- गुरु अपने आप में महामाया की सर्वश्रेष्ठ कृति है.
- गुरुत्व साधनाओं से, पराविद्याओं की कृपा और सानिध्य से आता है.
- वह एक विशेष उद्देश्य के साथ धरा पर आता है और अपना कार्य करके वापस महामाया के पास लौट जाता है.
- बिना योग्यता के शिष्य को कभी गुरु बनने की कोशिश नही करनी चाहिये.
- गुरु का अनुकरण यानी गुरु के पहनावे की नकल करने से या उनके अंदाज से बात कर लेने से कोई गुरु के समान नही बन सकता.
- गुरु का अनुसरण करना चाहिये उनके बताये हुए मार्ग पर चलना चाहिये, इसीसे साधनाओं में सफ़लता मिलती है.
- शिष्य बने रहने में लाभ ही लाभ हैं जबकि गुरु के मार्ग में परेशानियां ही परेशानियां हैं, जिन्हे संभालने के लिये प्रचंड साधक होना जरूरी होता है, अखंड गुरु कृपा होनी जरूरी होती है.
- बेवजह गुरु बनने का ढोंग करने से साधक साधनात्मक रूप से नीचे गिरता जाता है और एक दिन अभिशप्त जीवन जीने को विवश हो जाता है .
- गुरु भी सदैव अपने गुरु के प्रति नतमस्तक ही रहता है इसलिए साधकों को अपने गुरुत्व के प्रदर्शन में अपने गुरु के सम्मान को ध्यान रखना चाहिए .
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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30 जून 2016
गुरु रहस्यम - 1
29 जून 2016
तन्त्र साधनाओं से संबंधित प्रामाणिक ग्रन्थ
तन्त्र साधनाओं से संबंधित प्रामाणिक ग्रन्थों के लिये
संपर्क करें:-
परावाणी आध्यात्मिक शोध संस्थान
श्री चण्डी धाम
अलोपी देवी मार्ग
प्रयाग
211006
-: ग्रन्थ सूची :-
• Aagmokt Yoga Sadhana 10.00
• Aapdudharak Shri Batuk Bharav Stotra 10.00
• Adbhut Durga Saptshati 100.00
• Adbhut Durga Saptshati(Havanatmak) 100.00
• Adhyatma Yoga 5.00
• Aghor Mat Ka Nirupan 25.00
• Akashaya Vat 5.00
• Alop Shankari Devi 5.00
• Anand Lahari 15.00
• Babashri Charitamrit 30.00
• Badari-Vishal-Valabha 5.00
• Bagala-Nityarchan 40.00
• Bagala-Sadhana 35.00
• Baghvat Dharma Ka Pracheen Itihas 15.00
• Baghvati Manas-Puja-Stotra 10.00
• Baghvati Shatak 5.00
• Bala-Kalpataru 35.00
• Bala-Khadag-Mala 15.00
• Bala-Stava-Manjari 25.00
• Bhakti-Yoga 5.00
• Bharavi-Chakra-Pujan 6.00
• Bhavani Sadhana 15.00
• Bhuvneswari-Stava-Manjari 20.00
• Bihar Ke Devi Mandir 8.00
• Bihar Mein Shakti Sadhana 15.00
• Chakra Puja Ke Stotra 25.00
• Chinna-Masta Nityarchan 20.00
• Dakaradi Shri Durga-Sahastranam 20.00
• Dash Maha-Vidya Ashtotar-Shat-Nam 30.00
• Dash Maha-Vidya Ashtotar-Shat-Namavali 30.00
• Dash Maha-Vidya Gayatri, Dhyan avom Stuti 30.00
• Dash Maha-Vidya Kavach 30.00
• Dash Maha-Vidya Mantra-Sadhana 30.00
• Dash Maha-Vidya Tantra 60.00
• Dhan-Prapti Ke Prayog 10.00
• Dharma-Charcha 10.00
• Dharma-Marg Par 25.00
• Dhyan avom Pranam Mantra 20.00
• Dhyan-Yoga avom Vichar-Yoga 5.00
• Diksha-Prakash 35.00
• Dipawali Ki Puja-Vidhi 15.00
• Dipawali Visheshank 45.00
• Divya Yoga 6.00
• Durga Kalpataru 15.00
• Durga Saptshati (Beejatmak) 6.00
• Durga Saptshati (Padyanuvad) 15.00
• Durga Saptshati (Vishudh-Sanskaran) 25.00
• Durga-Aarti 2.00
• Durga-Sahas-Nam-Sadhana 5.00
• Ganga-Yamuna-Sarasvati Puja Ank 5.00
• Gayatri Kalpataru 30.00
• Guru Tantra 10.00
• Guru-Tatva-Darshan avom Guru Sadhana 15.00
• Hath-Yoga 5.00
• Hindi Kamakhaya Tantra 50.00
• Hindi Kaulvani-Nirnaya 25.00
• Hindi Kularnava Tantra 50.00
• Hindi Maha-Nirvana Tantra 80.00
• Hindi Prana-Toshini Tantra 75.00
• Hindi Shaktanand-Taragini 15.00
• Hindi Tantra-Sara 250.00
• Hinduo Ki Pothi 25.00
