21 अप्रैल 2022

तांत्रोक्त गुरु पूजन

   

तांत्रोक्त गुरु पूजन

तंत्रोक्त गुरु पूजन की विधि प्रस्तुत है । 

जिसके माध्यम से आप अपने सदगुरुदेव का पूजन कर सकते हैं क्योंकि मेरे गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ( डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ) हैं इसलिए गुरुदेव जी के स्थान पर में उनका नाम ले रहा हूं आप अपने गुरु का नाम उनकी जगह पर ले सकते हैं ।  

इस पूजन के लिए स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें । लकड़ी की चौकी या बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर पंचामृत या जल से स्नान कराके गुरु चित्र यंत्र या शिवलिंग जो भी आपके पास उपलब्ध हो उसे रख लें । अब पूजन प्रारंभ करें। 

 

पवित्रीकरण

किसी भी कार्य को करने के पहले हम अपने आप को साफ सुथरा करते हैं ठीक वैसे ही पूजन करने से पहले भी अपने आप को पवित्र किया जाता है इसे पवित्रीकरण कहते हैं इसमें अपने ऊपर बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ की उंगलियों से  छिड़कें  या फूल या चम्मच जो भी आप इस्तेमाल करना चाहते हो उसके द्वारा अपने ऊपर थोड़ा  सा जल छिड़क लें । 

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।

आचमन 

आंतरिक शुद्धि के लिए निम्न मंत्रों को पढ़ आचमनी से तीन बार जल पियें -

ॐ आत्म तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

ॐ ज्ञान तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

ॐ विद्या तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।

 

सूर्य पूजन

भगवान सूर्य इस सृष्टि के संचालन करता है और उन्हीं के माध्यम से हम सभी का जीवन गतिशील होता है इसलिए उनकी पूजा अनिवार्य है । 

कुंकुम और पुष्प से सूर्य पूजन करें -

ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।

हिरण्येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

ॐ पश्येन शरदः शतं श्रृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतं ।जीवेम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात ।।

 

ध्यान

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: । 

गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ॥ 

ध्यान मूलं गुरु: मूर्ति पूजा मूलं गुरो पदं । 

मंत्र मूलं गुरुर्वाक्य मोक्ष मूलं गुरुकृपा ॥ 

 आवाहन 

ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

ॐ स्वच्छ प्रकाश विमर्श हेतवे श्री सच्चिदानंद परम गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे पारमेष्ठि गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

षट चक्र स्थापन --

गुरुदेव को अपने षट्चक्रों में स्थापित करें -

श्री शिवानन्दनाथ पराशक्त्यम्बा मूलाधार चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री सदाशिवानन्दनाथ चिच्छक्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री ईश्वरानन्दनाथ आनंद शक्त्यम्बा मणिपुर चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री रुद्रदेवानन्दनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री विष्णुदेवानन्दनाथ ज्ञान शक्त्यम्बा विशुद्ध चक्रे स्थापयामि नमः ।

श्री ब्रह्मदेवानन्दनाथ क्रिया शक्त्यम्बा सहस्त्रार चक्रे स्थापयामि नमः ।

ॐ श्री उन्मनाकाशानन्दनाथ – जलं समर्पयामि ।

ॐ श्री समनाकाशानन्दनाथ – गंगाजल स्नानं समर्पयामि ।

ॐ श्री व्यापकानन्दनाथ – सिद्धयोगा जलं समर्पयामि ।

ॐ श्री शक्त्याकाशानन्दनाथ – चन्दनं समर्पयामि ।

ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ – कुंकुमं समर्पयामि ।

ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ – केशरं समर्पयामि ।

ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ – अष्टगंधं समर्पयामि ।

ॐ श्री विन्द्वाकाशानन्दनाथ – अक्षतं समर्पयामि ।

ॐ श्री द्वन्द्वाकाशानन्दनाथ – सर्वोपचारम समर्पयामि ।

दीपम 

सिद्ध शक्तियों को दीप दिखाएँ 

 

श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योतिं समर्पयामि ।

श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशम् समर्पयामि ।

श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं समर्पयामि ।

श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि ।

श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं समर्पयामि ।

श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध दीपं समर्पयामि ।

श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश दीपं समर्पयामि ।

श्री विधीशालीनाम्बा पूर्ण दीपं समर्पयामि ।

 

नीराजन --

पात्र में जल, कुंकुम, अक्षत और पुष्प लेकर गुरु चरणों मे समर्पित करें -

श्री सोममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री सूर्यमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री अग्निमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री ज्ञानमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

