26 अक्तूबर 2011

महाकाली :रक्षा मन्त्र




  • जनमाष्टमी काली जयंती भी  कहलाती है.
  • इस दिन महाकाली की साधना अर्ध रात्रि मे की जाती है.
  • निम्न्लिखित मन्त्र का यथा शक्ति जाप करें.




:: हुं हुं ह्रीं ह्रीं कालिके घोर दन्ष्ट्रे प्रचन्ड चन्ड नायिके दानवान दारय हन हन शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हुं फट ::


यह एक सिद्ध मन्त्र है
इस मन्त्र का जाप करके रक्षा सूत्र बान्ध सकते हैं. 
विभिन्न प्रकार के रक्षा घेरे के निर्माण मे भी सहायक है.

लक्ष्मी प्राप्ति के लिये : कनकधारा स्तोत्रम

















लक्ष्मी बीज मन्त्रम




॥  श्रीं ॥


  • लक्ष्मी का बीज मन्त्र है.
  • गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र तथा आसन का प्रयोग करें.
  • रात्रि ९ से ५ के बीच यथा शक्ति जाप करें.
  • क्षमता हो तो घी का दीपक लगायें ।


21 अक्तूबर 2011

मातंगी साधना




॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.

11 अक्तूबर 2011

निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन


साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें





गुरु दीक्षा फोटो द्वारा निशुल्क प्राप्त करने के लिये

पत्रिका साधना सिद्धि विज्ञान की सदस्यता[वार्षिक शुल्क मात्र २२०=०० रुपये] लें. सदस्यता शुल्क मनीआर्डर से निम्नलिखित पते पर भेजें.   



साधना सिद्धि विज्ञान
शोप न५ प्लाट न२१०
एम.पी.नगर
भोपाल [.प्र.] ४६२०११

सदस्यता लेने के बाद यदि किसी कारण वश आप स्वयं मिलने में असमर्थ हैं तो अपनी समस्या का  विवरण , अपनी एक फ़ोटो और साथ में अपना पता लिखा १० रुपये का डाकटिकट लगा हुआ जवाबी लिफ़ाफ़ा रखकर ऊपर लिखे पते पर डाक से भेज कर नि:शुल्क दीक्षा तथा मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.


नोट -  आने वाले पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण जवाब मिलने में थोडा समय लग सकता है.

9 अक्तूबर 2011

मानसिक शांति के लिये : सोsहं साधना

सोsहं का तात्पर्य होता है 


" बाहर ब्रह्मांड में जो कुछ है वह मै ही हूं"













इस मंत्र का  जाप आप चौबीसों घंटे अपनी हर सांस के साथ कर सकते हैं.








इस मंत्र से जहां आपको मानसिक शांति मिलेगी वहीं धीरे धीरे आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होगा.


श्वास लेते समय अंदर आती सांस को महसूस करते हुए "सो" का उच्चारण बिना आवाज के करें.


श्वास छोडते समय बाहर जाती सांस को महसूस करते हुए "हम" का उच्चारण बिना आवाज के करें.



6 अक्तूबर 2011

रावण साधना मंत्र


रावण एक महासिद्ध तांत्रिक भी था.
वह महामाया और भगवान शिव का परम शिष्य था. 


उनके द्वारा रचित तंत्र ग्रंथ है "क्रियोड्डीश तंत्रम".


रावण के द्वारा लिखे गये शिव तांडव स्तोत्र का ही पाठ शिवपूजन के अंत में किया जाता है.


रावण की साधना का एक मंत्र   :-


" लां  लां लां लंकाधिपतये  लीं लीं लीं लंकेशं लूं लूं लूं लोल जिह्वां, शीघ्रं आगच्छ आगच्छ चंद्रहास खङेन मम शत्रुन विदारय विदारय मारय मारय काटय काटय हूं फ़ट स्वाहा "







  • यह एक अति उग्र मंत्र है. 
  • कमजोर दिल वाले तथा बच्चे और महिलायें इस मंत्र को न करें.
  • अपने गुरु से अनुमति लेकर ही इस साधना को करें.
  • साधना काल में भयानक अनुभव हो सकते हैं.

  • दक्षिण दिशा में देखते हुए दोनों हाथ ऊपर उठाकर जाप करना है.
  • २१००० मंत्र जाप रात्रि काल में करें.
  • २१०० मंत्र से हवन करें.

  • बिना डरे जाप पूर्ण करें.
  • दशानन रावण की कृपा प्राप्ति होगी.