28 अक्टूबर 2012

दीपावली : सर्व तंत्र बाधा निवारक महाकाली प्रयोग


यदि  आपको तंत्र बाधा है या आप ऐसा महसूस करते हैं की कोई दैवीय समस्या आपके साथ है तो यह एक लघु मगर प्रभावशाली प्रयोग है :-

सबसे  पहले माता महाकाली से प्रार्थना करें की मेरी सारी बाधा शांत हो जाये. आप मुझ पर कृपा करें.
यदि गुरु बनाया हो तो १ माला गुरु मंत्र का जाप करें, न बनाया हो तो भगवान शिव को गुरु मानकर ओम नमः शिवाय मंत्र की १ माला जाप कर लें.
 
 
|| क्रीं ||
इस  मंत्र का दीपावली तक १०००० बार जप करें.
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दीपावली की रात्रि इस मन्त्र में स्वाहा लगाकर १००८ आहुति गोबर का कंडा जलाकर लोबान से दें
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दीपावली  के अगले दिन  ठंडा होने पर हवन की राख को शरीर पर मल लें. १०८ बार मन्त्र जाप करें और गंगा जल मिले पानी से स्नान कर लें.

शेष राख को घर में थोडा थोडा छिडक दें और बाकि को जल में ठंडा कर दें  

 
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21 अक्टूबर 2012

मातंगी साधना




॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.

17 अक्टूबर 2012

महाकाल रमणी स्तुति













शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
                                महाकाल  प्रियायै चतुःषष्टि कला पूरिते |
घोराट्टहास कारिणे प्रचण्ड रूपिणीम,
                                अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥


मेरी अद्भुत स्वरूपिणी महामाया जो शव के आसन पर भयंकर रूप धारण कर विराजमान है, जो काल के अधिपति महाकाल की प्रिया हैं, जो चौंषठ कलाओं से युक्त हैं, जो भयंकर अट्टहास से संपूर्ण जगत को कंपायमान करने में समर्थ हैं, ऐसी प्रचंड स्वरूपा मातृरूपा महाकाली की मैं सदैव अर्चना करता हूं |

उन्मुक्त केशी दिगम्बर रूपे,
                                 रक्त प्रियायै श्मशानालय संस्थिते ।
सद्य नर मुंड माला धारिणीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

 
जिनकी केशराशि उन्मुक्त झरने के समान है ,जो पूर्ण दिगम्बरा हैं, अर्थात हर नियम, हर अनुशासन,हर विधि विधान से परे हैं , जो श्मशान की अधिष्टात्री देवी हैं ,जो रक्तपान प्रिय हैं , जो ताजे कटे नरमुंडों की माला धारण किये हुए है ऐसी प्रचंड स्वरूपा महाकाल रमणी महाकाली की मैं सदैव आराधना करता हूं |


क्षीण कटि युक्ते पीनोन्नत स्तने,
                               केलि प्रियायै हृदयालय संस्थिते।
कटि नर कर मेखला धारिणीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥


अद्भुत सौन्दर्यशालिनी महामाया जिनकी कटि अत्यंत ही क्षीण है और जो अत्यंत उन्नत स्तन मंडलों से सुशोभित हैं, जिनको केलि क्रीडा अत्यंत प्रिय है और वे  सदैव मेरे ह्रदय रूपी भवन में निवास करती हैं . ऐसी महाकाल प्रिया महाकाली जिनके कमर में नर कर से बनी मेखला सुशोभित है उनके श्री चरणों का मै सदैव अर्चन करता हूं  ||

खङग चालन निपुणे रक्त चंडिके,
                               युद्ध प्रियायै युद्धुभूमि संस्थिते ।
महोग्र रूपे महा रक्त पिपासिनीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

देव सेना की महानायिका, जो खड्ग चालन में अति निपुण हैं, युद्ध जिनको अत्यंत प्रिय है, असुरों और आसुरी शक्तियों का संहार जिनका प्रिय खेल है,जो युद्ध भूमि की अधिष्टात्री हैं , जो अपने महान उग्र रूप को धारण कर शत्रुओं का रक्तपान करने को आतुर रहती हैं , ऐसी मेरी मातृस्वरूपा महामाया महाकाल रमणी महाकाली को मै सदैव प्रणाम करता हूं |



