एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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29 नवंबर 2024
गायत्री मंत्र द्वारा एक सौ आठ देवी देवताओं का पूजन साधना
गायत्री मंत्र द्वारा एक सौ आठ देवी देवताओं का पूजन साधना
गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा के द्वारा स्थापित गायत्री परिवार के माध्यम से संपूर्ण विश्व गायत्री मंत्र की शक्ति और क्षमता से परिचित हो चुका है और गायत्री मंत्र के महत्त्व से सभी साधक गण अच्छी तरह से परिचित है .
यहाँ पर मैं अपने गुरु भाई श्री राहुल कुलकर्णी जी के द्वारा प्राप्त हुई पूजन विधि प्रस्तुत कर रहा हूं जिसके माध्यम से आप 108 देवी देवताओं का पूजन एक साथ सब बंद कर सकते हैं इसमें मुश्किल से आधा या 1 घंटे का समय लगेगा ।
इसमें आप मंत्र जाप करते हुए पुष्प अक्षत जल जो आपकी श्रद्धा हो उसे अपने इष्ट के विग्रह शिवलिंग आदि पर समर्पित कर सकते हैं।
कुछ भी उपलब्ध नही हो तो भी किसी खाली प्लेट मे एक आचमनी जल छोडते हुये संपन्न कर सकते है ।
प्रयोग के रूप में अगर आप इसे करना चाहे तो जो माला, रुद्राक्ष या रत्न आप पहनते हैं या पहनना चाहते हैं उसके ऊपर इन मंत्रों का जाप करते हुए जल अक्षत कुमकुम आदि चढ़ाकर आप उसे चैतन्य कर सकते हैं । यह आपके लिए रक्षा कवच ऐसा कार्य करेगा ।
इस पूजन में सभी प्रमुख देवी देवताओं के साथ-साथ नवग्रह का पूजन भी सम्मिलित है यही नहीं इसमें सभी दिशाओं के देवताओं का पूजन सम्मिलित होने के कारण वास्तु पूजन भी संपन्न हो जाता है एक प्रकार से यह एक बेहद सरल छोटा और अपने आप में संपूर्ण पूजन है जिसका प्रयोग आप किसी भी विशेष पूजन के अवसर पर या नित्य पूजन में भी कर सकते हैं । मंत्रों का उच्चारण करने में शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन उच्चारण करते करते आप का उच्चारण होता है स्पष्ट होता जाएगा यदि किसी शब्द के उच्चारण में आपको दिक्कत है तो आप मेरे ऑडियो चैनल से इसे सुन सकते हैं जिसका लिंक नीचे दिया हुआ है :-
सर्वप्रथम हाथ जोडकर प्रणाम करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ॐ गायत्र्यै नम:
अब दाहिने हाथ मे जल लेकर 4 बार आचमन करे
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा
ॐ विद्यातत्वाय स्वाहा
ॐ शिवतत्वाय स्वाहा
ॐ सर्वतत्वाय स्वाहा
फिर गुरु , परम गुरु और पारमेष्ठी गुरु को प्रणाम करे
ॐ गुरुभ्यो नम:
ॐ परम गुरुभ्यो नम:
ॐ पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
अब अपने आसन को स्पर्श कर पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ आसन देवताभ्यो नम:
ॐ पृथिव्यै नम:
अब एक कलश मे जल लेकर उसमे कपुर , चंदन , इत्र की कुछ बुंदे , तुलसी पत्र , पुष्प अक्षत डाले और कलश को तिलक करे .
ॐ कलश देवताभ्यो नम:
अब अपने आप को चंदन या कुंकुम का तिलक लगाये
फिर दाहिने हाथ मे जल लेकर निम्न संकल्प का उच्चारण कर छोडे
मैं (अपना नाम ), गोत्र ( न मालूम हो तो भारद्वाज या कश्यप गोत्र बोल सकते हैं ), आज इस पुण्य अवसर पर अपनी मनोकामना (मन मे अपनी मनोकामना बोल दें या आध्यात्मिक उन्नती हेतु कहें ) की पूर्ति हेतु श्रद्धापूर्वक सकल देवता की कृपा हेतु अष्टोत्तर देवता गायत्री मंत्र अर्चन संपन्न कर रहा हू .
