4 नवंबर 2015

कामकला काली बीज मन्त्रम


कामकला काली [ KAMAKALA KALI ] साधना साधनात्मक जगत की सर्वोच्च साधना है. जब साधक का सौभाग्य अत्यंत प्रबल होता है तब उसे इस साधना की दीक्षा तथा अनुमति मिलती है.

यह साधना साधक को एक शक्तिपुंज में बदल देती है.


॥ स्फ़्रें ॥


  • अत्यंत प्रेम तथा मधुरता से जाप करें.
  • जप काल में रुद्राक्ष धारण करें.
  • यदि संभव हो तो गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करें.
  • बैठकर जाप रात्रि काल ११ से ३ में करें.
  • किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  • क्रोध ना करें.
  • किसी प्रकार का प्रलाप , श्राप या बुरी बात ना कहें.
  • यदि विवाहित हैं तो अपनी पत्नी के साथ बैठ कर जाप करें.
  • साधना काल में अपनी पत्नी को भगवती का अंश समझकर उसे सम्मान दें, भूलकर भी उसका अपमान ना करें.
  • साधना प्रारंभ करने से पहले किसी समर्थ गुरु से दीक्षा अवश्य ले लें.





22 अक्तूबर 2015

अपराजिता साधना

दशहरा या विजयादशमी का पर्व विजय का पर्व है।
इस दिन जीवन में प्रत्येक क्षेत्र मेविजय की प्राप्तिके लिए साधना करनी चाहिए।
इस दिन अपराजिता विद्या की साधना से अभीष्ट की प्राप्ति तथा विजय का मार्ग प्रशस्त होता है।
अपराजिता का तात्पर्य है जो पराजित ना हो...
मन्त्र:-
॥। ॐ अपराजिता महाविद्यायै नमः ॥
क्षमतानुसार जाप करें।

13 अक्तूबर 2015

छिन्नमस्ता महाविद्या साधना

सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें.
साधना काल में भय लग सकता है.ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करता है.
बालकों /स्त्रियों /कमजोर मनोदशा वाले को स्पष्ट निर्देश है की वे  भूलकर भी इस साधना को न करें |
यह साधना केवल और केवल सक्षम गुरु के आज्ञा और अनुमति से उनके निर्देशानुसार ही करें, अन्यथा गंभीर परिणाम हो सकते हैं




॥ ऊं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऎं वज्रवैरोचनीयै ह्रीं ह्रीं फ़ट स्वाहा ॥



नोट:- यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें.....







  • प्रचंड तान्त्रिक प्रयोगों की शान्ति के लिये छिन्नमस्ता साधना की जाती है. 
  • यह तन्त्र क्षेत्र की उग्रतम साधनाओं में से एक है. 
  • यह साधना गुरु दीक्षा लेकर गुरु की अनुमति से ही करें. 
  • यह रात्रिकालीन साधना है. 
  • नवरात्रि में विशेष लाभदायक है. 
  • काले या लाल वस्त्र आसन का प्रयोग करें. 
  • रुद्राक्ष या काली हकीक की माला का प्रयोग जाप के लिये करें. 
  • सुदृढ मानसिक स्थिति वाले साधक ही इस साधना को करें. साधना काल में भयंकर भय लग सकता है. ऐसे में गुरु ही संबल प्रदान करते  हैं .

