एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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12 फ़रवरी 2014
11 फ़रवरी 2014
9 फ़रवरी 2014
शिव शासनतः ! शिव शासनतः !! शिव शासनतः !!!
शिवलिंग की महिमा
भगवान शिव के पूजन मे शिवलिंग का प्रयोग होता है। शिवलिंग के निर्माण के लिये स्वर्णादि विविध धातुओं, मणियों, रत्नों, तथा पत्थरों से लेकर मिटृी तक का उपयोग होता है।इसके अलावा रस अर्थात पारे को विविध क्रियाओं से ठोस बनाकर भी लिंग निर्माण किया जाता है,
इसके बारे में कहा गया है कि,
इसके बारे में कहा गया है कि,
मृदः कोटि गुणं स्वर्णम, स्वर्णात्कोटि गुणं मणिः,
मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः
रसात्परतरं लिंगं न भूतो न भविष्यति ॥
मणेः कोटि गुणं बाणो, बाणात्कोटि गुणं रसः
रसात्परतरं लिंगं न भूतो न भविष्यति ॥
अर्थात मिटृी से बने शिवलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल सोने से बने शिवलिंग के पूजन से, स्वर्ण से करोड गुणा ज्यादा फल मणि से बने शिवलिंग के पूजन से, मणि से करोड गुणा ज्यादा फल बाणलिंग से तथा बाणलिंग से करोड गुणा ज्यादा फल रस अर्थात पारे से बने शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है। आज तक पारे से बने शिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग न तो बना है और न ही बन सकता है।
शिवलिंगों में नर्मदा नदी से प्राप्त होने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग भी अत्यंत लाभप्रद तथा शिवकृपा प्रदान करने वाले माने गये हैं। यदि आपके पास शिवलिंग न हो तो अपने बांये हाथ के अंगूठे को शिवलिंग मानकर भी पूजन कर सकते हैं ।
शिवलिंग कोई भी हो जब तक भक्त की भावना का संयोजन नही होता तब तक शिवकृपा नही मिल सकती।
शिवलिंग कोई भी हो जब तक भक्त की भावना का संयोजन नही होता तब तक शिवकृपा नही मिल सकती।
8 फ़रवरी 2014
मेरे आराध्य : जगद्गुरु : महादेव शिव : विवेचन
देवाधिदेव - भगवान शिव
भगवान शिव ने भगवती के आग्रह पर अपने लिए सोने की लंका का निर्माण किया था । गृहप्रवेश से पूर्व पूजन के लिए उन्होने अपने असुर शिष्य व प्रकाण्ड विद्वान रावण को आमंत्रित किया था । दक्षिणा के समय रावण ने वह लंका ही दक्षिणा में मांग ली और भगवान शिव ने सहजता से लंका रावण को दान में दे दी तथा वापस कैलाश लौट आए । ऐसी सहजता के कारण ही वे ÷भोलेनाथ' कहलाते हैं । ऐसे भोले भंडारी की कृपा प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होने के लिए शिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण पर्व है।
भगवान शिव का स्वरुप अन्य देवी देवताओं से बिल्कुल अलग है।जहां अन्य देवी-देवताओं को वस्त्रालंकारों से सुसज्जित और सिंहासन पर विराजमान माना जाता है,वहां ठीक इसके विपरीत शिव पूर्ण दिगंबर हैं,अलंकारों के रुप में सर्प धारण करते हैं और श्मशान भूमि पर सहज भाव से अवस्थित हैं। उनकी मुद्रा में चिंतन है, तो निर्विकार भाव भी है!आनंद भी है और लास्य भी। भगवान शिव को सभी विद्याओं का जनक भी माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि हैं और अंत भी। यही नही वे संगीत के आदिसृजनकर्ता भी हैं, और नटराज के रुप में कलाकारों के आराध्य भी हैं। वास्तव में भगवान शिव देवताओं में सबसे अद्भुत देवता हैं । वे देवों के भी देव होने के कारण ÷महादेव' हैं तो, काल अर्थात समय से परे होने के कारण ÷महाकाल' भी हैं । वे देवताओं के गुरू हैं तो, दानवों के भी गुरू हैं । देवताओं में प्रथमाराध्य, विनों के कारक व निवारणकर्ता, भगवान गणपति के पिता हैं तो, जगद्जननी मां जगदम्बा के पति भी हैं । वे कामदेव को भस्म करने वाले हैं तो, ÷कामेश्वर' भी हैं । तंत्र साधनाओं के जनक हैं तो संगीत के आदिगुरू भी हैं । उनका स्वरुप इतना विस्तृत है कि उसके वर्णन का सामर्थ्य शब्दों में भी नही है।सिर्फ इतना कहकर ऋषि भी मौन हो जाते हैं किः-
