4 जनवरी 2012

छिन्नमस्ता साधना मन्त्र




॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....







प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.

यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है. 

9 टिप्‍पणियां:

  1. ye kaise pata chal ta hai ki kisi ne aap ke uper tantrik kriya ki hai ?

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  2. एक बार देवी पार्वती हिमालय भ्रमण कर रही थी उनके साथ उनकी दो सहचरियां जया और विजया भी थीं, हिमालय पर भ्रमण करते हुये वे हिमालय से दूर आ निकली, मार्ग में सुनदर मन्दाकिनी नदी कल कल करती हुई बह रही थी, जिसका साफ स्वच्छ जल दिखने पर देवी पार्वती के मन में स्नान की इच्छा हुई, उनहोंने जया विजया को अपनी मनशा बताती व उनको भी सनान करने को कहा, किन्तु वे दोनों भूखी थी, बोली देवी हमें भूख लगी है, हम सनान नहीं कर सकती, तो देवी नें कहा ठीक है मैं सनान करती हूँ तुम विश्राम कर लो, किन्तु सनान में देवी को अधिक समय लग गया, जया विजया नें पुनह देवी से कहा कि उनको कुछ खाने को चाहिए, देवी सनान करती हुयी बोली कुच्छ देर में बाहर आ कर तुम्हें कुछ खाने को दूंगी, लेकिन थोड़ी ही देर में जया विजया नें फिर से खाने को कुछ माँगा, इस पर देवी नदी से बाहर आ गयी और अपने हाथों में उनहोंने एक दिव्य खडग प्रकट किया व उस खडग से उनहोंने अपना सर काट लिया, देवी के कटे गले से रुधिर की धारा बहने लगी तीन प्रमुख धाराएँ ऊपर उठती हुयी भूमि की और आई तो देवी नें कहा जया विजया तुम दोनों मेरे रक्त से अपनी भूख मिटा लो, ऐसा कहते ही दोनों देवियाँ पार्वती जी का रुधिर पान करने लगी व एक रक्त की धारा देवी नें स्वयं अपने ही मुख में ड़ाल दी और रुधिर पान करने लगी, देवी के ऐसे रूप को देख कर देवताओं में त्राहि त्राहि मच गयी, देवताओं नें देवी को प्रचंड चंड चंडिका कह कर संबोधित किया, ऋषियों नें कटे हुये सर के कारण देवी को नाम दिया छिन्नमस्ता, तब शिव नें कबंध शिव का रूप बना कर देवी को शांत किया, शिव के आग्रह पर पुनह: देवी ने सौम्य रूप बनाया, नाथ पंथ सहित बौद्ध मताब्लाम्बी भी देवी की उपासना क्जरते हैं, भक्त को इनकी उपासना से भौतिक सुख संपदा बैभव की प्राप्ति, बाद विवाद में विजय, शत्रुओं पर जय, सम्मोहन शक्ति के साथ-साथ अलौकिक सम्पदाएँ प्राप्त होती है, इनकी सिद्धि हो जाने ओपर कुछ पाना शेष नहीं रह जाता

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  3. Anilji
    Sadhana siddhi vigyan january 2012 ke bare me batane ki kripa kare

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  4. देवी माँ का स्वत: सिद्ध महामंत्र है-
    श्री महाविद्या छिन्नमस्ता महामंत्र
    ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनिये ह्रीं ह्रीं फट स्वाहा

    इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं व देवी को पुष्प अत्यंत प्रिय हैं इसलिए केवल पुष्पों के होम से ही देवी कृपा कर देती है,आप भी मनोकामना के लिए यज्ञ कर सकते हैं,जैसे-
    1. मालती के फूलों से होम करने पर बाक सिद्धि होती है व चंपा के फूलों से होम करने पर सुखों में बढ़ोतरी होती है
    2.बेलपत्र के फूलों से होम करने पर लक्ष्मी प्राप्त होती है व बेल के फलों से हवन करने पर अभीष्ट सिद्धि होती है
    3.सफेद कनेर के फूलों से होम करने पर रोगमुक्ति मिलती है तथा अल्पायु दोष नष्ट हो 100 साल आयु होती है
    4. लाल कनेर के पुष्पों से होम करने पर बहुत से लोगों का आकर्षण होता है व बंधूक पुष्पों से होम करने पर भाग्य बृद्धि होती है
    5.कमल के पुष्पों का गी के साथ होम करने से बड़ी से बड़ी बाधा भी रुक जाती है
    6 .मल्लिका नाम के फूलों के होम से भीड़ को भी बश में किया जा सकता है व अशोक के पुष्पों से होम करने पर पुत्र प्राप्ति होती है
    7 .महुए के पुष्पों से होम करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं व देवी प्रसन्न होती है

