21 जून 2025

परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

    









परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  • तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
  • नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
  • जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
  • यथा संभव मौन रहेंगे.
  • किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.

  1. यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं. 
  2. यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
  3. यह साधना वैराग्य की साधना है.
  4. यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
  5. यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
  6. इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.


...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........

20 जून 2025

बालकों के लिए रक्षा कारक : छह मुखी रुद्राक्ष

बालकों के लिए रक्षा कारक : छह मुखी रुद्राक्ष 

छह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कार्तिकेय भगवान् का प्रतीक है, जो देव सेना के सेनापति हैं , देवधिदेव महादेव के पुत्र हैं । इन्हे षण्मुख और स्कन्द भी कहा जाता है । 

यह शत्रुओं के निवारण के लिए अति लाभ दायक होने के कारण शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहलाता है 

यह बच्चों को नजर तथा नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाने मे सहायक होता है । 



धारण करने के नियम :-

मेरी बुद्धि के अनुसार भगवान शिव किसी बंधन मे नहीं हैं तो उनका अंश रुद्राक्ष धारण करने के लिए भी किसी नियम की आवश्यकता नहीं है । 

बालकों को वैसे भी छूट रहती है इसलिए इसे कोई भी पहन सकता है, जिसे भगवान शिव और जगदंबा पर पूर्ण विश्वास हो । 

शुद्धि अशुद्धि के विषय मे बेवजह चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है । 

शुद्धि अशुद्धि के विषय मे अगर आपको बहुत चिंता हो तो गंगा जल या शुद्ध जल से भरी कटोरी मे रुद्राक्ष रखकर 108 बार "ॐ नमः शिवाय " मंत्र पढ़ लेंगे तो शुद्ध हो जाएगा फिर उसे पहन सकते हैं । 


विशेष :-

किसी प्रकार का संकट आने या कोई तंत्र प्रयोग या नकारात्मक शक्ति के आपसे टकराने की स्थिति मे रुद्राक्ष फट जाता है और आपकी रक्षा करता है । ऐसी स्थिति मे रुद्राक्ष को जल मे विसर्जित कर देंगे और यथाशीघ्र नया रुद्राक्ष धारण कर लेंगे । 


यदि आप चाहें तो आपको छह मुखी रुद्राक्ष अभिमंत्रित करके हमारे संस्थान "अष्टलक्ष्मी पूजा सामग्री" द्वारा भेजा जा सकता है । 

इसका शुल्क मात्र 250=00 (रूपए दो सौ पचास मात्र ) होगा । इसमे पूजा,पेकेजिंग और पोस्टेज का खर्च शामिल है । जिसका भुगतान आप नीचे दिये QR कोड़ के माध्यम से कर सकते हैं । 



रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने के लिए आपको निम्नलिखित जानकारी 

मोबाइल नंबर 7000630499

पर व्हात्सप्प से भेजनी होगी :-

बालक/बालिका का नाम 

उसकी जन्मतिथि,स्थान,समय,गोत्र । [जो भी मालूम हो ] - इसके आधार पर रुद्राक्ष बालक/बालिका के नाम से अभिमंत्रित किया जाएगा । 

उपरोक्त जानकारी न हो तो एक लेटेस्ट फोटो, बिना चश्मे के । 

अपना पूरा डाक का पता, पिन कोड सहित । 

मोबाइल नंबर जिसपर आवश्यकता पड़ने पर पोस्टमेन आपसे संपर्क कर सके ।

पार्सल इंडिया पोस्ट के द्वारा स्पीड पोस्ट से भेजा जाएगा । 

यदि आप अन्य कूरियर सर्विस से प्राप्त करना चाहते हैं तो डिलिवरी कौरियर सर्विस से भेजा जा सकता है । उसके लिए अतिरिक्त शुल्क 100 रुपए आपको भेजना पड़ेगा ।


