भगवती महालक्ष्मी पूजन
पूजन
सामग्री :-
हल्दी,कुमकुम
,चन्दन ,अष्टगंध ,अक्षत ,इत्र ,कपूर,फुल,फल,मिठाई ,पान,अगरबत्ती,दीपक आदि ।
जो
सामग्री उपलब्ध हो वह रखें और जो उपलब्ध ना हो पाए उसके लिए चिंता ना करें । प्रयास
करें कि सारी सामग्रियां उपलब्ध हो क्योंकि देवी महालक्ष्मी के पूजन में कंजूसी
नहीं करनी चाहिए और यथासंभव अपनी क्षमता के अनुसार पूजन संपन्न करना चाहिए ।
पूजन
सामग्री भी अच्छी क्वालिटी का ही रखें ।
जिस
स्थान पर बैठे वह साफ सुथरा हो ।
आपके
कपड़े साफ सुथरे हो ।
महिलाएं
हो तो श्रृंगार कर के बैठे ।
पुरुष
हो तो साफ-सुथरे धुले हुए वस्त्र पहन कर बैठे ।
यदि
इत्र या परफ्यूम उपलब्ध हो तो उसे लगाएं ।
पूजा
स्थान में अगरबत्ती या खुशबूदार इत्र का छिड़काव करें ।
यदि
गुरु दीक्षा प्राप्त हो तो गुरु का चित्र अवश्य रखें , क्योंकि गुरु लक्ष्मी के
आने पर उसके दुरुपयोग किए जाने से आपकी रक्षा करता है और आपको वैसी बुद्धि देता है
कि आप उस धन का सदुपयोग करें ।
पूजा
स्थान में गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र / श्री यंत्र / शंख/ महाविद्या यन्त्र या
फोटो जो भी उपलब्ध हो वह रखें ।
गुरु
को प्रणाम करें ।
ॐ गुं
गुरुभ्यो नमः
इसके
बाद भगवान गणेश को याद करें और उन्हें पूजा में सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने
की प्रार्थना करें ।
ॐ
श्री गणेशाय नमः
भगवान
भैरव को याद करें और पूजन की रक्षा करने की प्रार्थना करें ।
ॐ भ्रम भैरवाय नमः ।
इसके बाद तंत्र के अधिपति भगवान शिव और मां
जगदंबा को ज्ञात करें उन्हें प्रणाम करें उनसे आशीर्वाद लें कि आपको पूजन में
सफलता प्राप्त हो और भगवती महालक्ष्मी आपकी पूजा को स्वीकार कर अनुकूलता प्रदान
करें ।
ॐ
सांब सदाशिवाय नमः
देवी
महालक्ष्मी से प्रार्थना करें कि मैं आपका पूजन करने जा रहा हूं और आप मुझे इसके
लिए अनुमति प्रदान करें
ॐ
श्री महालक्ष्म्यै नमः
अब आप
4 बार आचमन करे ( दाए हाथ में पानी लेकर पिए )
श्रीं
आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं
विद्या तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं
शिव तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
श्रीं
सर्व तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
अब
आप घंटी बजाएं । घंटे को पुष्प समर्पित करें ।
अब आप
जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करे । पृथ्वी पर हम बैठे हैं इसलिए उसे प्रणाम करें
और उनसे भी आशीर्वाद लें कि आपको पूजन में सफलता प्राप्त हो ।
पृथ्वी
देव्ये नमः
आसन
देवताभ्यो नमः
दीपक
जलाकर उसका पूजन करे । उन्हें प्रणाम करे
और पुष्प अक्षत अर्पण करे । अग्नि का
स्वरूप होता है दीपक और उसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है इसी भाव के साथ उसे
प्रणाम करेंगे ।
दीप
देवताभ्यो नमः ।
तांबे
या मिट्टी से बना हुआ कलश लेकर उसमें पानी भर कर आप स्थापित कर सकते हैं यह अमृत
का प्रतीक माना जाता है अर्थात जीवन में संपूर्णता प्रदान करने वाला .....
कलश
का पूजन करे ..
उसमे
गंध ,अक्षत ,पुष्प ,तुलसी,इत्र ,कपूर डाले ..
