29 दिसंबर 2022

दस महाविद्याये तथा उनकी साधना से होने वाले लाभ

 दस महाविद्याये तथा उनकी साधना से होने वाले लाभ 


मेरे सदगुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी ने दसों महाविद्याओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन किया है . उनके प्रवचन के ऑडियो/वीडियो आप इंटरनेट पर सर्च करके या यूट्यूब पर सुन सकते हैं . तथा विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं .  


जितना मैंने जाना है उसके आधार पर मुझे ऐसा लगता है कि सभी महाविद्याओं से आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि तथा सर्व मनोकामना की पूर्ती होती है . इसके अलावा जो विशेष प्रयोजन सिद्ध होते हैं उनका उल्लेख इस प्रकार से किया गया है .  

महाकाली - मानसिक प्रबलता /सर्वविध रक्षा / कुण्डलिनी जागरण /पौरुष 

तारा - आर्थिक उन्नति / कवित्व / वाक्शक्ति 

त्रिपुर सुंदरी - आर्थिक/यश / आकर्षण 

भुवनेश्वरी - आर्थिक/स्वास्थ्य/प्रेम 

छिन्नमस्ता - तन्त्रबाधा/शत्रुबाधा / सर्वविध रक्षा

त्रिपुर भैरवी - तंत्र बाधा / शत्रुबाधा / सर्वविध रक्षा

धूमावती - शत्रु बाधा / सर्वविध रक्षा 

बगलामुखी - शत्रु स्तम्भन / वाक् शक्ति / सर्वविध रक्षा

मातंगी - सौंदर्य / प्रेम /आकर्षण/काव्य/संगीत  

कमला - आर्थिक उन्नति 

सभी महाविद्याओं के शाबर मंत्र होते हैं , जिनका प्रयोग कोई भी कर सकता है . यदि आपके गुरु नहीं हैं तो भगवान शिव/महाकाली को गुरु मानकर आप इनका प्रयोग इस नवरात्रि में करें और लाभ उठायें . शाबर मंत्र सामान्य भाषा में होते हैं . उनको जैसा लिखा है वैसा ही पढ़ना चाहिए . उसमे व्याकरण सुधार करने के कोशिश न करें . ये मंत्र सिद्ध योगियों द्वारा उद्भूत हैं इसलिए जैसा उन्होंने रच दिया वैसा ही पढ़ने से ज्यादा लाभ होगा . 

शाबर मन्त्रों के जाप करते समय दीपक और अगरबत्ती या धुप जलाये रखना चाहिए . गुग्गुल की धुप या अगरबत्ती का प्रयोग बेहतर होगा . न हो तो कोई भी अगरबत्ती जला लें . 


महाविद्याओं की साधना उच्चकोटि की साधना है . आप अपनी रूचि के अनुसार किसी भी महाविद्या की साधना कर सकते हैं . महाविद्या साधना आपको जीवन में सब कुछ प्रदान करने में सक्षम है . यदि आप सात्विक पद्धति से गृहस्थ जीवन में रहते हुए ही , महाविद्या साधना सिद्धि करना चाहते हैं तो आप महाविद्या से सम्बंधित दीक्षा तथा मंत्र प्राप्त करने के लिए मेरे गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से या गुरुमाता डा साधना सिंह जी से संपर्क कर सकते हैं .


विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए वेबसाइट तथा यूट्यूब चैनल का अवलोकन कर सकते हैं . 

contact for details
वेबसाइट
namobaglamaa.org

यूट्यूब चैनल
https://youtube.com/c/MahavidhyaSadhakPariwar

28 दिसंबर 2022

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम्

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम्


यह एक अत्यंत मधुर तथा गीत के रूप मे रचित देवी स्तुति है ।

इसके पाठ से आपको अत्यंत आनंद और सुखद अनुभूति होगी ।


महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम्


अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते,

गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

भगवति हे शितिकंठ कुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥


सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते,

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ।

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥


अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते,

शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमालय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥


अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्ड गजाधिपते

रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।

निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥


अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते

चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥


अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे

त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥


अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते

समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।

शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥


धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके

कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥


जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते

झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।

नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥


अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते

श्रितरजनी रजनी रजनी रजनी रजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥


सहित महाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते

विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक झिल्लिक भिल्लिक वर्गवृते ।

शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥


अविरल गण्ड गलन्मद मेदुर मत्त मतङ्ग जराजपते

त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालस मानस मोहन मन्मथराजसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥


कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते

सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुल सङ्कुल कुवलय मण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥


करमुरलीरव वीजित कूजित लज्जित कोकिल मञ्जुमते

मिलित पुलिन्द मनोहर गुञ्जित रञ्जित शैल निकुञ्जगते ।

निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥


कटितट पीत दुकूल विचित्र मयुख तिरस्कृत चन्द्ररुचे

प्रणत सुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुल सन्नख चन्द्ररुचे

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥


विजित सहस्र करैक सहस्र करैक सहस्र करैकनुते

कृत सुर तारक सङ्गर तारक सङ्गर तारक सूनुसुते ।

सुरथ समाधि समान समाधि समाधि समाधि सुजातरते ।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥


