॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥
- यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
- इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
- यथा शक्ति जाप करें.
आप इसे अपने परिवार के किसी सदस्य के स्वस्थ्य लाभ के लिए भी कर सकते हैं ।
इसके लिए आप नवरात्रि / शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हाथ मे जल लेकर संकल्प कर लें :-
मैं (अपना नाम बोलें ), यथा शक्ति, यथा ज्ञान [यानि जितनी मेरी शक्ति है जितना मेरा ज्ञान है उतना ] अमुक (रोगी का नाम ) के स्वस्थ्य लाभ और रोग निवारण के लिए महाकाली रोग निवारण मंत्र के (जाप संख्या बोलें ) जाप का संकल्प लेता हूँ । महा माया महाकाली मेरी त्रुटियों को क्षमा करें और प्रसन्न होकर अमुक (रोगी का नाम ) को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें ।
- इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें ।
- रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें ।
- जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं ।
- जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है ।
- ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
- आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।
- रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें ।
- पूर्णिमा तक आपको जाप करना है ।
- पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें ।
- एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें ।
- अगली पूर्णिमा को उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।
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