18 जून 2025

बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र

 बगलामुखी ब्रह्मास्त्र माला मंत्र





ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंक गृध्रोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस चरु भोजन प्रिये ! सिद्ध विद्याधर वृन्द वंदित चरणे बृह्मेशविष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरव प्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद नुद, सर्व शत्रुणां मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशय आवेशय, त्रुट त्रुट, त्रोटय त्रोटय, स्फुट स्फुट, स्फोटय स्फोटय, महाभूतान् जृम्भय जृम्भय, ब्रह्मराक्षसान उच्चाटय उच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय, मम शत्रुन उच्चाटय उच्चाटय,  शत्रून चूर्णय चूर्णय, सत्यं कथय कथय, वृक्षेभ्यः संन्नाशय संन्नाशय अर्कं स्तंभय स्तंभय , गरुड पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु, लीलांगालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय, शैलकाननमहीं मर्दय मर्दय, मुखं उत्पाटय उत्पाटय, पात्रं पूरय पूरय, भूतभविष्यं यत्सर्व कथय कथय, कृन्त कृन्त, दह दह, पच पच, मथ मथ, प्रमथ प्रमथ, घर्घर घर्घर, ग्रासय ग्रासय, विद्रावय विद्रावय उच्चाटय उच्चाटय, विष्णुचक्रेण वरुणपाशेन इन्द्रवज्रेण ज्वरं नाशय नाशय, प्रविदं स्फोटय स्फोटय , सर्वशत्रून मम वशं कुरु कुरु, पातालं प्रत्यंतरिक्षं आकाशग्रहं आनय आनय, करालि विकरालि महाकालि, रुद्रशक्ते पूर्वदिशं निरोधय निरोधयपश्चिमदिशं स्तम्भय स्तम्भयदक्षिणदिशं निधय निधयउत्तरदिशं बंधय बंधय, ह्रां ह्रीं ॐ बंधय बंधय, ज्वालामालिनी स्तम्भिनी मोहिनि, मुकुट विचित्र कुण्डल नागादि वासुकी कृत हारभूषणे मेखला चन्द्रार्कहास प्रभंजने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहास निलय निलय, हुं फट्, हुं फट् विजृंभित शरीरे सप्तद्वीप कृते ब्रह्माण्ड विस्तारित स्तन युगले असि मुसल परशु तोमर क्षुरिपाश हलेषु वीरान् शमय शमय, सहस्त्र बाहु परापरादिशक्ति विष्णु शरीरे, शंकर ह्रदयेश्वरी बगलामुखी ! सर्वदुष्टान् विनाशय विनाशय, हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लीं बगलामुखी ये केचनापकारिणः सन्ति, तेषां वाचं मुखं स्तम्भय स्तम्भय, जिह्वां कीलय कीलय, बुद्धिं विनाशय विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा !

ॐ ह्रीं हिली हिली सर्व शत्रुणां वाचं मुखं पदं स्तम्भय , शत्रुजिह्वां कीलय, शत्रूणां दृष्टिमुष्टि गति मति दंत तालु जिह्वां बंधय बंधय, मारय मारय, शोषय शोषय हुं फट् स्वाहा ।

 महाविद्या बगलामुखी की कृपा प्रदान करता है । 

स्तोत्र है इसलिए वे भी कर सकते हैं जिन्होंने गुरु दीक्षा नहीं ली है । लेकिन वे नित्य 11 पाठ से ज्यादा ना करें । 

नित्य क्षमतानुसार 1,3,5,7,9,11,16,21,33,51,108 पाठ करें ।


सामने सरसों के तेल का दीपक लगा लें । 
रात्री काल बेहतर है । 
पीले रंग का आसन और वस्त्र  । 
सात्विक विद्या है । 
ब्रह्मचर्य का पालन करें । 
सात्विक आचार विचार व्यवहार रखें  । 
नशा और मांसाहार निषेध है । 
उत्तर या पूर्व दिशा की ओर देखते हुए करें । 
शत्रु बाधा निवारण, तथा सर्वविध रक्षा के लिए उपयोगी है । 
नवरात्रि मे ज्यादा लाभ प्रदायक है । 

विधि :-

पहले दिन हाथ मे जल लेकर इच्छा बोलेंगे और माता के चरणों मे छोड़ देंगे । 

गुरु बनाया हो तो एक माला गुरु मंत्र की करें । 
अगर गुरु न हो तो एक माला निम्नलिखित मंत्र की करें :
।। ॐ गुं  गुरुभ्यो नमः ।। 

गुरु मंत्र का जाप रुद्राक्ष या किसी भी माला से कर सकते हैं । 

उसके बाद "ह्लीं " [ hleem ] मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने शरीर को सर से पाँव तक छू लेंगे और ऐसी भावना करेंगे कि देवी बगलामुखी आपके शरीर मे स्थापित हो रही हैं । 
इसके बाद पाठ प्रारंभ करें । 
पाठ की गिनती आप किसी भी चीज से कर सकते हैं , कागज पेंसिल पर भी कर सकते हैं । 

17 जून 2025

गुरुदेव के आडिओ वीडियो प्रवचन : सबके लिये

  

गुरुदेव के आडिओ वीडियो प्रवचन : सबके लिये 




मेरे गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी तंत्र तथा
आयुर्वेद के ख्याति प्राप्त विद्वान थे ।
उनका जन्म 21 अप्रेल सन 1935 को हुआ था ।
उनका देहांत 3 जुलाई 1998 में हो गया । 

