18 दिसंबर 2014

गुरु साधना

  • गुरु, साधना जगत का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है.
  • गुरु, साधक को मातृवत उंगली पकड कर चलना सिखाता है, तभी साधक दैवीय साक्षात्कार का पात्र बनता है.
  • ना गुरोरधिकम....ना गुरोरधिकम...ना गुरोरधिकम...


गुरु कम और गुरुघंटाल ज्यादा मिलने वाले इस युग में साधक पशोपेश में होता है की गुरु सिखाएगा या सिर्फ लूटेगा.इसलिए मेरी राय यह है की आप यदि साधना के पथ पर आगे बढ़ने के इच्छुक  हैं और गुरु नहीं बनाया है तो मेरे गुरु द्वारा दिए गए निम्नलिखित मन्त्र का छह माह तक जाप करें और आपको साधनात्मक रूप से सुखद अनुभव हों तो आगे के मार्गदर्शन के लिए मुझे संपर्क कर लें.

गुरु मंत्रम:-


॥ ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ॥


  • सफ़ेद वस्त्र तथा आसन पहनकर जाप करें.
  • रुद्राक्ष या स्फ़टिक की माला श्रेष्ठ है.
  • माला न हो तो ऐसे भी जाप कर सकते हैं.
  • यथा शक्ति जाप करें.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com