गुरु दीक्षा देते हुए सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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18 जून 2020
17 जून 2020
सूर्यग्रहण विशेष - तारा शाबर मंत्र
ॐ आदि योग अनादि माया ।
जहाँ पर ब्रह्माण्ड उत्पन्न भया ।
ब्रह्माण्ड समाया ।
आकाश मण्डल ।
तारा त्रिकुटा तोतला माता तीनों बसै ।
ब्रह्म कापलि, जहाँ पर ब्रह्मा विष्णु महेश उत्पत्ति, सूरज मुख तपे ।
चंद मुख अमिरस पीवे,
अग्नि मुख जले,
आद कुंवारी हाथ खण्डाग गल मुण्ड माल,
मुर्दा मार ऊपर खड़ी देवी तारा ।
नीली काया पीली जटा,
काली दन्त में जिह्वा दबाया ।
घोर तारा अघोर तारा,
दूध पूत का भण्डार भरा ।
पंच मुख करे हा हा ऽऽकारा,
डाकिनी शाकिनी भूत पलिता
सौ सौ कोस दूर भगाया ।
चण्डी तारा फिरे ब्रह्माण्डी
तुम तो हों तीन लोक की जननी ।
तारा मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं स्त्रीं हूँ फट्
विधि :-
- रात्री काल मे जाप करें । ग्रहण काल मे जाप करने से विशेष लाभदायक है ।
- अपनी क्षमतानुसार 1,11,21,51,108 बार ।
- व्यापार और आर्थिक समृद्धि के लिए लाभदायक ।
- जप काल मे किसी स्त्री का अपमान न करें ।
नवरात्रि : महाकाली शाबर मंत्र
प्रथम ज्योति महाकाली प्रगटली ।
ॐ निरंजन निराकार अवगत पुरुष तत सार,
तत सार मध्ये ज्योत,
ज्योत मध्ये परम ज्योत,
परम ज्योत मध्ये उत्पन्न भई माता
शम्भु शिवानी काली ओ काली काली महाकाली,
कृष्ण वर्णी, शव वाहनी, रुद्र की पोषणी,
हाथ खप्पर खडग धारी,
गले मुण्डमाला हंस मुखी ।
जिह्वा ज्वाला दन्त काली ।
मद्यमांस कारी श्मशान की राणी ।
मांस खाये रक्त-पी-पीवे ।
भस्मन्ति माई जहाँ पर पाई तहाँ लगाई ।
सत की नाती , धर्म की बेटी ।
इन्द्र की साली , काल की काली ।
जोग की जोगीन, नागों की नागीन ।
मन माने तो संग रमाई, नहीं तो श्मशान फिरे ।
अकेली चार वीर अष्ट भैरों, घोर काली अघोर काली ।
अजर महाकाली ।
बजर अमर काली ।
भख जून निर्भय काली ।
बला भख, दुष्ट को भख,
काल भख, पापी पाखण्डी को भख ।
जती सती को रख ।
ॐ काली तुम बाला ना वृद्धा, देव ना दानव, नर ना नारी देवीजी तुम तो हो परब्रह्मा काली ।
मूल मंत्र -
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।
विधि -
- महाकाली की कृपा प्रदान करेगा ।
- अपनी क्षमतानुसार 1, 3,9,11,21,51,108 बार जाप रात्रिकाल मे करें।
- नवरात्रि मे करने से विशेष लाभदायक होगा।
- धूप जलाकर रखें ।
16 जून 2020
कामाख्या शक्ति पीठ का दुर्लभ प्रसाद
असम के कामाख्या शक्तीपीठ को तंत्र साधनाओं का मूल माना जाता है । ऐसा माना जाता है की यहाँ देवी का योनि भाग गिरा था और इसे योनि पीठ या मातृ पीठ की मान्यता है ।
यहाँ का प्रमुख पर्व है अंबुवाची मेला जब प्रत्येक वर्ष तीन दिनों के लिए यह मंदिर पूरी तरह से बंद रहता है। माना जाता है कि माँ कामाख्या इस बीच रजस्वला होती हैं। और उनके शरीर से रक्त निकलता है। इस दौरान शक्तिपीठ की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए देश के विभिन्न भागों से यहां तंत्रिक और साधक जुटते हैं। आस-पास की गुफाओं में रहकर वह साधना करते हैं।
चौथे दिन माता के मंदिर का द्वार खुलता है। माता के भक्त और साधक दिव्य प्रसाद पाने के लिए बेचैन हो उठते हैं। यह दिव्य प्रसाद होता है लाल रंग का वस्त्र जिसे माता राजस्वला होने के दौरान धारण करती हैं। माना जाता है वस्त्र का टुकड़ा जिसे मिल जाता है उसके सारे कष्ट और विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं।
https://www.amarujala.com/spirituality/religion/kamakhya-mandir-ambubachi-mela
यदि आपको इस वस्त्र का एक धागा भी मिल जाये तो उसके निम्न लाभ माने जाते हैं :-
इसे ताबीज मे भरकर पहन लें तंत्र बाधा यानि किए कराये का असर नहीं होगा।
यह सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
इसे धरण करने से आकर्षण बढ़ता है।
आपसी प्रेम मे वृद्धि तथा गृह क्लेश मे कमी आती है ।
इसे साथ रखकर किसी भी कार्य या यात्रा मे जाएँ तो सफलता की संभावना बढ़ जाएगी ।
दुकान के गल्ले मे लाल कपड़े मे बांध कर रखें तो व्यापार मे अनुकूलता मिलेगी ।
15 जून 2020
गर्भस्थ शिशु को ज्ञानी तथा बुद्धिमान बनायेँ
अभिमन्यु की कथा आपने सुनी होगी । उसने गर्भ मे ही चक्रव्युह का ज्ञान प्राप्त कर लिया था ....