मातृ रूपिणी स्मित हास्य युक्ते,
                                प्रेम प्रियायै प्रेमभाव संस्थिते ।
वर वरदे अभय मुद्रा धारिणीम,
                                अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥



जो सारे संसार का पालन करने वाली मातृस्वरूपा हैं, जिनके मुख पर सदैव अभय भाव युक्त आश्वस्त करने वाली मंद मंद मुस्कुराहट विराजमान रहती है , जो प्रेममय हैं जो प्रेमभाव में ही स्थित हैं , हमेशा अपने साधकों को वर प्रदान करने को आतुर रहने वाली ,अभय प्रदान करने वाली माँ महाकाली को मै उनके सहस्र रूपों में सदैव प्रणाम करता हूं |
|| इति श्री निखिल शिष्य अनिल शेखर कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम ||

16 अक्टूबर 2012

महाकाली महारोग नाशक मन्त्रम




॥ ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ॥

  • यह सर्वविध रोगों के प्रशमन में सहायक होता है.
  • इसका प्रभाव भी महामृत्युंजय मंत्र के सामान प्रचंड है .
  • यथा शक्ति जाप करें.
  • जाप से पहले १ माला गुरु मन्त्र करें

नवरात्रि विशेष : सर्व बाधा निवारण हेतु : धूमावती साधना


नवरात्रि में महाविद्यायें जागृत और चैतन्य हो जाती हैं.
महाविद्याओं में सबसे उग्रतम विद्या है धूमावती...
इनका स्वरूप बहुत ही उग्र तथा सब कुछ भक्षण कर लेने को आतुर है.. 
ये अपने साधक की सभी प्रकार की बाधायें चाहे वे किसी भी प्रकार की हों भक्षण कर जाती हैं.....





॥ धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥


नवरात्रि में जाप करें.

ब्रह्मचर्य का पालन करें. 

सात्विक आहार तथा आचार विचार रखें. 

यथा संभव मौन रहें. 

अनर्गल प्रलाप और बकवास न करें. 

किसी स्त्री का भूलकर भी अपमान ना करें.

सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ कर  जाप करें.  

यथाशक्ति जाप जोर से बोल कर करें. 

बेसन के पकौडे का भोग लगायें.

 भोग पर्याप्त मात्रा में होना चाहिये.

 कम से कम एक पाव बेसन के पकौडे चढायें.इसमें से आपको नही खाना है.

जाप के बाद भोग को निर्जन स्थान पर छोड कर वापस मुडकर देखे बिना लौट जायें.

११००० जाप करें. 


नवमी को मंत्र के आखिर में स्वाहा लगाकर ११०० मंत्रों से हवन करें.

हवन की भस्म को प्रभावित स्थल या घर पर छिडक दें. शेष भस्म को नदी में प्रवाहित करें.

जाप पूरा हो जाने पर किसी गरीब विधवा स्त्री को भोजन तथा सफ़ेद साडी दान में दें.

महाकाल रमणी स्तुति





शवासन संस्थिते महाघोर रुपे ,
                                महाकाल  प्रियायै चतुःषष्टि कला पूरिते |
घोराट्टहास कारिणे प्रचण्ड रूपिणीम,
                                अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

मेरी अद्भुत स्वरूपिणी महामाया जो शव के आसन पर भयंकर रूप धारण कर विराजमान है, जो काल के अधिपति महाकाल की प्रिया हैं, जो चौंषठ कलाओं से युक्त हैं, जो भयंकर अट्टहास से संपूर्ण जगत को कंपायमान करने में समर्थ हैं, ऐसी प्रचंड स्वरूपा मातृरूपा महाकाली की मैं सदैव अर्चना करता हूं | 

उन्मुक्त केशी दिगम्बर रूपे,
                                 रक्त प्रियायै श्मशानालय संस्थिते ।
सद्य नर मुंड माला धारिणीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥
  
जिनकी केशराशि उन्मुक्त झरने के समान है ,जो पूर्ण दिगम्बरा हैं, अर्थात हर नियम, हर अनुशासन,हर विधि विधान से परे हैं , जो श्मशान की अधिष्टात्री देवी हैं ,जो रक्तपान प्रिय हैं , जो ताजे कटे नरमुंडों की माला धारण किये हुए है ऐसी प्रचंड स्वरूपा महाकाल रमणी महाकाली की मैं सदैव आराधना करता हूं |


