एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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4 जून 2020
वक्रतुंडस्तोत्रम
ॐ ॐ ॐकाररुपं त्र्यहमिति च परं यत्स्वरुपं तुरियं
त्रैगुण्यातीतनीलं कलयति मनसतेजसिंदूरमूर्तिम !
योगींन्द्रैब्रह्मरंध्रे सकलगुणमयं श्रीहरेंन्द्रेण संगं
गं गं गं गं गणेशं गजमुखमभितो व्यापकं चिंतयंति !!
वं वं वं विघ्नराजं भजति निजभुजे दक्षिणेन्यस्तशुंडं
क्रं क्रं क्रं क्रोधमुद्रादलितरिपुबलं कल्पवृक्षस्य मूले !
दं दं दं दन्तमेकं दधत मुनिमुखं कामधेन्वा निषेव्यं !
धं धं धं धारयंतं धनदमतिधियं सिद्धि बुद्धिद्वितियं !!
तुं तुं तुं तुंगरुपं गगनपथि गतं व्याप्नुवंतं दिगंतान
क्लीं क्लीं क्लींकारनाथं गलित मदमिल्ल लोलमत्तालिमालं !
ह्रीं ह्रीं ह्रींकारपिंगं सकलमुनिवर ध्येयमुंडं च शुंडम !
श्रीं श्रीं श्रीं श्रयंतं निखिलनिधिकुलं नौमि हेरंबबिंबं !
लौं लौं लौं लौकारमाद्यं प्रणवमिव पदं मंत्रमुक्तावलीनां शुद्धं विघ्नेशबीजं शशिकरसदृशं योगिनांध्यानगम्यं !
डं डं डं डामरुपं दलितभवभयं सूर्यकोटिप्रकाशं !
यं यं यं यज्ञनाथं जपति मुनिवरो बाह्यभ्यंतरं च !!
हुं हुं हुं हेमवर्णं श्रूतिगणितगुणं शूर्पकर्णं कृपालुं
ध्येयं सूर्यस्यबिंबं उरसि च विलसत सर्पयज्ञोपवितं !
स्वाहा हुं फट नमों अंतैष्ठ
ठ ठ ठ सहितै: पल्लवै: सेव्यमानं मंत्राणां सप्तकोटि प्रगुणित महिमाधारमीशं प्रपद्ये !!
- नित्य पूजन मे उपयोग कर सकते हैं
- मनोकामना पूर्ति के लिए संकल्प लेकर 1008 पाठ करें ।
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-
3 जून 2020
देवी पद्मावती
- सबसे पहले तीन बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
- इस स्तोत्र को शरद पूर्णिमा या दीपावली के दिन 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
- या इसे किसी माह की पूर्णिमा से प्रारंभ करके अगले मॉस की पूर्णिमा पर समाप्त करें | नित्य 1,3,5,11 जैसे आपकी क्षमता हो वैसा पाठ करें |
- इसे आप नवरात्रि मे भी कर सकते हैं |
- सात्विक आहार /विचार /व्यवहार रखें |
- क्रोध ना करें |
- किसी स्त्री का अपमान ना करें |
- जिस दिनपाठ पूर्ण हो जाए उस दिन किसी गरीब विवाहित महिला को लाल साड़ी दान करें|
- लक्ष्मी मंदिर या दुर्गा मंदिर में अपनी क्षमतानुसार गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं और देवी पद्मावती से कृपा करने की प्रार्थना करके सीधे वापस घर आ जाएँ |
- घर आने के बाद एक बार और पाठ करें |
- फिर से 3 बार " ॐ निखिलेश्वराय नमः " मन्त्र का जोर से बोलकर उच्चारण करें |
- घर में या परिचय में कोई वृद्ध महिला हो तो उसके चरण स्पर्श करें और कुछ भेंट दें , भेंट आप अपनी क्षमतानुसार कुछ भी दे सकते हैं |
- इस प्रकार पूजन संपन्न हुआ | आगे आप चाहें तो नित्य एक बार पाठ करते रहें |
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-
2 जून 2020
गुरुदेव निखिलेश्वरानंद साधना
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
- तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
- नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
- जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
- यथा संभव मौन रहेंगे.
- किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.
- यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं.
- यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
- यह साधना वैराग्य की साधना है.
- यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
- यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
- इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.
1 जून 2020
सूर्यग्रहण विशेष : शीघ्र विवाह मंत्र
- जिस लड़की का विवाह नहीं हो रहा है वह स्वयं जाप करे |
- सूर्यग्रहण पर जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके जाप करें ।
- नित्य जाप करते रहें |
- जाप से शीघ्र अनुकूलता मिलेगी |
31 मई 2020
दस महाविद्या शाबर मंत्र
29 मई 2020
28 मई 2020
सर्व मनोकामना प्रदायक : महादुर्गा साधना
- यह काम बीज से संगुफ़ित दुर्गा मन्त्र है.
- यह सर्वकार्यों में लाभदायक है.
