- भगवती तारा महाविद्या का सबसे उग्र रूप है उग्रतारा .
- यह मूलरूप से अघोर साधना है .
- इस साधना को गुरु सानिध्य में ही संपन्न करना चाहिए .
- दिशा/माला/आचार/व्यवहार का प्रतिबंध नहीं है .
- श्मशान साधना है लेकिन योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करें अन्यथा दुष्परिणाम हो सकते हैं .
- कमजोर दिल वाले पुरुष , बच्चे तथा महिलाएं इसे ना करें
- अमावस्या से अमावस्या तक साधना करें .
- मन्त्र गुरु मुख से ही प्राप्त करें
एक प्रयास सनातन धर्म[Sanatan Dharma] के महासमुद्र मे गोता लगाने का.....कुछ रहस्यमयी शक्तियों [shakti] से साक्षात्कार करने का.....गुरुदेव Dr. Narayan Dutt Shrimali Ji [ Nikhileswaranand Ji] की कृपा से प्राप्त Mantra Tantra Yantra विद्याओं को समझने का...... Kali, Sri Yantra, Laxmi,Shiv,Kundalini, Kamkala Kali, Tripur Sundari, Maha Tara ,Tantra Sar Samuchhay , Mantra Maharnav, Mahakal Samhita, Devi,Devata,Yakshini,Apsara,Tantra, Shabar Mantra, जैसी गूढ़ विद्याओ को सीखने का....
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17 नवंबर 2016
उग्रतारा साधना
15 नवंबर 2016
भगवती कामाख्या साधना
भगवती कामाख्या मूल शक्ति हैं
जो सभी साधनाओं का मूल हैं ।
॥ ऊं ऎं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै स्वाहा ॥
विशिष्ट निर्देश :-
- साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
- साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
- भगवती कामाख्या मूल शक्ति हैं । इस साधना को कम से कम ५ वर्षों तक लगातार करते रहैं |
- यह साधना विवाहित साधकों को ही करनी चाहिए ।
- यह साधना पति पत्नी एक साथ करें तो ज्यादा लाभ होगा।
- इस साधना में दिशा /आसन/वस्त्र /संख्या का महत्व नहीं है
- जाप गौरीशंकर रुद्राक्ष की माला से किया जाये तो सर्व श्रेष्ट है ना हो तो पञ्चमुखी रुद्राक्ष या किसी भी रुद्राक्ष की माला स्वीकार्य है |
- यह साधना गुरु की अनुमति से ही करें।
- साधना नियमित रूप से करें।
- जाप के दौरान बकवास और बेवजह का प्रलाप चुगली आदि ना करें|
- किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें |
- साधना काल में किसी के बारे में बुरा न बोले। भविष्यवाणी न करें।
गुरु निलयम, MIG-556,पद्मनाभपुर, दुर्ग, छ.ग., भारत
India
तारा साधना - 2
तारा साधना मंत्रम
· भगवती तारा महाविद्या की साधना में
गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें.
· सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में
करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
· भगवती तारा अपने साधक को उसी
प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने बच्चे को ले
जाती है.
· || ॐ तारा तूरी स्वाहा ||
· इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं
गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
· साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
· रात्रिकालीन साधना है |
· उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
· एकांत कमरा होना चाहिए | साधनाकाल
में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये चाहे वह आपकी पत्नी या बच्चा ही क्यों न हो |
· दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप
करते रहें .
·
14 नवंबर 2016
तारा साधना
तारा साधना मंत्रम
· यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु
अनुमति से ही करनी चाहिए.
· भगवती तारा महाविद्या की साधना में
गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें.
· सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में
करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
· भगवती तारा अपने साधक को उसी
प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने बच्चे को ले
जाती है.
· || ॐ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट ||
· इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं
गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
· साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
· रात्रिकालीन साधना है |
· उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
· एकांत कमरा होना चाहिए | साधनाकाल
में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये चाहे वह आपकी पत्नी या बच्चा ही क्यों न हो |
· दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप
करते रहें .
·
11 नवंबर 2016
महाविद्या बगलामुखी दीक्षा
भगवती बगलामुखि की साधना सामान्यतः शत्रुनाश और मुकदमों में विजय प्राप्ति के लिये की जाती है.इस साधना के सामान्य नियम :-
- साधक को सात्विक आचार तथा व्यवहार रखना चाहिये.
- साधना काल में पीले रंग के वस्त्र तथा आसन का उपयोग करॆं.
