तारा साधना मंत्रम
· यह साधना गुरु दीक्षा और गुरु
अनुमति से ही करनी चाहिए.
· भगवती तारा महाविद्या की साधना में
गलतियों की छूट नहीं होती. इसलिए अपने पर पूरा विश्वास होने पर ही संकल्प लें.
· सहस्रनाम और कवच का पाठ साथ में
करने से अतिरिक्त लाभ होता है.
· भगवती तारा अपने साधक को उसी
प्रकार साधना पथ पर आगे लेकर जाती है जैसे एक माँ ऊँगली पकड़कर अपने बच्चे को ले
जाती है.
· || ॐ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट ||
· इसके अलावा भी सैकड़ों मंत्र हैं
गुरु के निर्देशानुसार उस मन्त्र का जाप करें.
· साधना गुरूवार से प्रारम्भ करें.
· रात्रिकालीन साधना है |
· उत्तर दिशा की और देखते हुए बैठें.
· एकांत कमरा होना चाहिए | साधनाकाल
में कोई दूसरा उस कक्ष में ना आये चाहे वह आपकी पत्नी या बच्चा ही क्यों न हो |
· दिन में भी मन ही मन मन्त्र जाप
करते रहें .
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