13 जुलाई 2014

देवाधिदेव महादेव - 1 : अघोर शिव साधना

नोट -  
  • केवल अघोर पंथ में दीक्षित  साधकों के लिए है.
  • यह साधना अनुभवी साधक की देख रेख में ही करें.
  • गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करेंगे.





॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥
  • १,२५,००० मंत्र का जाप .
  • दिगंबर/नग्न  अवस्था में जाप करें
  • अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं. 
  • लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए  चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं  करें. यह गम्भीर  नुकसान कर सकता है.
  • गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे  की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
  • जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
  • जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
  • शिव कृपा होगी.
  • रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
 .
 ---------------------शिव शासनतः--------------------
--------------------------शिव शासनतः------------------------
------------------------------शिव शासनतः----------------------------

---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
------------------------------ न गुरोरधिकम ----------------------------

श्री बगलामुखी रहस्यम

4 जुलाई 2014

पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम



पंचदशाक्षरी महामृत्युन्जय मन्त्रम :-

यदि खुद कर रहे हैं तो:-

॥ ॐ जूं सः  मां  पालय पालय सः जूं ॐ॥

यदि किसी और के लिये [उदाहरण : मान लीजिये "अनिल" के लिये ] कर रहे हैं तो :-
॥ ॐ जूं सः ( अनिल) पालय पालय सः जूं ॐ ॥

  • यदि रोगी जाप करे तो पहला मंत्र करे.
  • यदि रोगी के लिये कोइ और करे तो दूसरा मंत्र करे. नाम के जगह पर रोगी का नाम आयेगा.
  • रुद्राक्ष माला धारण करें.
  • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  • बेल पत्र चढायें.
  • भस्म [अगरबत्ती की राख] से तिलक करें.

3 जुलाई 2014

निखिल निर्वाण दिवस : ३ जुलाई : अश्रुपूरित श्रद्धांजलि


-:निखिलम शरणम :-


डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी (परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी)

    तन्त्र, मन्त्र, यन्त्र के सिद्धहस्त आचार्य, ज्योतिष के प्रकांड विद्वान, कर्मकांड के पुरोधा, प्राच्य विद्याओं के विश्वविख्यात पुनरुद्धारक,अनगिनत ग्रन्थों के रचयिता तथा पूरे विश्व में फ़ैले हुए करोडों शिष्यों को साधना पथ पर उंगली पकडकर चलाने वाले मेरे परम आदरणीय गुरुवर.....
जिनके लिये सिर्फ़ यही कहा जा सकता है कि....






२ जुन १९९२ 



जब मैने परम पुज्य गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी [परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ] से दीक्षा ली तब से आज तक मै गुरु कृपा से साधना के मार्ग पर गतिशील हूं.


अक्टूबर - १९९३

जब गुरुदेव भिलाई की धरती पर पधारे.....



.....

.....

.....

जब जब मेरे कदम लडखडाये गुरुवर की कृपा सदैव मुझपर बनी रही.जो मेरे जीवन का आधार है.

३ जुलाई १९९८

एक अपूरणीय क्षति का दिन जब मेरे गुरुवर ने अपनी भौतिक देह का त्याग किया .एक ममता भरा वात्सल्यमय साथ जो नही रहा.........



 

और फ़िर.......

गुरु देह की सीमा से परे होते हैं यह एह्सास गुरुवर ने करा दिया और फिर यह बालक निश्चिंत होकर निकल पडा खेल के मैदान में........

ब्रह्माण्डमय निखिलेश्वरानंद साधना





परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • रुद्राक्ष माला से जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.

2 जुलाई 2014

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना - 5




पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ निखिलेश्वरानंदाय सच्चिदानंद शिष्याय दिव्य गुरुवे प्रसीद प्रसीद नमः  ||


  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • व्यवहार - गुरु साधना में सात्विक आहार आचार विचार रखना अनिवार्य है.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - पूर्व या ईशान की ओर देखते हुए बैठें.
  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंग, हवन दशाश यानी जाप का दसवां हिस्सा किया जाता है १२५००० का दसवां हिस्सा १२५०० होगा ,१००००  मंत्र जाप का दसवां हिस्सा १००० होगा इसी प्रकार हवं की संख्या निकाल लेंग, 
  • यदि हवन न कर सकें तो दसवां हिस्सा जाप और कर लेंगे यानी १०००० पूरा होने पर १००० जाप और कर लेंगे.
  • हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :- 
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.




