4 जून 2012

गुरुमाता डा साधना सिंह : जन्म दिवस










मेरी आदरणीय गुरुमाता : डा. साधना सिंह



आज जिनका जन्मदिवस है.





निखिलकृपा से आप शतायु हों.....
शिष्यों पर आप अपना वात्सल्य इसी प्रकार लुटाती रहें......

और

साधकॊं को मार्गदर्शन देती रहें...........


 निरोगधाम तथा अन्यान्य पत्रिकाओं में होम्योपैथी तथा योग पर विहंगम लेख लिखने वाली योग विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होमियोपैथी विशेषज्ञ, और गुरुदेव डा. नारायण दत्त श्रीमाली जी की प्रिय शिष्या, गुरुमाता डा. साधना सिंह

डा. साधना सिंह तन्त्र क्षेत्र की गिनी चुनी स्त्री गुरुओं में से एक हैं, जो दश महाविद्या साधनाओं मे अग्रणी हैं.


 -:   गुरुवचन  :-



ज्ञान की इतनी ऊंचाई पर बैठ्कर भी साधकों तथा जिज्ञासुओं के लिये वे सहज ही उपलब्ध हैं. आप यदि साधनात्मक मार्गदर्शन चाहते हैं तो आप भी संपर्क कर सकते हैं.

गुरु माता डा. साधना सिंह जी से सीधे सम्पर्क का समय :
दोपहर १ से  बजे तक (रविवार अवकाश)
दूरभाष : (0755) --- 4221116







26 मई 2012

तारा साधना



॥ ॐ तारा तूरी स्वाहा ॥

  • रात्रिकालीन साधना.
  • ज्येष्ठ मास मे विशेष लाभ दायक.
  • गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा.
  • एकांत वास करें.
  • सवा लाख जाप का पुरश्चरण है.
  • ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.

11 मई 2012

धूमावती मंत्रम




॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥

  • सर्व बाधा निवारण हेतु.

  • मंगल या शनिवार से प्रारंभ करें.

  •  ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

  • सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें. 

  • यथा संभव मौन रहें. 

  • अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें. 

  • सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें.  

  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें. 

  • बेसन के पकौडे का भोग लगायें. 

  • जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.

  • ११००० जाप करें. ११०० मंत्रों से हवन करें.मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर हवन सामग्री को आग में छोडें. हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.

  •  
  • जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.

4 मई 2012

तारा तान्त्रोक्त मन्त्रम




  • तारा काली कुल की महविद्या है । 

  • तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है । 

  • यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुन्चा देती है।

  • गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

  • साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है । 

  • ज्येष्ठ मास तारा साधना का सबसे उपयुक्त समय है ।







तारा मंत्रम

 ॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥






  1. मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  2. यह रात्रिकालीन साधना है. 
  3. गुरुवार से प्रारंभ करें. 
  4. गुलाबी वस्त्र/आसन/कमरा रहेगा.
  5. उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  6. यथासंभव एकांत वास करें.
  7. सवा लाख जाप का पुरश्चरण है. 
  8. ब्रह्मचर्य/सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  10. क्रोध और बकवास ना करें.
  11. साधना को गोपनीय रखें.


प्रतिदिन तारा त्रैलोक्य विजय कवच का एक पाठ अवश्य करें. यह आपको निम्नलिखित ग्रंथों से प्राप्त हो जायेगा.

21 अप्रैल 2012

तांत्रोक्त गुरु पूजन



साधना के क्षेत्र में गुरु को सर्वोपरि माना गया है.
आप यदि साधना के क्षेत्र में आगे बढना चाहते हैं तो  तांत्रोक्त गुरु पूजन संपन्न करें आपको गुरु कृपा का प्रत्यक्ष अनुभव होगा.









कुंडलिनी जागरण और दुर्लभोपनिषद

कुंडलिनी जागरण की एक अद्भुत विधि जो पूज्य गुरुदेव


डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी 


के द्वारा इस प्रवचन में स्पष्ट की गई है

दुर्लभोपनिषद






सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी : जन्म दिवस




21 अप्रेल : जन्मदिवस

मेरे परम आदरणीय पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी जो सामान्यतः डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के नाम से जाने जाते हैं .