श्री ब्रह्ममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।

पञ्च पंचिका 

अपने दोनों हाथों में पुष्प लेकर , दोनों हाथों को भिक्षापात्र के समान जोड़कर, निम्न पञ्च पंचिकाओं का उच्चारण करते हुए इन दिव्य महाविद्याओं की प्राप्ति हेतु गुरुदेव से निवेदन करें -

श्री विद्या लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री एकाकार लक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री महालक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्रिशक्तिलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सर्वसाम्राज्यलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री परज्योति कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री परिनिष्कल शाम्भवी कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अजपा कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री मातृका कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि । 

श्री त्वरिता कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री पारिजातेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री त्रिपुटा कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री पञ्च बाणेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अमृत पीठेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सुधांशु कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अमृतेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री अन्नपूर्णा कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री विद्या रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री सिद्धलक्ष्मी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री मातंगेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री भुवनेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

श्री वाराही रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।

 

श्री मन्मालिनी मंत्र 

अंत में तीन बार श्री मन्मालिनी का उच्चारण करना चाहिए जिससे गुरुदेव की शक्ति, तेज और सम्पूर्ण साधनाओं की प्राप्ति हो सके । इसके द्वारा सभी अक्षरों अर्थात स्वर व्यंजनों का पूजन हो जाता है जिससे मंत्र बनते हैं :- 

 

ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ल्रृं एं ऐँ ओं औं अं अः ।

कं खं गं घं ङं ।

चं छं जं झं ञं ।

टं ठं डं ढं णं ।

तं थं दं धं नं ।

पं फं बं भं मं ।

यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं हंसः सोऽहं गुरुदेवाय नमः ।

गुरु मंत्र जाप 

इसके बाद गुरु मंत्र का यथा शक्ति जाप करें ।  

प्रार्थना --

लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् ।

शिष्य हृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

त्रिपूज्यं विश्व वन्द्यं च विष्णुशम्भो प्रियं सुतं ।

क्षिप्र प्रसाद निरतं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

मत्त मातंग गमनं कारुण्यामृत पूजितं ।

सर्व विघ्न हरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

अस्मत् कुलेश्वरं देवं सर्व सौभाग्यदायकं ।

अस्मादिष्ट प्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।

यस्य धन्वन्तरिर्माता पिता रुद्रोऽभिषक् तमः ।

तं शास्तारमहं वंदे महावैद्यं दयानिधिं ।।

 

समर्पण --

सम्पूर्ण पूजन गुरु के चरणों मे समर्पित करें :-

देवनाथ गुरौ स्वामिन देशिक स्वात्म नायक: । 

त्राहि त्राहि कृपा सिंधों , पूजा पूर्णताम कुरु ....

अनया पूजया श्री गुरु प्रीयंताम तदसद श्री सद्गुरु चरणार्पणमस्तु ॥ 

इतना कहकर गुरु चरणों मे जल छोड़ें । 

शांति 

 

तीन बार जल छिडके...    

ॐ शान्तिः । शान्तिः ।। शान्तिः ।।।


आप इसका उच्चारण आडिओ मे यहाँ सुन सकते हैं । 
इसे सुनकर उच्चारण करने से धीरे धीरे धीरे गुरुकृपा से आपका उच्चारण स्पष्ट होता जाएगा :-

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गुरु जन्मदिवस : 21 अप्रेल


पूज्यपाद गुरुदेव 
परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी 
(डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ) 


21 अप्रेल : जन्मदिवस

मेरे परम आदरणीय पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी जो सामान्यतः डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के नाम से जाने जाते हैं .

तन्त्र साधनाओं के पुरोधा, ज्योतिष विद्या के अनन्य ज्ञाता और कर्मकाण्ड के सिद्धहस्त विद्वान.

भारतवर्ष से लगभग विलुप्त हो चुकी आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का भागीरथ प्रयत्न करने वाले युगपुरुष......

संपूर्ण विश्व में साधनारत करोडों शिष्यों को साधना का अमृतपान कराने वाले जगद्गुरु के चरणों में सादर नमन..............

मैं आज इस क्षेत्र मे जो भी अल्प ज्ञान प्राप्त कर पाया हूं वह मेरे गुरु की अहेतुकि कृपा है.

मेरी लेखनी में वह क्षमता नहीं है कि मेरे सद्गुरुदेव के विराट व्यक्तित्व का अंश मात्र भी वर्णन कर सके....

क्षमस्व गुरुदेव ...
क्षमस्व गुरुदेव ......
क्षमस्व गुरुदेव .........