 

अनुभव :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद  जी साधकों को उनकी योग्यता तथा श्रद्धानुसार विभिन्न प्रकार से अनुभव जरूर कराते हैं. पुरस्चरण पूर्ण होते होते लगभग सभी साधकों को एक न एक बार उनके सानिध्य का अनुभव अवश्य हो जाता है. यही उनके अखंड तथा षोडश कला युक्त गुरुत्व का प्रमाण है. साधकों के सामान्य अनुभव इस प्रकार के होते हैं:-
  • कई बार साधकों को सूक्ष्म रूप से दर्शन प्रदान करते हैं. 
  • कई बार साधक को स्वप्न में आभास करा देते हैं. 
  • कई बार श्वेत वस्त्र धारण किये हुए स्वरुप की उपस्थिति महसूस होती है. 
  • विशेष प्रकार की खुशबु साधना के दौरान आती है . इस प्रकार की खुशबु , गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
  • यदि साधन पूरी श्रधा से किया जाए तो पूर्वाभास यानि घटनाओं के होने की पहले से जानकारी होना भी प्रारम्भ हो जाता है.
  • जिस घर में गुरु साधना की जाती है वहां तांत्रिक प्रयोग अपना प्रभाव नहीं डाल पाते. 
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1 जुलाई 2014

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -4




पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ ह्रीं परम तत्वाय निखिलेश्वराय ह्रीं  नमः  ||


  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - दक्षिण की ओर देखते हुए बैठें.
  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे
  • हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :- 

सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.

गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
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30 जून 2014

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -3








पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ निं निखिलेश्वराये निं नमः  ||
  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.
  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे
  • हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :- 
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. 

गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.

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29 जून 2014

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना -2





पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ श्रीं निखिलेश्वराय श्रीं ॐ  ||

  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.
  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे

.
  • हवन सामग्री - दशांग या घी.


विधि :- 
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी

निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें

साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको

साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.

28 जून 2014

परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद गुरु साधना मंत्रम -1





पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ ऐ श्रीं क्लीं प्राणात्मन निं सर्व सिद्धि प्रदाय निखिलेश्वरानन्दाय  नमः  ||

वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
आसन - सफ़ेद होगा.
समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.

पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे .
हवन सामग्री - दशांग या घी.


विधि :- 
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.

27 जून 2014

गुरु श्रुंखला

जगद्गुरु भगवान शिव






भगवान वेद व्यास


गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]


जगद्गुरु आदि शंकराचार्य 



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ब्रह्मानंद सरस्वती



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।                                                                                                 ।
           महेश योगी                                                                     करपात्री महाराज
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
                                           पूज्यपाद सद्गुरुदेव
                                                                               डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]



                                                 
                                              ।
                                              ।
                                               ।
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।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
।                                                                                                 ।
गुरुमाता डॉ . साधना सिंह  जी                                                                       गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
                                                                                                       
जानकरी स्त्रोत-> साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०

ब्रह्माण्ड रूप हनुमान : अध्यात्मिक उन्नति के लिए






    ॥ ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटि समप्रभाय रामदूताय स्वाहा  ॥  
     
     
    सबसे पहले गुरु यदि हों तो उनके मंत्र की एक माला जाप करें. यदि न हों तो मेरे गुरुदेव 
     
