एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
Disclaimer
16 नवंबर 2023
4 नवंबर 2023
28 अक्तूबर 2023
चंद्रग्रहण : पति से संबंध अनुकूल बनाने का मंत्र
यदि आपका पति आपसे विरक्त हो गया हो लगातार झगड़ा होता रहता हो बेवजह दूरियां बन गई हो तो इस साधना से अनुकूलता मिलेगी |
विधि :-
कामिया सिन्दूर मिल जाये तो उसे सामने रख लें.
ना मिले तो जिस कुमकुम से आप बिंदी लगाती हैं वह ...... या फिर स्टिकर बिंदी का प्रयोग करती हैं तो स्टीकर बिंदी के पैकेट को अपने सामने लाल कपड़े में रख लेंगे । जाप करने के बाद उस लाल कपड़े में लपेटकर रख लेंगे अगले दिन फिर उसे खोल कर जाप करना है । यदि लाल कपडे में रखने में दिक्कत हो तो ऐसे भी पूजा स्थान में रखकर कर सकते हैं ,.
अगर आपका कोई गुरु हो या किसी देवता को गुरु मानते हो तो उनके मंत्र का तीन बार जाप कर लें
यदि गुरु नहीं हो तो निम्नलिखित गुरु मंत्र का 3 बार जाप कर ले
ॐ श्री गुरु मण्डलाय नमः
इसके बाद अपने दाएं हाथ में एक चम्मच पानी रख लें और अपनी इच्छा (अर्थात मेरा और मेरे पति के बीच में संबंध अच्छा बना रहे ) ऐसी भावना करके उस जल को जमीन पर छोड़ देंगे
उसके बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप करेंगे
"हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया ?
कैलास-पर्वत से आया।
कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त,गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए भरतार ।
सत्य नाम, आदेश गुरु की।
28 अक्तूबर को पूर्णिमा भी है चंद्र ग्रहण भी है उस दिन भी आप इसको १०८ बार या जितनी आपकी क्षमता हो उतनी बार कर सकते हैं . उसके बाद अगली पूर्णिमा तक इसे नित्य कम से कम ११ बार करें .
इसके आलावा आप निम्नलिखित समय में भी इस कर सकते हैं ;-
.....1....
इस मन्त्र को रोज 11 बार जाप होलिका दहन की रात्रि से प्रारंभ कर रामनवमी तक करें ।
हनुमान जयंती वाले दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
हनुमान जयंती के बाद किसी भी दिन से इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. मन में हमेशा भाव रखें कि सब अच्छा हो जाएगा ।
...,........2.....,
अगर ऐसा ना कर सके तो 108 जाप रोज पूरी नवरात्री में करें . आखिरी दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
इसका टीका [बिंदी] लगाकर पति के पास जाएँ. मन में हमेशा भाव रखें कि सब अच्छा हो जाएगा ।
.,........3......
यदि होली,नवरात्रि में ना कर पाएं तो किसी भी पूर्णिमा से अगली पूर्णिमा तक रोज 11 बार जाप कर सकते हैं। आखिरी दिन हनुमान मंदिर में एक नारियल और 21 रुपये या जितनी आपकी शक्ति हो उतना चढ़ा दें ।
बिंदी या कुमकुम रखने में दिक्कत हो तो माता गौरी के भगवान शिव के साथ वाले स्वरूप का ध्यान करके जाप कर लेंगे । टीका या बिंदी लगाते समय इस मंत्र का जाप करते हुए टीका लगा लेंगे ।
.....,
ऐसा नित्य करें तो पति धीरे धीरे अनुकूल होने लगता है.
क्रोध करने से बचें और बेवजह का प्रलाप या बकवास ना करें
यह केवल आपके स्वयं के विवाहित पति के लिए काम करेगा .
प्रेमी के लिए काम नहीं करेगा .
चन्द्र ग्रहण में गुरु साधना
- चन्द्र ग्रहण में गुरु साधना करनी चाहिये.
- अप्सरा साधना, लक्ष्मी साधना के लिये यह सबसे श्रेष्ठ मुहुर्त होता है.
- सम्मोहन/वशीकरण साधना के लिये यह उपयुक्त समय होता है.
