शिव पूजन मे ध्यान रखने योग्य
भगवान शिव देवताओं में सबसे विशिष्ट देवता होने के कारण महादेव कहलाते हैं ।
वह अद्भुत देवता है !
वे सभी प्रकार के ज्ञान का मूल है ।
भगवान शिव को आदि गुरु माना गया है अर्थात वे संपूर्ण सृष्टि के प्रथम गुरु है ।
वह देवताओं के गुरु हैं तो राक्षसों के भी गुरु है .....
इसलिए उनकी साधना कोई भी कर सकता है ।
भगवान शिव की साधना गुरु मानकर अदीक्षित व्यक्ति भी कर सकता है ।
भगवान शिव की साधना में पुरुष या स्त्री होने से किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है ...... क्योंकि वह स्वयं अर्धनारीश्वर अर्थात पुरुष और स्त्री का संयुक्त स्वरूप है ।
भगवान शिव की साधना सबसे सरल है और वे बेहद सरलता से प्रसन्न होने वाले भगवान होने के कारण भोलेनाथ कहलाते हैं । जितनी सरलता और सहजता से आप भगवान शिव का पूजन करेंगे उतनी ही सरलता से आपको अनुकूलता प्राप्त होगी ।
भगवान शिव की पूजा में पूजन सामग्री का बहुत ज्यादा महत्व नहीं है । जितनी भावना से आप पूजन करेंगे उतना ज्यादा आपको फल प्राप्त होगा ।
भगवान शिव के ऊपर जो पूजन सामग्रियां चढ़ती है वह भी उन्हीं के समान विचित्र है । बेलपत्र, धतूरे का फल उन को विशेष रूप से प्रिय है । यह बहुतायत में आसानी से उपलब्ध हो जाता है । इसका प्रयोग आप पूजन में कर सकते हैं ।
भगवान शिव के ऊपर जल या दूध चढ़ाने को अभिषेक कहा जाता है । इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है । आप सामान्य जल से अभिषेक कर सकते हैं और दूध उपलब्ध हो तो उसमें पानी मिलाकर या गंगाजल मिलाकर भी अभिषेक कर सकते हैं ।
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
इस मंत्र का आप भगवान शिव के पूजन में उपयोग कर सकते हैं । इसी मंत्र का जाप करते हुए बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं और जल या दूध भी चढ़ा सकते हैं ।
भगवान शिव का पूजन करते समय भस्म से तीन लाइन वाला तिलक लगाना चाहिए । जिसे त्रिपुंड कहा जाता है । यह तिलक आप अगरबत्ती की राख से भी लगा सकते हैं या फिर यज्ञ की राख या गोबर के कंडे को जलाकर बनाई हुई राख से भी लगा सकते हैं ।
भगवान शिव के पूजन के समय रुद्राक्ष धारण करने से ज्यादा श्रेष्ठ माना गया है । आप रुद्राक्ष की माला गले में धारण करके पूजन करें ।
भगवान शिव के मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ माना गया है । रुद्राक्ष की माला किसी भी प्रकार के दाने की हो सकती है । आप अपनी सुविधानुसार छोटी या बड़ी माला से मंत्र जाप कर सकते हैं ।
भगवान शिव के पूजन के समय महामाया का पूजन भी अनिवार्य रूप से करना चाहिए तभी पूजन को पूर्णता प्राप्त होती है ।
भगवान शिव की साधना हर बंधन से मुक्त है क्योंकि वह स्वयं हर बंधन से मुक्त हैं ।
यहां तक कि वह अकेले ऐसे देवता हैं जो वस्त्र और आभूषण तक से मुक्त है ।
इसलिए उनके पूजन में किसी भी प्रकार के प्रतिबंधों का कोई औचित्य नहीं है ।