• Holika-Mahima evom Pujan-Vidhi 5.00
• Homage To Ancestors (Pitra-Puja)
• Kali Nityarchan 15.00
• Kali-Karpoor-Stav (Savidhi) 6.00
• Kapalik Uvach 10.00
• Kashmir Ki Vaicharik Parampara 10.00
• Kaul Kalpataru 20.00
• Krishna Sadhana 25.00
• Laghu Chandi 10.00
• Lalita Peeth-Prayag 5.00
• Lekh-Sangrah(Swami Divyanand Ji) 5.00
• Maha-Chinachar-Sara-Tantra 20.00
• Maha-Ganapati-Sadhana 35.00
• Maha-Shakti-Pitha-Vindhyachala 20.00
• Maha-Vidya-Stotra 20.00
• Manas Ke Sidh Stotra 10.00
• Mantra-Kalpataru 70.00
• Mantra-Kosha 200.00
• Mantra-Sidhi Ka Upaya 6.00
• Mantratmak-Saptshati 500.00
• Mantra-Yoga 5.00
• Mool Chakrarchan 15.00
• Mudrayaien evam Upachara(Sachitra) 20.00
• Mumuksha Marg(Part 1) 15.00
• Mumuksha Marg(Part 2) 80.00
• Narvana-Yantra-Pujan-Vidhi 5.00
• Nava-Graha-Sadhana 50.00
• Navaratra Visheshank 100.00
• Navaratra-Puja-Padhati(Vadik) 3.00
• Nishkam-Yoga avom Karm-Sanyasa Yoga 10.00
• Panch-Makar Tatha Bhava-Traya 20.00
• Panch-Makar Visheshank 100.00
• Parayan Vidhi 6.00
• Parshuram Tantra 10.00
• Prana-Toshini Tantra (Sarg & Dharm-Kand) 50.00
• Puja-Rahasya 100.00
• Raj-Yoga 5.00
• Rama-Parayana 35.00
• Sadhak Ka Sanvad 25.00
• Sadhana-Rahasya 40.00
• Sampadak Ke Sansmaran 50.00
• Santan-Sukha-Prapti Ke Prayoga 6.00
• Saptshati-Sukta-Rahasaya 40.00
• Saptshati-Tatva 30.00
• Sarth Chandi (Shri Durga Saptshati) 250.00
• Sarth Saundarya-Lahari 75.00
• Satra-Divasiya Saptshati-Path 35.00
• Saundarya-Lahari (Padyanuvad) 10.00
• Saundarya-Lahari Ke Yantra-Prayog 20.00
• Savidhi ShriRudra-Chandi 8.00
• Shabar-Mantra Sangrah(12 parts) 380.00
• Shakt Dharma Kya Hai? 15.00
• Shat-Chakra evom ‘Kundalani Sadhana’ 35.00
• Shat-Chandi-Vidhan 25.00
• Shiv-Shakti-Visheshank 40.00
• Shodash Lakshami Shri Lalita Puja 25.00
• Shri Chakra-Rahasya 20.00
• Shri Lalita-Trishti 35.00
• Shri Sukt-Vidhan evam Prayoga 25.00
• Shri Tripura Mahopanishad 6.00
• Shri Vidya-Saparya-Vasana 100.00
• Shri Vidya-Stotra-Panchkam 35.00
• Shri Yantra-Sadhana 10.00
• Swara-Vigyan 45.00
• Tantra Kalpataru 100.00
• Tantrokt Shabd-Brahma-Sadhana 40.00
• Tara-Kalpataru 35.00
• Tara-Stava-Manjari 20.00
• Tatva Vivechan 3.00
• Vaidik Devi-Puja Padhiti 5.00
• Vaidyanath-Dham-Mahatamaya 35.00
• Vigyan-Yoga 5.00
गुरु श्रंखला
जगद्गुरु भगवान शिव
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भगवान वेद व्यास
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गौड पादाचार्य [शंकराचार्य जी के गुरु ]
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जगद्गुरु आदि शंकराचार्य
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ब्रह्मानंद सरस्वती
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महेश योगी करपात्री महाराज
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पूज्यपाद सद्गुरुदेव
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]
[1933-1998]
[1933-1998]
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गुरुमाता डॉ . साधना सिंह जी गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
जानकारी स्त्रोत - साधना सिद्धि विज्ञान जुलाई २००५ पेज ७०
27 जून 2016
गुरु के अभाव में साधना
कई बार ऐसा होता है कि हम किसी
कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम
गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते
हैं ।
ऐसे मे हमें क्या
करना चाहिये ?
