2 जुलाई 2014

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना - 5




पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना

|| ॐ निखिलेश्वरानंदाय सच्चिदानंद शिष्याय दिव्य गुरुवे प्रसीद प्रसीद नमः  ||


  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • व्यवहार - गुरु साधना में सात्विक आहार आचार विचार रखना अनिवार्य है.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - पूर्व या ईशान की ओर देखते हुए बैठें.
  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंग, हवन दशाश यानी जाप का दसवां हिस्सा किया जाता है १२५००० का दसवां हिस्सा १२५०० होगा ,१००००  मंत्र जाप का दसवां हिस्सा १००० होगा इसी प्रकार हवं की संख्या निकाल लेंग, 
  • यदि हवन न कर सकें तो दसवां हिस्सा जाप और कर लेंगे यानी १०००० पूरा होने पर १००० जाप और कर लेंगे.
  • हवन सामग्री - दशांग या घी.
विधि :- 
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.

लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.




 

अनुभव :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद  जी साधकों को उनकी योग्यता तथा श्रद्धानुसार विभिन्न प्रकार से अनुभव जरूर कराते हैं. पुरस्चरण पूर्ण होते होते लगभग सभी साधकों को एक न एक बार उनके सानिध्य का अनुभव अवश्य हो जाता है. यही उनके अखंड तथा षोडश कला युक्त गुरुत्व का प्रमाण है. साधकों के सामान्य अनुभव इस प्रकार के होते हैं:-
  • कई बार साधकों को सूक्ष्म रूप से दर्शन प्रदान करते हैं. 
  • कई बार साधक को स्वप्न में आभास करा देते हैं. 
  • कई बार श्वेत वस्त्र धारण किये हुए स्वरुप की उपस्थिति महसूस होती है. 
  • विशेष प्रकार की खुशबु साधना के दौरान आती है . इस प्रकार की खुशबु , गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.
  • यदि साधन पूरी श्रधा से किया जाए तो पूर्वाभास यानि घटनाओं के होने की पहले से जानकारी होना भी प्रारम्भ हो जाता है.
  • जिस घर में गुरु साधना की जाती है वहां तांत्रिक प्रयोग अपना प्रभाव नहीं डाल पाते. 
Technorati Tags: , ,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com