कलश
देवताभ्यो नमः ।
उसे
सात बार तिलक करे .
त्रिदेवाय
नमः ।
चतुर्वेदाय
नमः ।
अब आप
अपने आप को तिलक करे । इसके लिए आप महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं और
यदि आपको ज्ञात नहीं है तो महालक्ष्मी नमः ऐसा बोल कर अपने माथे पर तिलक लगा सकते
हैं । तिलक कुमकुम अष्टगंध केसर किसी भी
चीज का लगा सकते हैं ।
संकल्प
:-
संकल्प
का तात्पर्य होता है कि आप संबंधित देवी या देवता के साथ एक प्रकार का अनुबंध कर
रहे हैं कि मैं आपकी कृपा के प्राप्ति के लिए यह कार्य कर रहा हूं और आप खुश होकर मेरी मनोकामना को पूर्ण करें ।
दाहिने
हाथ में जल,पुष्प,अक्षत लेकर संकल्प करे
मैं
(अपना नाम) आज दीपावली के शुभ मुहूर्त पर अपने ज्ञान और क्षमता के अनुसार जैसा
संभव हो उस प्रकार से महालक्ष्मी पूजन कर रहा हूँ । मेरा पूजन ग्रहण करे और मुझपर
कृपा दृष्टी रखे तथा मेरी मनोकामना ( आपकी जो इच्छा है उसे यहां पर बोले ) पूर्ण
करे ।
अब जल
को पूजा स्थान पर छोडे ..
अब आप
गणेशजी का स्मरण करे
वक्रतुण्ड
महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं
कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा
प्रत्येक
कार्य के लिए महागणपति का पूजन अनिवार्य होता है । वह बुद्धि के अधिपति हैं और साथ ही लक्ष्मी को
स्थायित्व प्रदान करते हैं इसलिए हमेशा महालक्ष्मी का पूजन गणपति के साथ ही किया
जाना चाहिए ...
श्री
महागणपति आवाहयामि
मम
पूजन स्थाने ऋद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः
ॐ
श्री गणेशाय नमः गंधाक्षत समर्पयामि
कुमकुम और चावल चढ़ाएं
ॐ
श्री गणेशाय नमः पुष्पं समर्पयामि
फूल चढ़ाएं
ॐ
श्री गणेशाय नमः धूपं समर्पयामि
अगरबत्ती धूप दिखाएं
ॐ
श्री गणेशाय नमः दीपं समर्पयामि
दीपक
प्रदर्शित करें
ॐ
श्री गणेशाय नमः नैवेद्यं समर्पयामि
प्रसाद समर्पित करें ।
अब
नीचे दिये हुये नामों से गणेश जी को दुर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे
1. गं सुमुखाय नम:
2. गं एकदंताय नम:
3. गं कपिलाय नम:
4. गं गजकर्णकाय नम:
5. गं लंबोदराय नम:
6. गं विकटाय नम:
7. गं विघ्नराजाय नम:
8. गं गणाधिपाय नम:
9. गं धूम्रकेतवे नम:
10. गं गणाध्यक्षाय नम:
11. गं भालचंद्राय नम:
12. गं गजाननाय नम:
13. गं वक्रतुंडाय नम:
14. गं शूर्पकर्णाय नम:
15. गं हेरंबाय नम:
16. गं स्कंदपूर्वजाय नम:
अब
गणेशजी को अर्घ्य (एक चम्मच जल )प्रदान
करे
एकदंताय
विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात
महालक्ष्मी
विष्णु पत्नी है। जहां भगवान विष्णु का पूजन होता है वहाँ लक्ष्मी अपने आप आती है
विष्णु
ध्यान :-
शान्ताकारं
भुजंग शयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं
गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकान्तं
कमलनयनं योगीर्भि ध्यानगम्यम्
वन्दे
विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम्
ॐ
श्री विष्णवे नमः
श्री
महाविष्णु आवाहयामि मम पूजा स्थाने स्थापयामि पूजयामि नमः
ॐ
श्री विष्णवे नमः गंधाक्षत समर्पयामि
कुमकुम
चावल समर्पित करें
ॐ
श्री विष्णवे नमः पुष्पं समर्पयामि
फूल
चढ़ाएं
ॐ
श्री विष्णवे नमः धूपं समर्पयामि
धूप अगरबत्ती दिखाएं
ॐ
श्री विष्णवे नमः दीपं समर्पयामि
दीपक दिखाएं
ॐ
श्री विष्णवे नमः नैवेद्यं समर्पयामि
प्रसाद समर्पित करें
भगवान
विष्णु का पूजन तथा ध्यान करने से देवी महालक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं पुरुषसूक्त
का पाठ करें
सहस्रशीर्षा
पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।
स भूमिं
विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशाङुलम् ॥१॥