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ?
ऐसे हज़ारों
प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........
इसके लिये एक सहज उपाय है कि :-
आप
अपने जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र
जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे
गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
लेकिन निम्नलिखित साधनायें अपवाद हैं जिनको साक्षात गुरु की अनुमति तथा निर्देशानुसार ही करना चाहिये:-
- छिन्नमस्ता साधना ।
- शरभेश्वर साधना ।
- अघोर साधनाएं ।
- श्मशान साधना ।
- वाममार्गी साधनाएँ.
- भूत/प्रेत/वेताल/जिन्न/अप्सरा/यक्षिणी/पिशाचिनी साधनाएँ.
ये
साधनायें उग्र होती हैं और साधक को कई बार परेशानियों का सामना करना पड्ता
है । इन साधनाओं को किया हुआ गुरु इन परिस्थितियों में उस शक्ति को
संतुलित कर लेता है अन्यथा कई बार साधक को पागलपन या मानसिक विचलन हो जाता
है. और इस प्रकार का विचलन ठीक नहीं हो पाता. इसलिए बिना गुरु के ये
साधनाएँ नहीं की जातीं .
इसी प्रकार मानसिक रूप से कमजोर पुरुषों /स्त्रियों/बच्चों को भी उग्र साधनाएँ गुरु के पास रहकर ही करनी चाहिए.
25 जून 2016
दीक्षा और गुरु क्यों ?
किसी
भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ?
यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है .गुरुदेव डॉ नारायण
दत्त श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा
प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
- साधना से शरीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
- जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
- गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
- हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शरीर के इर्दगिर्द घूमता है.
- हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
- गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु, उसके अनुकूल मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान
में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं
नी:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681, [0755]-4269368,[0755]-4221116
23 जून 2016
22 जून 2016
भगवती लक्ष्मी
॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा लक्ष्म्ये नमः ॥
- भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र है.
- गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
- अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
- विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
- रात्रि 9 से 5 के बीच यथा शक्ति जाप करें.
- क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।
भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
20 जून 2016
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- यह वैराग्य भाव से की जाने वाली साधना है इसलिए साधना काल में संसार से विरक्ति अनुभव होगी |
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- गुरु पूर्णिमा तक तीन लाख जाप करें |
- गुरु और साधना के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्राप्त होगा |
पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
अघोर
शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध
मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस
स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै
साष्टांग प्रणाम करता हूं.
प्रचंडता
की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप मेरे पूज्यपाद गुरुदेव
स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता
हूं.
सौन्दर्य
की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात कामेश्वर, पूर्णत्व युक्त, शिव के
प्रतीक, मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके
चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
जो
स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि
के नाद से गुन्जरित हैं, जो गूढ से भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय
विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो
प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण
स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
15 जून 2016
12 जून 2016
तारा महाविद्या साधना
- तारा काली कुल की महविद्या है ।
- तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।
- यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।
- गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।
- साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है ।
तारा मंत्रम
॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥
- मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
- यह रात्रिकालीन साधना है.
- ज्येष्ठ मॉस इस साधना के लिए विशेष अनुकूल है।
- गुरुवार से प्रारंभ करें.
- गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
- उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
- यथासंभव एकांत वास करें.
- सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
- ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- क्रोध और बकवास ना करें.
- साधना को गोपनीय रखें.
- प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
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