    परम हंस स्वामी निखिलेस्वरानंद जी 
    [ डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]
    को गुरु मानकर निम्नलिखित मंत्र की एक माला जाप कर लें.
    || ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ||
    इसके बाद आप जाप प्रारंभ करें. गुरु मन्त्र का जाप करने से साधना में बाधा नहीं आती और सफलता जल्दी मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
    हनुमान जी की साधना के सामान्य नियम निम्नानुसार होंगे :-
    1. पहले दिन हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामाना बोल देना चाहिए.
    2. ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
    3. साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
    4. साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
    5. आसन तथा वस्त्र लाल या सिंदूरी रंग का रखें.
    6. जाप संख्या ११,००० होगी.
    7. प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
    8. हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
    9. हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
    10. रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
अधिक जानकारी के लिए डाऊनलोड करें "साधना सिद्धि विज्ञान " का हनुमान विशेषांक 



http://nikhildham.org/ssv/2004/0053_March_2004.PDF

26 जून 2014

श्री तुलाराम साहूजी (पाउवारा वाले ) :मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजली

परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी के शिष्य श्री तुलाराम साहूजी (पाउवारा वाले ) (स्वामी आदित्यानंद जी ) का देहावसान दिनांक 24 जून मंगलवार को हो गया. 

 साधना के जगत में प्रवेश के समय मुझे उनका सानिध्य और मार्गदर्शन मिला आज मेरे पास जो भी गुरु कृपा है उसका श्रेय  साहूजी को जाता है उन्होंने जिस सहजता से गुरु और साधना के रहस्यों को समझाया वही आगे चलकर मेरे मार्ग को प्रशस्त करने का कारक बना. मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजली

साधकों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है. वे गुरुदेव के उन शिष्यों में से थे जिन्हें श्री विद्या की साधना प्राप्त हुई थी, उनका साधनात्मक जीवन बहुत उच्च कोटि का था. छत्तीसगढ़ में गुरुदेव निखिल के प्रकाश को फ़ैलाने में 1981 से साहूजी सक्रिय रहे. गुरुदेव उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

कार्यक्रम :- पाउवारा [उतई], जिला - दुर्ग , छत्तीसगढ़
तिज्नाहावन - 27/6/ 2014 शुक्रवार
दशगात्र - 4/7/2014  शुक्रवार
संपर्क -
9425544777
9425544999
8889570248

17 जून 2014

गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह द्वारा लिखित ग्रन्थ “बगलामुखी रहस्यम”

महाविद्या साधक परिवार और जोरबा प्रकाशन अत्यंत हर्ष के साथ
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह 
द्वारा लिखित ग्रन्थ 

“बगलामुखी रहस्यम” 




के New Delhi, 12th July 2014 को विमोचन की घोषणा करते हैं.

यह अत्यंत हर्ष की बात है कि हमें, महाविद्या साधक परिवार की स्थापना करने वाले भारत के अद्वितीय गुरुओं स्वामी सुदर्शन नाथ जी और डॉ साधना सिंह जी की ओर से उनके प्रथम ग्रन्थ “बगलामुखी रहस्यम” के प्रकाशन के अवसर पर आपको सूचित करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है.
“बगलामुखी रहस्यम” ग्रन्थ के रूप में पहला प्रकाशन है जो जोरबा प्रकाशन के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है. इस ग्रन्थ में भगवती बगलामुखी के अन्तर्निहित गूढ़ तत्त्व और साधना मार्ग को सरल सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है.
यह ग्रन्थ दस महाविद्याओं में प्रमुख महाविद्या माता बगलामुखी की साधना के द्वारा अध्यात्मिक विकास और मानसिक शक्तियों के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है. यह शुद्ध अध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करने वाले सभी सात्विक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा.
यह ग्रन्थ माता बगलामुखी के साधकों के लिए साधना और सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा. लेखक द्वय गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह स्वयं भगवती बगलामुखी के अनन्य साधक हैं इसलिए यह सम्पूर्ण ग्रन्थ लीक से हटकर है. लेखकों के स्वयं के अनुभवों पर आधारित होने के कारण साधकों के लिए यह एक प्रमाणिक ग्रन्थ का कार्य करेगा.
यह ग्रन्थ निम्नलिखित 12 july 2014 से ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध है.:


गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी सिद्धाश्रम के सिद्धहस्त योगी परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी] के परम शिष्य हैं. डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी 200 से भी ज्यादा ग्रंथों के रचयिता हैं जो सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त गूढ़ विद्याओं के विद्वान् , प्रकांड ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखाशास्त्री प्रमाणिक कर्मकांडी रहे हैं. सन 1998 में उनके देहावसान के बाद उनके आदेशानुसार उसी साधनात्मक श्रुंखला को आगे बढाने की कड़ी में यह एक छोटा सा योगदान है.

