8 मार्च 2017

प्रत्यंगिरा साधना


मनुष्य का जीवन लगातार विविध संघर्षों के बीच बीतता है संघर्ष कई प्रकार के होते हैं और समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं । कुछ क्षण ऐसे भी आते हैं जब व्यक्ति समस्याओं और बाधाओं के बीच बुरी तरह से घिर जाता है और उसे आगे बढ़ने के लिए कोई मार्ग दिखाई नहीं देता है ।

साधना के क्षेत्र में वह सर्वश्रेष्ठ साधना जो  ऐसी विपरीत परिस्थिति में साधक को चक्रव्यू से निकालकर विजई बनाती है वह साधना है प्रत्यंगिरा साधना ।

प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना होती है और इस साधना की काट केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं प्रत्यंगिरा साधना कर रखी हो ।

प्रत्यंगिरा साधना करने की अनुमति साधक को अपने गुरु से लेनी चाहिए क्योंकि इस साधना में साधक को कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिस में सफलता प्राप्त करने के लिए सतत गुरु का मार्गदर्शन वह भी सक्षम गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य होता है ।

प्रत्यंगिरा अनेक प्रकार की होती है जिसमें से सबसे प्रमुख है महा विपरीत प्रत्यंगिरा |
महा विपरीत प्रत्यंगिरा एक ऐसी साधना है जो हर प्रकार के तंत्र प्रयोग को वापस लौटाने में सक्षम है और विपरीत प्रत्यंगिरा के द्वारा लौटाई गई तांत्रिक शक्तियां गलत कर्म करने वाले साधक को उचित दंड अवश्य देती है 

प्रत्यंगिरा अनेक प्रकार की होती है:-

शिव प्रत्यंगिरा
काली प्रत्यंगिरा
विष्णु प्रत्यंगिरा
गणेश प्रत्यंगिरा
नरसिंह प्रत्यंगिरा सहित विभिन्न दैवीय शक्तियों की प्रत्यंगिरा विद्याएं हैं  जो आप सक्षम गुरु से प्राप्त करके साधना को संपन्न कर सकते हैं  ।

यहां विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना में गिनी जाती है, इसलिए छोटे बच्चे , बालिकाएं , महिलाएं और कमजोर मानसिक स्थिति वाले पुरुष तथा साधक साधना को गुरु के सानिध्य में उनकी अनुमति से ही संपन्न  करें ।

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साधना में गुरु की आवश्यकता
Y      मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्ट होता है.
Y      साधना से उठने वाली उर्जा को गुरु नियंत्रित और संतुलित करता है, जिससे साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है.
Y      गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए. अगर बैठकर ना कर पायें तो चलते फिरते भी आप मन्त्र जाप कर सकते हैं.
Y      रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला धारण करने से आध्यात्मिक अनुकूलता मिलती है .
Y      रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती है आप उसी से जाप कर सकते हैं.
Y      गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं. इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
गुरु के बिना साधना
Y         स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
Y         जिन मन्त्रों में 108 से ज्यादा अक्षर हों उनकी साधना बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
Y         शाबर मन्त्र तथा स्वप्न में मिले मन्त्र बिना गुरु के जाप कर सकते हैं .
Y         गुरु के आभाव में स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ करने से पहले अपने इष्ट या भगवान शिव के मंत्र का एक पुरश्चरण यानि १,२५,००० जाप कर लेना चाहिए.इसके अलावा हनुमान चालीसा का नित्य पाठ भी लाभदायक होता है.
    
मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y      मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y      गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y      आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y      बकवास और प्रलाप न करें.
Y      किसी पर गुस्सा न करें.
Y      यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y      ब्रह्मचर्य का पालन करें.विवाहित हों तो साधना काल में बहुत जरुरी होने पर अपनी पत्नी से सम्बन्ध रख सकते हैं.
Y      किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न हो, अपमान न करें.
Y      जप और साधना का ढोल पीटते न रहें, इसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y      बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y      ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y      इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
Y      भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
Y      गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.
मंत्र जाप में दिशा, आसन, वस्त्र का महत्व
ü  साधना के लिए नदी तट, शिवमंदिर, देविमंदिर, एकांत कक्ष श्रेष्ट माना गया है .
ü  आसन में काले/लाल कम्बल का आसन सभी साधनाओं के लिए श्रेष्ट माना गया है .
ü  अलग अलग मन्त्र जाप करते समय दिशा, आसन और वस्त्र अलग अलग होते हैं .
ü  इनका अनुपालन करना लाभप्रद होता है .
ü  जाप के दौरान भाव सबसे प्रमुख होता है , जितनी भावना के साथ जाप करेंगे उतना लाभ ज्यादा होगा.
ü  यदि वस्त्र आसन दिशा नियमानुसार ना हो तो भी केवल भावना सही होने पर साधनाएं फल प्रदान करती ही हैं .
ü  नियमानुसार साधना न कर पायें तो जैसा आप कर सकते हैं वैसे ही मंत्र जाप करें , लेकिन साधनाएं करते रहें जो आपको साधनात्मक अनुकूलता के साथ साथ दैवीय कृपा प्रदान करेगा |