उन्होंने विभिन्न विषयों पर लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा
किताबें लिखी हैं ।
किताबों के विषय ज्योतिष और हस्तरेखा शास्त्र से लेकर
तंत्र और पारद विद्या तक विस्तृत है । 
विश्व का सर्वप्रथम तांत्रिक उपन्यास " शमशान भैरवी" 
उन्होंने ही लिखा था । 
जब वे किसी विषय पर बोलते थे ...
तो उस पर लगातार घंटों बोल लेते थे । 
ऐसा लगता था ....
जैसे उनके कंठ में साक्षात
भगवती सरस्वती विराजमान हो ।  

मंत्रों का और साधनाओं का
उनके पास अकूत भंडार था । 
जब वे तांत्रिक प्रयोग कराते थे...
तो 30-32 पेज के मंत्र ...
जिनको बोलने में लगभग
आधा से 1 घंटे का समय लगता है
वह बिना कोई कागज देखें बोल लेते थे ।
चारों वेद उनको कंठस्थ थे ..... 

उन्होंने अपने जीवन काल में
अनेक बड़ी-बड़ी हस्तियों को मार्गदर्शन दिया है । 
ज्योतिष के क्षेत्र में उनकी राय को
भारत का ज्योतिष जगत प्रमाणित मानता रहा है ....
भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर
भूतपूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा
और ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी तक
उनके कई प्रतिष्ठित समर्थक रहे हैं । 

उनके कई प्रयोगों के ऑडियो और वीडियो आज भी उपलब्ध हैं
जिन्हें सुनकर आप लाभ उठा सकते हैं ।  

https://www.youtube.com/@Nikhileshwaranandji


16 जून 2025

श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम

श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम

 


बगलामुखी बीज मंत्र है [ह्लीं ] उच्चारण होगा [hleem]

 

देवी के सामने पीले पुष्प, पीले चावल, हल्दी नमः के उच्चारण के साथ समर्पित कर सकते हैं ।

 