न गुरोरधिकम...........
न गुरोरधिकम...........................



न गुरोरधिकम.............................................

20 अप्रैल 2022

पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद बीज मन्त्र साधना

 






पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना


|| ॐ निं निखिलेश्वराये निं नमः  ||
  • वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
  • आसन - सफ़ेद होगा.
  • समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए तो कभी भी कर सकते हैं.
  • दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें.
  • पुरश्चरण - सवा लाख मंत्र जाप का होगा.यदि इतना न कर सकते हों तो यथाशक्ति करें.
  • हवन - १२,५०० मंत्रों से मंत्र के पीछे स्वाहा लगाकर हवन करेंगे

  • हवन सामग्री - दशांग या घी.

विधि :- 
सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .

संकल्प :- 
हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी
निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह मंत्र जाप  कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी. 

गुलाब या अष्टगंध की खुशबु आना गुरुदेव के आगमन का प्रमाण है.

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18 अप्रैल 2022

संक्षिप्त गुरुपूजन

 






संक्षिप्त गुरुपूजन
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यहाँ पर संक्षिप्त गुरुपूजन विधि प्रस्तुत कर रहा हूं .. इसे आप अपने नित्य दैनंदिन साधना मे कर सकते है ..
हाथ जोडकर प्रणाम करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ॐ ह्रीम दशमहाविद्याभ्यो नम:
फिर गुरुदेव का ध्यान करे
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:
ध्यानमूलं गुरो मूर्ति : पूजामूलं गुरो: पदं
मंत्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा
गुरुकृपाहि केवल गुरुकृपाहि केवलं
गुरुकृपाहि केवलं गुरुकृपाहि केवलं
श्री सदगुरु चरण कमलेभ्यो नम: ध्यानं समर्पयामि
श्री सदगुरु स्वामी निखिलेश्वरानंद महाराज मम ह्रदय कमल मध्ये आवाहयामि स्थापयामि नम:
अगर आपके पास समय कम है तो आप सीधे गुरुमंत्र का जाप शुरु करे .. नही तो सदगुरुदेव का मानसिक पंचोपचार पूजन करे और पूजन के बाद गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का भी पाठ अवश्य करे ..
अब सदगुरुदेव का मानसिक पूजन या उपलब्ध सामुग्री से पंचोपचार पूजन करे .. मानसिक पूजन करते समय पंचतत्वो की मुद्राये प्रदर्शित करे और सामुग्री से पूजन करते समय उचित सामुग्री का उपयोग करे
ॐ " लं " पृथ्वी तत्वात्मकं गंधं समर्पयामि श्री गुरवे नम:
ॐ " हं " आकाश तत्वात्मकं पुष्पम समर्पयामि श्री गुरवे नम:
ॐ " यं " वायु तत्वात्मकं धूपं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " रं " अग्नी तत्वात्मकं दीपं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " वं " जल तत्वात्मकं नैवेद्यं समर्पयामि श्रीगुरवे नम:
ॐ " सं " सर्व तत्वात्मकं तांबूलं समर्पयामि श्री गुरवे नम:
अब हाथ जोडकर गुरु पंक्ति का पूजन करे
ॐ गुरुभ्यो नम:
ॐ परम गुरुभ्यो नम:
ॐ परात्पर गुरुभ्यो नम:
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
ॐ दिव्यौघ गुरुपंक्तये नम:
ॐ सिद्धौघ गुरुपंक्तये नम:
ॐ मानवौघ गुरुपंक्तये नम:
आप चाहे तो निम्न गुरुपादुका पंचक स्तोत्र का पाठ करे .. अगर स्तोत्र पाठ नही करना है तो सीधे आगे का पूजन करे
गुरुपादुका पंचक स्तोत्र
ॐ नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यां
नम: परेभ्य: परपादुकाभ्यां
आचार्य सिद्धेश्वर पादुकाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! १ !!
ऐंकार ह्रींकार रहस्ययुक्त
श्रीं कार गूढार्थ महाविभूत्या
ॐकार मर्म प्रतिपादिनीभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! २ !!
होमाग्नि होत्राग्नि हविष्यहोतृ
होमादि सर्वाकृति भासमानं
यद ब्रह्म तद बोध वितारिणाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ३ !!
अनंत संसार समुद्रतार
नौकायिताभ्यां स्थिर भक्तिदाभ्यां
जाड्याब्धि संशोषण बाडवाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ४ !!
कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां
विवेक वैराग्य निधिप्रदाभ्यां
बोधप्रदाभ्यां द्रुत मोक्षदाभ्यां
नमो नम: श्री गुरुपादुकाभ्यां !! ५ !!
अब एक आचमनी जल मे चंदन मिलाकर अर्घ्य दे या मानसिक स्तर पर अर्घ्य दे ..
ॐ गुरुदेवाय विद्महे परम गुरवे धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात्
अब गुरुमंत्र का यथाशक्ती जाप करे
ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:
अंत मे जप गुरुदेव को अर्पण करे
ॐ गुह्याति गुह्यगोप्ता
त्वं गृहाणास्मत कृतं जपं
सिद्धिर्भवतु मे गुरुदेव त्वतप्रसादान्महेश्वर !!
अब एक आचमनी जल अर्पण करे
अनेन पूजनेन श्री गुरुदेव प्रीयंता मम !!