7 टिप्‍पणियां:

  1. me aap se yeh poonchana chahta hu , mere koi guru nahin hain, me peechle do warshon se kalajadu aur tantra badha aur pret badhao se ghira hua hoon , mene kay pooja paath karwayi, mahavidya chinnmasta devi ka anushthan aur mantra bhi kiya rozana mene 21 mala karne ki shamta rehti thi meri, usse us cheez ka kaat toh hogaya magar 3 mahine baad phir us mahavidya ka mantra me jaap karta toh mujhe jese samne wale rokte the jisne mujhpar karni badha ki hian, mene mantra siddh bhi kar liya tha magar aage nahin bad paya phir , maulana ko dikhaya, unhone dua padhkar pani diya peene k liye, tel diya sir aur badan pe lagane k liye kuch latifa diya jalane k liye , magar kuch asar nahin hua, phir mene ek guruji se kaha baglamuckhi ka prayog karne, aur baglamukhi sadhna bhi ki upay k sath, upay me unhone mujhe kaha tha ki, raat me 1 glass pani dhakkar rakhe , subah uthte hi usme 3 boondmad,3 chammach doodh aur usme 1 tawiz ghol kar 3 mahine peene ko kaha, woh bhi kiya magar kuch nahin hua,magar yeh kala jadu aur pret mujhe chodhi nahin rahi, kya bina guru diksha aur bina aasan k kya me is mantra ka jaap karsakta hu? kya koi saza milegi agar bina guru k mene yeh mantron ka jaap kiya toh.

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    1. प्रत्यंगिरा साधना गुरु से अनुमति लेकर ही करें. आप यदि गुरूजी से मिलने में असमर्थ हैं तो आप पुनः छिन्नमस्ता देवी का अनुष्ठान कर लें क्योंकि आपने उसे एक बार किया हुआ है. यदि गुरूजी का फोटो सामने रखकर उनको गुरु मानकर करेंगे तो जल्द लाभ होगा समस्या समाधान के छह महीने के अन्दर गुरूजी से मिलकर दीक्षा ले लेना लाभप्रद रहेगा

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  2. parantu guruji mene yeh mahavidya kal jadu pret badha k liye anushthan kiya tha , mere guruji ne diksha di thi mujhe mantron ka jaap karne k liye , uske baad 3 mahine mene yeh mantra ka jaap kiya 21 mala rozana , mujhe thodi rahat thi kala jadu aur preton se magar poori tarh uski kaat me asamarth raha hu me , fir mere guruji ne haath utha diya woh bole ki jo kriya tum par horahi hian woh gandi abhisht kriya hain jisse devi devta tumhare nikat nahin aarahe hian isliye tumhe koi aughad ya tantrik ko milna hoga!fir mene maualan ko dikhaya dua ka pani aur tawiz dharan kiya magar kuch asar nahin hua, ab me khud asamarth hu apne ilaj k liye kya aroon kuch sujhav dijiye.

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  3. chinnamasta devi sadhana mene ki hain mantra siddhi kiye hian mene khud apne guru se deeksha leke1 vibration aati hain jab mantra jaap karta hu , magar kuch mahino se mene yeh sadhna nahin ki hian kya me phir se guru deekhsha leke suru kar sakta hu is sadhna ko aur phir se mujhe mantra siddh karne honge ki nahin yeh mujhe kripya bataye aur mujhe kuch rituals bataye ki iske jaap karte karte koi utara jisse mere upar tantrik kriya nikal jaye mere ghar pariwar se kron ki mere shatru bar bar mujhe par abhist kriya kar rahe hain! kripya reply karen!mantra jo mujhe diya gaye Adbudh Mantra Is prakara hain Hum Shreem Hreem Vajraviarochaniye Hum Hum Phat Swha Aing!

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  4. Pratyangira sadhna ke sath ya basd me kya maha vipreet pratyangira bhi ki jaa skti hai?

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