एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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21 अप्रैल 2019
19 अप्रैल 2019
गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक
गीताप्रेस : अध्यात्मिक ग्रन्थ प्रकाशक
गीता प्रेस भारत के प्रमुख अध्यात्मिक प्रकाशनों में से एक है | यहाँ से कल्याण नमक पत्रिका निकलती है | विस्तृत जानकारी के लिए गीता प्रेस की वेब साईट :-
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गीताप्रेस द्वारा मुख्य रूपसे हिन्दी तथा संस्कृतभाषामें गीताप्रेसका साहित्य प्रकाशित होता है, किन्तु अहिन्दीभाषी लोगोंकी असुविधाको देखते हुए अब तमिल, तेलुगु, मराठी, कन्नड़, बँगला,गुजराती तथा ओड़िआ आदि प्रान्तीय भाषाओंमें भी पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं और इस योजनासे लोगोंको लाभ भी हुआ है। अंग्रेजी भाषामें भी कुछ पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। अब न केवल भारतमें अपितु विदेशोंमें भी यहाँका प्रकाशन बड़े मनोयोग एवं श्रद्धासे पढ़ा जाता है। प्रवासी भारतीय भी यहाँका साहित्य पढ़नेके लिये उत्कण्ठित रहते हैं ।
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18 अप्रैल 2019
श्री हनुमान सामान्य हवन विधि
- पहले एक हवन कुंड या पात्र में लकडियां जमायें.
- अब उसमें "आं अग्नये नमः" मंत्र बोलते हुए आग लगायें.
- ७ बार "ॐ अग्नये स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- ३ बार "ॐ गं गणपतये स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- ३ बार "ॐ भ्रं भैरवाय स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- २१ बार "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- 11 बार "ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- अब जिस हनुमान मन्त्र का जाप कर रहे थे उस मन्त्र से स्वाहा लगाकर १०८ बार आहुति डालें.
- अंत में अपने दोनों कान पकडकर गलतियों के लिये क्षमा मांगे.
17 अप्रैल 2019
साधना सिद्धि विज्ञान PDF : श्री हनुमान विशेषांक
साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी . इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा . देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .
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वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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साधना सिद्धि विज्ञान शोप न. 5 प्लाट न. 210 एम.पी.नगर भोपाल [म.प्र.] 462011
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साधना सिद्धि विज्ञान एक मासिक पत्रिका है , 250 रुपये इसका वार्षिक शुल्क है . यह पत्रिका आपको एक साल तक हर महीने मिलेगी .
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पत्रिका सदस्यता, समस्या तथा विभिन्न साधनात्मक जानकारियों तथा निशुल्क दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक [ रविवार अवकाश ] phone -[0755]-4283681
हनुमान जी पर सिन्दूर चोला
- हनुमान जी पर सिन्दूर घोलकर लेप करने को चोला चढाना कहते हैं .
- हनुमान जी पर चोला चढाने के लिये सिन्दूर को तेल में घोलकर पूरी मूर्ति पर लेप किया जाता है.
- लेप करने के बाद उनके चरणों से सिन्दूर लेकर अपने माथे तथा हृदय पर लगाना चाहिये.कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें.
- यदि संभव हो तो सुंदर कांड का पाठ भी लाभदायक रहेगा.
- चोला चढाने से पहले कम से कम एक दिन का ब्रह्मचर्य जरूर रखें. चोला चढाने के बाद कम से कम एक दिन सात्विक आहार आचार व्यवहार रखें तो ज्यादा लाभ होगा.
साथ में बंदरों को चने या उनके पसंद की कोई सामग्री खिलाना भी लाभ प्रद होगा.
16 अप्रैल 2019
रुद्ररूप हनुमान साधना
॥ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं रुद्ररूपाय महासिद्धाय ह्रीं ह्रीं ह्रीं नमः ॥
यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है.
जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें.
ब्रह्मचर्य का पालन करें.
एक समय भोजन करें. बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें.
रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें.
लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर जाप करें.
गुड तथा चने का भोग लगायें.
यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
११००० जाप करें ११०० मन्त्रों से हवन करें.
साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.
15 अप्रैल 2019
14 अप्रैल 2019
बीज मंत्रात्मक हनुमान साधना
॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ॐ ॥
- यह तान्त्रिक बीज मन्त्र युक्त मन्त्र है.
- जाप प्रारंभ करने से पहले अपनी मनोकामना प्रभु के सामने व्यक्त करें.
- ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- एक समय भोजन करें.
- बीच में चाहें तो फ़लाहार कर सकते हैं.
- दक्षिण दिशा में मुख करके वज्रासन या वीरासन में बैठें.
- रात्रि ९ से ३ के बीच जाप करें.
- लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठ कर जाप करें.
- गुड तथा चने का भोग लगायें.
- यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें.
- ११००० जाप करें
- ११०० मन्त्रों से हवन करें.
- साधना पूर्ण होने पर एक छोटे बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.