21 अक्तूबर 2023
शरद पूर्णिमा पर आर्थिक उन्नति के लिए श्री विद्या साधना शिविर
शरद पूर्णिमा पर आर्थिक उन्नति के लिए श्री विद्या साधना शिविर
हम सब गृहस्थ हैं । गृहस्थ व्यक्ति संसार छोडकर नहीं बैठा है । उसकी पत्नी है , पुत्र है , पुत्री है, माता है , पिता है , भाई है, बहन है , बंधु बांधव हैं । कुल मिलाकर उसके आसपास संबंधों का एक लंबा चौड़ा संसार है । जिसमें उसे कई प्रकार से धन की, लक्ष्मी की, आवश्यकता पड़ती है । अगर व्यवसाय है, तो वह चाहता है कि उसके पास ज्यादा ग्राहक आयें । उसका सामान ज्यादा बिके । उसे ज्यादा फायदा हो .... ऐसा चाहने में कुछ गलत भी नहीं है ।
अगर युवा है तो वह विविध प्रकार के भोग की इच्छा रखता है । विवाहित है, तो पत्नी के साथ भोग की इच्छा रखता है ; अगर आप उसे ब्रह्मचर्य रखने के लिए कहें तो वह उसके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है ।
ऐसी स्थिति में आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखने वाला व्यक्ति अपनी भोग की इच्छा की वजह से थोड़ा झिझक जाता है ; लेकिन सनातन धर्म में विशेष रूप से तंत्र साधनाओं में कई ऐसी विद्याएं हैं,जो भोग भी प्रदान करती है और आध्यात्मिक शक्तियां भी प्रदान करती है ।
इनमें सबसे प्रमुख है श्री विद्या या महाविद्या षोडशी त्रिपुर सुंदरी !
इनके विषय मे कहा गया है कि :-
श्री सुंदरी साधन तत्पराणाम् ,
भोगश्च मोक्षश्च करस्थ एव
अर्थात जो साधक श्री विद्या त्रिपुरसुंदरी साधना के लिए प्रयासरत होता है, उसके एक हाथ में सभी प्रकार के भोग होते हैं, तथा दूसरे हाथ में पूर्ण मोक्ष होता है । ऐसा साधक समस्त प्रकार के भोगों का उपभोग करता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है । ऐसा भी कहा जा सकता है कि यह एकमात्र ऐसी साधना है जो एक साथ भोग तथा मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है ।
श्री विद्या की साधना करने के इच्छुक गृहस्थ साधकों के लिए 27-28 अक्तूबर 2023 को निखिलधाम, भोपाल मे श्री विद्या से संबन्धित शिविर का आयोजन गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी और गुरुमाता डॉ साधना सिंह जी के सानिध्य मे किया जा रहा है ।
आप 26 और 27 अक्तूबर 2023 को गुरुदेव और गुरुमाता से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपनी समस्याओं से संबन्धित दीक्षा और मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।
28 अक्तूबर 2023 को गुरुदेव और गुरुमाता के द्वारा श्री विद्या का विशेष पूजन सम्पन्न होगा जो रात 9 बजे तक चलेगा । इस दौरान लक्ष्मी के विशिष्ट स्वरूपों और श्री विद्या का विशेष पूजन संपन्न करवाया जाएगा जो आर्थिक अनुकूलता के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है ।
कई पाठकों ने आर्थिक तंगी, व्यापार न चलने जैसे विषयों पर साधनात्मक समाधान की आवश्यकता बताई थी । मेरा निजी अनुभव है कि श्री विद्या से संबन्धित दीक्षा और मंत्र जाप आर्थिक उन्नति प्रदान करता ही है, चाहे आप किसी भी क्षेत्र मे हों ।
शरद पूर्णिमा ऐसे भी लक्ष्मी और श्री साधनाओं का सिद्ध मुहूर्त है और इस बार तो चंद्रग्रहण से युक्त भी है इसलिए इसका प्रभाव हजार गुना बढ़ जाएगा ।
इस अवसर का आप भी लाभ उठा सकते हैं और आर्थिक अनुकूलता के लिए श्री विद्या की दीक्षा और मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।
संपर्क करें :-
साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय
जैस्मिन – 429,
न्यू मिनाल रेसिडेंसी,
जे.के.रोड, भोपाल,म.प्र.