- इसका जाप आप नवरात्रि में चलते फ़िरते भी कर सकते हैं.
- अनुष्ठान के रूप में २१००० जाप करें.
- २१०० मंत्रों से हवन नवमी को करें.
- विशेष लाभ के लिये विजयादशमी को हवन करें.
- सात्विक आहार आचार विचार रखें ।
- हर स्त्री को मातृवत सम्मान दें ।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
26 मई 2020
रक्षा कारक : पाशुपत मंत्र
पाशुपत मंत्र
पशुपति अर्थात पशुओं के पति....
जो पशुओं को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं...
जो अनियंत्रित पशुओं को भी नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं ....
आपने चरवाहों को देखा होगा...
गायों के और भैंसों के झुंड भी आपने देखे होंगे…
इसमें से बहुत सारे नियंत्रित होते हैं और कुछ एक ऐसे होते हैं जो अनियंत्रित होते हैं …
अपनी अलग ही चाल में चलते हैं.....
उनको नियंत्रित करने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति ही एक अच्छा चरवाहा अर्थात पशुपति बन सकता है.....
यह संपूर्ण सृष्टि भी पशुओं से भरी हुई है.....
जिसमें सबसे विकसित पशु मनुष्य है......
अमीबा से लेकर वायरस तक सब कुछ एक किस्म का पशु ही है...
इन सब के अधिपति इन सब को नियंत्रित करने की क्षमता रखने वाले है .....
पशुपति....
अर्थात भगवान शिव.....
उनका सबसे तेजस्वी मंत्र है पाशुपत मंत्र
यह एक ऐसा मंत्र है जो सभी प्रकार के अनियंत्रित स्थितियों को नियंत्रित करने में मदद करता है....
कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति भी लगभग अनियंत्रित अवस्था में पहुंच चुकी है ....
अगर आप ध्यान से देखें तो कोरोना भी एक किस्म का अत्यंत सूक्ष्म पशु ही है जो अनियंत्रित हो गया है । अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हुए वह हर तरफ त्राहि-त्राहि की स्थिति उत्पन्न कर रहा है ....
जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो उसका इलाज केवल देवाधिदेव महादेव शिव का पाशुपत मंत्र ही कर सकता है.......
इस विपरीत परिस्थिति में अनुकूलता लाने के लिए…
अपने परिवार की रक्षा के लिए.....
अपने समाज की रक्षा के लिए.....
अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए.....
मानवता की रक्षा के लिए....
आप पाशुपत मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं.....
मैं आगे की पंक्तियों में गुरुदेव सुदर्शन नाथ जी के द्वारा प्रदान किए गए पाशुपत मंत्र का विवरण दे रहा हूं। यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप आदि शंकराचार्य के द्वारा भगवान पशुपति की आराधना के लिए प्रयुक्त हुआ था .... इसलिए यह बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है । यह शिव के अवतार द्वारा अपने मूल स्वरूप को प्रसन्न करने और जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुआ था ॥
यह एक ऐसा अचूक मंत्र है जो सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने में सहायक है....
इस मंत्र का जाप आप स्वयं कर सकते हैं । आपकी पत्नी कर सकती है, आपके बच्चे कर सकते हैं । आप इस मंत्र को उन सभी को बता सकते हैं जो भगवान शिव पर और सनातन धर्म में आस्था रखते हो और अपने परिवार तथा राष्ट्र की रक्षा के प्रति जागरूक हो....
पाशुपत मंत्र :-
॥ ॐ श्लीं पशुं हुं फट ॥
इसका उच्चारण होगा :-
( ॐ श्लीम पशुम हुम फट)
(om shleem pashum hoom fat)
विधि :-
मंत्र जाप से पहले 3 या 11, 21,51 या 108 बार गुरु मंत्र का उच्चारण कर ले ।
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
यदि आपने गुरू बनाया हो और उन्होंने आपको कोई मंत्र दिया हो तो आप उस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं ।
इसके बाद आप पशुपत मंत्र का जितना आपकी शक्ति हो उतना जाप करें ।
पशुपति मंत्र के जाप के लिए किसी प्रकार के आयु, जाति ,लिंग, का बंधन नहीं है।
भगवान पशुपति का मंत्र होने के कारण इसमें स्थान, आसन, समय, दिशा, वस्त्र आदि का बंधन भी नहीं है । अर्थात आप इस मंत्र को चलते-फिरते भी जप सकते हैं ।
इसका जाप आप पूजन कक्ष में बैठकर भी कर सकते हैं । नदी तट पर बैठकर भी कर सकते हैं । इसे आप मंदिर में बैठकर जप सकते हैं तो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी जप सकते हैं । इसका जाप आप अपने कार्यस्थल में, अपने ऑफिस में ,अपनी रसोई में, कहीं भी कर सकते हैं,
शर्त यही है कि आपकी आस्था देवाधिदेव महादेव पर हो, बाकी वह देख लेंगे।