हनुमान मन्त्र - साधना के नियम
6 अप्रैल 2019
देवी सरस्वती साधना
॥ ऎं श्रीं ऎं ॥
लाभ - विद्या तथा वाकपटुता
विधि ---
पूणिमा से पूर्णिमा तक या नवरात्रि में सवा लाख जाप करें |
रात्रि काल में जाप होगा.
रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
सफ़ेद रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
दिशा पूर्व या उत्तर की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें.
किसी स्त्री का अपमान न करें.
किसी पर साधन काल में क्रोध न करें.
किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
यथा संभव मौन रखें.
साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
साधना पूर्ण होने पर एक छोटे गरीब बालक को उसकी पसंद का वस्त्र लेकर दें.
5 अप्रैल 2019
तारा साधना मंत्रम
· यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु अनुमति से ही करनी चाहिए.
· भगवती तारा
महाविद्या की साधना में एक बार संकल्प ले लेने के बाद गलतियों
की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें. संकल्प में
अपनी मनोकामना बोले और नित्य जाप की संख्या बताएं। नित्य उतनी ही संख्या में जाप
करें। कम ज्यादा जाप ना करें
· सहस्रनाम और
कवच का पाठ साथ में करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
· भगवती तारा
अपने साधक को उसी प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर
अपने बालक को ले जाती है.
|| ॐ तारा
त्रिपुरायै नमः ऋद्धिं वृद्धिम कुरु कुरु स्वाहा ||
· इसके अलावा भी
सैकड़ों मंत्र हैं गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
· साधना गुरूवार
से प्रारम्भ करें.
· रात्रिकालीन
साधना है |
· उत्तर दिशा की
और देखते हुए बैठें.
· एकांत कमरा
होना चाहिए |
साधनाकाल में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये चाहे वह आपकी पत्नी या बालक
ही क्यों न हो |
· दिन में भी मन
ही मन मन्त्र जाप करते रहें .
·
4 अप्रैल 2019
साधना सूत्र
ü
साधना कौन कर सकता है ?
§ सनातन धर्म में जाति या धर्म
का कोई बंधन नही माना जाता है.
§ किसी भी जाति या धर्म का
व्यक्ति जो सनातन धर्म पर निष्ठा रखता है, देवी देवताओं पर विश्वास रखता है वह
साधनायें कर सकता है.
ü
क्या गुरु के बिना भी साधनायें की जा सकती हैं ?
§ गुरु के बिना साधनायें
स्तोत्र तथा सहस्रनाम पाठ के रूप में की जा सकती हैं.
§ मंत्र की सिद्धि के लिये गुरु
का होना जरूरी माना गया है.
ü
गुरु का साधनाओं में क्या महत्व है ?
§ गुरु का तात्पर्य एक ऐसे
व्यक्ति से है जो आपको भी जानता है और देवताओं को भी जानता है.
§ वह साधना के मार्ग पर चला है
इसलिये आपको वह मार्ग बता सकता है.
§ मंत्र साधनाओं से शरीर में
उर्जा का संचार होने लगता है, इस उर्जा को सही दिशा में ले जाना जरूरी होता
है जो केवल और केवल गुरु ही कर सकता है.
§ गुरु भी पहले शिष्य होता है, वह अपने गुरु के
सानिध्य में साधना कर गुरुत्व को प्राप्त होता है.
ü
क्या साधनाओं से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता
है ?
§ साधनाओं से जीवन की विविध
समस्याओं का समाधान का मार्ग मिलता है.
ü
क्या आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन हो सकता
है ?
§ हाँ आज भी देवी देवताओं का
प्रत्यक्ष दर्शन संभव है.
§ इसके लिए तीन बातें अनिवार्य
हैं : -
§ एक सक्षम गुरु का शिष्यत्व.
§ इष्ट और मंत्र में पूर्ण
विश्वास.
§ शुद्ध ह्रदय से लगन और समर्पण
के साथ साधना.
ü
कुछ साधनाओं में ब्रह्मचर्य को अनिवार्य क्यों माना
जाता है ?
§ ब्रह्मचर्य से शरीर का आतंरिक
बल बढ़ता है,
§ उग्र साधनाएँ जैसे बजरंग बली
या भैरव साधना में यह आतंरिक बल साधक को जल्द सफलता दिलाता है.
ü
क्या साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा का निवारण संभव
है ?
§ मातंगी , हरगौरी, तथा शिव साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा दूर हो सकती है.
§ इनका फल तब ज्यादा होता है जब
वही व्यक्ति साधना करे जिसके विवाह में बाधा आ रही है.
ü
क्या साधनाओं से धन की प्राप्ति संभव है ?
§ साधना के द्वारा आसमान से धन
गिरने जैसा चमत्कार नहीं होता है .
§ लक्ष्मी, कुबेर जैसी साधनाएँ
करने से धनागमन के मार्ग अवश्य खुलने लगते हैं.
§ इसमें साधक को प्रयत्न तो
स्वयं करना होता है , लेकिन सफलता दैवीय कृपा से जल्द मिलने लगती है.
ü
क्या यन्त्र चमत्कारी होते हैं ?
§ यन्त्र मात्र एक धातु का
टुकड़ा होता है जिसपर सम्बंधित देवी या देवता का यन्त्र अंकित होता है.