पुरुष
एवेदं सर्वं यद्भूतं यच्च भव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानो
यदन्नेनातिरोहति ॥२॥
एतावानस्य
महिमातो ज्यायाँश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य
विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥३॥
त्रिपादूर्ध्व
उदैत्पूरुषः पादोऽस्येहाभवत्पुनः ।
ततो विष्वङ्
व्यक्रामत्साशनानशने अभि ॥४॥
तस्माद्विराळजायत
विराजो अधि पूरुषः ।
स जातो
अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः ॥५॥
यत्पुरुषेण
हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।
वसन्तो
अस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः ॥६॥
तं यज्ञं
बर्हिषि प्रौक्षन्पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन देवा
अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ॥७॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः
सम्भृतं पृषदाज्यम् ।
पशून्ताँश्चक्रे
वायव्यानारण्यान् ग्राम्याश्च ये ॥८॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुत
ऋचः सामानि जज्ञिरे ।
छन्दांसि
जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत ॥९॥
तस्मादश्वा
अजायन्त ये के चोभयादतः ।
गावोः
ह जज्ञिरे तस्मात् तस्माज्जाता अजावयः ॥१०॥
यत्पुरुषं
व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् ।
मुखं किमस्य
कौ बाहू का ऊरू पादा उच्येते ॥११॥
ब्राह्मणोऽस्य
मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य
यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ॥१२॥
चन्द्रमा
मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ।
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च
प्राणाद्वायुरजायत ॥१३॥
नाभ्या
आसीदन्तरिक्षं शीर्ष्णो द्यौः समवर्तत ।
पद्भ्यां
भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ अकल्पयन् ॥१४॥
सप्तास्यासन्
परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः ।
देवा यद्यज्ञं
तन्वाना अबध्नन्पुरुषं पशुम् ॥१५॥
यज्ञेन
यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं
महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥१६॥
विष्णुसूक्त
का पाठ भी कर सकते है ..
अब
भगवान विष्णु के 24 नामों से तुलसी या पुष्प अर्पण करे ।
1. ॐ केशवाय नमः
2. ॐ नारायणाय नमः
3. ॐ माधवाय नमः
4. ॐ गोविन्दाय नमः
5. ॐ विष्णवे नमः
6. ॐ मधुसूदनाय नमः
7. ॐ त्रिविक्रमाय नमः
8. ॐ वामनाय नमः
9. ॐ श्रीधराय नमः
10. ॐ ऋषिकेशाय नमः
11. ॐ पद्मनाभाय नमः
12. ॐ दामोदराय नमः
13. ॐ संकर्षणाय नमः
14. ॐ वासुदेवाय नमः
15. ॐ प्रद्युम्नाय नमः
16. ॐ अनिरुद्धाय नमः
17. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः
18. ॐ अधोक्षजाय नमः
19. ॐ नारसिंहाय नमः
20. ॐ अच्युताय नमः
21. ॐ जनार्दनाय नमः
22. ॐ उपेन्द्राय नमः
23. ॐ हरये नमः
24. ॐ श्रीकृष्णाय नमः
अब
भगवान विष्णु को अर्घ्य प्रदान करे
एक
चम्मच जल डालें
ॐ
नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात
महालक्ष्मी
ध्यान
------------
या सा
पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता
शुभ्रवस्त्रोत्तरीया
या
लक्ष्मी दिव्यरुपै मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः
सानित्यं
पद्महस्ता मम वसतु गॄहे सर्वमांगल्ययुक्ता
इस
प्रकार से महालक्ष्मी का आह्वान करने के बाद ऐसी भावना करें कि वे अपने दिव्य
स्वरुप में आपके घर में ! आपके कुल में !! आपके पूजा स्थान में !!! आकर स्थापित हो
रही हैं और आपको अपने आशीर्वाद से आप्लावित कर रही हैं ....
