कई बार ऐसा होता है कि हम किसी
कारण वश गुरु बना नही पाते या गुरु प्राप्त नही हो पाते । कई बार हम
गुरुघंटालों से भरे इस युग मे वास्तविक गुरु को पहचानने मे असमर्थ हो जाते
हैं ।
ऐसे मे हमें क्या करना चाहिये ?
बिना गुरु के तो साधनायें नही करनी चाहिये ?
ऐसे हज़ारों
प्रश्न हमारे सामने नाचने लगते हैं........
इसके लिये एक सहज उपाय है कि :-
आप
जिस देवि या देवता को इष्ट मानते हैं उसे ही गुरु मानकर उसका मन्त्र
जाप प्रारंभ कर दें । उदाहरण के लिये यदि गणपति आपके ईष्ट हैं तो आप उन्हे
गुरु मानकर " ऊं गं गणपतये नमः " मन्त्र का जाप करना प्रारम्भ कर लें ।
कलियुग में मन्त्र जाप तथा साधनाएं ज्यादा फलदायी होती हैं इसलिए श्रद्धानुसार मंत्र जाप करते रहें.
कलियुग में मन्त्र जाप तथा साधनाएं ज्यादा फलदायी होती हैं इसलिए श्रद्धानुसार मंत्र जाप करते रहें.
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