हाथ जोड़कर देवी गायत्री के स्वरूप का ध्यान करके प्रणाम कर लें ।
भगवती गायत्री का पंचोपचार पूजन करे
ॐ भुर्भुव: स्व: गायत्र्यै नम : गंधं समर्पयामि [कुमकुम चढ़ाएँ ]
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: पुष्पं समर्पयामि [फूल चढ़ाएँ ]
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: धूपं समर्पयामि [अगरबत्ती दिखाएँ ]
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: दीपं समर्पयामि [दीपक]
ॐ भूर्भुवः स्व: गायत्र्यै नम: नैवेद्यं समर्पयामि [प्रसाद ]
अब गायत्री मंत्र का 12 बार उच्चारण करे .
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्
अब विविध देवताओं के गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुये कलश के जल से एक एक आचमनी जल चढ़ाएँ । या कुमकुम, पुष्प, बेलपत्र,चावल जो भी आपकी भावना हो उसे चढ़ा सकते हैं ।
विविध देवताओं के गायत्री मंत्र
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1) ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्
2) ॐ गुरुदेवाय विद्महे परम गुरवे धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात्
3) ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे ध्यानस्थाय धीमहि तन्नो धीश: प्रचोदयात्
4) ॐ अनसुयासुताय विद्महे अत्रिपुत्राय धीमहि तन्नो दत्त: प्रचोदयात्
5) ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात्
6) ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंति प्रचोदयात्
7) ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसरुढाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्
8) ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै च धीमहि तन्नो वाणी प्रचोदयात्
9) ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्
10) ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
11) ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्
12) ॐ कात्यायन्यै च विद्महे कन्याकुमारी च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्
13) ॐ कृष्णकायाम्बिकाय विद्महे पार्वतीरुपाय च धीमहि तन्नो कालिका प्रचोदयात्
14) ॐ तारायै विद्महे महोग्रायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
15) ॐ वैरोचन्यै च विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
16) ॐ ऐं त्रिपुरा देव्यै विद्महे क्लीं कामेश्वर्यै धीमहि सौस्तन्न: क्लिन्ने प्रचोदयात्
17) ॐ त्रिपुरसुंदर्यै च विद्महे कामेश्वर्यै धीमहि तन्नो बाला प्रचोदयात्
18) ॐ भुवनेश्वर्यै विद्महे रत्नेश्वर्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
19) ॐ त्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
20) ॐ धूमावत्यै च विद्महे संहारिण्यै च धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्
21) ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तंभिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
22) ॐ मातंग्यै च विद्महे उच्छिष्टचांडाल्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
23) ॐ महालक्ष्मी विद्महे विष्णुपत्नी धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
24) ॐ महिषमर्दिन्यै च विद्महे दुर्गादेव्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
25) ॐ तुलसीदेव्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो वृंदा प्रचोदयात्
26) ॐ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्
27) ॐ शैलपुत्र्यै च विद्महे काममालायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
28) ॐ ब्रह्मचारिण्यै विद्महे ज्ञानमालायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