फोन- 0755-4269368
आप महाविद्या साधक परिवार के वीडियो यूट्यूब पर देख कर साधनात्मक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं ।
https://www.youtube.com/c/mahavidhyasadhakpariwar
किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें :-
http://namobaglamaa.org/
14 अक्तूबर 2023
बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग
बच्चों मे बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग
विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में मन लगने तथा बुद्धि के विकास के लिए सरस्वती प्रयोग नवरात्रि के अवसर पर आप कर सकते हैं ।
इसके लिए सामग्री
1 केसर आधा ग्राम या चौथाई ग्राम जो भी मिल जाए ।
2 सरस्वती माता का चित्र ।
3 तेल का दीपक।
सबसे पहले माँ या पिता जो भी अपने बच्चे को प्रयोग कराना चाहते हैं वह स्नान करके शुद्ध होकर सामने देवी का चित्र और दीपक जलाकर रख लेंगे ।
दीपक की लौ आपकी तरफ रहेगी ।
अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करें ।
1 माला या 5 मिनट तक गुरु मंत्र
।।ॐ गुरुभ्यो नमः ।।
उसके बाद एक घंटा या 11 माला सरस्वती मंत्र का जाप करें । जाप करते समय मन मे भाव रखेंगे कि आपके बच्चे पर महामाया सरस्वती कृपा करें और उनकी बुद्धि का विकास करें । एक बच्चे के लिए करने के बाद दूसरे बच्चे के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया दुहरानि
।। ऐं ऐं ऐं सरस्वत्यै ऐं ऐं ऐं नमः ।।
केसर के 5-6 धागे को आधा चम्मच पानी मे भिगो कर घोल लें ।
बच्चे की जीभ में अपनी तर्जनी उंगली से सरस्वती बीज मन्त्र लिखें ।
ऐं
उसके बाद बच्चे को 5 मिनट सरस्वती चित्र के सामने सरस्वती मंत्र का जाप करने के लिए कहें ।
नित्य एक माला या 5 मिनट मन्त्र जाप करते रहेंगे तो ज्यादा लाभ होगा ।
यदि बड़े बच्चे हों तो वे स्वयं पहले जाप कर लें तथा बाद में केसर से बीज मंत्र लिख लें ।
जीभ में लिख रहे हैं । वहां लिखाया या नही यह देखने नही जाएंगे । अंदाजे से जीभ पर ऐं लिखना है बस ।
जीभ को पकड़ कर खींचना नही है मुंह के अंदर ही तर्जनी से आराम से माताजी का ध्यान करते हुए मन्त्र लिखना है ।
12 अक्तूबर 2023
महालक्ष्मी के 108 नाम से पूजन
श्री लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम या महालक्ष्मी के 108 नाम
सबसे पहले महालक्ष्मी जी को हाथ जोड़कर ध्यान करलें :-
सरसिज निलये सरोज हस्ते धवलतरांशुक गन्ध माल्य शोभे ।
भगवति हरि वल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥
हिन्दी भावार्थ - हे महामाया महालक्ष्मी ! आप कमल फूलो से भरे हुए वन में निवास करनेवाली हो, आपके हाथों में सुंदर कमल है। आपके वस्त्र अत्यन्त उज्ज्वल हैं । आपके दिव्य देह पर अत्यंत मनोहर गन्ध और सुंदर सुंदर मालाएँ डाली हुई हैं । हे भगवान श्री हरी की प्रिया आपका स्वरूप अत्यंत मनमोहक है । आपकी कृपा से त्रिभुवन का ऐश्वर्य प्राप्त हो सकता है आप मुझपर प्रसन्न होकर कृपा करें ।
ऐसा ध्यान करेंगे ।
इसके बाद अपने पूजा स्थान/दुकान/ एकांत कक्ष मे अपने सामने लक्ष्मी चित्र/ यंत्र/ श्रीयंत्र/ चाँदी सिक्का/ लक्ष्मी मूर्ति (जो आपके पास उपलब्ध हो ) रखकर भगवती लक्ष्मी के 108 नामों का उच्चारण करें और हर बार नम: के साथ फूल /कुमकुम/ चावल/ अष्टगंध चढ़ाएं ।
ॐ श्रीं अदित्यै नमः ।
ॐ श्रीं अनघायै नमः ।
ॐ श्रीं अनुग्रहप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं अमृतायै नमः ।
ॐ श्रीं अशोकायै नमः ।
ॐ श्रीं आह्लादजनन्यै नमः ।
ॐ श्रीं इन्दिरायै नमः ।
ॐ श्रीं इन्दुशीतलायै नमः ।
ॐ श्रीं उदाराङ्गायै नमः ।
ॐ श्रीं कमलायै नमः ।
ॐ श्रीं करुणायै नमः ।
ॐ श्रीं कान्तायै नमः ।
ॐ श्रीं कामाक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं क्रोधसम्भवायै नमः ।
ॐ श्रीं चतुर्भुजायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्ररूपायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रवदनायै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रसहोदर्यै नमः ।
ॐ श्रीं चन्द्रायै नमः ।
ॐ श्रीं जयायै नमः ।
ॐ श्रीं तुष्टयै नमः ।
ॐ श्रीं त्रिकालज्ञानसम्पन्नायै नमः ।
