होलिका दहन की रात्रि विभिन्न साधनाओं के लिए एक अत्यंत ही विशिष्ट रात्रि है. इस रात्रि षटकर्म से सम्बंधित उग्र प्रयोग सबसे ज्यादा किये जाते हैं. समस्त प्रकार की बाधाओं की शांति के लिए एक आसान सा प्रयोग प्रस्तुत है :-
सामग्री :-
- एक पानी वाला नारियल.
- सवा मीटर काला/लाल कपडा .
- सिन्दूर.
- काले रंग का धागा ,लगभग 10 मीटर .
- एक कैंची .
विधि :-
होलिका दहन की शाम 6 से रात्रि 3 के बिच किसी भी समय इस प्रयोग को कर सकते हैं.
- सबसे पहले गुरु मंत्र का २१ बार जाप करें. [यदि आपके कोई गुरु न हो तो " ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः " इस मंत्र का जप करें गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी को प्रणाम करें ] गुरुदेव से प्रार्थना करें की मेरी समस्त बाधाओं की शांति करें.
- मंत्र जाप के बीच में उठना नहीं है , इसलिए पानी पेशाब पहले करके बैठें.
- स्नान करना जरुरी नहीं है हाथ पैर धोकर बैठ सकते हैं.
- अब सामने कपडे को बिछा लें.
- नारियल को सामने रख लें .
- अपनी बाधा का स्मरण कर अपने ऊपर इस काले धागे को लपेट दें.
- अब ["ॐ भ्रम भैरवाय फट "] मंत्र का आधे घंटे तक जाप करें.
- अब धागे को कैंची से काट दें काटते समय मन में भावना रखें की काल भैरव आपकी समस्त बाधाओं को काट रहे हैं.
- अब नारियल लेकर 7 बार सर से पैर तक यानि ऊपर से निचे फेर दें [इसे उतारा कहते हैं ].
- गर्भवती स्त्री हो तो केवल सर पर सात बार घुमा दें ऊपर से निचे तक न लायें.
- इस नारियल को कपडे के बीच रख दें. सिन्दूर से उसपर 9 बिंदियाँ लगायें.
- अब काले धागे के कटे टुकड़ों को भी उसी कपडे में रख दें .
- बचा हुआ सिन्दूर भी उसी में दाल दें और कपडे की पोटली बना लें,
- इस पोटली को रात्री में ही या फिर सुबह किसी निर्जन स्थान पर छोड़ दें और पीछे मुड़कर देखे बिना लौट आयें.
- घर के बाहर हाथ पैर धो लें अपने ऊपर थोडा पानी छिड़क लें तब अन्दर घुसें.
- पुनः पूजा स्थान में बैठकर १०८ बार भैरव मंत्र का जाप करें.
- २१ बार गुरु मंत्र करें.
- क्षमा प्रार्थना करें .
- इस प्रकार आपका बाधा निवारण प्रयोग संपन्न होगा .
- होली की रात्रि न कर पायें तो किसी भी अमावस्या को कर सकते हैं.