अघोरेश्वरम महासिद्ध रूपं,
निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम
सदैव ।
अघोर शक्तियों के स्वामी, साक्षात अघोरेश्वर शिव स्वरूप , सिद्धों के भी सिद्ध मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ
जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत, प्राण
स्वरूप हैं, उनके चरणों
में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
प्रचंडातिचंडम शिवानंद
कंदम,
निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम
सदैव ।
प्रचंडता की साक्षात मूर्ति, शिवत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो
प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
सुदर्शनोत्वम
परिपूर्णरूपम,
निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम
सदैव ।
सौन्दर्य की पूर्णता को साकार करने वाले साक्षात
कामेश्वर, पूर्णत्व
युक्त, शिव के
प्रतीक, मेरे
पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और
प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों
में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
ब्रह्मांड रूपम,
गूढ़ातिगूढ़म,
निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम
सदैव ।
जो स्वयं अपने अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, जो अहं ब्रह्मास्मि के नाद से
गुन्जरित हैं, जो गूढ से
भी गूढ अर्थात गोपनीय से भी गोपनीय विद्याओं के ज्ञाता हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम
करता हूं.
योगेश्वरोत्वम,
कृष्ण स्वरूपम,
निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम
सदैव ।
जो योग के सभी अंगों के सिद्धहस्त आचार्य हैं, जिनका शरीर योग के जटिलतम आसनों को
भी सहजता से करने में सिद्ध है, जो
योग मुद्राओं के विद्वान हैं, जो
साक्षात कृष्ण के समान प्रेममय, योगमय, आह्लादमय, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं ऐसे मेरे पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ
जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
महाकाल तत्वम,
घोरतिघोरम,
निखिल प्राणरूपम प्रणम्यम
सदैव ।
काल भी जिससे घबराता है, ऐसे महाकाल और महाकाली युगल के उपासक, साक्षात महाकाल स्वरूप, अघोरत्व के जाज्वल्यमान स्वरूप, महाकाली के महासिद्ध साधक मेरे
पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जो प्रातः स्मरणीय परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के अंशीभूत और
प्राण स्वरूप हैं, उनके चरणों
में मै साष्टांग प्रणाम करता हूं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com