विश्वविख्यात तंत्र विशेषज्ञ सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी द्वारा उन गोपनीय मंत्रों का उच्चारण किया गया है जिससे गर्भस्थ शिशु चेतना प्राप्त कर लेता है ...
गर्भस्थ शिशु को ज्ञानी तथा बुद्धिमान बनाने के लिए गर्भवती माता इसे सुने ।
14 जून 2020
भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
भगवती महाकाली सहस्त्राक्षरी मंत्र
ॐ क्रीं क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं दक्षिणे कालिके क्रीँ क्रीँ क्रीँ ह्रीँ ह्रीँ हूं हूं स्वाहा ।
शुचिजाया, महापिशाचिनी, दुष्टचित्तनिवारिणी,
क्रीँ कामेश्वरी, वीँ हं वाराहिके, ह्रीँ महामाये, खं खः क्रोधाधिपे !
श्रीं महालक्ष्यै ! सर्वहृदय रञ्जनी । वाग्वादिनी विधे त्रिपुरे ।
हंस्त्रिँ हसकहल ह्रीँ हस्त्रैँ ॐ ह्रीँ क्लीँ मे स्वाहा ।
ॐ ॐ ह्रीँ ईं स्वाहा ।
दक्षिणकालिके क्रीँ हूं ह्रीँ स्वाहा ।
खड्गमुण्डधरे, कुरुकुल्ले तारे, ॐ ह्रीँ नमः भयोन्मादिनी भयं मम हन हन । पच पच । मथ मथ ।
फ्रेँ विमोहिनी सर्वदुष्टान मोहय मोहय ।
हयग्रीवे, सिँहवाहिनी, सिँहस्थे, अश्वारुढे, अश्वमुरिप विद्राविणी विद्रावय मम शत्रून ये मां हिँसतु तान ग्रस ग्रस ।
महानीले, वलाकिनी, नीलपताके, क्रेँ क्रीँ क्रेँ कामे, संक्षोभिणी, उच्छिष्टचाण्डालिके, सर्वजगद वशमानय वशमानय ।
मातंगिनी उच्छिष्टचाण्डालिनी मातंगिनी सर्ववशंकरी नमः स्वाहा ।
विस्फारिणी । कपालधरे । घोरे । घोरनादिनी । भूर शत्रून् विनाशिनी । उन्मादिनी ।
रोँ रोँ रोँ रीँ ह्रीँ श्रीँ हसौः सौँ वद वद क्लीँ क्लीँ क्लीँ क्रीँ क्रीँ क्रीँ कति कति स्वाहा |
काहि काहि कालिके ।
शम्वरघातिनी, कामेश्वरी, कामिके, ह्रं ह्रं क्रीँ स्वाहा ।
हृदयाये ॐ ह्रीँ क्रीँ मे स्वाहा ।
ठः ठः ठः क्रीँ ह्रं ह्रीँ चामुण्डे हृदय जनाभिअसूनव ग्रस ग्रस दुष्टजनान् ।
अमून शंखिनी क्षतजचर्चितस्तने उन्नतस्तनेविष्टंभकारिणि । विघाधिके । श्मशानवासिनी । कलय कलय । विकलय विकलय । कालग्राहिके । सिँहे । दक्षिणकालिके । अनिरुद्दये । ब्रूहि ब्रूहि । जगच्चित्रिरे । चमत्कारिणी । हं कालिके । करालिके । घोरे । कह कह । तडागे । तोये । गहने । कानने । शत्रुपक्षे । शरीरे मर्दिनि पाहि पाहि । अम्बिके । तुभ्यं कल विकलायै । बलप्रमथनायै । योगमार्ग गच्छ गच्छ । निदर्शिके । देहिनि । दर्शनं देहि देहि । मर्दिनि महिषमर्दिन्यै । स्वाहा ।
रिपुन्दर्शने द र्शय दर्शय । सिँहपूरप्रवेशिनि । वीरकारिणि । क्रीँ क्रीँ क्रीँ हूं हूं ह्रीँ ह्रीँ फट् स्वाहा ।
शक्तिरुपायै । रोँ वा गणपायै । रोँ रोँ रोँ व्यामोहिनि । यन्त्रनिके । महाकायायै । प्रकटवदनायै । लोलजिह्वायै । मुण्डमालिनि । महाकालरसिकायै । नमो नमः ।
ब्रम्हरन्ध्रमेदिन्यै नमो नमः ।
शत्रुविग्रहकलहान्त्रिपुरभोगिन्यै । विषज्वालामालिनी । तन्त्रनिके । मेधप्रभे । शवावतंसे । हंसिके । कालि कपालिनि । कुल्ले कुरुकुल्ले । चैतन्यप्रभे प्रज्ञे तु साम्राज्ञि ज्ञान ह्रीँ ह्रीँ रक्ष रक्ष । ज्वाला । प्रचण्ड । चण्डिके । शक्ति । मार्तण्ड । भैरवि । विप्रचित्तिके । विरोधिनि । आकर्णय आकर्णय । पिशिते । पिशितप्रिये । नमो नमः ।
खः खः खः मर्दय मर्दय । शत्रून् ठः ठः ठः । कालिकायै नमो नमः ।
ब्राम्हयै नमो नमः ।
माहेश्वर्यै नमो नमः ।
कौमार्यै नमो नमः ।
वैष्णव्यै नमो नमः ।
वाराह्यै नमो नमः ।
इन्द्राण्यै नमो नमः ।
चामुण्डायै नमो नमः ।
अपराजितायै नमो नमः ।
नारसिँहिकायै नमो नमः ।