29) ॐ चंद्रघण्टायै विद्महे अर्धचंद्राय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
30) ॐ कुष्मांडायै च विद्महे सर्वशक्त्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
31) ॐ कुमार्यै च विद्महे स्कंदमातायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
32) ॐ कात्यायन्यै च विद्महे सिद्धिशक्त्यै च धीमहि तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात्
33) ॐ कालरात्र्यै च विद्महे सर्वभयनाशिन्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
34) ॐ सिद्धिदात्र्यै च विद्महे सर्वसिद्धिदायिनी च धीमहि तन्नो भगवती प्रचोदयात्
35) ॐ महागौर्यै विद्महे शिवप्रियायै च धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात्
36) ॐ ब्रह्ममनसायै विद्महे मंत्रअधिष्ठात्र्यै च धीमहि तन्नो मनसा प्रचोदयात्
37) ॐ सुस्थिरयौवनायै विद्महे सर्वमंगलायै च धीमहि तन्नो मंगलचंडी प्रचोदयात्
38) ॐ भूवाराह्यै च विद्महे रत्नेश्वर्यै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
39) ॐ वराहमुखी विद्महे आंत्रासनी च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
40) ॐ ज्वालामालिन्यै च विद्महे महाशूलिन्यै च धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्
41) ॐ भगवत्यै विद्महे महेश्वर्यै धीमहि तन्नो अन्नपूर्णा प्रचोदयात्
42) ॐ व्यापिकायै विद्महे नानारुपायै धीमहि तन्नो योगिनी प्रचोदयात्
43) ॐ सहस्त्रथनाय विद्महे जननीरुपायै च धीमहि तन्नो कामधेनु: प्रचोदयात्
44) ॐ देवकीनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्
45) ॐ वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्
46) ॐ दाशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्
47) ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात्
48) ॐ दशरथसुताय विद्महे रामानुजाय धीमहि तन्नो लक्ष्मण: प्रचोदयात्
49) ॐ अंजनीसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत प्रचोदयात्
50) ॐ श्री निलयाय विद्महे व्यंकटेशाय धीमहि तन्नो हरि: प्रचोदयात्
51) ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्
52) ॐ जामदग्नाय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्
53) ॐ धन्वंतराय विद्महे अमृतकलशहस्ताय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्
54) ॐ सहस्त्रशीर्षाय विद्महे विष्णुतल्पाय धीमहि तन्नो शेष: प्रचोदयात्
55) ॐ तत्पुरुषाय विद्महे सुवर्णपक्षाय धीमहि तन्नो गरुड: प्रचोदयात्
56) ॐ पांचजन्याय विद्महे पवमानाय धीमहि तन्नो शंख: प्रचोदयात्
57) ॐ सुदर्शनाय विद्महे चक्रराजाय धीमहि तन्नो चक्र: प्रचोदयात्
58) ॐ यंत्रराजाय विद्महे वरप्रदाय धीमहि तन्नो यंत्र: प्रचोदयात्
59) ॐ पाशुपतये विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो शिव: प्रचोदयात्
60) ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कंद: प्रचोदयात्
61) ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुंडाय धीमहि तन्नो नंदी: प्रचोदयात्
62) ॐ आपदुद्धारणाय विद्महे बटुकेश्वराय धीमहि तन्नो वीर: प्रचोदयात्
63) ॐ मन्मथेशाय विद्महे कामदेवाय धीमहि तन्नो अनंग: प्रचोदयात्
64) ॐ कालवर्णाय विद्महे महाकोपाय धीमहि तन्नो वीरभद्र: प्रचोदयात्
65) ॐ शालुवेषाय विद्महे पक्षिराजाय धीमहि तन्नो शरभ: प्रचोदयात्
66) ॐ श्वानध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो क्षेत्रपाल: प्रचोदयात्
67) ॐ ओंकाराय विद्महे भवताराय धीमहि तन्नो प्रणव: प्रचोदयात्
68) ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात्
69) ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्त्वाय धीमहि तन्नो चंद्र: प्रचोदयात्
70) ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात्
71) ॐ सौम्यरुपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात्
72) ॐ आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्
73) ॐ शुक्राचार्याय विद्महे गौरवर्णाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात्
74) ॐ कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्नो सौरि: प्रचोदयात्
75) ॐ कृष्णवर्णाय विद्महे रौद्ररुपाय धीमहि तन्न: शनैश्चर: प्रचोदयात्
76) ॐ शिरोरुपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्न: राहु: प्रचोदयात्
77) ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात्
78) ॐ पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्रमूर्त्यै च धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्
79) ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्नि: प्रचोदयात्
80) ॐ जलबिंबाय विद्महे नीलपुरुषाय धीमहि तन्नो अंबु प्रचोदयात्
81) ॐ विश्वपुरुषाय विद्महे शिवापत्ये च धीमहि तन्नो पवन: प्रचोदयात्
82) ॐ सर्वव्यापकाय विद्महे गगनाय च धीमहि तन्नो आकाश: प्रचोदयात्
83) ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्न: इंद्र: प्रचोदयात्
84) ॐ वैश्वानराय विद्महे सप्तजिव्हाय धीमहि तन्नो अग्नि: प्रचोदयात्
85) ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यम: प्रचोदयात्
86) ॐ ज्वालामुखाय विद्महे उष्ट्रवाहनाय धीमहि निऋति: प्रचोदयात्
87) ॐ पश्चिमेशाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नो वरुण: प्रचोदयात्
88) ॐ ध्वजहस्ताय विद्महे प्राणाधिपाय धीमहि तन्नो वायु: प्रचोदयात्
89) ॐ यक्षराजाय विद्महे पुलस्त्य पुत्राय धीमहि तन्नो कुबेर: प्रचोदयात्
90) ॐ अर्धदेवाय विद्महे व्यंतरदेवत्रे च धीमहि तन्नो यक्ष: प्रचोदयात्
91) ॐ गीतवीणायै विद्महे कामरुपिण्यै धीमहि तन्नो गंधर्व: प्रचोदयात्
92) ॐ कामदेवप्रियायै विद्महे सौंदर्यमूर्तये धीमहि तन्नो अप्सरा प्रचोदयात्
93) ॐ सहस्त्रफणाय विद्महे वासुकिराजाय धीमहि तन्नो नाग: प्रचोदयात्
94) ॐ पितृवंशाय विद्महे प्रपितामहाय धीमहि तन्नो पितर: प्रचोदयात्
95) ॐ नागपृष्ठाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो वास्तु प्रचोदयात्
96) ॐ पाराशरगोत्राय विद्महे नानापुराणाय धीमहि तन्नो व्यास: प्रचोदयात्
97) ॐ आदिऋष्यै विद्महे रामायणाय धीमहि तन्नो वाल्मिकि: प्रचोदयात्
98) ॐ ब्रह्ममानसपुत्राय विद्महे पुराणेतिहासकाराय धीमहि तन्नो वसिष्ठ: प्रचोदयात्
99) ॐ शक्तिपुत्राय विद्महे पापानिती निवारणाय धीमहि तन्नो पराशर: प्रचोदयात्
100) ॐ गाधिपुत्राय विद्महे गायत्रीमंत्रप्रवर्तकाय च धीमहि तन्नो विश्वामित्र: प्रचोदयात्
101) ॐ अक्षुणोत्पत्ताय विद्महे ब्रह्मपुत्राय धीमहि तन्नो अत्रि: प्रचोदयात्
102) ॐ कर्दमसुतायै विद्महे अत्रिभार्यायै धीमहि तन्नो अनसुया प्रचोदयात्
103) ॐ सप्तर्षाय विद्महे मानसीसृष्टाय धीमहि तन्नो गौतम: प्रचोदयात्
104) ॐ मृकुण्डुपुत्राय विद्महे योगज्ञानाय च धीमहि तन्नो मार्कंडेय: प्रचोदयात्
105 ) ॐ शिवतत्त्वाय विद्महे योगांतराय धीमहि तन्नो पतंजली प्रचोदयात्
106) ॐ त्रिपथगामिनी विद्महे रुद्रपत्न्यै च धीमहि तन्नो गंगा प्रचोदयात्
107) ॐ यमुनादेव्यै च विद्महे तीर्थवासिनी च धीमहि तन्नो यमुना प्रचोदयात्
108) ॐ रुद्रदेहायै विद्महे मेकलकन्यकायै धीमहि तन्नो रेवा प्रचोदयात्
अब एक आचमनी जल निम्न मंत्र बोलते हुये अर्पण करे
अनेन अष्टोत्तर देवता गायत्री मंत्र पूजनेन भगवती गायत्री सह सकल देवतां प्रीयतां न मम ..