श्री
महालक्ष्मी आवाहयामि मम गृहे मम कुले मम पूजा स्थाने आवाहयामि स्थापयामि नमः
(
पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः आवाहनं समर्पयामि
(
पुष्प अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि
( दो
आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः पाद्यो पाद्यं समर्पयामि
(जल
में चन्दन अष्ट गंध मिलाकर अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः अर्घ्यम समर्पयामि
( एक
आचमनी जल अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
(
स्नान के लिए जल अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि
(
मौली/ लाल धागा या अक्षत अर्पण करे )
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः उप वस्त्रं समर्पयामि
हल्दी
कुमकुम अर्पण करे
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः हरिद्रा कुमकुम समर्पयामि
चंदन
अष्टगंधअर्पण करे
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः चन्दन अष्ट गंधं समर्पयामि
इतर
या गुलाब का जल अर्पण करे
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः सुगन्धित द्रव्यम समर्पयामि
चावल
अर्पण करे
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः अलंकारार्थे अक्षतान समर्पयामि
फूल
अर्पण करे
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं समर्पयामि
फूलों की माला अर्पण करे
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालाम समर्पयामि
धूप दिखाएं
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः धूपं समर्पयामि
दीपक प्रदर्शित करें
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः दीपं समर्पयामि
प्रसाद चढ़ाएं
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि
फल समर्पित है
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः फलं समर्पयामि
जल
चढ़ाएं
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि
पान
का बीडा हो तो उसे समर्पित करें और ना हो
तो लोंग इलाइची सुपारी पान का पत्ता
समर्पित करें
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि'
दक्षिणा समर्पित करें इसे पूजन समाप्त हो जाने
के बाद किसी विवाहित स्त्री को दे दे ।
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि
कपूर जलाकर आरती करें
ॐ श्री
ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः कर्पुर आरती समर्पयामि ।
अष्ट
सिद्धियों का पूजन
गंध
अक्षत पुष्पं अर्पण करे
1. ॐ अणिम्ने नमः
2. ॐ महिम्ने नमः
3. ॐ गरिम्ने नमः
4. ॐ लघिम्ने नमः
5. ॐ प्राप्त्यै नमः
6. ॐ प्राकाम्यै नमः
7. ॐ इशितायै नमः
8. ॐ वशितायै नमः
अष्टलक्ष्मी
का पूजन
गंध
अक्षत पुष्पं अर्पण करे
1. ॐ आद्य लक्ष्म्यै नमः
2. ॐ धन लक्ष्म्यै नमः
3. ॐ धान्य लक्ष्म्यै नमः
4. ॐ धैर्य लक्ष्म्यै नमः
5. ॐ गज लक्ष्म्यै नमः
6. ॐ संतान लक्ष्म्यै नमः
7. ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः
8. ॐ विजय लक्ष्म्यै नमः
भगवती
महालक्ष्मी के 32 नाम पढ़कर पुष्प अक्षत चढ़ाते जाए।
1. ॐ
श्रियै नमः।
2. ॐ