कालि । महाकालिके । अनिरुध्दके । सरस्वति फट् स्वाहा ।
पाहि पाहि ललाटं । भल्लाटनी । अस्त्रीकले । जीववहे । वाचं रक्ष रक्ष । परविद्या क्षोभय क्षोभय । आकर्षय आकर्षय । कट कट । अमुकान मोहय मोहय महामोहिनिके । चीरसिध्दके । कृष्णरुपिणी । अंजनसिद्धके । स्तम्भिनि । मोहिनि । मोक्षमार्गानि दर्शय दर्शय स्वाहा ।।
आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं ।
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-
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13 जून 2020
अघोरेश्वर महादेव
॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥
- १,२५,००० मंत्र का जाप .
- दिगंबर/नग्न अवस्था में जाप करें
- अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं.
- लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं करें. यह गम्भीर नुकसान कर सकता है.
- गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
- जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
- जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
- शिव कृपा होगी.
- रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
12 जून 2020
11 जून 2020
10 जून 2020
8 जून 2020
7 जून 2020
सूर्य ग्रहण विशेष – लक्ष्मी प्रयोग
सूर्य ग्रहण विशेष – लक्ष्मी प्रयोग
आवश्यक सामग्री.
- भोजपत्र
- अष्टगंध
- कुमकुम.
- चांदी की लेखनी , चांदी के छोटे से तार से भी लिख सकते हैं.
- उचित आकार का एक ताबीज जिसमे यह यंत्र रख कर आप पहन सकें.
- दीपावली की रात या किसी भी अमावस्या की रात को कर सकते हैं.
विधि विधान :-
- ग्रहण काल मे इसे करने से विशेष लाभदायक होगा ।
- धुप अगर बत्ती जला दें.
- संभव हो तो घी का दीपक जलाएं.
- स्नान कर के बिना किसी वस्त्र का स्पर्श किये पूजा स्थल पर बैठें.
- मेरे परम श्रद्धेय सदगुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी को प्रणाम करें.
- 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ". उनसे पूजन को सफल बनाने और आर्थिक अनुकूलता प्रदान करने की प्रार्थना करें.
- इस यन्त्र का निर्माण अष्टगंध से भोजपत्र पर करें.
- इस प्रकार 108 बार श्रीं [लक्ष्मी बीज मंत्र] लिखें.
- हर मन्त्र लेखन के साथ मन्त्र का जाप भी मन में करतेरहें.
- यंत्र लिख लेने के बाद 108 माला " ॐ श्रीं ॐ " मंत्र का जाप यंत्र के सामने करें.
- एक माला पूर्ण हो जाने पर एक श्रीं के ऊपर कुमकुम की एक बिंदी लगा दें.
- इस प्रकार १०८ माला जाप जाप पूरा होते तक हर "श्रीं" पर बिंदी लग जाएगी.
- पुनः 1 माला गुरु मंत्र का जाप करें " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ".
- जाप पूरा हो जाने के बाद इस यंत्र को ताबीज में डाल कर गले में धारण कर लें.
- कोशिश यह करें की इसे न उतारें.
- उतारते ही इसका प्रभाव ख़तम हो जायेगा. ऐसी स्थिति में इसे जल में विसर्जित कर देना चाहिए . अपने पास नहीं रखना चाहिए. अगली अमावस्या को आप इसे पुनः कर सकते हैं.
6 जून 2020
पन्चोपचार गणपतिपूजन
ऊं गं गणपतये नमः गंधम समर्पयामि --- इत्र आदि चढायें ।
ऊं गं गणपतये नमः पुष्पम समर्पयामि --- फ़ूल
ऊं गं गणपतये नमः धूपम समर्पयामि -- अगरबत्ती
ऊं गं गणपतये नमः दीपम समर्पयामि -- दीपक जलायें
ऊं गं गणपतये नमः नैवेद्यम समर्पयामि -- प्रसाद चढायें
इसके बाद आरती कर लें
5 जून 2020
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