लाभदायक होगा । 
  • धुप अगर बत्ती जला दें.
  • संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
  • स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बैठें.
  • मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.

  • 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ". उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
  • इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
  • इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
  • हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
  • यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
  • एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
  • इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं"  पर बिंदी लग जाएगी. 
  • पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
  • जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
  • कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
  • उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
आर्थिक अनुकूलता प्रदान करता है.धनागमन का रास्ता खुलता है.महालक्ष्मी की कृपा प्रदायक है.

6 जून 2020

पन्चोपचार गणपतिपूजन


एक नन्हा सा गणपति पूजन प्रस्तुत है ।
इसे पन्चोपचार गणपतिपूजन कहते हैं





ऊं गं गणपतये नमः गंधम समर्पयामि --- इत्र आदि चढायें ।


ऊं गं गणपतये नमः पुष्पम समर्पयामि ---  फ़ूल 

ऊं गं गणपतये नमः धूपम समर्पयामि -- अगरबत्ती

ऊं गं गणपतये नमः दीपम समर्पयामि -- दीपक जलायें

ऊं गं गणपतये नमः नैवेद्यम समर्पयामि -- प्रसाद चढायें

इसके बाद आरती कर लें

4 जून 2020

गुरुमाता डॉ.साधना सिंह जन्मदिवस


वक्रतुंडस्तोत्रम



ॐ ॐ ॐकाररुपं त्र्यहमिति च परं यत्स्वरुपं तुरियं
त्रैगुण्यातीतनीलं कलयति मनसतेजसिंदूरमूर्तिम !
योगींन्द्रैब्रह्मरंध्रे सकलगुणमयं श्रीहरेंन्द्रेण संगं
गं गं गं गं गणेशं गजमुखमभितो व्यापकं चिंतयंति !!
वं वं वं विघ्नराजं भजति निजभुजे दक्षिणेन्यस्तशुंडं
क्रं क्रं क्रं क्रोधमुद्रादलितरिपुबलं कल्पवृक्षस्य मूले !
दं दं दं दन्तमेकं दधत मुनिमुखं कामधेन्वा निषेव्यं !
धं धं धं धारयंतं धनदमतिधियं सिद्धि बुद्धिद्वितियं !!
तुं तुं तुं तुंगरुपं गगनपथि गतं व्याप्नुवंतं दिगंतान
क्लीं क्लीं क्लींकारनाथं गलित मदमिल्ल लोलमत्तालिमालं !
ह्रीं ह्रीं ह्रींकारपिंगं सकलमुनिवर ध्येयमुंडं च शुंडम !
श्रीं श्रीं श्रीं श्रयंतं निखिलनिधिकुलं नौमि हेरंबबिंबं !
लौं लौं लौं लौकारमाद्यं प्रणवमिव पदं मंत्रमुक्तावलीनां शुद्धं विघ्नेशबीजं शशिकरसदृशं योगिनांध्यानगम्यं !
डं डं डं डामरुपं दलितभवभयं सूर्यकोटिप्रकाशं !
यं यं यं यज्ञनाथं जपति मुनिवरो बाह्यभ्यंतरं च !!
हुं हुं हुं हेमवर्णं श्रूतिगणितगुणं शूर्पकर्णं कृपालुं
ध्येयं सूर्यस्यबिंबं उरसि च विलसत सर्पयज्ञोपवितं !
स्वाहा हुं फट नमों अंतैष्ठ
ठ ठ ठ सहितै: पल्लवै: सेव्यमानं मंत्राणां सप्तकोटि प्रगुणित महिमाधारमीशं प्रपद्ये !!

  1. नित्य पूजन मे उपयोग कर सकते हैं 
  2. मनोकामना पूर्ति के लिए संकल्प लेकर 1008 पाठ करें  । 


आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
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3 जून 2020

देवी पद्मावती

पूरे भारत में सबसे समृद्ध संप्रदाय है 
जैन संप्रदाय 
और उनकी अधिष्टात्री देवी है 
देवी पद्मावती 

दिव्योवताम वे पद्मावती त्वं, लक्ष्मी त्वमेव धन धान्य सुतान्वदै  च |
पूर्णत्व देह परिपूर्ण मदैव तुल्यं, पद्मावती त्वं प्रणमं नमामि ||

ज्ञानेव सिन्धुं ब्रह्मत्व नेत्रं , चैतन्य देवीं भगवान भवत्यम |
देव्यं प्रपन्नाति हरे प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद, प्रसीद,प्रसीद ||

धनं धान्य रूपं, साम्राज्य रूपं,ज्ञान स्वरुपम् ब्रह्म स्वरुपम् |
चैतन्य रूपं, परिपूर्ण रूपं , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

न मोहं न क्रोधं न ज्ञानं न चिन्त्यं परिपुर्ण रूपं भवताम वदैव |
दिव्योवताम सूर्य तेजस्वी रूपं  , पद्मावती त्वं  प्रणमं नमामि ||

सन्यस्त रूपमपरम पूर्णम गृहस्थं, देव्यो सदाहि भवताम श्रियेयम |
पद्मावती त्वं, हृदये पद्माम, कमलत्व रूपं पद्मम प्रियेताम ||
|| इति परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद कृत पद्मावती स्तोत्रं सम्पूर्णं ||


विधि :-


  1. सबसे पहले  तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः "  मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  2. इस स्तोत्र को शरद पूर्णिमा या दीपावली  के दिन 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  3. या इसे किसी माह की पूर्णिमा से प्रारंभ करके अगले मॉस की पूर्णिमा पर समाप्त करें | नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
  4. इसे  आप नवरात्रि मे भी कर सकते हैं |
  5. सात्विक आहार /विचार /व्यवहार  रखें |
  6. क्रोध ना करें |
  7. किसी स्त्री का अपमान ना करें |
  8. जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
  9. लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
  10. घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
  11. फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
  12. घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
  13.  इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |
आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
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साधना सिद्धि विज्ञान

2 जून 2020

गुरुदेव निखिलेश्वरानंद साधना









परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  • तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
  • नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
  • जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
  • यथा संभव मौन रहेंगे.
  • किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.

  1. यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं. 
  2. यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
  3. यह साधना वैराग्य की साधना है.
  4. यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
  5. यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
  6. इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.