Tantra and Kundalini: बजरंग बाण और उसके तीव्र प्रभाव का कारण: बजरंग बाण और उसके तीव्र प्रभाव का कारण =============================== हनुमान जी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं जो सप...
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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30 जून 2019
29 जून 2019
निखिल धाम
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परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [ डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ] का यह दिव्य मंदिर है.
इसका निर्माण परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी [Dr. Narayan dutta Shrimali Ji ] के प्रिय शिष्य स्वामी सुदर्शननाथ जी तथा डा साधना सिंह जी ने करवाया है.
यह [ Nikhildham ] भोपाल [ मध्यप्रदेश ] से लगभग २५ किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर के पास लगभग ५ एकड के क्षेत्र में बना हुआ है.
यहां पर महाविद्याओं के अद्भुत तेजस्वितायुक्त विशिष्ठ मन्दिर बनाये गये हैं.
28 जून 2019
27 जून 2019
गुरुदेव निखिलेश्वरानंद साधना
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
- नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
- जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
- यथा संभव मौन रहेंगे.
- किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.
- यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं.
- यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
- यह साधना वैराग्य की साधना है.
- यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
- यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
- इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.
26 जून 2019
25 जून 2019
24 जून 2019
तंत्र साधनाओं के क्षेत्र में प्रवेश कैसे करें........
साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.
गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.
बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.
एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.
भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......
अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....
महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...
गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी
महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.
वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं.
स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं.
तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु का बहुत महत्व होता है.
गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी
स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.
मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......
यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें
साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
दूरभाष : (0755)
4269368,4283681,4221116
समय -सुबह 10 से शाम 5
[रविवार अवकाश ]
22 जून 2019
गुरु पंचकम
शक्ति स्वरूपं भवदेव रूपं, चिन्त्यम विचिन्त्यम शम्भु स्वरूपम ।
विष्णोर्थवां ब्रह्म तथैव रुपं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥
नारायणोत्वम निखिलेश्वरो त्वम, पूर्णेश्वरो त्वम ज्ञानेश्वरो त्वम ।
ब्रह्मान्ड रूपं मपरं त्वमेवं, गुरुत्वं शरण्यं गुरुत्वं शरण्यं।
मातृ स्वरूपं ,पितृ स्वरूपं, ज्ञान स्वरुपं, चैतन्य रुपं ॥
भवतां भवेवं अमृतो sपतुल्यं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥
देवाधिदेवं भवतां श्रियन्तुं ,शिष्यत्व रक्षा परिपूर्ण देयं ।
अमृतं भवां पूर्ण मदैव कुम्भं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥
कम्पय स्वरूपं गदगद गदेवं, भवतां वदेवं सवितां च सुर्यं ।
सर्वोपमां पूर्ण पूर्णत्व रुपं, गुरुत्वं शरण्यं , गुरुत्वं शरण्यं॥
21 जून 2019
गुरु के साथ रहते समय सावधानियां
- गुरु के साथ छ्ल ना करें.
- गुरु आपकी हर बात जानने में समर्थ होता है , उसके साथ झूठ बोलने से, छ्ल करने से फ़िर भयानक अधोगति भोगनी पडती है.
- कैसी भी गलती की हो गुरु के सामने स्वीकार करके चरण पकड के माफ़ी मांग लेनी चाहिये.
- ऐसा भी हो सकता है कि आपको बेवजह डांट पड जाये, अपमानित होना पडे, ये सब गुरु का परीक्षण होता है, इसे सहज होकर स्वीकार करें, गुरु कृपा अवश्य होगी.
20 जून 2019
गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक
गीता प्रेस भारत के प्रमुख अध्यात्मिक प्रकाशनों में से एक है | यहाँ से कल्याण नमक पत्रिका निकलती है | विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस की वेब साईट :-
गीताप्रेस द्वारा मुख्य रूपसे हिन्दी तथा संस्कृतभाषामें गीताप्रेसका साहित्य प्रकाशित होता है, किन्तु अहिन्दीभाषी लोगोंकी असुविधाको देखते हुए अब तमिल, तेलुगु, मराठी, कन्नड़, बँगला,गुजराती तथा ओड़िआ आदि प्रान्तीय भाषाओंमें भी पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं और इस योजनासे लोगोंको लाभ भी हुआ है। अंग्रेजी भाषामें भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। अब न केवल भारतमें अपितु विदेशोंमें भी यहाँका प्रकाशन बड़े मनोयोग एवं श्रद्धासे पढ़ा जाता है। प्रवासी भारतीय भी यहाँका साहित्य पढ़नेके लिये उत्कण्ठित रहते हैं ।
गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं के लिए क्लिक करें :-
19 जून 2019
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के लक्षण
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु के लक्षण :-
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को अपने गुरु का एक अच्छा शिष्य होना चाहिये. अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को साधक होना चाहिये. उसे निरंतर साधना करते रहना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को कम से कम एक महाविद्या सिद्ध होनी चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को वाक सिद्धि होनी चाहिये अर्थात उसे आशिर्वाद और श्राप दोनों देने में सक्षम होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को पूजन करना और कराना आना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को योग और मुद्राओं का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को रस सिद्धि होनी चाहिये, अर्थात पारद के संस्कारों का ज्ञान होना चाहिये.