अब क्षमा प्रार्थना करे .
आवाहनं न जानामि , न जानामि विसर्जनं
पूजां चैव न जानामि , क्षम्यतां परमेश्वरी
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरी
यत पूजितं मया परिपूर्णं तदस्तु मे
देव देव गुरुदेव पूजां प्राप्य करोतु यत
त्राहि त्राहि कृपासिंधु पूजा पूर्णतरां कुरु
ॐ तत्सत ब्रह्मार्पणं अस्तु
28 नवंबर 2024
गुरु दीक्षा कैसे प्राप्त करें !
मैंने देवी देवताओं तथा उनकी मंत्र साधना से संबन्धित कई लेख प्रकाशित किए हैं । जिन्हे पढ़कर कई पाठकों और पाठिकाओं ने साधना की है या करने की इच्छा व्यक्त की है । मैंने जो विधियाँ प्रकाशित की हैं, वे सरल हैं और उन्हे किसी भी आयु का स्त्री या पुरुष जो सनातन धर्म मे आस्था रखता हो वह सम्पन्न कर सकता है ।
साधना के मार्ग मे गुरु दीक्षा का बड़ा महत्व होता है । गुरु की देह को गुरु मानने की गलती हम सभी कर बैठते हैं । वास्तव में गुरु के अंदर जो भगवान शिव का ज्ञान या जो शिव तत्व होता है, वही वास्तविक गुरु होता है । तंत्र के अधिपति भगवान शिव सभी साधनाओं के मूल हैं और वही मंत्रों और साधनाओं को शक्ति और चैतन्यता प्रदान करते हैं ।
इसे मैं एक सरल उदाहरण से समझाऊं तो मान लीजिए कि आप अपने घर में एक ट्यूबलाइट जलाना चाहते हैं । इसके दो तरीके हो सकते हैं । पहला तो यह कि आप अपना खुद का बिजली पैदा करने का कोई यंत्र या जनरेटर बना ले और उससे ट्यूबलाइट को जोड़ दें तो ट्यूब लाइट जलने लगेगी । खुद से मंत्र जाप करना कुछ कुछ वैसा ही है । जैसे-जैसे आप जाप करते जाते हैं धीरे-धीरे आपके अंदर ऊर्जा बनने लगती है या आपका खुद का जनरेटर चालू होने लगता है । जब उसकी बिजली पर्याप्त हो जाती है, तब ट्यूब लाइट जलता है ।
दूसरा तरीका यह है कि जो बिजली की सप्लाई लाइन आपके इलाके में आई हुई है, उसके तार से अपने घर में एक कनेक्शन ले ले । उस कनेक्शन के माध्यम से ट्यूबलाइट को जोड़ दें, तब भी वह ट्यूबलाइट चल जाएगी । गुरु दीक्षा कुछ-कुछ वैसा ही कनेक्शन है, जो आपकी ट्यूबलाइट को जल्दी चालू कर सकता है ।
जब आप किसी गुरु से दीक्षा लेते हैं, जो कि स्वयं सिद्ध हो, तो उसकी जो गुरु परंपरा होती है, वह पीछे की ओर जाने पर भगवान शिव से जाकर मिलती है । यानी यह समझ लीजिए कि मेन पावर स्टेशन पर जाकर मिलती है, जहां से सभी साधनाओं का प्रारंभ होता है । जब यह लिंक दीक्षा के माध्यम से जुड़ती है तो आपके अंदर जो शिव तत्व है, जो आपके मस्तिष्क के दोनों हिस्सों के बीच में लगभग लिंग आकार स्वरूप में स्थित होता है, उसकी चैतन्यता बढ़ती है । उसी के माध्यम से मंत्रों की शक्ति जागृत होती है और आपको अपना अभीष्ट प्राप्त होता है ।
अब मन मे यह सवाल उठता है कि दीक्षा कैसे प्राप्त करें ?