तन्त्र साधनाओं के पुरोधा, ज्योतिष विद्या के अनन्य ज्ञाता और कर्मकाण्ड के सिद्धहस्त विद्वान.

भारतवर्ष से लगभग विलुप्त हो चुकी आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का भागीरथ प्रयत्न करने वाले युगपुरुष......

संपूर्ण विश्व में साधनारत करोडों शिष्यों को साधना का अमृतपान कराने वाले जगद्गुरु के चरणों में सादर नमन..............

मैं आज इस क्षेत्र मे जो भी अल्प ज्ञान प्राप्त कर पाया हूं वह मेरे गुरु की अहेतुकि कृपा है.

मेरी लेखनी में वह क्षमता नहीं है कि मेरे सद्गुरुदेव के विराट व्यक्तित्व का अंश मात्र भी वर्णन कर सके....

क्षमस्व गुरुदेव ...
क्षमस्व गुरुदेव ......
क्षमस्व गुरुदेव .........

न गुरोरधिकम...........
न गुरोरधिकम...........................
न गुरोरधिकम.............................................


































ब्रह्माण्डमय निखिलेश्वरानंद साधना




परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥

...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........



  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी तंत्र साधनाओं के सर्वोच्च गुरु हैं. इनकी साधना से साधनाओं में शीघ्र सफ़लता मिलती है और कुंडलिनी शक्ति का जागरण होता है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ यथाशक्ति जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.

सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी : जन्म दिवस



21 अप्रेल : जन्मदिवस

मेरे परम आदरणीय पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी जो सामान्यतः डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के नाम से जाने जाते हैं .

तन्त्र साधनाओं के पुरोधा, ज्योतिष विद्या के अनन्य ज्ञाता और कर्मकाण्ड के सिद्धहस्त विद्वान.

भारतवर्ष से लगभग विलुप्त हो चुकी आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का भागीरथ प्रयत्न करने वाले युगपुरुष......

संपूर्ण विश्व में साधनारत करोडों शिष्यों को साधना का अमृतपान कराने वाले जगद्गुरु के चरणों में सादर नमन..............

मैं आज इस क्षेत्र मे जो भी अल्प ज्ञान प्राप्त कर पाया हूं वह मेरे गुरु की अहेतुकि कृपा है.


मेरी लेखनी में वह क्षमता नहीं है कि मेरे सद्गुरुदेव के विराट व्यक्तित्व का अंश मात्र भी वर्णन कर सके....


क्षमस्व गुरुदेव ...
क्षमस्व गुरुदेव ......
क्षमस्व गुरुदेव .........


न गुरोरधिकम...........
न गुरोरधिकम...........................
न गुरोरधिकम.............................................






































20 अप्रैल 2012

विराट गुरु श्रृंखला


जगद्गुरु भगवान शिव




सिद्धाश्रम के अधिपति
दादा गुरुदेव 
प्रातः स्मरणीय
 स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज



पूज्यपाद सद्गुरुदेव
डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी]

                                                
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गुरुमाता डॉ . साधना सिंह  जी                                                                       गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
                                                                                                       

निखिल पंचकम






आदोवदानं परमं सदेहं, प्राण प्रमेयं पर संप्रभूतम ।
पुरुषोत्तमां पूर्णमदैव रुपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ १॥


अहिर्गोत रूपं सिद्धाश्रमोयं, पूर्णस्वरूपं चैतन्य रूपं ।
दीर्घोवतां पूर्ण मदैव नित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ २॥


ब्रह्माण्ड्मेवं ज्ञानोर्णवापं,सिद्धाश्रमोयं सवितं सदेयं ।
अजन्मं प्रवां पूर्ण मदैव चित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ३॥


गुरुर्वै त्वमेवं प्राण त्वमेवं, आत्म त्वमेवं श्रेष्ठ त्वमेवं ।
आविर्भ्य पूर्ण मदैव रूपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ४॥


प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं परेशां,प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं विवेशां ।
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं सुरेशां, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ५॥




मन्त्र रहस्य [ लेखक - डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली]



मन्त्र तथा उससे संबंधित सभी जानकारियों का भंडार है यह पुस्तक.