पद कमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे

अयि कमले कमला निलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥


कनक लसत्कल सिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्

भजति स किं न शची कुच कुम्भतटी परिरम्भ सुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामर वाणि निवासि शिवम्

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥


तव विमलेन्दु कुलं वदनेन्दु मलं सकलं ननु कूलयते

किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥


अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे

अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।

यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥

27 दिसंबर 2022

एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

 एक गोपनीय शाबर रक्षा मंत्र

यह सद्गुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के द्वारा दिया गया एक अद्भुत मंत्र है .....


ॐ रक्षो रक्ष महावीर !

काला गोरा भेरूँ! बल वहन करे !

वज्र सी देह रक्षा करे ! एडी सू चोटी चोटी सू एडी !

तणो वज्र निरधार झरे ! ठम ठम ठम !!!


सद्गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमली जी के इस स्वरूप को प्रणाम करें और रक्षा की प्रार्थना करें उसके बाद इसे आप नवरात्रि मे रोज 108 बार जपकर सिद्ध कर लें ।.

बिस्तर से उठते समय यदि आप इसका नित्य 1 या 3 बार जाप करते रहें तो आपके ऊपर किसी प्रकार का तंत्र प्रयोग आदि होने पर उससे रक्षा होगी ।.

26 दिसंबर 2022

महाकाली का बीज मन्त्र

 महाकाली का बीज मन्त्र

तंत्र साधना की मूल शक्ति है महाकाली ..

अगर आप साधना के क्षेत्र मे प्रवेश करना चाहते हैं तो महाकाली बीज मंत्र का जाप प्रारंभ करें ।

यदि आप साधना करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हैं तो आपको छह माह के अंदर अनुकूलता मिलेगी और मार्ग मिलेगा ।


॥ क्रीं ॥
kreem


महाकाली का बीज मन्त्र है.
इसका जाप करने से महाकाली की कृपा प्राप्त होति है.
यथाशक्ति जाप करें.
चलते फिरते 24 घंटे जाप कर सकते हैं .

25 दिसंबर 2022

नवार्ण मंत्र

 


नवार्ण मंत्र एक स्वयं सिद्ध मंत्र है ।.


कलयुग में देवी चंडिका और भगवान गणेश को सहज ही प्रसन्न होने वाला माना गया है इसलिए नवार्ण मंत्र का जाप करके आप साधना के क्षेत्र में धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं।


नवार्ण मंत्र


।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।


इसमे तीन बीज मंत्र हैं जो क्रमशः महासरस्वती महालक्ष्मी और महाकाली के बीजमन्त्र हैं । इसलिए सभी मनोकामनाओं के लिए इसे जप सकते हैं ।


अपने सामने दीपक जलाकर मंत्र जाप करें ।

मंत्र जाप की संख्या अपनी क्षमता के अनुसार निर्धारित कर लें कम से कम 108 बार मंत्र जाप करना चाहिए ।

11 दिसंबर 2022

साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका



साधना सिद्धि विज्ञान  मासिक पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1999 से भोपाल से हो रहा है. 
यह पत्रिका साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये  स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. 





गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता साधनाजी के साधनात्मक अनुभव के प्रकाश मे प्रकाशित साधनात्मक ज्ञान आप को स्वयम अभिभूत कर देगा 

[ Sadhana Siddhi Vigayan monthly magazine,a knowledge bank of Tantra, Mantra, Yantra Sadhana

साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका की सदस्यता

समस्त प्रकार की साधनात्मक जानकारियों से भरपूर शुद्द पूजन तथा प्रयोगों की जानकारी के लिये 

साधना सिद्धि विज्ञान पढें:-


वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें .

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साधना सिद्धि विज्ञान 
जास्मीन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी 
जे. के. रोड , भोपाल  [म.प्र.]



आप चाहें तो पत्रिका कार्यालय मे इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं, और यूपीआई से भी पेमेंट कर सकते हैं । 
श्री संजय सिंह 94256-68111


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महाविद्या गुह्यकाली विशेषांक








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निखिल तंत्रम


निखिल तंत्रम


निखिल तंत्रम


निखिल  महामृत्युंजय तंत्रम






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  • कामाख्या तन्त्रम.
  • रस तन्त्रम
  • निखिल तन्त्रम.
  • चामुन्डा तन्त्रम.
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  • रत्न रहस्यम.
  • तान्त्रिक सामग्री रहस्यम.
  • मुद्रा विवेचन.

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9 दिसंबर 2022

पंचम दिवस श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा पूजन की कुछ झलकियां

चतुर्थ दिवस निखिलधाम में श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा पूजन

तृतीय दिवस निखिलधाम में श्री यंत्र प्राण प्रतिष्ठा पूजन

11 नवंबर 2022

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