पाशुपत मंत्र
पशुपति अर्थात पशुओं के पति....
जो पशुओं को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं...
जो अनियंत्रित पशुओं को भी नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं ....
आपने चरवाहों को देखा होगा...
गायों के और भैंसों के झुंड भी आपने देखे होंगे…
इसमें से बहुत सारे नियंत्रित होते हैं और कुछ एक ऐसे होते हैं जो अनियंत्रित होते हैं …
अपनी अलग ही चाल में चलते हैं.....
उनको नियंत्रित करने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति ही एक अच्छा चरवाहा अर्थात पशुपति बन सकता है.....
यह संपूर्ण सृष्टि भी पशुओं से भरी हुई है.....
जिसमें सबसे विकसित पशु मनुष्य है......
अमीबा से लेकर वायरस तक सब कुछ एक किस्म का पशु ही है...
इन सब के अधिपति इन सब को नियंत्रित करने की क्षमता रखने वाले है .....
पशुपति....
अर्थात भगवान शिव.....
उनका सबसे तेजस्वी मंत्र है पाशुपत मंत्र
यह एक ऐसा मंत्र है जो सभी प्रकार के अनियंत्रित स्थितियों को नियंत्रित करने में मदद करता है....
कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति भी लगभग अनियंत्रित अवस्था में पहुंच चुकी है ....
अगर आप ध्यान से देखें तो कोरोना भी एक किस्म का अत्यंत सूक्ष्म पशु ही है जो अनियंत्रित हो गया है । अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हुए वह हर तरफ त्राहि-त्राहि की स्थिति उत्पन्न कर रहा है ....
जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो उसका इलाज केवल देवाधिदेव महादेव शिव का पाशुपत मंत्र ही कर सकता है.......
इस विपरीत परिस्थिति में अनुकूलता लाने के लिए…
अपने परिवार की रक्षा के लिए.....
अपने समाज की रक्षा के लिए.....
अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए.....
मानवता की रक्षा के लिए....
आप पाशुपत मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं.....
मैं आगे की पंक्तियों में गुरुदेव सुदर्शन नाथ जी के द्वारा प्रदान किए गए पाशुपत मंत्र का विवरण दे रहा हूं। यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप आदि शंकराचार्य के द्वारा भगवान पशुपति की आराधना के लिए प्रयुक्त हुआ था .... इसलिए यह बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है । यह शिव के अवतार द्वारा अपने मूल स्वरूप को प्रसन्न करने और जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुआ था ॥
यह एक ऐसा अचूक मंत्र है जो सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने में सहायक है....
इस मंत्र का जाप आप स्वयं कर सकते हैं । आपकी पत्नी कर सकती है, आपके बच्चे कर सकते हैं । आप इस मंत्र को उन सभी को बता सकते हैं जो भगवान शिव पर और सनातन धर्म में आस्था रखते हो और अपने परिवार तथा राष्ट्र की रक्षा के प्रति जागरूक हो....
पाशुपत मंत्र :-
॥ ॐ श्लीं पशुं हुं फट ॥
इसका उच्चारण होगा :-
( ॐ श्लीम पशुम हुम फट)
(om shleem pashum hoom fat)
विधि :-
- मंत्र जाप से पहले 3 या 11, 21,51 या 108 बार गुरु मंत्र का उच्चारण कर ले ।
॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥
यदि आपने गुरू बनाया हो और उन्होंने आपको कोई मंत्र दिया हो तो आप उस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं ।
- इसके बाद आप पशुपत मंत्र का जितना आपकी शक्ति हो उतना जाप करें ।
- पशुपति मंत्र के जाप के लिए किसी प्रकार के आयु, जाति ,लिंग, का बंधन नहीं है।
- भगवान पशुपति का मंत्र होने के कारण इसमें स्थान, आसन, समय, दिशा, वस्त्र आदि का बंधन भी नहीं है । अर्थात आप इस मंत्र को चलते-फिरते भी जप सकते हैं ।
- इसका जाप आप पूजन कक्ष में बैठकर भी कर सकते हैं । नदी तट पर बैठकर भी कर सकते हैं । इसे आप मंदिर में बैठकर जप सकते हैं तो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी जप सकते हैं । इसका जाप आप अपने कार्यस्थल में, अपने ऑफिस में ,अपनी रसोई में, कहीं भी कर सकते हैं,
- शर्त यही है कि आपकी आस्था देवाधिदेव महादेव पर हो, बाकी वह देख लेंगे।