12 अक्तूबर 2015

नवरात्रि महालक्ष्मी साधना

नवरात्रि शक्ति पूजा का पर्व है | गृहस्थ जीवन की मूल शक्ति है लक्ष्मी ! जिसके अभाव में कुछ भी संभव नहीं है |
कुछ लक्ष्मी मन्त्र प्रस्तुत हैं , जिनका जाप कर आप व्यापार/नौकरी आदि में अनुकूलता प्राप्त कर सकते हैं |

लक्ष्मी साधना मन्त्र  :-
  1. || ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै  नमः   ||
  2.  || ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै  नमः   ||
  3. || ॐ श्रीं  महालक्ष्म्यै  नमः   || 
  4. || ॐ महालक्ष्म्यै  नमः   || 
  5. || ॐ श्रीं ॐ || 
  6. || ॐ  श्रीं  ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्ये नमः ||


सामान्य निर्देश :-
साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रधा और विश्वास पर निर्भर करता है |
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विधि :-
  1. इनमे से किसी भी एक मन्त्र का जाप कर सकते हैं |
  2. ११/२१/५१ हजार जाप करें | यदि इतना ना कर सकते हों तो अपनी क्षमता के अनुसार करें |
  3. रोज सामान संख्या में जाप करें | संभव हो तो जाप का समय भी एक ही हो |
  4. अपने सामने  लाल कपडे में श्री यंत्र या लक्ष्मी यंत्र रख लें  |
  5. जाप के बाद इसे लाल कपडे से ढँक दें |
  6. कोशिश करें की जाप काल में आपके अलावा इसे कोई ना छुए और ना ही देखे |
  7. जाप समाप्त होने पर इसे अपने गल्ले /तिजोरी/जेब में रखें |
  8. जाप कमलगट्टे की माला से किया जाये तो श्रेष्ट है ना हो तो रुद्राक्ष की माल सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य  है |
  9. जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
  10. दिशा उत्तर/ पूर्व की और देखते हुए बैठें |
  11. आसन लाल/पीले रंग का रखें|
  12. जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
  13. यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है |
  14. जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
  15. किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें |
  16. सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
  17. ब्रह्मचारी का पालन करें |
यदि संभव हो तो अंतिम दिन / दशहरा/ पूर्णिमा को घी में कमलगट्टा मिलाकर १००८ आहूतियां , मन्त्र के पीछे स्वाहा लगाकर दें |