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  5. देवी के कुछ इच्छा पूरक मंत्र
    1) देवी छिन्नमस्ता का शत्रु नाशक मंत्र
    ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं वज्र वैरोचिनिये फट
    लाल रंग के वस्त्र और पुष्प देवी को अर्पित करें
    नवैद्य प्रसाद,पुष्प,धूप दीप आरती आदि से पूजन करें
    रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें
    देवी मंदिर में बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है
    काले रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें
    दक्षिण दिशा की ओर मुख रखें
    अखरो व अन्य फलों का फल प्रसाद रूप में चढ़ाएं
    2) देवी छिन्नमस्ता का धन प्रदाता मंत्र
    ऐं श्रीं क्लीं ह्रीं वज्रवैरोचिनिये फट
    गुड, नारियल, केसर, कपूर व पान देवी को अर्पित करें
    शहद से हवन करें
    रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें
    3) देवी छिन्नमस्ता का प्रेम प्रदाता मंत्र
    ॐ आं ह्रीं श्रीं वज्रवैरोचिनिये हुम
    देवी पूजा का कलश स्थापित करें
    देवी को सिन्दूर व लोंग इलायची समर्पित करें
    रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें
    किसी नदी के किनारे बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है
    भगवे रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें
    उत्तर दिशा की ओर मुख रखें
    खीर प्रसाद रूप में चढ़ाएं
    4) देवी छिन्नमस्ता का सौभाग्य बर्धक मंत्र
    ॐ श्रीं श्रीं ऐं वज्रवैरोचिनिये स्वाहा
    देवी को मीठा पान व फलों का प्रसाद अर्पित करना चाहिए
    रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें
    किसी ब्रिक्ष के नीचे बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है
    संतरी रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें
    पूर्व दिशा की ओर मुख रखें
    पेठा प्रसाद रूप में चढ़ाएं
    5) देवी छिन्नमस्ता का ग्रहदोष नाशक मंत्र
    ॐ श्रीं ह्रीं ऐं क्लीं वं वज्रवैरोचिनिये हुम
    देवी को पंचामृत व पुष्प अर्पित करें
    रुद्राक्ष की माला से 4 माला का मंत्र जप करें
    मंदिर के गुम्बद के नीचे या प्राण प्रतिष्ठित मूर्ती के निकट बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है
    पीले रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें
    उत्तर दिशा की ओर मुख रखें
    नारियल व तरबूज प्रसाद रूप में चढ़ाएं

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  6. देवी की पूजा में सावधानियां व निषेध-
    बिना "कबंध शिव" की पूजा के महाविद्या छिन्नमस्ता की साधना न करें
    सन्यासियों व साधू संतों की निंदा बिलकुल न करें
    साधना के दौरान अपने भोजन आदि में हींग व काली मिर्च का प्रयोग न करें
    देवी भक्त ध्यान व योग के समय भूमि पर बिना आसन कदापि न बैठें
    सरसों के तेल का दीया न जलाएं

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  7. महाविद्या छिन्नमस्ता की अनुकम्पा पाने के लिए अपने गुरु से आप दीक्षा जरूर लें

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  8. me patrika ka pathak hoon kya mein guruji se phone par baat kar apne samasya bata sakta hoon.
    ya sirf only those who have taken guru diksha can contact.guru diksha mein lena chatan hoon par me bahoot door rehtan hoon.aapke bataye huye phone no par contact kiya to unhone kaha ki ab photo dwara diksha bandh kar di hai ,woh prabahvi nahi hoti ,Khudd aa jaon Bhopal diksha lene.jo mere liya smabhav nahi hain.
    Kya guruji phone par mujhse baat karenge ya mujhe mana kar denge kyunki diksha nahi huin
    Please reply

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  9. आप फोन पर गुरुदेव से बात कर सकते हैं.
    गुरु को प्राप्त करने के लिये थोडा प्रयास तो करना पडता है.
    दीक्षा कब कैसे और किस प्रकार देनी है यह गुरुदेव का विषय है. अतः दीक्षा के लिये आपको उनसे मिलना पडेगा.
    यदि आप भोपाल नही जा सकते तो देश के अलग अलग हिस्सों मे होने वाले किसी शिविर में जो आपके पास हो जा सकते है. मै शिविरों की जानकारी नीचे दे रहा हूं.:-

    आगामी साधना शिविर

    13 – 14 JANUARY 2012
    Venue : Village Gironla, Zilla Gondhia, Maharashtra
    Contact : Lokpal Bisen + 93268 18882

    5 FEBRUARY 2012
    Venue : Indraprasth Hall 261, Bal Rajeshwar Road
    Contact : Santosh Kadu + 99204 94299

    20 FEBRUARY 2012
    MAHA SHIVRATRI AAYOJAN
    Venue : NIKHILDHAM, BHOJPUR,Bhopal MP
    Contact : 0755 – 4269368 / 4283681

    10 – 11 MARCH 2012
    GURU JANMOSTAV
    Venue : Ghatchiroli, Maharashtra
    Contact : Anand Raherkar + 94221 51442

    20 – 21 APRIL 2012
    NIKHIL JANMOSTAV
    Venue : Geeta Mandir, Cotton Market, Nagpur
    Contact : Duwani + 98229 25071

    3 - 4 JUNE 2012
    Venue : Mumbai
    Contact : Shri Chandrasekhar Kunte + 93247 60240

    20 – 21 JUNE 2012
    SHREE VIDHYA SHIVIR
    Venue : Ramlila Maidan, Ghanta Ghar,
    Ghaziabad, UP
    Contact : Vinod Kumar Gautam + 94525 06801

    2 JULY 2012
    GURU POORNIMA MAHOTSAV
    Venue : Dhanbad, Jharkhand
    Contact : Usha Kumari + 95765 26972

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