16 अप्रैल 2022

गुरुदेव निखिलेश्वरानंद साधना

  









परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी

॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥





  • यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
  • पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
  • तीन लाख मंत्र का पुरस्चरण होगा.
  • नित्य जाप निश्चित संख्या में करेंगे .
  • रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
  • जाप के बाद वह माला गले में धारण कर लेंगे.
  • यथा संभव मौन रहेंगे.
  • किसी पर क्रोध नहीं करेंगे.

  1. यह साधना उन लोगों के लिए है जो साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं. 
  2. यह साधना आपके अन्दर शिवत्व और गुरुत्व पैदा करेगी.
  3. यह साधना वैराग्य की साधना है.
  4. यह साधना जीवन का सौभाग्य है.
  5. यह साधना आपको धुल से फूल बनाने में सक्षम है.
  6. इस साधना से श्रेष्ट कोई और साधना नहीं है.


...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........

हनुमान जी के 108 नाम

 हनुमान जी के 108 नाम 



1 ॐ अक्षहन्त्रे नमः।

2 ॐ अन्जनागर्भ सम्भूताय नमः।

3 ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः।

4 ॐ आञ्जनेयाय नमः।

5 ॐ कपिसेनानायकाय नमः।

6 ॐ कपीश्वराय नमः।

7 ॐ कबळीकृत मार्ताण्डमण्डलाय नमः।

8 ॐ काञ्चनाभाय नमः।

9 ॐ कामरूपिणे नमः।

10 ॐ काराग्रह विमोक्त्रे नमः।

11 ॐ कालनेमि प्रमथनाय नमः।

12 ॐ कुमार ब्रह्मचारिणे नमः।

13 ॐ केसरीसुताय नमः।

14 ॐ गन्धमादन शैलस्थाय नमः।

15 ॐ गन्धर्व विद्यातत्वज्ञाय नमः।

16 ॐ चञ्चलाय नमः।

17 ॐ चतुर्बाहवे नमः।

18 ॐ चिरञ्जीविने नमः।

19 ॐ जाम्बवत्प्रीतिवर्धनाय नमः।

20 ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः।

21 ॐ दशग्रीव कुलान्तकाय नमः।

22 ॐ दशबाहवे नमः।

23 ॐ दान्ताय नमः।

24 ॐ दीनबन्धुराय नमः।

25 ॐ दृढव्रताय नमः।

26 ॐ दैत्यकार्य विघातकाय नमः।

27 ॐ दैत्यकुलान्तकाय नमः।

28 ॐ धीराय नमः।

29 ॐ नवव्याकृतपण्डिताय नमः।

30 ॐ पञ्चवक्त्राय नमः।

31 ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः।

32 ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः।

33 ॐ परविद्या परिहाराय नमः।

34 ॐ परशौर्य विनाशनाय नमः।

35 ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः।

36 ॐ पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने नमः।

37 ॐ पिङ्गलाक्षाय नमः।

38 ॐ प्रतापवते नमः।

39 ॐ प्रभवे नमः।

40 ॐ प्रसन्नात्मने नमः।

41 ॐ प्राज्ञाय नमः।

42 ॐ बल सिद्धिकराय नमः।

43 ॐ बालार्कसद्रशाननाय नमः।

44 ॐ ब्रह्मास्त्र निवारकाय नमः।

45 ॐ भविष्यथ्चतुराननाय नमः।

46 ॐ भीमसेन सहायकृते नमः।

47 ॐ मनोजवाय नमः।

48 ॐ महाकायाय नमः।

49 ॐ महातपसे नमः।

50 ॐ महातेजसे नमः।

51 ॐ महाद्युतये नमः।

52 ॐ महाबल पराक्रमाय नमः।

53 ॐ महारावण मर्दनाय नमः।

54 ॐ महावीराय नमः।

55 ॐ मायात्मने नमः।

56 ॐ मारुतात्मजाय नमः।

57 ॐ योगिने नमः।

58 ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः।