ॐ श्रीं दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं दारिद्र्यनाशिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं दित्यै नमः ।
ॐ श्रीं दीप्तायै नमः ।
ॐ श्रीं देव्यै नमः ।
ॐ श्रीं धनधान्यकर्यै नमः ।
ॐ श्रीं धन्यायै नमः ।
ॐ श्रीं धर्मनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीं नवदुर्गायै नमः ।
ॐ श्रीं नारायणसमाश्रितायै नमः ।
ॐ श्रीं नित्यपुष्टायै नमः ।
ॐ श्रीं नृपवेश्मगतानन्दायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मगन्धिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मनाभप्रियायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मप्रियायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्ममालाधरायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्ममुख्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मसुन्दर्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्महस्तायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्माक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मालयायै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं पद्मोद्भवायै नमः ।
ॐ श्रीं परमात्मिकायै नमः ।
ॐ श्रीं पुण्यगन्धायै नमः ।
ॐ श्रीं पुष्टयै नमः ।
ॐ श्रीं प्रकृत्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रभायै नमः ।
ॐ श्रीं प्रसन्नाक्ष्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रसादाभिमुख्यै नमः ।
ॐ श्रीं प्रीतिपुष्करिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं बिल्वनिलयायै नमः ।
ॐ श्रीं बुद्धये नमः ।
ॐ श्रीं ब्रह्माविष्णुशिवात्मिकायै नमः ।
ॐ श्रीं भास्कर्यै नमः ।
ॐ श्रीं भुवनेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं मङ्गळा देव्यै नमः ।
ॐ श्रीं महाकाल्यै नमः ।
ॐ श्रीं महादीप्तायै नमः ।
ॐ श्रीं महादेव्यै नमः ।
ॐ श्रीं यशस्विन्यै नमः ।
ॐ श्रीं रमायै नमः ।
ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः ।
ॐ श्रीं लोकमात्रे नमः ।
ॐ श्रीं लोकशोकविनाशिन्यै नमः ।
ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः ।
ॐ श्रीं वरारोहायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुधायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुधारिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं वसुन्धरायै नमः ।
ॐ श्रीं वसुप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं वाचे नमः ।
ॐ श्रीं विकृत्यै नमः ।
ॐ श्रीं विद्यायै नमः ।
ॐ श्रीं विभावर्यै नमः ।
ॐ श्रीं विभूत्यै नमः ।
ॐ श्रीं विमलायै नमः ।
ॐ श्रीं विश्वजनन्यै नमः ।
ॐ श्रीं विष्णुपत्न्यै नमः ।
ॐ श्रीं विष्णुवक्षस्स्थलस्थितायै नमः ।
ॐ श्रीं शान्तायै नमः ।
ॐ श्रीं शिवकर्यै नमः ।
ॐ श्रीं शिवायै नमः ।
ॐ श्रीं शुक्लमाल्याम्बरायै नमः ।
ॐ श्रीं शुचये नमः ।
ॐ श्रीं शुभप्रदाये नमः ।
ॐ श्रीं शुभायै नमः ।
ॐ श्रीं श्रद्धायै नमः ।
ॐ श्रीं श्रियै नमः ।
ॐ श्रीं सत्यै नमः ।
ॐ श्रीं समुद्रतनयायै नमः ।
ॐ श्रीं सर्वभूतहितप्रदायै नमः ।
ॐ श्रीं सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं सिद्धये नमः ।
ॐ श्रीं सुधायै नमः ।
ॐ श्रीं सुप्रसन्नायै नमः ।
ॐ श्रीं सुरभ्यै नमः ।
ॐ श्रीं स्त्रैणसौम्यायै नमः ।
ॐ श्रीं स्वधायै नमः ।
ॐ श्रीं स्वाहायै नमः ।
ॐ श्रीं हरिण्यै नमः ।
ॐ श्रीं हरिवल्लभायै नमः ।
ॐ श्रीं हिरण्मय्यै नमः ।
ॐ श्रीं हिरण्यप्राकारायै नमः ।
ॐ श्रीं हेममालिन्यै नमः ।
अन्त मे हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना कर लें ।
यह पूजन आप रात्री मे कर सकते हैं । अगर ऐसा संभव ना हो तो आप दिन में किसी भी समय इसे कर सकते हैं ।
अगर आपने श्री यंत्र के ऊपर पूजन किया है तो पूजा करने के बाद उस यंत्र को आप पूजा स्थान में या अपने पैसा रखने वाले गल्ले में रख सकते हैं ।
11 अक्तूबर 2023
रोगनाशक महाकाली मंत्र
॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥
- यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
- इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के समान प्रचंड है .