असित गिरिसमम स्याद कज्जलम सिंधु पात्रे, सुरतरुवर शाखा लेखनी पत्रमुर्वी ।
लिखति यदि गृहीत्वा शारदासर्वकालम, तदपि तव गुणानाम ईश पारम न याति॥
अर्थात यदि समस्त पर्वतों को, समस्त समुद्रों के जल में पीसकर उसकी स्याही बनाइ जाये, और संपूर्ण वनों के वृक्षों को काटकर उसको कलम या पेन बनाया जाये और स्वयं साक्षात, विद्या की अधिष्ठात्री, देवी सरस्वती उनके गुणों को लिखने के लिये अनंतकाल तक बैठी रहें तो भी उनके गुणों का वर्णन कर पाना संभव नही होगा। वह समस्त लेखनी घिस जायेगी! पूरी स्याही सूख जायेगी मगर उनका गुण वर्णन समाप्त नही होगा। ऐसे भगवान शिव का पूजन अर्चन करना मानव जीवन का सौभाग्य है ।
भगवान शिव के पूजन की अनेकानेक विधियां हैं।इनमें से प्रत्येक अपने आप में पूर्ण है और आप अपनी इच्छानुसार किसी भी विधि से पूजन या साधना कर सकते हैं।भगवान शिव क्षिप्रप्रसादी देवता हैं,अर्थात सहजता से वे प्रसन्न हो जाते हैं और अभीप्सित कामना की पूर्ति कर देते हैं। भगवान शिव के पूजन की कुछ सहज विधियां प्रस्तुत कर रहा हूं।इन विधियों से प्रत्येक आयु, लिंग, धर्म या जाति का व्यक्ति पूजन कर सकता है और भगवान शिव की यथा सामर्थ्य कृपा भी प्राप्त कर सकता है।
भगवान शिव पंचाक्षरी मंत्रः-
॥ ऊं नमः शिवाय ॥
यह भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है। इस मंत्र का जाप आप चलते फिरते भी कर सकते हैं।अनुष्ठान के रूप में इसका जाप ग्यारह लाख मंत्रों का किया जाता है । विविध कामनाओं के लिये इस मंत्र का जाप किया जाता है।
बीजमंत्र संपुटित महामृत्युंजय शिव मंत्रः-
॥ ऊं हौं ऊं जूं ऊं सः ऊं भूर्भुवः ऊं स्वः ऊं त्रयंबकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम,
उर्वारुकमिव बंधनात मृत्युर्मुक्षीय मामृतात ऊं स्वः ऊं भूर्भुवः ऊं सः ऊं जूं ऊं हौं ऊं ॥
भगवान शिव का एक अन्य नाम महामृत्युंजय भी है।जिसका अर्थ है, ऐसा देवता जो मृत्यु पर विजय प्राप्त कर चुका हो। यह मंत्र रोग और अकाल मृत्यु के निवारण के लिये सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसका जाप यदि रोगी स्वयं करे तो सर्वश्रेष्ठ होता है। यदि रोगी जप करने की सामर्थ्य से हीन हो तो,
परिवार का कोई सदस्य या फिर कोई ब्राह्मण रोगी के नाम से मंत्र जाप कर सकता है। इसके लिये संकल्प इस प्रकार लें, ÷÷मैं(अपना नाम) महामृत्युंजय मंत्र का जाप, (रोगी का नाम) के रोग निवारण के निमित्त कर रहा हॅू
ं, भगवान महामृत्युंजय उसे पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें''। इस मंत्र के जाप के लिये सफेद वस्त्र तथा आसन का प्रयोग ज्यादा श्रेष्ठ माना गया है।रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें।
परिवार का कोई सदस्य या फिर कोई ब्राह्मण रोगी के नाम से मंत्र जाप कर सकता है। इसके लिये संकल्प इस प्रकार लें, ÷÷मैं(अपना नाम) महामृत्युंजय मंत्र का जाप, (रोगी का नाम) के रोग निवारण के निमित्त कर रहा हॅू
ं, भगवान महामृत्युंजय उसे पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें''। इस मंत्र के जाप के लिये सफेद वस्त्र तथा आसन का प्रयोग ज्यादा श्रेष्ठ माना गया है।रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें।
4 फ़रवरी 2014
शिव शक्ति मन्त्र
॥ ऊं सांब सदाशिवाय नमः ॥
लाभ - यह शिव तथा शक्ति की कृपा प्रदायक है.