सबसे बढ़िया स्थिति तो यह है कि आप गुरु के पास जाकर दीक्षा प्राप्त करें !
उनके पास व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो और उनसे निवेदन करके अपनी इच्छित दीक्षा प्राप्त करें !!
इसके लिए आप भोपाल मध्य प्रदेश जा सकते हैं, और गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से या गुरु माता डॉ. साधना सिंह जी से दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।
कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं, कि किसी कारणवश आप भोपाल जा पाने में असमर्थ हो !
ऐसी स्थिति में आप चाहे तो अपनी फोटो तथा निर्धारित न्योछावर भेज कर भी गुरु दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं । इसके विषय में अधिक जानकारी के लिए आप सुमन जी से संपर्क कर सकते हैं :-
सुश्री सुमन
मोबाइल नंबर - 9307610360
गुरु श्रंखला
जगद्गुरु भगवान शिव
[1933-1998]
26 नवंबर 2024
हनुमान जी के 108 नाम
हनुमान जी के 108 नाम
1 ॐ अक्षहन्त्रे नमः।
2 ॐ अन्जनागर्भ सम्भूताय नमः।
3 ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः।
4 ॐ आञ्जनेयाय नमः।
5 ॐ कपिसेनानायकाय नमः।
6 ॐ कपीश्वराय नमः।
7 ॐ कबळीकृत मार्ताण्डमण्डलाय नमः।
8 ॐ काञ्चनाभाय नमः।
9 ॐ कामरूपिणे नमः।
10 ॐ काराग्रह विमोक्त्रे नमः।
11 ॐ कालनेमि प्रमथनाय नमः।
12 ॐ कुमार ब्रह्मचारिणे नमः।
13 ॐ केसरीसुताय नमः।
14 ॐ गन्धमादन शैलस्थाय नमः।
15 ॐ गन्धर्व विद्यातत्वज्ञाय नमः।
16 ॐ चञ्चलाय नमः।
17 ॐ चतुर्बाहवे नमः।
18 ॐ चिरञ्जीविने नमः।
19 ॐ जाम्बवत्प्रीतिवर्धनाय नमः।
20 ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः।
21 ॐ दशग्रीव कुलान्तकाय नमः।
22 ॐ दशबाहवे नमः।
23 ॐ दान्ताय नमः।
24 ॐ दीनबन्धुराय नमः।
25 ॐ दृढव्रताय नमः।
26 ॐ दैत्यकार्य विघातकाय नमः।
27 ॐ दैत्यकुलान्तकाय नमः।
28 ॐ धीराय नमः।
29 ॐ नवव्याकृतपण्डिताय नमः।
30 ॐ पञ्चवक्त्राय नमः।
31 ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः।
32 ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः।
33 ॐ परविद्या परिहाराय नमः।
34 ॐ परशौर्य विनाशनाय नमः।
35 ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः।
36 ॐ पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने नमः।
37 ॐ पिङ्गलाक्षाय नमः।
38 ॐ प्रतापवते नमः।
39 ॐ प्रभवे नमः।
40 ॐ प्रसन्नात्मने नमः।
41 ॐ प्राज्ञाय नमः।
42 ॐ बल सिद्धिकराय नमः।
43 ॐ बालार्कसद्रशाननाय नमः।
44 ॐ ब्रह्मास्त्र निवारकाय नमः।
45 ॐ भविष्यथ्चतुराननाय नमः।
46 ॐ भीमसेन सहायकृते नमः।
47 ॐ मनोजवाय नमः।
48 ॐ महाकायाय नमः।
49 ॐ महातपसे नमः।
50 ॐ महातेजसे नमः।
51 ॐ महाद्युतये नमः।
52 ॐ महाबल पराक्रमाय नमः।
53 ॐ महारावण मर्दनाय नमः।
54 ॐ महावीराय नमः।
55 ॐ मायात्मने नमः।
56 ॐ मारुतात्मजाय नमः।
57 ॐ योगिने नमः।
