एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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8 नवंबर 2017
महाविद्या बगला मुखी साधना शिविर , डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ 11-12 नवम्बर 17
गुरु निलयम, MIG-556,पद्मनाभपुर, दुर्ग, छ.ग., भारत
Unnamed Road, Dongargarh, Chhattisgarh 491445, India
1 नवंबर 2017
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 1999 से भोपाल से हो रहा है.
यह पत्रिका साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है.
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका के पुराने अंकों के लिये नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें
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गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी तथा गुरुमाता साधनाजी के साधनात्मक अनुभव के प्रकाश मे प्रकाशित साधनात्मक ज्ञान आप को स्वयम अभिभूत कर देगा
[ Sadhana Siddhi Vigayan monthly magazine,a knowledge bank of Tantra, Mantra, Yantra Sadhana]
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समस्त प्रकार की साधनात्मक जानकारियों से भरपूर शुद्द पूजन तथा प्रयोगों की जानकारी के लिये
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साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न. 5 प्लाट न. 210
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भोपाल [म.प्र.] 4620011
दूरभाष : (0755) --- 4269368,4283681,4221116
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साधना सिद्धि विज्ञान
जास्मीन - 429
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महाविद्या गुह्यकाली विशेषांक
महाविद्या तारा विशेषांक
महाविद्या छिन्नमस्ता विशेषांक
महाविद्या बगलामुखी विशेषांक
निखिल तंत्रम
निखिल तंत्रम
निखिल तंत्रम
निखिल महामृत्युंजय तंत्रम
महाविद्या भुवनेश्वरी विशेषांक
महाविद्या महाकाली विशेषांक
महाविद्या तारा विशेषांक
- गुरु तन्त्रम.
- शरभ तन्त्रम.
- बगलामुखी तन्त्रम.
- श्री विद्या रहस्यम.
- तारा तन्त्रम.
- महाकाल तन्त्रम.
- मातंगी तन्त्रम.
- अप्सरा तन्त्रम.
- नाग तन्त्रम.
- योगिनी तन्त्रम.
- लक्ष्मी तन्त्रम.
- कामकलाकाली तन्त्रम.
- गुह्यकाली तन्त्रम.
- भुवनेश्वरि तन्त्रम.
- धूमावती तन्त्रम.
- कमला तन्त्रम.
- रुद्र तन्त्रम.
- शिव रहस्यम.
- छिन्नमस्ता तन्त्रम.
- नाथ तन्त्रम.
- विष्णु तन्त्रम.
- काली तन्त्रम.
- दक्षिण काली तन्त्रम.
- भैरव तन्त्रम.
- त्रिपुर सुन्दरी तन्त्रम.
- भैरवी तन्त्रम.
- कामाख्या तन्त्रम.
- रस तन्त्रम
- निखिल तन्त्रम.
- चामुन्डा तन्त्रम.
- अघोर तन्त्रम.
- रुद्राक्ष रहस्यम.
- रत्न रहस्यम.
- तान्त्रिक सामग्री रहस्यम.
- मुद्रा विवेचन.
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सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयम मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.
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साधनात्मक मार्गदर्शन एवं दीक्षा प्राप्ति के लिये सम्पर्क
जानकारी, जिज्ञासा, सूचना हेतु कार्यालय में सम्पर्क का समय :
१० बजे से ७ बजे तक (रविवार अवकाश)
साधना सिद्धि विज्ञान
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जे. के. रोड , भोपाल [म.प्र.]
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26 अक्तूबर 2017
साधना सिद्धि विज्ञान पीडीऍफ़ : पुनर्जन्म विशेषांक
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी . इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा . देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .
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वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
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साधना सिद्धि विज्ञान शोप न. 5 प्लाट न. 210 एम.पी.नगर भोपाल [म.प्र.] 462011
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साधना सिद्धि विज्ञान एक मासिक पत्रिका है , 250 रुपये इसका वार्षिक शुल्क है . यह पत्रिका आपको एक साल तक हर महीने मिलेगी .
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पत्रिका सदस्यता, समस्या तथा विभिन्न साधनात्मक जानकारियों तथा निशुल्क दीक्षा के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक [ रविवार अवकाश ] phone -[0755]-4283681
18 अक्तूबर 2017
दीपावली महालक्ष्मी पूजन
साधना में गुरु की आवश्यकता
ॐ मंत्र साधना के लिए गुरु धारण करना श्रेष्ट होता है.
ॐ साधना से उठने वाली उर्जा को गुरु नियंत्रित और संतुलित करता है, जिससे साधना में जल्दी सफलता मिल जाती है.
ॐ गुरु मंत्र का नित्य जाप करते रहना चाहिए. अगर बैठकर ना कर पायें तो चलते फिरते भी आप मन्त्र जाप कर सकते हैं.
गुरु के बिना साधना
ॐ स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
ॐ जिन मन्त्रों में 108 से ज्यादा अक्षर हों उनकी साधना बिना गुरु के भी की जा सकती हैं.
ॐ शाबर मन्त्र तथा स्वप्न में मिले मन्त्र बिना गुरु के जाप कर सकते हैं .