मंत्र साधना : कुछ जरुरी जानकारियाँ


 
  • साधना करने के लिए सबसे जरुरी हे संयम ओर लगन |
  • जितना ज्यादा संयम ओर भावना के साथ आप मंत्र जाप करेंगे उतना ही ज्यादा आपको लाभ मिलेगा |
  • अपने इष्ट  के साथ जितने आत्मीयता आप स्थापित करेंगे ; जितना स्वयम को उनकी कृपा का आकांक्षी दिखाएंगे  ; जितनी जितनी ज्यादा हारमनी या तारतम्य उनके साथ बनाएंगे ;  आपको साधनात्मक रुप से उतनी ही ज्यादा प्रबल अनुभव होने लगेंगे | 
  • साधना के क्षेत्र मेँ किसी व्यक्ति विशेष की कृपा से साधनाएँ सिद्ध नहीँ हो सकती हे|
  •  साधनाओं को सिद्ध करने का मार्ग अवश्य ही गुरु पता सकता हे |
  •  मगर साधनाओं मेँ सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए 
    1. साधक की व्यक्तिगत चेष्ठा ;  
    2. उसका अपना संयम ;
    3. उसका पुरुषार्थ;
    4. उसकी उसकी स्वयम की साधना और मंत्र जाप ही महत्वपूर्ण होता हे |
  • जब तक आप का इष्ट स्वयम आपके ऊपर प्रसन्न नहीँ हो जाता ओर आपकी साधनात्मक ओर भावनात्मक एकात्मकता उनके साथ नहीँ होती तब तक आप को साधना मेँ किसी प्रकार का अनुभव होना असंभव हे |
  • साधनात्मक जीवन मेँ यह अत्यंत जरुरी होता हे की आप सतत निरंतर लगातार अपने इष्ट के ध्यान मेँ लीन रहे |
  • उनके साथ अपने अंतरातमा से जुड़े संबंधोँ को उनके साथ अपने मानसिक जुड़ाव को बिल्कुल भी अलग  ना होने दे |
  • जब यह स्थिति धीरे धीरे आगे बढ़ेगी तब आपको उनका अनुभव होने लगेगा |
  •  ये अनुभव किसी व्यक्ति के सामने उपस्थित हो जाने के साथ चालू नहीँ होते |
  • कोई भी देवता इतनी सहजता से प्रत्यक्ष नहीँ होता |
  • इसके लिए काफी समय उनके तारतम्य मेँ ; उनके साथ मे ; उनके साहचर्य मेँ ;  उनके ध्यान मेँ बिताना होता हे  |
  • ओर जब एक आत्मीयता की स्थिति साधक ओर इष्ट देवी/देवता के बीच मेँ पैदा हो जाती हे तब अनुभव का क्रम चालू होता हे |
    • ये अनुभव प्रारंभिक अवस्था मेँ किसी विशेष प्रकार की सुगंध के आने के साथ चालू होते हैं |
    • जो आगे बढ़ने पर किसी विशेष प्रकार की आवाज जेसे घुंघरू की खनक ; हसी की आवाज ; फुसफुसाहट या किसी भी अन्य प्रकार की विशेष आवाज से अपनी उपस्थिति को दर्ज कराते हे |
    • इसका तात्पर्य यह हे कि स्वयम इष्ट आपके सामने अपनी उपस्थिति को दिखाने के लिए सन्नद्ध हे |
    • उनकी कृपा आप के ऊपर धीरे धीरे हो रही हे |
    • इसका घमंड ना करें और किसी को इसके बारे में ना बताएं वरना अनुभव तुरंत बंद हो जायेंगे |
    • ऐसा होने का तात्पर्य सिध्ही मिल जाना नहीं है , केवल प्रमाण है कि आप सही साधना कर रहे हैं और इष्ट आपके अनुकूल है | 
    • अगर इतने में ही अपने आप को सिद्ध समझने की भूल कर बैठेंगे तो ढोंगी बाबा बनकर रह जायेंगे |
  • ऐसा होने पर अपने द्वारा किए जा रहे मंत्र जाप को ओर इष्ट  के साथ हो रहे भावनात्मक जुड़ाव को आप धीरे धीरे बढ़ाएं |
  • कोई भी मन्त्र या साधना कम से कम एक साल तक नियमित करें तभी अनुभव और अनुकूलता मिलेगी |
  • हर हफ्ते एक नया मन्त्र जपने लगेंगे तो कोई फायदा नहीं मिलेगा | 
  • हर देवता इतना सक्षम है की आपको दुसरे के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी |
सबसे महत्वपूर्ण  :-
  • साल में कम से कम दो बार अपने गुरु से अवश्य मिलें |
  • उनका मार्गदर्शन लेते रहें |
  • इष्ट पर विशवास रखें | खुद पर भी विश्वास रखें | 
  • स्त्री को शक्ति स्वरूपा माना जाता है इसलिए किसी स्त्री का अपमान ना करें | उन्हें सम्मान की दृष्टी से देखें |
  • यदि उग्र शक्ति साधना कर रहे हों तो क्रोध से बचें | गुरु सानिध्य में साधना कर सकें तो बेहतर है |
  • भविष्यवाणी/आशीर्वाद /श्राप  किसी को न दें , यह आपकी साधनात्मक उर्जा को ख़तम करता है |

10 अक्तूबर 2015

दुर्गा साधना मंत्रम





॥ ॐ क्लीं दुर्गायै नमः ॥


  • यह काम बीज से संगुफ़ित दुर्गा मन्त्र है.
  • यह सर्वकार्यों में लाभदायक है.
  • इसका जाप आप नवरत्रि में चलते फ़िरते भी कर सकते हैं.
  • अनुष्ठान के रूप में २१००० जाप करें.
  • २१०० मंत्रों से हवन नवमी को करें.
  • विशेष लाभ के लिये विजयादशमी को हवन करें.