59 ॐ रत्नकुण्डल दीप्तिमते नमः।

60 ॐ रामकथा लोलाय नमः।

61 ॐ रामचूडामणिप्रदायकाय नमः।

62 ॐ रामदूताय नमः।

63 ॐ रामभक्ताय नमः।

64 ॐ रामसुग्रीव सन्धात्रे नमः।

65 ॐ रुद्र वीर्य समुद्भवाय नमः।

66 ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।

67 ॐ लङ्कापुर विदायकाय नमः।

68 ॐ लन्किनी भञ्जनाय नमः।

69 ॐ लोकपूज्याय नमः।

70 ॐ वज्रकायाय नमः।

71 ॐ वज्रदेहाय नमः।

72 ॐ वज्रनखाय नमः।

73 ॐ वागधीशाय नमः।

74 ॐ वाग्मिने नमः।

75 ॐ वानराय नमः।

76 ॐ वार्धिमैनाक पूजिताय नमः।

77 ॐ जितेन्द्रियाय नमः।

78 ॐ विभीषण प्रियकराय नमः।

79 ॐ शतकन्टमुदापहर्त्रे नमः।

80 ॐ शरपञ्जर भेदकाय नमः।

81 ॐ शान्ताय नमः।

82 ॐ शूराय नमः।

83 ॐ शृन्खला बन्धमोचकाय नमः।

84 ॐ श्री राम हृदयस्थाये नमः 

85 ॐ श्रीमते नमः।

86 ॐ संजीवननगायार्था नमः।

87 ॐ सर्वग्रहबाधा विनाशिने नमः।

88 ॐ सर्वतन्त्र स्वरूपिणे नमः।

89 ॐ सर्वदुखः हराय नमः।

90 ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः।

91 ॐ सर्वमन्त्र स्वरूपवते नमः।

92 ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः।

93 ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः।

94 ॐ सर्वरोगहराय नमः।

95 ॐ सर्वलोकचारिणे नमः।

96 ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः।

97 ॐ सागरोत्तारकाय नमः।

98 ॐ सिंहिकाप्राण भञ्जनाय नमः।

99 ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः।

100 ॐ सीतान्वेषण पण्डिताय नमः।

101 ॐ सीताशोक निवारकाय नमः।

102 ॐ सीतासमेत श्रीरामपाद सेवदुरन्धराय नमः।

103 ॐ सुग्रीव सचिवाय नमः।

104 ॐ सुचये नमः।

105 ॐ सुरार्चिताय नमः।

106 ॐ स्फटिकाभाय नमः।

107 ॐ हनूमते नमः।

108 ॐ हरिमर्कट मर्कटाय नमः।


इन नामों का उच्चारण करें नमः के साथ चावल, सिंदूर,पुष्प अर्पित करें । 


15 अप्रैल 2022

हनुमान मन्त्र : हनुमान जयंती विशेष

 



॥ हुं हनुमत रुद्रात्मकाय हुं ॥


 ॥ ॐ हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा ॥


॥ ॐ पवन नंदनाय स्वाहा ॥



  • उपरोक्त में से किसी भी एक मन्त्र का जाप करें ।

  • लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर जाप करें  ।

  • वज्रासन या वीरासन में बैठें ।

  • यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें । 


14 अप्रैल 2022

हनुमान जी पर चोला

 



  • हनुमान जी पर सिन्दूर घोलकर लेप करने को चोला चढाना कहते हैं .

  • हनुमान जी पर चोला चढाने के लिये सिन्दूर को तेल में घोलकर पूरी मूर्ति पर लेप किया जाता है.

  • लेप करने के बाद उनके चरणों से सिन्दूर लेकर अपने माथे तथा हृदय पर लगाना चाहिये.कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें.
  •  यदि संभव हो तो सुंदर कांड का पाठ भी लाभदायक रहेगा.
  • चोला चढाने से पहले कम से कम एक दिन का ब्रह्मचर्य जरूर रखें. चोला चढाने के बाद कम से कम एक दिन सात्विक आहार आचार व्यवहार रखें तो ज्यादा लाभ होगा.

साथ में बंदरों को चने या उनके पसंद की कोई सामग्री खिलाना भी लाभ प्रद होगा.