- साधना रात्रिकालीन है अर्थात रात्रि ९ से सुबह ४ के मध्य मन्त्र जाप करें.
- साधनाकाल में क्रोध ना करें.
- साधना काल में यथासंभव ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- साधनाकाल में किसी स्त्री का अपमान ना करें.
- हल्दी या पीली हकीक की माला से जाप करें.
- साधना करने से पहले गुरु दीक्षा लें गुरु से अनुमति लेकर ही यह साधना करें. यह साधना उग्र साधना है इसलिये नन्हे बालक तथा कमजोर मानसिक स्थिति वाले इस साधना को ना करें.
- सामान्यतः सवा लाख जाप का पुरश्चरण तथा १२५०० मन्त्रों से हवन किया जाना अपेक्षित है.
- हवन पीली सरसों से किया जायेगा.
विभिन्न साधनात्मक जानकारियों
तथा
गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी
तथा गुरुमाता साधना सिंह जी से
भगवती बगलामुखि दीक्षा
के सम्बन्ध में जानकारी के लिए निचे लिखे नंबर पर संपर्क करें
समय = सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक [ रविवार अवकाश ]
साधना सिद्धि विज्ञान
जैस्मिन - 429
न्यू मिनाल रेजीडेंसी
जे.के.रोड
भोपाल [म.प्र.] 462011
phone -[0755]-4283681
विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें :-
साधना सिद्धि विज्ञान मासिक पत्रिका
यह पत्रिका तंत्र साधनाओं के गूढतम रहस्यों को साधकों के लिये स्पष्ट कर उनका मार्गदर्शन करने में अग्रणी है. साधना सिद्धि विज्ञान पत्रिका में महाविद्या साधना , भैरव साधना, काली साधना, अघोर साधना, अप्सरा साधना इत्यादि के विषय में जानकारी मिलेगी .इसमें आपको विविध साधनाओं के मंत्र तथा पूजन विधि का प्रमाणिक विवरण मिलेगा .देश भर में लगने वाले विभिन्न साधना शिविरों के विषय में जानकारी मिलेगी .------------------------------------------------------------------------------------
वार्षिक सदस्यता शुल्क 250 रुपये मनीआर्डर द्वारा निम्नलिखित पते पर भेजें
------------------------------------------------------------------------------------
साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न. 5 प्लाट न. 210
एम.पी.नगर
भोपाल [म.प्र.] 462011
फोन -[0755]-4283681,4269368 ,4221116
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साधना सिद्धि विज्ञान एक मासिक पत्रिका है , 250 रुपये इसका वार्षिक शुल्क है .
यह पत्रिका आपको एक साल तक हर महीने मिलेगी .
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11 अक्तूबर 2016
काल भैरव साधना
काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
- शत्रु बाधा.
- तंत्र बाधा.
- इतर योनी से कष्ट.
- उग्र साधना में रक्षा हेतु.
|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||
विधि :-
- रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
- रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
- काला आसन और वस्त्र रहेगा.
- रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
- १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
- जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन कर लें.
- हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
- काली मिर्च या तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
- अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
- एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें.
- किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ.
- घर में आकर स्नान कर लें.
- दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें.
- किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
- दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.
4 अक्तूबर 2016
3 अक्तूबर 2016
भुवनेश्वरी महाविद्या
॥ ह्रीं ॥
1 अक्तूबर 2016
कामाख्या मन्त्रम
भगवती कामाख्या मूल शक्ति हैं , जो सभी साधनाओं का मूल हैं ।
॥ ऊं ऎं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै स्वाहा ॥
सामान्य निर्देश :-
साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
-------------------------------------
विधि :-
जाप ..माला से किया जाये तो श्रेष्ट है ना हो तो रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य है |
जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
दिशा उत्तर/ पूर्व की और देखते हुए बैठें |
आसन लाल/पीले रंग का रखें|
जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है |
जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें |
सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
ब्रह्मचर्य का पालन करें |
॥ ऊं ऎं ह्रीं क्लीं कामाख्यायै स्वाहा ॥
सामान्य निर्देश :-
साधनाएँ इष्ट तथा गुरु की कृपा से प्राप्त और सिद्ध होती हैं |
इसके लिए कई वर्षों तक एक ही साधना को करते रहना होता है |
साधना की सफलता साधक की एकाग्रता और उसके श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है |
-------------------------------------
विधि :-
जाप ..माला से किया जाये तो श्रेष्ट है ना हो तो रुद्राक्ष की माला सभी कार्यों के लिए स्वीकार्य है |
जाप के पहले दिन हाथ में पानी लेकर संकल्प करें " मै (अपना नाम बोले), आज अपनी (मनोकामना बोले) की पूर्ती के लिए यह मन्त्र जाप कर रहा/ रही हूँ | मेरी त्रुटियों को क्षमा करके मेरी मनोकामना पूर्ण करें " | इतना बोलकर पानी जमीन पर छोड़ दें |
दिशा उत्तर/ पूर्व की और देखते हुए बैठें |
आसन लाल/पीले रंग का रखें|
जाप रात्रि 9 से सुबह 4 के बीच करें|
यदि अर्धरात्रि जाप करते हुए निकले तो श्रेष्ट है |
जाप के दौरान किसी को गाली गलौच / गुस्सा/ अपमानित ना करें|
किसी महिला ( चाहे वह नौकरानी ही क्यों न हो ) का अपमान ना करें |
सात्विक आहार/ आचार/ विचार रखें |
ब्रह्मचर्य का पालन करें |
महाविद्या महाकाली स्तुति
शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
महाकाल प्रियायै चतुःषष्टि कला पूरिते |
घोराट्टहास कारिणे प्रचण्ड रूपिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
मेरी
अद्भुत स्वरूपिणी महामाया जो शव के आसन पर भयंकर रूप धारण कर विराजमान है,
जो काल के अधिपति महाकाल की प्रिया हैं, जो चौंषठ कलाओं से युक्त हैं, जो
भयंकर अट्टहास से संपूर्ण जगत को कंपायमान करने में समर्थ हैं, ऐसी प्रचंड
स्वरूपा मातृरूपा महाकाली की मैं सदैव अर्चना करता हूं |
उन्मुक्त केशी दिगम्बर रूपे,
रक्त प्रियायै श्मशानालय संस्थिते ।
सद्य नर मुंड माला धारिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
जिनकी
केशराशि उन्मुक्त झरने के समान है ,जो पूर्ण दिगम्बरा हैं, अर्थात हर
नियम, हर अनुशासन,हर विधि विधान से परे हैं , जो श्मशान की अधिष्टात्री
देवी हैं ,जो रक्तपान प्रिय हैं , जो ताजे कटे नरमुंडों की माला धारण किये
हुए है ऐसी प्रचंड स्वरूपा महाकाल रमणी महाकाली की मैं सदैव आराधना करता
हूं |
क्षीण कटि युक्ते पीनोन्नत स्तने,
केलि प्रियायै हृदयालय संस्थिते।
कटि नर कर मेखला धारिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
अद्भुत
सौन्दर्यशालिनी महामाया जिनकी कटि अत्यंत ही क्षीण है और जो अत्यंत उन्नत
स्तन मंडलों से सुशोभित हैं, जिनको केलि क्रीडा अत्यंत प्रिय है और वे
सदैव मेरे ह्रदय रूपी भवन में निवास करती हैं . ऐसी महाकाल प्रिया महाकाली
जिनके कमर में नर कर से बनी मेखला सुशोभित है उनके श्री चरणों का मै सदैव
अर्चन करता हूं ||
खङग चालन निपुणे रक्त चंडिके,
युद्ध प्रियायै युद्धुभूमि संस्थिते ।
महोग्र रूपे महा रक्त पिपासिनीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
देव
सेना की महानायिका, जो खड्ग चालन में अति निपुण हैं, युद्ध जिनको अत्यंत
प्रिय है, असुरों और आसुरी शक्तियों का संहार जिनका प्रिय खेल है,जो युद्ध
भूमि की अधिष्टात्री हैं , जो अपने महान उग्र रूप को धारण कर शत्रुओं का
रक्तपान करने को आतुर रहती हैं , ऐसी मेरी मातृस्वरूपा महामाया महाकाल रमणी
महाकाली को मै सदैव प्रणाम करता हूं |
मातृ रूपिणी स्मित हास्य युक्ते,
प्रेम प्रियायै प्रेमभाव संस्थिते ।
वर वरदे अभय मुद्रा धारिणीम,
अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
|| इति श्री निखिल शिष्य अनिल कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम ||
नवार्ण मंत्र साधना विधि
नवार्ण मंत्र
॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥
ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है ।
- वस्त्र आसन लाल होगा .
- दिशा कोई भी हो सकती है.
- स्नान कर के बैठेंगे .
- रात्रि काल में जाप होगा.
- रुद्राक्ष की माला से जाप करें.
- ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- बकवास और प्रलाप से बचें.
- यथासंभव मौन रहें.
- यथा शक्ति जाप करें.
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