श्रेष्ठ तांत्रिक गुरु को मन्त्र निर्माण की कला आती है. वह आवश्यकतानुसार मंत्रों का निर्माण कर सकता है और पुराने मंत्रों मे आवश्यकतानुसार संशोधन करने में समर्थ होता है.
18 जून 2019
16 जून 2019
गुरु को कैसे प्राप्त करें ?
- गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
- गुरु, जब साधक को दीक्षा देता है तो उसका दूसरा जन्म होता है, तब वह द्विज कहलाता है.
- जिस रास्ते पर चलकर गुरु ने सफ़लता प्राप्त की उस मार्ग से शिष्य को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है, तब जाकर साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
- ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...
गुरु मंत्रम:-
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
- ऊपर छपे चित्र को फ्रेम करा लें. नित्य जाप उसी के सामने करेंगे .
- जाप पूरा हो जाने के बाद ऊंचे स्थान पर उसे टांग दें .
- सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
- रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
- यदि न हो तो तूलसी माला या किसी भी माला से जाप कर सकते हैं .
- नित्य अपनी क्षमतानुसार 5 माला या अधिक मंत्र जाप करें. आपको गुरु की प्राप्ति होगी या गुरु प्राप्ति के सम्बन्ध में दिशा मिलेगी.
15 जून 2019
गुरु की प्राप्ति नही हो पा रही है तो...
साधनाओं का मार्ग गुरु गम्य मार्ग है । यदि आप गुरु की तलाश मे हैं और गुरु की प्राप्ति नही हो पा रही है तो निम्नलिखित गुरु मन्त्र का सवा लाख
मन्त्र जाप गुरु पूर्निमा तक करें । आपको मार्गदर्शन की प्राप्ति होगी ।
॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
11 जून 2019
10 जून 2019
मंत्र दीक्षा : एक सामान्य विवेचन
किसी भी साधना को करने से पहले दीक्षा ले लेना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है ? यह एक सामान्य प्रश्न है जो हर किसी के दिल में उठता है .गुरुदेव डॉ नारायण दत्ता श्रीमाली जी के सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ :-
- साधना से शारीर में उर्जा [एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
- जब साधनात्मक उर्जा अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
- गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
- हर मंत्र अपने आप में एक विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शारीर के इर्दगिर्द घूमता है.
- हर मंत्र हर साधक के लिए अनुकूल नहीं होता , यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा हानि भी हो सकती है.
- गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता है.
वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी विभिन्न साधनों से सम्बंधित दीक्षाएं नी:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
यदि आप भी किसी प्रकार की साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो संपर्क करें:-
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681, [0755]-4269368,[0755]-4221116
8 जून 2019
5 जून 2019
4 जून 2019
Tantra and Kundalini: शारीरिक सम्बन्ध जीवन भर की हानि दे सकता है
Tantra and Kundalini: शारीरिक सम्बन्ध जीवन भर की हानि दे सकता है: शारीरिक सम्बन्ध जीवन भर की हानि भी दे सकता है और मुक्ति भी बिगाड़ सकता है ===============================================...
3 जून 2019
प्रत्यंगिरा साधना
मनुष्य का जीवन लगातार विविध संघर्षों के बीच बीतता है संघर्ष कई प्रकार के होते हैं और समस्याएं भी कई प्रकार की होती हैं । कुछ क्षण ऐसे भी आते हैं जब व्यक्ति समस्याओं और बाधाओं के बीच बुरी तरह से घिर जाता है और उसे आगे बढ़ने के लिए कोई मार्ग दिखाई नहीं देता है ।
साधना के क्षेत्र में वह सर्वश्रेष्ठ साधना जो ऐसी विपरीत परिस्थिति में साधक को चक्रव्यू से निकालकर विजयी बनाती है वह साधना है प्रत्यंगिरा साधना ।
प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना होती है और इस साधना की काट केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसने स्वयं प्रत्यंगिरा साधना कर रखी हो ।
प्रत्यंगिरा साधना करने की अनुमति साधक को अपने गुरु से लेनी चाहिए क्योंकि इस साधना में साधक को कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है जिस में सफलता प्राप्त करने के लिए सतत गुरु का मार्गदर्शन वह भी सक्षम गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य होता है ।
प्रत्यंगिरा अनेक प्रकार की होती है जिसमें से सबसे प्रमुख है
महा विपरीत प्रत्यंगिरा
महा विपरीत प्रत्यंगिरा एक ऐसी साधना है जो हर प्रकार के तंत्र प्रयोग को वापस लौटाने में सक्षम है और विपरीत प्रत्यंगिरा के द्वारा लौटाई गई तांत्रिक शक्तियां गलत कर्म करने वाले साधक को उचित दंड अवश्य देती है
शिव प्रत्यंगिरा
काली प्रत्यंगिरा
विष्णु प्रत्यंगिरा
गणेश प्रत्यंगिरा
नरसिंह प्रत्यंगिरा
सहित विभिन्न दैवीय शक्तियों की प्रत्यंगिरा विद्याएं हैं जो आप सक्षम गुरु से प्राप्त करके साधना को संपन्न कर सकते हैं ।
यहां विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य बात यह है की प्रत्यंगिरा साधना बेहद उग्र साधना में गिनी जाती है, इसलिए छोटे बच्चे , बालिकाएं , महिलाएं और कमजोर मानसिक स्थिति वाले पुरुष तथा साधक साधना को गुरु के सानिध्य में उनकी अनुमति से ही संपन्न करें ।
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