- यथा शक्ति जाप करें.
- इसके बाद आप मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से सम्पन्न करें ।
- रोज निश्चित संख्या मे मंत्र जाप करें ।
- जाप काल मे समर्थ हों तो दीपक जला लें , आर्थिक दिक्कत हो तो बिना दीपक के भी कर सकते हैं ।
- जाप पूरा हो जाने के बाद माला को लाल कपड़े मे लपेट कर रख दें । कोशिश करें कि जाप पूरा होते तक आपके अलावा कोई उसका स्पर्श न करे । गलती से स्पर्श हो जाये तो कोई दिक्कत नहीं है ।
- ब्रह्मचर्य का कड़ाई से पालन करें ।
- आचार, विचार, व्यव्हार सात्विक और शुद्ध रखें ।
- रात्रि 9 से सुबह 3 बजे तक का समय श्रेष्ठ है । न कर पाएँ तो जब आपको समय मिले तब कर लें ।
- पूर्णिमा तक आपको जाप करना है ।
- पूर्णिमा के मंत्र जाप के बाद उस माला को आप अपने लिए कर रहे हों तो स्वयं पहन लें । दूसरे के लिए कर रहे हों, तो रोगी को पहना दें ।
- एक महीने तक चौबीस घंटे उस माला को पहने रखें ।
- अगली पूर्णिमा को उस माला को नदी, तालाब, समुद्र मे प्रवाहित कर दें ।
10 अक्तूबर 2023
नवरात्रि : अखंड ज्योति तथा दुर्गा पूजन की सरल विधि
नवरात्रि : अखंड ज्योति तथा दुर्गा पूजन की सरल विधि
यह विधि सामान्य गृहस्थों के लिए है जो ज्यादा पूजन नहीं जानते ।
जो साधक हैं वे प्रामाणिक ग्रन्थों के आधार पर विस्तृत पूजन क्षमतानुसार सम्पन्न करें .
यह पूजन आप देवी के चित्र, मूर्ति या यंत्र के सामने कर सकते हैं ।
यदि आपके पास इनमे से कुछ भी नही तो आप शिवलिंग, रत्न या रुद्राक्ष पर भी पूजन कर सकते हैं ।
अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार घी या तेल का दीपक जलाये। धुप अगरबत्ती जलाये।
अगर अखंड दीपक जलाना चाहते हैं तो बड़ा दीपक और लंबी बत्ती रखें । इसे बुझने से बचाने के लिए काँच की चिमनी का प्रयोग कर सकते हैं । पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर देखता हुआ हो तो बेहतर है । दीपक की लौ को उत्तर या पूर्व की ओर रखें ।
बैठने के लिए लाल या काले कम्बल या मोटे कपडे का आसन हो।
जाप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग कर सकते हैं।
इसके अलावा आपको निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी :-
एक बड़ा पीतल,तांबा,मिट्टी का कलश,
जल पात्र,
हल्दी, कुंकुम, चन्दन, अष्टगंध,
अक्षत(बिना टूटे चावल),
पुष्प ,
फल,
मिठाई / प्रसाद .