क्षीण कटि युक्ते पीनोन्नत स्तने,
                               केलि प्रियायै हृदयालय संस्थिते।
कटि नर कर मेखला धारिणीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥

अद्भुत सौन्दर्यशालिनी महामाया जिनकी कटि अत्यंत ही क्षीण है और जो अत्यंत उन्नत स्तन मंडलों से सुशोभित हैं, जिनको केलि क्रीडा अत्यंत प्रिय है और वे  सदैव मेरे ह्रदय रूपी भवन में निवास करती हैं . ऐसी महाकाल प्रिया महाकाली जिनके कमर में नर कर से बनी मेखला सुशोभित है उनके श्री चरणों का मै सदैव अर्चन करता हूं  ||

खङग चालन निपुणे रक्त चंडिके,
                               युद्ध प्रियायै युद्धुभूमि संस्थिते ।
महोग्र रूपे महा रक्त पिपासिनीम,
                               अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥ 
देव सेना की महानायिका, जो खड्ग चालन में अति निपुण हैं, युद्ध जिनको अत्यंत प्रिय है, असुरों और आसुरी शक्तियों का संहार जिनका प्रिय खेल है,जो युद्ध भूमि की अधिष्टात्री हैं , जो अपने महान उग्र रूप को धारण कर शत्रुओं का रक्तपान करने को आतुर रहती हैं , ऐसी मेरी मातृस्वरूपा महामाया महाकाल रमणी महाकाली को मै सदैव प्रणाम करता हूं |



मातृ रूपिणी स्मित हास्य युक्ते,
                                प्रेम प्रियायै प्रेमभाव संस्थिते ।
वर वरदे अभय मुद्रा धारिणीम,
                                अम्बे महाकालीम तमर्चयेत सर्व काले ॥


जो सारे संसार का पालन करने वाली मातृस्वरूपा हैं, जिनके मुख पर सदैव अभय भाव युक्त आश्वस्त करने वाली मंद मंद मुस्कुराहट विराजमान रहती है , जो प्रेममय हैं जो प्रेमभाव में ही स्थित हैं , हमेशा अपने साधकों को वर प्रदान करने को आतुर रहने वाली ,अभय प्रदान करने वाली माँ महाकाली को मै उनके सहस्र रूपों में सदैव प्रणाम करता हूं |

|| इति श्री निखिल शिष्य अनिल शेखर कृत महाकाल रमणी स्तोत्रं सम्पूर्णम ||

14 अक्टूबर 2012

नवरात्रि विशेष : भुवनेश्वरी साधना







॥ ह्रीं ॥
  • भुवनेश्वरी महाविद्या समस्त सृष्टि की माता हैं
  • हमारे जीवन के लिये आवश्यक अमृत तत्व वे हैं.
  • जो निरंतर बीमार रहते हों, उर्जा का अभाव महसूस करते हों वे इस साधना को करें.इस मन्त्र का नित्य जाप आपको उर्जावान बनायेगा.
  • नवरात्रि में सफ़ेद वस्त्र/आसन के साथ जाप करें.
  • ११००० जाप करें.
  • रुद्राक्ष से ११०० हवन करें.
  • ब्रहम मुहुर्त यानि सुबह ४ से ६ के बीच करें.

नवरात्रि विशेष : गृहस्थ सुख हेतु मातंगी साधना





॥ ह्रीं क्लीं हुं मातंग्यै फ़ट स्वाहा ॥


  • मातंगी साधना संपूर्ण गृहस्थ सुख प्रदान करती है.
  • यह साधना जीवन में रस प्रदान करती है.
  • ११००० जाप करें. ११०० मंत्रों से हवन करें.
  • गुलाबी रंग का वस्त्र आसन होगा.

13 अक्टूबर 2012

नवरात्रि साधना के सामान्य नियम




  1. साधना प्रारम्भ करने से पहले हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना बोले.
  2. महाविद्याओं की साधना दीक्षा लेकर ही करे.
  3. जाप के पहले तथा बाद मे गुरु मन्त्र की १ माला जाप करें.