विधि ---
- नवरात्रि में जाप करें.
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- सफ़ेद या लाल रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा पूर्व तथा उत्तर के बीच [ईशान] की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें अन्यथा नींद आयेगी.
28 जनवरी 2014
निखिल तंत्र विशेषांक
साधना सिद्धि विज्ञान
निखिल तंत्र विशेषांक
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http://www.nikhildham.org/ssv/2002/0031_May_2002.PDF
साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है.
साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .
इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .
देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .
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वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न. 5 प्लाट न. 210
एम.पी.नगर
भोपाल [म.प्र.] 462011
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साधना सिद्धि विज्ञान एक मासिक पत्रिका है , 250 रुपये इसका वार्षिक शुल्क है .
यह पत्रिका आपको एक साल तक हर महीने मिलेगी .
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पत्रिका सदस्यता, समस्या तथा विभिन्न साधनात्मक जानकारियों तथा निशुल्क दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681
24 जनवरी 2014
21 जनवरी 2014
मातंगी साधना
॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥
- मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
- यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.
विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
मातंगी विशेषांक
पत्रिका पर क्लिक करें तथा पीडीऍफ़ फॉर्मेट में पत्रिका पढ़ें.
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19 जनवरी 2014
16 जनवरी 2014
11 जनवरी 2014
भुवनेश्वरी साधना शिविर : १४ जनवरी : भिलाई
भुवनेश्वरी साधना शिविर
भिलाई [छत्तीसगढ़]
मकर संक्रांति
१४ जनवरी २०१४
मंगलवार
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा
गुरुमाता डॉ साधना सिंह जी के सानिध्य में
इस साधना शिविर में होंगे
- संपूर्ण भुवनेश्वरी पूजन .
- साधनात्मक मार्गदर्शन.
- विशिष्ट साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं. साधनात्मक मन्त्र तथा सम्बंधित विधि विधान की जानकारी.
- गुरुदेव तथा माताजी से व्यक्तिगत मार्गदर्शन.
विस्तृत विवरण हेतु संपर्क :-
भुवनेश्वरी महाविद्या
॥ ह्रीं ॥
- भुवनेश्वरी महाविद्या समस्त सृष्टि की माता हैं
- हमारे जीवन के लिये आवश्यक अमृत तत्व वे हैं.
- इस मन्त्र का नित्य जाप आपको उर्जावान बनायेगा.
- सात्विक साधना है, सकारात्मक ऊर्जा का अकूत भण्डार है .
- आर्थिक समृद्धि तथा ऐश्वर्य के लिए भी माता भुवनेश्वरी की साधना की जाती है.
- नवार्ण मंत्र में लगे तीन बीज मन्त्रों में बीच वाला बीज मंत्र महाविद्या भुवनेश्वरी का है.
- भुवनेश्वरी साधना से अन्नपूर्ण सिद्धि स्वयमेव प्राप्त हो जाती है.
- सात्विक साधनों में इसे सर्वोच्च साधना माना गया है.
- माता भुवनेश्वरी की निरंतर साधना से साधक की कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो जाती है.
- महाविद्या भुवनेश्वरी की साधना कर लेने से दश महाविद्याओं की साधना का मार्ग सहज तथा सरल हो जाता है.
10 जनवरी 2014
साधना सिद्धि विज्ञान : भुवनेश्वरी महाविद्या विशेषांक
भुवनेश्वरी विशेषांक |
पीडीऍफ़ फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें :-
4 जनवरी 2014
छिन्नमस्ता साधना मन्त्र
॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥
नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....
प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है.
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. यह रात्रिकालीन साधना है. नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
1 जनवरी 2014
नव वर्ष
नववर्ष आपके लिये मंगलमय हो...
गुरुकृपा जीवन का आधार है..........
आपको जीवन मे श्रेष्ठ गुरु का सानिध्य प्राप्त हो ऐसी ही शुभकामना है......
न गुरोरधिकम....
न गुरोरधिकम....
न गुरोरधिकम....
.........शिव शासनतः.........
......................शिव शासनतः......................
....................................शिव शासनतः....................................
॥ ॐ शम ॥
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