अगर यह सामग्री नहीं है या नहीं ले सकते हैं तो अपने मन में देवी को इन सामग्रियों का समर्पण करने की भावना रखते हुए अर्थात मन से उनको समर्पित करते हुए मानसिक पूजन करे ।
सबसे पहले गुरु का स्मरण करे। अगर आपके गुरु नहीं है तो ब्रह्माण्ड के समस्त गुरु मंडल का स्मरण करे या जगद्गुरु भगवान् शिव का ध्यान कर लें ।
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः।
श्री गणेश का स्मरण करे
ॐ श्री गणेशाय नमः।
भैरव बाबा का स्मरण करें
ॐ भ्रं भैरवाय नमः।
शिव शक्ति का स्मरण करें
ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः।
चमच से चार बार बाए हाथ से दाहिने हाथ पर पानी लेकर पिए। एक मन्त्र के बाद एक बार पानी पीना है।
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा ।
ॐ विद्या तत्वाय स्वाहा ।
ॐ शिव तत्वाय स्वाहा ।
ॐ सर्व तत्वाय स्वाहा ।
गुरु सभी पूजन का आधार है इसलिए उनके लिए पूजन के स्थान पर पुष्प अक्षत अर्पण करे। नमः बोलकर सामग्री को छोड़ते हैं।
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री परम गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री पारमेष्ठी गुरुभ्यो नमः
हम पृथ्वी के ऊपर बैठकर पूजन कर रहे हैं इसलिए उनको प्रणाम करके उनकी अनुमति मांग के पूजन प्रारंभ किया जाता है जिसे पृथ्वी पूजन कहते हैं।
अपने आसन को उठाकर उसके नीचे कुमकुम से एक त्रिकोण बना दें उसे प्रणाम करें और निम्नलिखित मंत्र पढ़े और पुष्प अक्षत अर्पण करे।
ॐ पृथ्वी देव्यै नमः ।
देह न्यास :-
किसी भी पूजन को संपन्न करने से पहले संबंधित देवी या देवता को अपने शरीर में स्थापित होने और रक्षा करने के लिए प्रार्थना की जाती है इसके निमित्त तीन बार सर से पाँव तक हाथ फेरे। इस दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करते रहे।
ॐ दुँ दुर्गायै नमः ।
कलश स्थापना :-
कलश को अमृत की स्थापना का प्रतीक माना जाता है। हमें जीवित रहने के लिए अमृत तत्व की आवश्यकता होती है। जो भी भोजन हम ग्रहण करते हैं उसका सार या अमृत जिसे आज वैज्ञानिक भाषा में विटामिन और प्रोटीन कहा जाता है वह जब तक हमारा शरीर ग्रहण न कर ले तब तक हम जीवित नहीं रह सकते। कलश की स्थापना करने का भाव यही है कि हम समस्त प्रकार के अमृत तत्व को अपने पास स्थापित करके उसकी कृपा प्राप्त करें और वह अमृत तत्व हमारे जीवन में और हमारे शरीर में स्थापित हो ताकि हम स्वस्थ निरोगी रह सकें।
कलश स्थापना के लिए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करके मन में उपरोक्त भावना रखकर कलश की स्थापना कर सकते हैं।
ॐ अमृत कलशाय नमः ।
उसपर पुष्प,अक्षत,पानी छिड़के । ऐसी भावना करें कि जितनी पवित्र नदियां हैं उनका अमृततुल्य जल कलश मे समाहित हो रहा है ।
संकल्प :-(यह सिर्फ पहले दिन करना है )
संकल्प का तात्पर्य होता है कि आप महामाया के सामने एक प्रकार से एक एग्रीमेंट कर रहे हैं कि हे माता मैं आपके चरणों में अपने अमुक कार्य के लिए इतने मंत्र जाप का संकल्प लेता हूं और आप मुझे इस कार्य की सफलता का आशीर्वाद दें।
दाहिने हाथ में जल पुष्प अक्षत लेकर संकल्प (सिर्फ पहले दिन) करे।
“ मैं (अपना नाम और गोत्र
[गोत्र न मालूम हो तो भारद्वाज गोत्र कह सकते हैं ])
इस नवरात्री पर्व मे
भगवती दुर्गा की कृपा प्राप्त होने हेतु /अपनी समस्या निवारण हेतु /अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु
( यहाँ समस्या या मनोकामना बोलेंगे )
यथा शक्ति (अगर रोज निश्चित संख्या मे नहीं कर सकते तो, अगर आप निश्चित संख्या में करेंगे तो वह संख्या यहाँ बोल सकते हैं जैसे 11 या 21 माला नित्य जाप )
करते हुए आपकी साधना नवरात्रि मे कर रहा हूँ। आप मेरी मनोकामना पूर्ण करें ”
इतना बोलकर जल छोड़े
(यह सिर्फ पहले दिन करना है )
अब गणेशजी का ध्यान करे
वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा
फिर भैरव जी का स्मरण करे
तीक्ष्ण दंष्ट्र महाकाय कल्पांत दहनोपम
भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुमर्हसि
अब भगवती का ध्यान करे।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते
इसके बाद आप अखंड ज्योति या दीपक जला सकते हैं ।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
अब भगवती को अपने पूजा स्थल मे आमंत्रित करें :-
ॐ दुँ दुर्गा देव्यै नमः ध्यायामि आवाहयामि स्थापयामि
पूजन के स्थान पर पुष्प अक्षत अर्पण करे ऐसी भावना करे की भगवती वहाँ साक्षात् उपस्थित है और आप उन्हें सारे उपचार अर्पण कर रहे है ।
भगवती का स्वागत कर पंचोपचार पूजन करे ,
अगर आपके पास सामग्री नहीं है तो मानसिक रूप से यानि उस वस्तु की भावना करते हुए पूजन करे।
ॐ दुँ दुर्गायै नमः गन्धम् समर्पयामि
(हल्दी कुमकुम चन्दन अष्टगंध अर्पण करे )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः पुष्पम समर्पयामि
(फूल चढ़ाएं )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः धूपं समर्पयामि
(अगरबत्ती या धुप दिखाएं )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः दीपं समर्पयामि
(दीपक दिखाएँ )
ॐ दुँ दुर्गायै नमः नैवेद्यम समर्पयामि
(मिठाई दूध या फल अर्पण करे )
मां दुर्गा के 108 नाम से पूजन करें :-
· आप इनके सामने नमः लगाकर फूल,चावल,कुमकुम,अष्टगंध, हल्दी, सिंदूर जो आप चढ़ाना चाहें चढ़ा सकते हैं ।
· यदि कुछ न हो तो पानी चढ़ा सकते हैं ।
· वह भी न हो तो प्रणाम कर सकते हैं ।
( हर एक नाम मे "-" के बाद उस नाम का अर्थ लिखा हुआ है । आप केवल नाम का उच्चारण करके नमः लगा लेंगे । जैसे सती नमः , साध्वी नमः ..... )
1. सती- जो दक्ष यज्ञ की अग्नि में जल कर भी जीवित हो गई
2. साध्वी- सरल
3. भवप्रीता- भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली
4. भवानी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली
5. भवमोचनी- भव अर्थात संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली
6. आर्या- देवी
7. दुर्गा- अपराजेय
8. जया- विजयी
9. आद्य- जो सृष्टि का प्रारंभ है
10. त्रिनेत्र- तीन नेत्रों से युक्त
11. शूलधारिणी- शूल नामक अस्त्र को धारण करने वाली
12. पिनाकधारिणी- शिव का धनुष पिनाक को धारण करने वाली
13. चित्रा- सुरम्य
14. चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली
15. सुधा- अमृत की देवी
16. मन- मनन-शक्ति की स्वामिनी
17. बुद्धि- सर्वज्ञाता
18. अहंकारा- अभिमान करने वाली
19. चित्तरूपा- वह जो हमारी सोच की स्वामिनी है
20. चिता- मृत्युशय्या
21. चिति- चेतना की स्वामिनी
22. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली
23. सत्ता- सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है
24. सत्यानंद स्वरूपिणी- सत्य और आनंद के रूप वाली
25. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं
26. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली
27. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य
28. भव्या-जो भव्यता की स्वामिनी है
29. अभव्या- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं
30. सदागति- हमेशा गतिशील या सक्रिय
31. शाम्भवी- शंभू की पत्नी
32. देवमाता- देवगण की माता
33. चिन्ता- चिन्ता की स्वामिनी
34. रत्नप्रिया- जो रत्नों को पसंद करती है उनकी की स्वामिनी है
35. सर्वविद्या- सभी प्रकार के ज्ञान की की स्वामिनी है
36. दक्षकन्या- प्रजापति दक्ष की बेटी
37. दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली
38. अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली
39. अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली
40. पाटला- लाल रंग वाली
41. पाटलावती- गुलाब के फूल
42. पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली
43. कलामंजीरारंजिनी- पायल की ध्वनि से प्रसन्न रहने वाली
44. अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं
45. विक्रमा- असीम पराक्रमी
46. क्रूरा- कठोर
47. सुन्दरी- सुंदर रूप वाली
48. सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर
49. वनदुर्गा- जंगलों की देवी
50. मातंगी- महाविद्या
51. मातंगमुनिपूजिता- ऋषि मतंगा द्वारा पूजनीय
52. ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति
53. माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति
54. इंद्री- इंद्र की शक्ति
55. कौमारी- किशोरी
