- पहले एक हवन कुंड या पात्र में लकडियां जमायें.
- अब उसमें "आं अग्नये नमः" मंत्र बोलते हुए आग लगायें.
- ७ बार "ॐ अग्नये स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- ३ बार "ॐ गं गणपतये स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- ३ बार "ॐ भ्रं भैरवाय स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- २१ बार "ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः स्वाहा" मंत्र से आहुति डालें.
- अब जिस हनुमान मन्त्र का जाप कर रहे थे उस मन्त्र से स्वाहा लगाकर १०८ बार आहुति डालें.
- अंत में अपने दोनों कान पकडकर गलतियों के लिये क्षमा मांगे.
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
ब्लॉग पर दिखाये गए विज्ञापन गूगल तथा थर्ड पार्टी द्वारा दिखाये जाते हैं । उनकी प्रमाणकिता, प्रासंगिकता तथा उपयोगिता पर स्वविवेक से निर्णय लें ।
22 अप्रैल 2016
हनुमान मन्त्र - हवन विधि
अध्यात्मिक उन्नति के लिए हनुमान साधना
- ॥ ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटि समप्रभाय रामदूताय स्वाहा ॥
- सबसे पहले गुरु यदि हों तो उनके मंत्र की एक माला जाप करें. यदि न हों तो मेरे गुरुदेव
- परम हंस स्वामी निखिलेस्वरानंद जी
- [ डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ]
- को गुरु मानकर निम्नलिखित मंत्र की एक माला जाप कर लें.
- || ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ||
- इसके बाद आप जाप प्रारंभ करें. गुरु मन्त्र का जाप करने से साधना में बाधा नहीं आती और सफलता जल्दी मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
- हनुमान जी की साधना के सामान्य नियम निम्नानुसार होंगे :-
- पहले दिन हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामाना बोल देना चाहिए.
- ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिये.
- साधना का समय रात्रि ९ से सुबह ६ बजे तक.
- साधना कक्ष में हो सके तो किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न दें.
- आसन तथा वस्त्र लाल या सिंदूरी रंग का रखें.
- जाप संख्या ११,००० होगी.
- प्रतिदिन चना,गुड,बेसन लड्डू,बूंदी में से किसी एक वस्तु का भोग लगायें.
- हवन ११०० मन्त्र का होगा, इसमें जाप किये जाने वाले मन्त्र के अन्त में स्वाहा लगाकर सामग्री अग्नि में डालना होता है.
- हवन सामग्री में गुड का चूरा मिला लें.
- रुद्राक्ष की माला से जाप होगा.
अधिक जानकारी के लिए डाऊनलोड करें "साधना सिद्धि विज्ञान " का हनुमान विशेषांक
https://drive.google.com/file/d/0B_O195pngUbpMDczNGRjYTctNmUwZi00NWUzLTlhMTQtN2M3ODY4ZTlmZjI4/view?usp=sharing
https://drive.google.com/file/d/0B_O195pngUbpMDczNGRjYTctNmUwZi00NWUzLTlhMTQtN2M3ODY4ZTlmZjI4/view?usp=sharing
21 अप्रैल 2016
तन्त्रोक्त निखिलेश्वरानंद सिद्धि मन्त्र
पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद साधना
तन्त्रोक्त निखिलेश्वरानंद सिद्धि मन्त्र
|| ॐ निं निखिलेश्वराय सं संमोहनाय निं नमः ||
वस्त्र - सफ़ेद वस्त्र धारण करें.
आसन - सफ़ेद होगा.
समय - प्रातः ४ से ६ बजे का समय सबसे अच्छा है, न हो पाए
तो कभी भी कर सकते हैं.
दिशा - उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए बैठें
पुरश्चरण - तीन लाख मंत्र जाप का होगा
हवन - ३०,००० मंत्रों से
हवन सामग्री - दशांग या घी
विधि :-
- सामने गुरु चित्र रखें गुरु यन्त्र या श्री यंत्र हो तो वह भी रखें .
- हाथ में पानी लेकर बोले की " मै [अपना नाम ] गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह साधना कर रहा हूँ , वे प्रसन्न हों और मुझपर कृपा करें साधना के मार्ग पर आगे बढायें ". अब पानी निचे छोड़ दें.
लाभ :-
वर्तमान युग के सर्वश्रेष्ट तंत्र मर्मज्ञ , योगिराज प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंदजी की कृपा प्राप्त होगी जो आपको साधना पथ पर तेजी से आगे बढ़ाएगी.
गुरु जन्मदिवस : २१ अप्रेल
21 अप्रेल : जन्मदिवस
मेरे
परम आदरणीय पूज्यपाद गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी जो
सामान्यतः डा नारायण दत्त श्रीमाली जी के नाम से जाने जाते हैं .
तन्त्र साधनाओं के पुरोधा, ज्योतिष विद्या के अनन्य ज्ञाता और कर्मकाण्ड के सिद्धहस्त विद्वान.