1.   ह्लीं कठिनायै नमः ।

2.   ह्लीं कपर्दिन्यै नमः ।

3.   ह्लीं कलकारिण्यै नमः ।

4.   ह्लीं कलहायै नमः ।

5.   ह्लीं कलायै नमः ।

6.   ह्लीं कलिदुर्गतिनाशिन्यै नमः ।

7.   ह्लीं कलिहरायै नमः ।

8.   ह्लीं कल्किरूपायै नमः ।

9.   ह्लीं काल्यै नमः ।

10.                    ह्लीं किशोर्यै नमः ।

11.                    ह्लीं कृत्यायै नमः ।

12.                    ह्लीं कृष्णायै नमः ।

13.                    ह्लीं केवलायै नमः ।

14.                    ह्लीं केशवस्तुतायै नमः ।

15.                    ह्लीं केशवाराध्यायै नमः ।

16.                    ह्लीं केशव्यै नमः ।

17.                    ह्लीं कैवल्यदायिन्यै नमः ।

18.                    ह्लीं कोटिकन्दर्पमोहिन्यै नमः ।

19.                    ह्लीं कोटिसूर्यप्रतीकाशायै नमः ।

20.                    ह्लीं घनायै नमः ।

21.                    ह्लीं जामदग्न्यस्वरूपायै नमः ।

22.                    ह्लीं देवदानवसिद्धौघपूजितापरमेश्वर्यै नमः ।

23.                    ह्लीं नक्षत्रपतिवन्दितायै नमः ।

24.                    ह्लीं नक्षत्ररूपायै नमः ।

25.                    ह्लीं नक्षत्रायै नमः ।

26.                    ह्लीं नक्षत्रेशप्रपूजितायै नमः ।

27.                    ह्लीं नक्षत्रेशप्रियायै नमः ।

28.                    ह्लीं नगराजप्रपूजितायै नमः ।

29.                    ह्लीं नगात्मजायै नमः ।

30.                    ह्लीं नगाधिराजतनयायै नमः ।

31.                    ह्लीं नरसिंहप्रियायै नमः । 

32.                    ह्लीं नवीनायै नमः ।

33.                    ह्लीं नागकन्यायै नमः ।

34.                    ह्लीं नागजनन्यै नमः । 

35.                    ह्लीं नागराजप्रवन्दितायै नमः ।

36.                    ह्लीं नागर्यै नमः ।

37.                    ह्लीं नागिन्यै नमः ।

38.                    ह्लीं नागेश्वर्यै नमः ।

39.                    ह्लीं नित्यायै नमः ।

40.                    ह्लीं नीरदायै नमः ।

41.                    ह्लीं नीलायै नमः ।

42.                    ह्लीं परतन्त्रविनाशिन्यै नमः ।

43.                    ह्लीं पराणुरूपापरमायै नमः ।

44.                    ह्लीं पीतपुष्पप्रियायै नमः ।

45.                    ह्लीं पीतवसनापीतभूषणभूषितायै नमः ।

46.                    ह्लीं पीतस्वरूपिण्यै नमः ।

47.                    ह्लीं पीतहारायै नमः ।

48.                    ह्लीं पीतायै नमः ।

49.                    ह्लीं बगलायै नमः ।

50.                    ह्लीं बलदायै नमः ।

51.                    ह्लीं बहुदावाण्यै नमः ।

52.                    ह्लीं बहुलायै नमः ।

53.                    ह्लीं बुद्धभार्यायै नमः ।

54.                    ह्लीं बुद्धिरूपायै नमः ।

55.                    ह्लीं बौद्धपाखण्डखण्डिन्यै नमः ।

56.                    ह्लीं ब्रह्मरूपावराननायै नमः ।

57.                    ह्लीं भामिन्यै नमः ।

58.                    ह्लीं महाकूर्मायै नमः ।

59.                    ह्लीं महामत्स्यायै नमः ।

60.                    ह्लीं महारावणहारिण्यै नमः ।

61.                    ह्लीं महावाराहरूपिण्यै नमः ।

62.                    ह्लीं महाविष्णुप्रस्वै नमः ।

63.                    ह्लीं मायायै नमः ।

64.                    ह्लीं मोहिन्यै नमः ।

65.                    ह्लीं यक्षिण्यै नमः ।

66.                    ह्लीं रक्तायै नमः ।

67.                    ह्लीं रम्यायै नमः ।

68.                    ह्लीं रागद्वेषकर्यै नमः ।

69.                    ह्लीं रात्र्यै नमः ।

70.                    ह्लीं रामप्रपूजितायै नमः ।

71.                    ह्लीं रामायै नमः ।

72.                    ह्लीं रिपुत्रासकर्यै नमः ।

73.                    ह्लीं रुद्रदेवतायै नमः ।

74.                    ह्लीं रुद्रमूर्त्यै नमः ।

75.                    ह्लीं रुद्ररूपायै नमः ।

76.                    ह्लीं रुद्राण्यै नमः ।

77.                    ह्लीं रेखायै नमः ।

78.                    ह्लीं रौरवध्वंसकारिण्यै नमः ।

79.                    ह्लीं लङ्कानाथकुलहरायै नमः ।

80.                    ह्लीं लङ्कापतिध्वंसकर्यै नमः ।

81.                    ह्लीं लङ्केशरिपुवन्दितायै नमः ।

82.                    ह्लीं वटुरूपिण्यै नमः ।

83.                    ह्लीं वरदाऽऽराध्यायै नमः ।

84.                    ह्लीं वरदानपरायणायै नमः ।

85.                    ह्लीं वरदायै नमः ।

86.                    ह्लीं वरदेशप्रियावीरायै नमः ।

87.                    ह्लीं वसुदायै नमः ।

88.                    ह्लीं वामनायै नमः ।

89.                    ह्लीं विष्णुवनितायै नमः ।

90.                    ह्लीं विष्णुशङ्करभामिन्यै नमः ।

91.                    ह्लीं वीरभूषणभूषितायै नमः ।

92.                    ह्लीं वेदमात्रे नमः ।

93.                    ह्लीं शत्रुसंहारकारिण्यै नमः ।

94.                    ह्लीं शुभायै नमः ।

95.                    ह्लीं शुभ्रायै नमः ।

96.                    ह्लीं श्यामायै नमः ।

97.                    ह्लीं श्वेतायै नमः ।

98.                    ह्लीं सिद्धनिवहायै नमः ।

99.                    ह्लीं सिद्धिरूपिण्यै नमः ।

100.              ह्लीं सिद्धेशायै नमः ।

101.              ह्लीं सुन्दर्यै नमः ।

102.              ह्लीं सौन्दर्यकारिण्यै नमः ।

103.              ह्लीं सौभगायै नमः ।

104.              ह्लीं सौभाग्यदायिन्यै नमः ।

105.              ह्लीं सौम्यायै नमः ।

106.              ह्लीं स्तम्भिन्यै नमः ।

107.              ह्लीं स्वर्गगतिप्रदायै नमः ।

108.              ह्लीं स्वर्णाभायै नमः ।