56. वैष्णवी- भगवान विष्णु की शक्ति
57. चामुण्डा- चंडिका
58. वाराही- वराह पर सवार होने वाली
59. लक्ष्मी- ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी
60. पुरुषाकृति- वह जो पुरुष रूप भी धारण कर ले
61. विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली
62. ज्ञाना- ज्ञान की स्वामिनी है
63. क्रिया- हर कार्य की स्वामिनी
64. नित्या- जो हमेशा रहे
65. बुद्धिदा- बुद्धि देने वाली
66. बहुला- विभिन्न रूपों वाली
67. बहुलप्रेमा- सर्व जन प्रिय
68. सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली
69. निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली
70. महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली
71. मधुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली
72. चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली
73. सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली
74. सर्वदानवघातिनी- सभी दानवों का नाश करने वाली
75. सर्वशास्त्रमयी- सभी शास्त्रों को अपने अंदर समाहित करने वाली
76. सत्या- जो सत्य के साथ है
77. सर्वास्त्रधारिणी- सभी प्रकार के अस्त्र या हथियारों को धारण करने वाली
78. अनेकशस्त्रहस्ता- कई शस्त्र हाथों मे रखने वाली
79. अनेकास्त्रधारिणी- अनेक अस्त्र या हथियारों को धारण करने वाली
80. कुमारी- जिसका स्वरूप कन्या जैसा है
81. एककन्या- कन्या जैसे स्वरूप वाली
82. कैशोरी- किशोरी जैसे स्वरूप वाली
83. युवती- युवा स्त्री जैसे स्वरूप वाली
84. यति- जो तपस्वीयों मे श्रेष्ठ है
85. अप्रौढा- जो कभी वृद्ध ना हो
86. प्रौढा- जो वृद्ध भी है
87. वृद्धमाता- जो वृद्ध माता जैसे स्वरूप वाली है
88. बलप्रदा- शक्ति देने वाली
89. महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली
90. मुक्तकेशी- खुले बाल वाली
91. घोररूपा- भयंकर रूप वाली
92. महाबला- अपार शक्ति वाली
93. अग्निज्वाला- आग की ज्वाला की तरह प्रचंड स्वरूप वाली
94. रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर स्वरूप वाली
95. कालरात्रि- जो काल रात्री नामक महाशक्ति है
96. तपस्विनी- तपस्या में लगी हुई
97. नारायणी- भगवान नारायण की शक्ति
98. भद्रकाली- काली का भयंकर रूप
99. विष्णुमाया- भगवान विष्णु की माया
100. जलोदरी- जल में निवास करने वाली
101. शिवदूती- भगवान शिव की दूत
102. कराली- प्रचंड स्वरूपिणी
103. अनन्ता- जिसका ओर छोर नहीं है
104. परमेश्वरी- जो परम देवी है
105. कात्यायनी- महाविद्या कात्यायनी
106. सावित्री- देवी सावित्री स्वरूपिणी
107. प्रत्यक्षा- जो प्रत्यक्ष है
108. ब्रह्मवादिनी- ब्रह्मांड मे हर जगह वास करने वाली
अंत में एक आचमनी(चम्मच) जल चढ़ाये और प्रार्थना करें कि महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती स्वरूपा श्री दुर्गा जी मुझ पर कृपालु हों।
इसके बाद रुद्राक्ष माला से नवार्ण मन्त्र या दुर्गा मंत्र का यथाशक्ति या जो संख्या आपने निश्चित की है उतनी संख्या मे जाप करे ।
नवार्ण मंत्र :-
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
(ऐम ह्रीम क्लीम चामुंडायै विच्चे ऐसा उच्चारण होगा )
[Aim Hreem Kleem Chamundaaye vichche ]
सदगुरुदेव डा नारायण दत्त श्रीमाली जी (परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी) के अनुसार इसके प्रारम्भ में प्रणव अर्थात ॐ लगाने की जरुरत नहीं है ।
दुर्गा मंत्र:-
ॐ ह्रींम दुं दुर्गायै नम:
[Om Hreem doom durgaaye namah ]
रोज एक ही संख्या में जाप करे।
एक माला जाप की संख्या 100 मानी जाती है । माला में 108 दाने होते हैं । शेष 8 मंत्रों को उच्चारण त्रुटि या अन्य गलतियों के निवारण के लिए छोड़ दिया जाता है ।
अपनी क्षमतानुसार 1/3/5/7/11/21/33/51 या 108 माला जाप करे।
जब जाप पूरा हो जाये तो अपने दोनों कान पकड़कर किसी भी प्रकार की गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करे .
उसके बाद भगवती का थोड़ी देर तक आँखे बंद कर ध्यान करे और वहीँ 5 मिनट बैठे रहें।
अंत मे आसन को प्रणाम करके उठ जाएँ।
आप चाहें तो इसे मेरे यूट्यूब चैनल पर देख और सुनकर उच्चारण कर सकते हैं