ॐ गुरु के आभाव में स्तोत्र तथा सहश्रनाम साधनाएँ करने से पहले अपने इष्ट या भगवान शिव के मंत्र का एक पुरश्चरण यानि १,२५,००० जाप कर लेना चाहिए.इसके अलावा हनुमान चालीसा का नित्य पाठ भी लाभदायक होता है.
मंत्र साधना करते समय सावधानियां
Y मन्त्र तथा साधना को गुप्त रखें, ढिंढोरा ना पीटें, बेवजह अपनी साधना की चर्चा करते ना फिरें .
Y गुरु तथा इष्ट के प्रति अगाध श्रद्धा रखें .
Y आचार विचार व्यवहार शुद्ध रखें.
Y बकवास और प्रलाप न करें.
Y किसी पर गुस्सा न करें.
Y यथासंभव मौन रहें.अगर सम्भव न हो तो जितना जरुरी हो केवल उतनी बात करें.
Y ब्रह्मचर्य का पालन करें.विवाहित हों तो साधना काल में बहुत जरुरी होने पर अपनी पत्नी से सम्बन्ध रख सकते हैं.
Y किसी स्त्री का चाहे वह नौकरानी क्यों न हो, अपमान न करें.
Y जप और साधना का ढोल पीटते न रहें, इसे यथा संभव गोपनीय रखें.
Y बेवजह किसी को तकलीफ पहुँचाने के लिए और अनैतिक कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग न करें.
Y ऐसा करने पर परदैविक प्रकोप होता है जो सात पीढ़ियों तक अपना गलत प्रभाव दिखाता है.
Y इसमें मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म , लगातार गर्भपात, सन्तान ना होना , अल्पायु में मृत्यु या घोर दरिद्रता जैसी जटिलताएं भावी पीढ़ियों को झेलनी पड सकती है |
Y भूत, प्रेत, जिन्न,पिशाच जैसी साधनाए भूलकर भी ना करें , इन साधनाओं से तात्कालिक आर्थिक लाभ जैसी प्राप्तियां तो हो सकती हैं लेकिन साधक की साधनाएं या शरीर कमजोर होते ही उसे असीमित शारीरिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है | ऐसी साधनाएं करने वाला साधक अंततः उसी योनी में चला जाता है |
गुरु और देवता का कभी अपमान न करें.
मंत्र जाप में दिशा, आसन, वस्त्र का महत्व
Y साधना के लिए नदी तट, शिवमंदिर, देविमंदिर, एकांत कक्ष श्रेष्ट माना गया है .
Y आसन में काले/लाल कम्बल का आसन सभी साधनाओं के लिए श्रेष्ट माना गया है .
Y अलग अलग मन्त्र जाप करते समय दिशा, आसन और वस्त्र अलग अलग होते हैं .
Y इनका अनुपालन करना लाभप्रद होता है .
माला तथा जप संख्या
Y रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला धारण करने से आध्यात्मिक अनुकूलता मिलती है .
Y रुद्राक्ष की माला आसानी से मिल जाती अगर अलग से निर्देश न हो तो सभी साधनाओं में रुद्राक्ष माला से मन्त्र जाप कर सकते हैं .
Y एक साधना के लिए एक माला का उपयोग करें |
Y सवा लाख मन्त्र जाप का पुरश्चरण होगा |
Y गुरु मन्त्र का जाप करने के बाद उस माला को सदैव धारण कर सकते हैं. इस प्रकार आप मंत्र जाप की उर्जा से जुड़े रहेंगे और यह रुद्राक्ष माला एक रक्षा कवच की तरह काम करेगा.
सामान्य हवन विधि
Y जाप पूरा होने के बाद किसी गोल बर्तन, हवनकुंड में हवन अवश्य करें | इससे साधनात्मक रूप से काफी लाभ होता है जो आप स्वयं अनुभव करेंगे |
Y अग्नि जलाने के लिए माचिस का उपयोग कर सकते हैं | इसके साथ घी में डूबी बत्तियां तथा कपूर रखना चाहिए
Y जलाते समय “ॐ अग्नये नमः” मन्त्र का कम से काम 7 बार जाप करें | जलना प्रारंभ होने पर इसी मन्त्र में स्वाहा लगाकर घी की 7 आहुतियाँ देनी चाहिए |
Y बाजार में उपलब्ध हवन सामग्री का उपयोग कर सकते हैं |
Y हवन में 1250 बार या जितना आपने जाप किया है उसका सौवाँ भाग हवन करें | मन्त्र के पीछे “स्वाहा” लगाकर हवन सामग्री को अग्नि में डालें |
भावना का महत्व
Y जाप के दौरान भाव सबसे प्रमुख होता है , जितनी भावना के साथ जाप करेंगे उतना लाभ ज्यादा होगा.
Y यदि वस्त्र आसन दिशा नियमानुसार ना हो तो भी केवल भावना सही होने पर साधनाएं फल प्रदान करती ही हैं .
Y नियमानुसार साधना न कर पायें तो जैसा आप कर सकते हैं वैसे ही मंत्र जाप करें , लेकिन साधनाएं करते रहें जो आपको साधनात्मक अनुकूलता के साथ साथ दैवीय कृपा प्रदान करेगा |
Y देवी या देवता माता पिता तुल्य होते हैं उनके सामने शिशुवत जाप करेंगे तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगेगा |
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