नोट -
- केवल अघोर पंथ में दीक्षित साधकों के लिए है.
- यह साधना अनुभवी साधक की देख रेख में ही करें.
- गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करेंगे.
॥ ऊं अघोरेश्वराय महाकालाय नमः ॥
- १,२५,००० मंत्र का जाप .
- दिगंबर/नग्न अवस्था में जाप करें
- अघोरी साधक श्मशान की चिताभस्म का पूरे शारीर पर लेप करके जाप करते हैं.
- लेकिन गृहस्थ साधकों के लिए चिताभस्म निषिद्ध है. वे इसका उपयोग नहीं करें. यह गम्भीर नुकसान कर सकता है.
- गृहस्थ साधक अपने शरीर पर गोबर के कंडे की राख से त्रिपुंड बनाएं . यदि सम्भव हो तो पूरे शरीर पर लगाएं.
- जाप के बाद स्नान करने के बाद सामान्य कार्य कर सकते हैं.
- जाप से प्रबल ऊर्जा उठेगी, किसी पर क्रोधित होकर या स्त्री सम्बन्ध से यह उर्जा विसर्जित हो जायेगी . इसलिए पूरे साधना काल में क्रोध और काम से बचकर रहें.
- शिव कृपा होगी.
- रुद्राक्ष पहने तथा रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
---------------------शिव शासनतः--------------------
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---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
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--------------------------शिव शासनतः------------------------
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---------------------- न गुरोरधिकम --------------------
-------------------------- न गुरोरधिकम ------------------------
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सर्वोत्तम जानकारी उपलब्ध करवाने हेतु कौटिशः अभिनंदन है!! यह स्वयं सिद्ध है!!
जवाब देंहटाएंप्रनाम सर
जवाब देंहटाएंमेरे नसीब मे दीक्षा का योग लगता नई।दीक्षा मिलती ही नई।
तो क्या बिना दीक्षा के मे ये मन्त्र का जाप कर सक्ता हू?
भगवान् शिव को गुरु मानकर उनसे अनुमति मांगे | २१ हजार मन्त्र जाप "ॐ नमः शिवाय " का करें | उसके बाद जाप कर लें | किसी गलत कामना के साथ न करें |
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