§ यह चमत्कारी नहीं होता यदि
ऐसा होता तो श्री यंत्र रखने वाला हर व्यक्ति धनवान होना चाहिये. लेकिन ऐसा नही
होता.
§ यंत्र की भी प्राण प्रतिष्ठा
करनी पडती है.
§ जब एक उच्च कोटि का गुरु या
साधक उसका पूजन करके उस देवी या देवता की प्राण प्रतिष्टा यन्त्र में करता है तब
वह चमत्कारी बन जाता है.
ü
तांत्रिक विग्रह क्या है ? उसके क्या
लाभ हैं ?
§ तांत्रिक विग्रह देवी या
देवता के तांत्रोक्त स्वरूप होते है.
§ इनका निर्माण जिस पदार्थ
/धातु/रत्न से किया जाता है वह उस देवी या देवता की कृपा प्राप्ति को और सहज बना
देता है.
§ यूं समझ लें कि ८० प्रतिशत
काम ऐसे विग्रह की स्थापना से ही हो जाता है. बाकी २० प्रतिशत काम उसके पूजन
द्वारा हो जाता है.
§ ऐसे विग्रह दुर्लभ हैं . मगर
इनकी स्थापना और पूजन से कार्य सिद्धि निश्चित रूप से होती है.
§ कुछ तांत्रिक विग्रह हैं:-
§ पारद शिवलिंग.
§ पारद काली.
§ पारद लक्ष्मी.
§ पारद श्री यंत्र.
§ पारद कवच.
§ रत्न निर्मित
गणपति/काली/लक्ष्मी/शिवलिंग.
§ श्वेतार्क गणपति.
§ तांत्रोक्त काली/भैरवि/योगिनी
विग्रह. इत्यादि
ü
किसी साधना को करने से पहले दीक्षा लेना चाहिए ऐसा
क्यों कहा जाता है ?
§ यह एक सामान्य प्रश्न है जो
हर किसी के दिल में उठता है .गुरुदेव डॉ नारायण दत्त श्रीमाली जी के
सानिध्य में मिले अपने अल्प ज्ञान के द्वारा थोडा सा प्रकाश डालने का प्रयास कर
रहा हूँ :-
§ साधना से शरीर में उर्जा
[एनर्जी फील्ड ] उठती है इसको नियंत्रित रखना जरुरी होता है.
§ कई बार ऐसा अनुभव होता है
जैसे तेज बुखार चढ़ गया हो .
§ जब साधनात्मक उर्जा
अनियंत्रित होती है तो वह अनियंत्रित उर्जा दो तरह से बह सकती है प्रथम तो वासना
के रूप में दूसरी क्रोध के रूप में, ये दोनों ही प्रवाह साधक को दुष्कर्म के लिए
प्रेरित करते हैं.इसे नियंत्रित करने का काम गुरु करता है.
§ गुरु दीक्षा के द्वारा गुरु
अपने शिष्य के साथ एक लिंक जोड़ देता है . जब भी साधनात्मक उर्जा बढ़ कर साधक के लिए
परेशानी का कारन बन्ने की संभावना होती है तब गुरु उस उर्जा को नियंत्रित करने का
काम करता है और शिष्य सुरक्षित रहता है.
§ कई बार मन्त्र जाप करते करते
ऐसी स्थिति आती है कि साधक को छूने से बिजली के हल्के झटके जैसा एहसास भी होता है
.
§ हर मंत्र अपने आप में एक
विशेष प्रकार का एनर्जी फील्ड पैदा करता है. यह फील्ड साधक के शरीर के इर्दगिर्द
घूमता है.
§ हर मंत्र हर साधक के लिए
अनुकूल नहीं होता ,
यदि वह अनुकूल मंत्र का जाप करता है तो उसे लाभ मिलता है अन्यथा
हानि भी हो सकती है.
§ गुरु एक ऐसा व्यक्ति होता है
जो विभिन्न साधनों में सिद्धहस्त होता है, उसे यह पता होता है की किस साधना का
एनर्जी फील्ड किस साधक के अनुकूल होगा . इस बात को ध्यान में रखकर गुरु, उसके अनुकूल मंत्र अपने शिष्य को प्रदान करता
है.
§ वर्त्तमान में डॉ नारायण दत्त
श्रीमाली जी के शिष्य गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ. साधना सिंह
जी विभिन्न साधनाओं से सम्बंधित दीक्षाएं नि:शुल्क प्रदान कर साधकों का साधनात्मक
मार्ग दर्शन कर रहे हैं.
§ यदि आप भी किसी प्रकार की
साधना के बारे में मार्गदर्शन या दीक्षा प्राप्त करने के इच्छुक हैं तो फोन पर संपर्क
करें तथा समय ले लें :-
§ समय = सुबह दस बजे से शाम सात
बजे तक [ रविवार अवकाश ]
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता डॉ.
साधना सिंह
साधना सिद्धि
विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी, जे.के.रोड, भोपाल [म.प्र.] 462011
ये विग्रह अपने गुरुदेव के निर्देशानुसार
ही प्राप्त /स्थापित और पूजित करें.
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