श्री लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम या महालक्ष्मी के 108 नाम
सबसे पहले महालक्ष्मी जी को हाथ जोड़कर ध्यान करलें :-
सरसिज निलये सरोज हस्ते धवलतरांशुक गन्ध माल्य शोभे ।
भगवति हरि वल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥
हिन्दी भावार्थ - हे महामाया महालक्ष्मी ! आप कमल फूलो से भरे हुए वन में निवास करनेवाली हो, आपके हाथों में सुंदर कमल है। आपके वस्त्र अत्यन्त उज्ज्वल हैं । आपके दिव्य देह पर अत्यंत मनोहर गन्ध और सुंदर सुंदर मालाएँ डाली हुई हैं । हे भगवान श्री हरी की प्रिया आपका स्वरूप अत्यंत मनमोहक है । आपकी कृपा से त्रिभुवन का ऐश्वर्य प्राप्त हो सकता है आप मुझपर प्रसन्न होकर कृपा करें ।
ऐसा ध्यान करेंगे ।
इसके बाद अपने पूजा स्थान/दुकान/ एकांत कक्ष मे अपने सामने लक्ष्मी चित्र/ यंत्र/ श्रीयंत्र/ चाँदी सिक्का/ लक्ष्मी मूर्ति (जो आपके पास उपलब्ध हो ) रखकर भगवती लक्ष्मी के 108 नामों का उच्चारण करें और हर बार नम: के साथ फूल /कुमकुम/ चावल/ अष्टगंध चढ़ाएं ।
ॐ श्रीं अदित्यै नमः ।
ॐ श्रीं अनघायै नमः ।
ॐ श्रीं अनुग्रहप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं अमृतायै नमः ।
ॐ श्रीं अशोकायै नमः ।
ॐ श्रीं आह्लादजनन्यै नमः ।
ॐ श्रीं इन्दिरायै नमः ।
ॐ श्रीं इन्दुशीतलायै नमः ।
ॐ श्रीं उदाराङ्गायै नमः ।
ॐ श्रीं कमलायै नमः ।
ॐ श्रीं करुणायै नमः ।
ॐ श्रीं कान्तायै नमः ।
ॐ श्रीं कामाक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं क्रोधसम्भवायै नमः ।
ॐ श्रीं चतुर्भुजायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्ररूपायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रवदनायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रसहोदर्यै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रायै नमः ।
ॐ श्रीं जयायै नमः ।
ॐ श्रीं तुष्टयै नमः ।
ॐ श्रीं त्रिकालज्ञानसम्पन्नायै नमः ।
ॐ श्रीं दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं दारिद्र्यनाशिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं दित्यै नमः ।
ॐ श्रीं दीप्तायै नमः ।
ॐ श्रीं देव्यै नमः ।
ॐ श्रीं धनधान्यकर्यै नमः ।
ॐ श्रीं धन्यायै नमः ।
ॐ श्रीं धर्मनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीं नवदुर्गायै नमः ।
ॐ श्रीं नारायणसमाश्रितायै नमः ।
ॐ श्रीं नित्यपुष्टायै नमः ।
ॐ श्रीं नृपवेश्मगतानन्दायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मगन्धिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मनाभप्रियायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मप्रियायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्ममालाधरायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्ममुख्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मसुन्दर्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्महस्तायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्माक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मालयायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मोद्भवायै नमः ।
ॐ श्रीं परमात्मिकायै नमः ।
ॐ श्रीं पुण्यगन्धायै नमः ।
ॐ श्रीं पुष्टयै नमः ।
ॐ श्रीं प्रकृत्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रभायै नमः ।
ॐ श्रीं प्रसन्नाक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रसादाभिमुख्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रीतिपुष्करिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं बिल्वनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीं बुद्धये नमः ।
ॐ श्रीं ब्रह्माविष्णुशिवात्मिकायै नमः ।
ॐ श्रीं भास्कर्यै नमः ।
ॐ श्रीं भुवनेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं मङ्गळा देव्यै नमः ।
ॐ श्रीं महाकाल्यै नमः ।
ॐ श्रीं महादीप्तायै नमः ।
ॐ श्रीं महादेव्यै नमः ।
ॐ श्रीं यशस्विन्यै नमः ।
ॐ श्रीं रमायै नमः ।
ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः ।
ॐ श्रीं लोकमात्रे नमः ।
ॐ श्रीं लोकशोकविनाशिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः ।
ॐ श्रीं वरारोहायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुधायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुधारिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं वसुन्धरायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं वाचे नमः ।
ॐ श्रीं विकृत्यै नमः ।
ॐ श्रीं विद्यायै नमः ।
ॐ श्रीं विभावर्यै नमः ।
ॐ श्रीं विभूत्यै नमः ।
ॐ श्रीं विमलायै नमः ।
ॐ श्रीं विश्वजनन्यै नमः ।
ॐ श्रीं विष्णुपत्न्यै नमः ।
ॐ श्रीं विष्णुवक्षस्स्थलस्थितायै नमः ।
ॐ श्रीं शान्तायै नमः ।
ॐ श्रीं शिवकर्यै नमः ।
ॐ श्रीं शिवायै नमः ।
ॐ श्रीं शुक्लमाल्याम्बरायै नमः ।
ॐ श्रीं शुचये नमः ।
ॐ श्रीं शुभप्रदाये नमः ।
ॐ श्रीं शुभायै नमः ।
ॐ श्रीं श्रद्धायै नमः ।
ॐ श्रीं श्रियै नमः ।
ॐ श्रीं सत्यै नमः ।
ॐ श्रीं समुद्रतनयायै नमः ।
ॐ श्रीं सर्वभूतहितप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं सिद्धये नमः ।
ॐ श्रीं सुधायै नमः ।
ॐ श्रीं सुप्रसन्नायै नमः ।
ॐ श्रीं सुरभ्यै नमः ।
ॐ श्रीं स्त्रैणसौम्यायै नमः ।
ॐ श्रीं स्वधायै नमः ।
ॐ श्रीं स्वाहायै नमः ।
ॐ श्रीं हरिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं हरिवल्लभायै नमः ।
ॐ श्रीं हिरण्मय्यै नमः ।
ॐ श्रीं हिरण्यप्राकारायै नमः ।
ॐ श्रीं हेममालिन्यै नमः ।
अन्त मे हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना कर लें ।
यह पूजन आप रात्री मे कर सकते हैं । अगर ऐसा संभव ना हो तो आप दिन में किसी भी समय इसे कर सकते हैं ।
अगर आपने श्री यंत्र के ऊपर पूजन किया है तो पूजा करने के बाद उस यंत्र को आप पूजा स्थान में या अपने पैसा रखने वाले गल्ले में रख सकते हैं ।