भारतवर्ष से लगभग विलुप्त हो चुकी आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का भागीरथ प्रयत्न करने वाले युगपुरुष......
संपूर्ण विश्व में साधनारत करोडों शिष्यों को साधना का अमृतपान कराने वाले जगद्गुरु के चरणों में सादर नमन..............
मैं आज इस क्षेत्र मे जो भी अल्प ज्ञान प्राप्त कर पाया हूं वह मेरे गुरु की अहेतुकि कृपा है.
मेरी लेखनी में वह क्षमता नहीं है कि मेरे सद्गुरुदेव के विराट व्यक्तित्व का अंश मात्र भी वर्णन कर सके....
क्षमस्व गुरुदेव ...
क्षमस्व गुरुदेव ......
क्षमस्व गुरुदेव .........
न गुरोरधिकम...........
न गुरोरधिकम...........................
न गुरोरधिकम.............................................
निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि
आदोवदानं परमं सदेहं, प्राण प्रमेयं पर संप्रभूतम ।
पुरुषोत्तमां पूर्णमदैव रुपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ १॥
अहिर्गोत रूपं सिद्धाश्रमोयं, पूर्णस्वरूपं चैतन्य रूपं ।
दीर्घोवतां पूर्ण मदैव नित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ २॥
ब्रह्माण्ड्मेवं ज्ञानोर्णवापं,सिद्धाश्रमोयं सवितं सदेयं ।
अजन्मं प्रवां पूर्ण मदैव चित्यं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ३॥
गुरुर्वै त्वमेवं प्राण त्वमेवं, आत्म त्वमेवं श्रेष्ठ त्वमेवं ।
आविर्भ्य पूर्ण मदैव रूपं, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ४॥
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं परेशां,प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं विवेशां ।
प्रणम्यं प्रणम्यं प्रणम्यं सुरेशां, निखिलेश्वरोयं प्रणम्यं नमामि ॥ ५॥
श्री निखिलेश्वरानद साधना
परम हंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........
- यह परम तेजस्वी गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का तान्त्रोक्त मन्त्र है.
- पूर्ण ब्रह्मचर्य / सात्विक आहार/आचार/विचार के साथ जाप करें.
- पूर्णिमा से प्रारंभ कर अगली पूर्णिमा तक करें.
गुरूदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी : ग्रन्थ
Books written by
Dr. Narayan Dutta Shrimali Ji
[परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ]
- Practical Palmistry
- Practical Hypnotism
- The Power of Tantra
- Mantra Rahasya
- Meditation
- Dhyan, Dharana aur Samadhi
- Kundalini Tantra
- Alchemy Tantra
- Activation of Third Eye
- Guru Gita
- Fragrance of Devotion
- Beauty - A Joy forever
- Kundalini naad Brahma
- Essence of Shaktipat
- Wealth and Prosperity
- The Celestial Nymphs
- The Ten Mahavidyas
- Gopniya Durlabh Mantron Ke Rahasya.
- Rahasmaya Agyaat tatntron ki khoj men.
- Shmashaan bhairavi.
- Himalaya ke yogiyon ki gupt siddhiyaan.
- Rahasyamaya gopniya siddhiyaan.
- Phir Dur Kahi Payal Khanki
- Yajna Sar
- Shishyopanishad
- Durlabhopanishad
- Siddhashram
- Hansa Udahoon Gagan Ki Oar
- Mein Sugandh Ka Jhonka Hoon
- Jhar Jhar Amrit Jharei
- Nikhileshwaranand Chintan
- Nikhileshwaranand Rahasya
- Kundalini Yatra- Muladhar Sey Sahastrar Tak
- Soundarya
- Mein Baahen Feilaaye Khada Hoon
- Hastrekha vigyan aur panchanguli sadhana.