    ॥ ऊं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥

  4. नवरात्रि में मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
  5. जहाँ दिशानिर्देश न हो वहाँ उत्तर या पूर्व की ओर देखते हुए जाप करें.
  6. यथासंभव एकांत वास करें.
  7. सात्विक आचार व्यव्हार रखें.
  8. बहुत आवश्यक हो तो पत्नी से संपर्क रख सकते हैं. 
  9. किसी स्त्री का अपमान ना करें.
  10. क्रोध न करें . 
  11. किसी को नुक्सान न पहुंचाए.
  12. साधना को गोपनीय रखें.
  13. हो सके तो साधना स्थल पर ही रात को सोयें.
  14. किसी को ना तो कोसें और ना ही व्यर्थ का प्रलाप करें.
  15. यथा संभव मौन रखें.
  16. साधना में बैठने से पहले हल्का भोजन करें.
  17. जप के बाद दोनों कान पकड़कर सभी प्रकार की गलतियों के लिए माफ़ी मांगें
  18. अंत में जप गुरु को समर्पित करें .
  19. उग्र सधानाये बच्चे और महिलाएं न करें.
  20. गुरु से अनुमति लेकर ही साधना करें .
  21. साधनात्मक शक्तियों के दुरुपयोग का दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक को झेलना पडता है, इसलिए सिद्धि का दुरुपयोग न करे वरना परिणाम भयानक तथा विनाशकारी होंगे .

नवरात्रि : नवार्ण मन्त्रं









॥ ऐं ह्रीं क्लीं चामुन्डायै विच्चै ॥


ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।

ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।

क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
नवरात्री में नवार्ण मन्त्र का जाप इन तीनों देवियों की कृपा प्रदान करता है ।

11 अक्टूबर 2012

निःशुल्क दीक्षा एवं साधनात्मक मार्गदर्शन


साधना का क्षेत्र अत्यंत दुरुह तथा जटिल होता है. इसी लिये मार्गदर्शक के रूप में गुरु की अनिवार्यता स्वीकार की गई है.


गुरु दीक्षा प्राप्त शिष्य को गुरु का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है.

बाहरी आडंबर और वस्त्र की डिजाइन से गुरू की क्षमता का आभास करना गलत है.

एक सफ़ेद धोती कुर्ता पहना हुआ सामान्य सा दिखने वाला व्यक्ति भी साधनाओं के क्षेत्र का महामानव हो सकता है यह गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से मिलकर मैने अनुभव किया.


भैरव साधना से शरभेश्वर साधना तक.......





 कामकला काली से लेकर त्रिपुरसुंदरी तक .......

अघोर साधनाओं से लेकर तिब्बती साधना तक....





महाकाल से लेकर महासुदर्शन साधना तक सब कुछ अपने आप में समेटे हुए निखिल  तत्व के जाज्वल्यमान पुंज स्वरूप...



गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी 

महाविद्या त्रिपुर सुंदरी के सिद्धहस्त साधक हैं.वर्तमान में बहुत कम महाविद्या सिद्ध साधक इतनी सहजता से साधकों के मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध हैं.





वात्सल्यमयी गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

 महाविद्या बगलामुखी की प्रचंड , सिद्धहस्त साधक हैं. 





स्त्री कथावाचक और उपदेशक तो बहुत हैं पर तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु  अत्यंत दुर्लभ हैं.






तंत्र के क्षेत्र में स्त्री गुरु   का बहुत महत्व होता है.

गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी 

स्त्री गुरु मातृ स्वरूपा होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त मंत्र साधकों को सहज सफ़लता प्रदायक होते हैं. स्त्री गुरु द्वारा प्रदत्त मंत्र स्वयं में सिद्ध माने गये हैं.





मैने तंत्र साधनाओं की वास्तविकता और उनकी शक्तियों का अनुभव गुरुदेव स्वामी सुदर्शननाथ जी और गुरुमाता डॉ. साधना सिंह जी के सानिध्य में किया है और......


यदि आप साधनाओं को करने के इच्छुक हैं तो मैं आपका आह्वान करता हूं कि आप आगे बढें, निःशुल्क दीक्षायें प्राप्त करें और दैवीय शक्तियों से स्वयम साक्षात्कार करें





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