- ॥ ॐ कशिम कुक्ष वर वर अन्जनावर पुत्रं आवेशय आवेशय ॐ ह्रीं हनुमन फट ॥
- सबसे पहले गुरु यदि हों तो उनके मंत्र की एक माला जाप करें. यदि न हों तो मेरे गुरुदेव
- परम हंस स्वामी निखिलेस्वरानंद जी
- [ डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]
- को गुरु मानकर निम्नलिखित मंत्र की एक माला जाप कर लें.
- || ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ||
- इसके बाद आप जाप प्रारंभ करें. गुरु मन्त्र का जाप करने से साधना में बाधा नहीं आती और सफलता जल्दी मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
- हनुमान जी की साधना के सामान्य नियम निम्नानुसार होंगे :-
- पहले दिन हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामाना बोल देना चाहिए.
- ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
- साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
- साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
- आसन तथा वस्त्र लाल या सिंदूरी रंग का रखें.
- जाप संख्या ११,००० होगी.
- प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
- हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
- हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
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http://nikhildham.org/ssv/2004/0053_March_2004.PDF
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