20 अप्रैल 2016
दुर्लभतम पवित्रतम आवाहन : दादा गुरुदेव सच्चिदानन्द जी महाराज
पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानान्दजी के, परम श्रद्धेय प्रातः स्मरणीय गुरुदेव, दादा गुरुदेव परमहंस स्वामी सच्चिन्दानंद जी महाराज, का आह्वान गुरुदेव ने किया था गुरुपूर्णिमा शिविर पानीपत-4th July,1995 में, एक सजग गुरुभाई के सौजन्य से प्रस्तुत है .रिकार्डिंग देखना चाहें तो यू ट्यूब में उपलब्ध है |
- पूर्ण शुद्धि और श्रद्धा के साथ पाठ करें |
- पाठ के बाद कपूर से आरती अवश्य करें |
सिद्धाश्रमोऽयं परिपूर्ण रूपं, सिद्धाश्रमोऽयं दिव्यं वरेण्यम् |
न देवं न योगं न पूर्वं वरेण्यम्, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || १ ||
न पूर्वं वदेन्यम् न पार्वं सदेन्यम्, दिव्यो वदेन्यम् सहितं वरेण्यम् |
आतुर्यमाणमचलं प्रवतं प्रदेयं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || २ ||
सूर्यो वदाम्यं वदतं मदेयं, शिव स्वरूपं विष्णुर्वदेन्यं |
ब्रह्मात्वमेव वदतं च विश्वकर्मा, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ३ ||
रजतत्वदेयं महितत्वदेयं वाणीत्वदेयं वरिवनत्वदेयं |
आत्मोवतां पूर्ण मदैव रूपं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ४ ||
दिव्याश्रमोऽयं सिद्धाश्रमोऽयं वदनं त्वमेवं आत्मं त्वमेवं |
वारन्यरूप पवतं पहितं सदैवं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ५ ||
हंसो वदान्यै वदतं सहेवं, ज्ञानं च रूपं रूपं त्वदेवम् |
ऋषियामनां पूर्व मदैवं रूपं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ६ ||
मुनियः वदाम्यै ज्ञानं वदाम्यै, प्रणवं वदाम्यै देवं वदाम्यै |
देवर्ष रूपमपरं महितं वदाम्यै, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ७ ||
वशिष्ठ विश्वामित्रं वदेन्यम् ॠषिर्माम देव मदैव रूपं |
ब्रह्मा च विष्णु वदनं सदैव, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ८ ||
भगवत् स्वरूपं मातृ स्वरूपं, सच्चिदानन्द रूपं महतं वदेवम् |
दर्शनं सदां पूर्ण प्रणवैव पुण्यं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ९ ||
महते वदेन्यम् ज्ञानं वदेन्यम्, न शीतोष्ण रूपं आत्मं वदेन्यम् |
न रूपं कथाचित कदेयचित कदीचित, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || १० ||
जरा रोग रूपं महादेव नित्यं, वदन्त्यम् वदेन्यम् स्तुवन्तम् सदैव |
अचिन्त्य रूपं चरितं सदैवं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || ११ ||
यज्ञो न धूपं न धूमं वदेन्यम्, सदान्यं वदेयं नवेवं सदेयम् |
ॠषिश्च पूर्णं प्रवितं प्रदेवं, सिद्धाश्रमोऽयं प्रणम्यं नमामि || १२ ||
12 अप्रैल 2016
11 अप्रैल 2016
महामाया महालक्ष्मी
॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा लक्ष्मै नमः ॥
- भगवती लक्ष्मी का विशेष मन्त्र है.
- गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.न हों तो कोई भी साफ धुला वस्त्र पहन कर बैठें.
- अगरबत्ती इत्र आदि से पूजा स्थल को सुगन्धित करें.
- विवाहित हों तो पत्नी सहित बैठें तो और लाभ मिलेगा.
- रात्रि 9 से 5 के बीच यथा शक्ति जाप करें.
- क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।
भूलोक के पालन कर्ता हैं भगवान् विष्णु और उनकी शक्ति हैं महामाया महालक्ष्मी ....
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
इस संसार में जो भी चंचलता है अर्थात गति है उसके मूल में वे ही हैं.....
उनके अभाव में गृहस्थ जीवन अधूरा अपूर्ण अभावयुक्त और अभिशापित है....
लक्ष्मी की कृपा के बिना सुखद गृहस्थ जीवन बेहद कठिन है............... बाकी आप स्वयं समझदार हैं...
10 अप्रैल 2016
रक्षा नारियल
आपने देखा होगा की
लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों
में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया
जाता है.
नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.
आवश्यक सामग्री :-
लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
-------
यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
-----
"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"
अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.
नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.
आवश्यक सामग्री :-
लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
-------
यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
-----
- वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.
- सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."
- इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.
- नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.
- लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
- अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.
- नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें ऐसा कम से कम तीन दिन तक करें. पूरी नवरात्रि कर सकें तो और भी बेहतर है.
"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"
अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें. यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.
महाकाल भैरव मंत्र
काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||
विधि :-
- रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- काली मिर्च या तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
- एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें.
- किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ.
- घर में आकर स्नान कर लें.
- दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें.
- किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
- दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.
त्रिपुर भैरवी नमः
॥ हसै हसकरी हसै ॥
लाभ - शत्रुबाधा, तन्त्रबाधा निवारण.
विधि ---
- दिये हुए चित्र को फ़्रम करवा लें.
- यन्त्र के बीच में देखते हुए जाप करें.
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रत्रि ९ बजे से सुबह ४ बजे के बीच का समय रात्रि काल है.
- काला रंग का आसन तथा वस्त्र होगा.
- दिशा दक्षिण की तरफ़ मुंह करके बैठना है.
- हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
- किसी स्त्री का अपमान न करें.
- किसी पर साधना काल में क्रोध न करें.
- किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
- यथा संभव मौन रखें.
- उपवास न कर सकें तो साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)