एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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24 जनवरी 2014
21 जनवरी 2014
मातंगी साधना
॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥
- मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
- यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.
विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
मातंगी विशेषांक
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साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है.
साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .
इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .
देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .
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वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न. 5 प्लाट न. 210
एम.पी.नगर
भोपाल [म.प्र.] 462011
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साधना सिद्धि विज्ञान एक मासिक पत्रिका है , 250 रुपये इसका वार्षिक शुल्क है .
यह पत्रिका आपको एक साल तक हर महीने मिलेगी .
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पत्रिका सदस्यता, समस्या तथा विभिन्न साधनात्मक जानकारियों तथा निशुल्क दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681
19 जनवरी 2014
16 जनवरी 2014
11 जनवरी 2014
भुवनेश्वरी साधना शिविर : १४ जनवरी : भिलाई
भुवनेश्वरी साधना शिविर
भिलाई [छत्तीसगढ़]
मकर संक्रांति
१४ जनवरी २०१४
मंगलवार
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा
गुरुमाता डॉ साधना सिंह जी के सानिध्य में
इस साधना शिविर में होंगे
- संपूर्ण भुवनेश्वरी पूजन .
- साधनात्मक मार्गदर्शन.
- विशिष्ट साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं. साधनात्मक मन्त्र तथा सम्बंधित विधि विधान की जानकारी.
- गुरुदेव तथा माताजी से व्यक्तिगत मार्गदर्शन.
विस्तृत विवरण हेतु संपर्क :-
भुवनेश्वरी महाविद्या
॥ ह्रीं ॥
- भुवनेश्वरी महाविद्या समस्त सृष्टि की माता हैं
- हमारे जीवन के लिये आवश्यक अमृत तत्व वे हैं.
- इस मन्त्र का नित्य जाप आपको उर्जावान बनायेगा.
- सात्विक साधना है, सकारात्मक ऊर्जा का अकूत भण्डार है .
- आर्थिक समृद्धि तथा ऐश्वर्य के लिए भी माता भुवनेश्वरी की साधना की जाती है.
- नवार्ण मंत्र में लगे तीन बीज मन्त्रों में बीच वाला बीज मंत्र महाविद्या भुवनेश्वरी का है.
- भुवनेश्वरी साधना से अन्नपूर्ण सिद्धि स्वयमेव प्राप्त हो जाती है.
- सात्विक साधनों में इसे सर्वोच्च साधना माना गया है.
- माता भुवनेश्वरी की निरंतर साधना से साधक की कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो जाती है.
- महाविद्या भुवनेश्वरी की साधना कर लेने से दश महाविद्याओं की साधना का मार्ग सहज तथा सरल हो जाता है.
10 जनवरी 2014
साधना सिद्धि विज्ञान : भुवनेश्वरी महाविद्या विशेषांक
भुवनेश्वरी विशेषांक |
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4 जनवरी 2014
छिन्नमस्ता साधना मन्त्र
॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥
नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....
प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
1 जनवरी 2014
नव वर्ष
नववर्ष आपके लिये मंगलमय हो...
गुरुकृपा जीवन का आधार है..........
आपको जीवन मे श्रेष्ठ गुरु का सानिध्य प्राप्त हो ऐसी ही शुभकामना है......
न गुरोरधिकम....
न गुरोरधिकम....
न गुरोरधिकम....
.........शिव शासनतः.........
......................शिव शासनतः......................
....................................शिव शासनतः....................................
॥ ॐ शम ॥
27 दिसंबर 2013
महाकाल रमणी स्तोत्रं
माँ
शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
महाकाल प्रियायै चतुःषष्टि कला पूरिते |
घोराट्टहास कारिणे प्रचण्ड रूपिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
मेरी अद्भुत स्वरूपिणी महामाया जो शव के आसन पर भयंकर रूप धारण कर
विराजमान है, जो काल के अधिपति महाकाल की प्रिया हैं, जो चौंषठ कलाओं से
युक्त हैं, जो भयंकर अट्टहास से संपूर्ण जगत को कंपायमान करने में समर्थ हैं,
ऐसी प्रचंड स्वरूपा मातृरूपा महाकाली की मैं सदैव अर्चना करता हूं |
उन्मुक्त केशी दिगम्बर रूपे,
रक्त प्रियायै श्मशानालय संस्थिते ।
सद्य नर मुंड माला धारिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
जिनकी केशराशि उन्मुक्त झरने के समान है ,जो पूर्ण दिगम्बरा हैं, अर्थात हर
नियम, हर अनुशासन,हर विधि विधान से परे हैं , जो श्मशान की अधिष्टात्री
देवी हैं ,जो रक्तपान प्रिय हैं , जो ताजे कटे नरमुंडों की माला धारण किये हुए है
ऐसी प्रचंड स्वरूपा महाकाल रमणी महाकाली की मैं सदैव आराधना करता हूं |
क्षीण कटि युक्ते पीनोन्नत स्तने,
केलि प्रियायै हृदयालय संस्थिते।
कटि नर कर मेखला धारिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
अद्भुत सौन्दर्यशालिनी महामाया जिनकी कटि अत्यंत ही क्षीण है और जो अत्यंत
उन्नत स्तन मंडलों से सुशोभित हैं, जिनको केलि क्रीडा अत्यंत प्रिय है और वे
सदैव मेरे ह्रदय रूपी भवन में निवास करती हैं . ऐसी महाकाल प्रिया महाकाली
जिनके कमर में नर कर से बनी मेखला सुशोभित है उनके श्री चरणों का मै
सदैव अर्चन करता हूं ||
खङग चालन निपुणे रक्त चंडिके,
युद्ध प्रियायै युद्धुभूमि संस्थिते ।
महोग्र रूपे महा रक्त पिपासिनीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
देव सेना की महानायिका, जो खड्ग चालन में अति निपुण हैं, युद्ध जिनको
अत्यंत प्रिय है, असुरों और आसुरी शक्तियों का संहार जिनका प्रिय खेल है,जो
युद्ध भूमि की अधिष्टात्री हैं , जो अपने महान उग्र रूप को धारण कर शत्रुओं का
रक्तपान करने को आतुर रहती हैं , ऐसी मेरी मातृस्वरूपा महामाया महाकाल
रमणी महाकाली को मै सदैव प्रणाम करता हूं |
मातृ रूपिणी स्मित हास्य युक्ते,
प्रेम प्रियायै प्रेमभाव संस्थिते ।
वर वरदे अभय मुद्रा धारिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
जो सारे संसार का पालन करने वाली मातृस्वरूपा हैं, जिनके मुख पर सदैव
अभय भाव युक्त आश्वस्त करने वाली मंद मंद मुस्कुराहट विराजमान रहती है ,
जो प्रेममय हैं जो प्रेमभाव में ही स्थित हैं , हमेशा अपने साधकों को वर प्रदान
करने को आतुर रहने वाली ,अभय प्रदान करने वाली माँ महाकाली को मै उनके
सहस्र रूपों में सदैव प्रणाम करता हूं |
|| इति श्री निखिल शिष्य अनिल शेखर कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम
||
25 दिसंबर 2013
काल भैरव मंत्र
काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||
विधि :-
- रात्रि कालीन साधना है.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहां लगाकर हवं कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- कलि मिर्च , तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
21 दिसंबर 2013
6 दिसंबर 2013
2 दिसंबर 2013
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
- नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
- जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
- यथा संभव मौन रहेंगे.
- किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.
- यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं.
- यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
- यह साधना वैराग्य की साधना है.
- यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
- यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
- इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.
30 नवंबर 2013
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