58 ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः।
59 ॐ रत्नकुण्डल दीप्तिमते नमः।
60 ॐ रामकथा लोलाय नमः।
61 ॐ रामचूडामणिप्रदायकाय नमः।
62 ॐ रामदूताय नमः।
63 ॐ रामभक्ताय नमः।
64 ॐ रामसुग्रीव सन्धात्रे नमः।
65 ॐ रुद्र वीर्य समुद्भवाय नमः।
66 ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।
67 ॐ लङ्कापुर विदायकाय नमः।
68 ॐ लन्किनी भञ्जनाय नमः।
69 ॐ लोकपूज्याय नमः।
70 ॐ वज्रकायाय नमः।
71 ॐ वज्रदेहाय नमः।
72 ॐ वज्रनखाय नमः।
73 ॐ वागधीशाय नमः।
74 ॐ वाग्मिने नमः।
75 ॐ वानराय नमः।
76 ॐ वार्धिमैनाक पूजिताय नमः।
77 ॐ जितेन्द्रियाय नमः।
78 ॐ विभीषण प्रियकराय नमः।
79 ॐ शतकन्टमुदापहर्त्रे नमः।
80 ॐ शरपञ्जर भेदकाय नमः।
81 ॐ शान्ताय नमः।
82 ॐ शूराय नमः।
83 ॐ शृन्खला बन्धमोचकाय नमः।
84 ॐ श्री राम हृदयस्थाये नमः
85 ॐ श्रीमते नमः।
86 ॐ संजीवननगायार्था नमः।
87 ॐ सर्वग्रहबाधा विनाशिने नमः।
88 ॐ सर्वतन्त्र स्वरूपिणे नमः।
89 ॐ सर्वदुखः हराय नमः।
90 ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः।
91 ॐ सर्वमन्त्र स्वरूपवते नमः।
92 ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः।
93 ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः।
94 ॐ सर्वरोगहराय नमः।
95 ॐ सर्वलोकचारिणे नमः।
96 ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः।
97 ॐ सागरोत्तारकाय नमः।
98 ॐ सिंहिकाप्राण भञ्जनाय नमः।
99 ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः।
100 ॐ सीतान्वेषण पण्डिताय नमः।
101 ॐ सीताशोक निवारकाय नमः।
102 ॐ सीतासमेत श्रीरामपाद सेवदुरन्धराय नमः।
103 ॐ सुग्रीव सचिवाय नमः।
104 ॐ सुचये नमः।
105 ॐ सुरार्चिताय नमः।
106 ॐ स्फटिकाभाय नमः।
107 ॐ हनूमते नमः।
108 ॐ हरिमर्कट मर्कटाय नमः।
इन नामों का उच्चारण करें नमः के साथ चावल, सिंदूर,पुष्प,जल अर्पित करें ।
24 नवंबर 2024
संतान/पुत्र प्राप्ति गणेश स्तोत्र
संतान/पुत्र प्राप्ति गणेश स्तोत्र
नमोस्तु गणनाथाय सिद्धि बुद्धि युताय च।
सर्वेश्वर्यप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च ।
गुरुवराय पुरवे गोप्त्रे गुहयासिताय ते ।
गोप्याय गोपिता शेष भुवनाय चिदात्मने ।
विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टिकराय ते ।
नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुंडिने ।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने ।
शरणम भव देवेश संततिम सुदृढ़म कुरु ।
भविष्यन्ती च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक ।
ते सर्वे तव पूजार्थ निरताः स्युर्वरो मत: ।
पुत्रप्रदमिदम स्तोत्रम सर्वसिध्धी प्रदायकम ॥
विधि :-
भगवान गणेश का ध्यान पूजन करके नित्य क्षमतानुसार 1,3,5,11 बार इस स्तोत्र का पाठ करें तो संतान/पुत्र प्राप्ति मे आने वाले विघ्नों को विघ्नकर्ता महागणपती हटाकर अनुकूलता प्रदान करते हैं .....