अघोर साधनाएं जीवन की सबसे अद्भुत साधनाएं हैं
अघोरेश्वर महादेव की साधना उन लोगों को करनी चाहिए जो समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शिव गण बनने की इच्छा रखते हैं.
इस साधना से आप को संसार से धीरे धीरे विरक्ति होनी शुरू हो जायेगी इसलिए विवाहित और विवाह सुख के अभिलाषी लोगों को यह साधना नहीं करनी चाहिए.
- यह  साधना  अमावस्या से प्रारंभ होकर अगली अमावस्या तक की जाती है.
 
- यह  दिगंबर साधना है.
 
- एकांत कमरे में साधना होगी.
 
- स्त्री से संपर्क तो दूर की बात है बात भी नहीं करनी है.
 
- भोजन  कम से कम और खुद पकाकर खाना है.
 
- यथा  संभव मौन रहना है.
 
- क्रोध,विवाद,प्रलाप, न करे.
 
- गोबर के कंडे जलाकर उसकी राख बना लें.
 
- स्नान करने के बाद बिना शरीर  पोछे साधना कक्ष में प्रवेश करें.
 
- अब राख को अपने पूरे शरीर में मल लें.
 
- जमीन पर बैठकर मंत्र जाप करें.
 
- माला या यन्त्र की आवश्यकता नहीं है.
 
- जप की संख्या अपने क्षमता के अनुसार तय करें.
 
- आँख बंद करके दोनों नेत्रों के बीच वाले स्थान पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हुए जाप करें.
 
- जाप  के बाद भूमि पर सोयें.
 
- उठने के बाद स्नान कर सकते हैं.
 
- यदि एकांत उपलब्ध हो तो पूरे साधना काल में दिगंबर रहें. यदि यह संभव न हो तो काले रंग का वस्त्र पहनें.
 
- साधना के दौरान तेज बुखार, भयानक दृश्य और आवाजें आ सकती हैं. इसलिए कमजोर मन वाले साधक और बच्चे इस साधना को किसी हालत में न करें.
 
- गुरु दीक्षा ले चुके साधक ही अपने गुरु से अनुमति लेकर इस साधन को करें.
 
- जाप से पहले कम से कम १ माला गुरु मन्त्र का जाप अनिवार्य है.
 
|||| अघोरेश्वराय हूं ||||