लक्ष्म्यै नमः।
3. ॐ
वरदायै नमः।
4. ॐ
विष्णुपत्न्यै नमः।
5. ॐ
वसुप्रदायै नमः।
6. ॐ
हिरण्यरूपिण्यै नमः।
7. ॐ
स्वर्णमालिन्यै नमः।
8. ॐ
रजतस्त्रजायै नमः।
9. ॐ
स्वर्णगृहायै नमः।
10. ॐ
स्वर्णप्राकारायै नमः।
11. ॐ
पद्मवासिन्यै नमः।
12. ॐ
पद्महस्तायै नमः।
13. ॐ
पद्मप्रियायै नमः।
14. ॐ
मुक्तालंकारायै नमः।
15. ॐ
सूर्यायै नमः।
16. ॐ
चंद्रायै नमः।
17. ॐ
बिल्वप्रियायै नमः।
18. ॐ
ईश्वर्यै नमः।
19. ॐ
भुक्त्यै नमः।
20. ॐ
प्रभुक्त्यै नमः।
21. ॐ
विभूत्यै नमः।
22. ॐ
ऋद्धयै नमः।
23. ॐ
समृद्ध्यै नमः।
24. ॐ
तुष्टयै नमः।
25. ॐ
पुष्टयै नमः।
26. ॐ
धनदायै नमः।
27. ॐ
धनैश्वर्यै नमः।
28. ॐ
श्रद्धायै नमः।
29. ॐ
भोगिन्यै नमः।
30. ॐ
भोगदायै नमः।
31. ॐ
धात्र्यै नमः।
32. ॐ
विधात्र्यै नमः।
महालक्ष्मी
के पुत्रों का पूजन
पुष्प अक्षत चढ़ाते जाए।
१. ॐ
देवसखाय नमः
२. ॐ
चिक्लीताय नमः
३. ॐ
आनंदाय नमः
४. ॐ
कर्दमाय नमः
५. ॐ
श्रीप्रदाय नमः
६. ॐ
जातवेदाय नमः
७. ॐ
अनुरागाय नमः
८. ॐ
संवादाय नमः
९. ॐ
विजयाय नमः
१०. ॐ
वल्लभाय नमः
११. ॐ
मदाय नमः
१२. ॐ
हर्षाय नमः
१३. ॐ
बलाय नमः
१४. ॐ
तेजसे नमः
१५. ॐ
दमकाय नमः
१६. ॐ
सलिलाय नमः
१७. ॐ
गुग्गुलाय नमः
१८ .
ॐ कुरूण्टकाय नमः
हाथ
जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करे
त्रैलोक्य
पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे
यथा
त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा
इश्वरी
कमला लक्ष्मीश्चचला भूतिर हरिप्रिया
पद्मा
पद्मालया संपदुच्चे: श्री: पद्मधारिणी
द्वादशैतानि
नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्र दारादीभि : सह ।।
अब
आचमनी मे जल और कुंकुम लेकर महालक्ष्मी गायत्री से अर्घ्य दे .
ॐ
महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात
हाथ
जोड़ कर माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना करे
त्राहि
त्राहि महालक्ष्मी त्राहि त्राहि सुरेश्वरी त्राहि त्राहि जगन्माता दरिद्रात
त्राही वेगत :
त्वमेव
जननी लक्ष्मी त्वमेव पिता लक्ष्मी भ्राता त्वं च सखा लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी
त्वमेव च रक्ष त्वं देव देवेशी देव देवस्य वल्लभे दरिद्रात त्राही मां लक्ष्मी
कृपां कुरु ममोपरी
ऐसी
भावना करें कि देवी महालक्ष्मी इस पूजन से प्रसन्न होकर आपके घर में आए और आपके घर
में आपके कुल में आपके परिवार में आपके गोत्र में और आपके हृदय में सदा विराजमान
रहें प्रसन्न रहें और वरदान देती रहें ताकि उनकी कृपा सदैव बनी रहे .....
माँ
महालक्ष्मी मम गृहे मम कुले मम परिवारे मम गोत्रे मम हृदये सदा स्थिरो भव प्रसन्नो
भव वरदो भव …
अंत
में इस पूजन को गुरु चरणों में समर्पित करें हाथ में जल और पुष्प लेकर नीचे लिखा
हुआ मंत्र पढ़ें और पूजा स्थान में छोड़ दें ।
।। श्री सद्गुरुदेव निखिलेश्वरानन्द
चरणार्पणमस्तु ।।
दोनों
कान पकड़कर किसी भी प्रकार की पूजा में त्रुटि हुई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थना
कर ले और देवी महालक्ष्मी से कृपा की प्रार्थना करके पूजा स्थान से उठ जाएं ।