दस महाविद्याओं में से प्रमुख महाविद्या बगलामुखी आदिकाल से आत्मज्ञान की अधिष्टात्री देवी मानी जाती रही हैं. बगलामुखी देवी शत्रु संहार और शत्रु स्तम्भन के लिए विश्वविख्यात हैं. माता की साधना से सभी प्रकार के शत्रुओं, रोगों बाधाओं और समस्याओं के निराकरण का मार्ग सहज ही मिल जाता है.
साधनात्मक जगत में रक्षा कवच सबसे महत्त्वपूर्ण होता है जिसका रक्षा कवच जितना मजबूत होगा वह उतना सुरक्षित और शक्तिशाली माना जायेगा ! वह उतना ही प्रहारक शक्ति से युक्त होगा ! सभी रक्षा कवचों की शक्ति बगलामुखी ही होती हैं इसलिए बगलामुखी देवी की साधना से प्राप्त रक्षा कवच सबसे सुदृढ़ तथा शक्तिशाली माना जाता है.
माता बगलामुखी की साधना एक सम्पूर्ण विज्ञान है. वे श्री कुल की महाविद्या हैं. बगलामुखी के साधक के चारों ओर एक सुरक्षा चक्र का निर्माण हो जाता है जो उसकी शत्रुओं,रोगों और समस्त प्रकार की बाधाओं से निरंतर रक्षा करता रहता है.
लेखकों के अनुसार बगलामुखी साधना से जहाँ साधक का अंतर्मन शुद्ध होता है वहीँ उसका बाह्य जगत और विराट में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में शुद्धता और सात्विकता का प्रसार होता है. मन अत्यंत चंचल होता है, साधना में उसका स्तम्भन अर्थात नियंत्रण करना होता है. यह नियंत्रण माता बगलामुखी ही प्रदान करती है. एक नियंत्रित मन ही नियंत्रित मष्तिष्क का निर्माण कर सकता है जो आगे चलकर एक अच्छे समाज का निर्माण करता है.
मानसिक शक्तियों का निरंतर विकास होते रहना चाहिए. उन्हें खिलौना नहीं बनने देना चाहिए. निरंतर प्रयास से हम पञ्च ज्ञानेन्द्रियों से परे भी जा सकते हैं और अपनी अतीन्द्रिय शक्तियों का विकास कर सकते हैं.
“बगलामुखी रहस्यम[हिंदी]” , महाविद्या साधक परिवार के संस्थापक गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह द्वारा लिखित तथा जोरबा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है और यह सभी ओन-लाइन स्टोर पर [मूल्य - 400 रुपये ]उपलब्ध है.
संपादक के लिए नोट - शक्तिवाद महाविद्याओं की साधना पर ही आश्रित है. दसों महाविद्यायें परास्वतंत्र भी हैं और एक दूसरे से जुडी भी हुई हैं ! आज हमारे देश में महाविद्याओं के साधक गिने चुने रह गए हैं. यह विश्व शक्तिमय है ! शक्ति ही शव को शिव बनाती है ! एक से अनेक यही शक्तिवाद का मूलमंत्र हैं. शक्ति बहुलता लाती हैं, शक्ति विभिन्नता लाती हैं, वह शिव के सानिध्य में प्रतिक्षण कुछ नया निर्मित करती हैं ! नवीनता का धोतक हैं शक्ति ! शक्ति उपासना के आभाव में यह विश्व पुरातन पड जायेगा और एक दिन वृद्ध एवं जर्जर होकर धराशायी हो जायेगा ! शक्तिवाद ही विश्व को आनंदमयी, यौवनमयी एवं नित्य नवीन बनाये हुए हैं !