रोग निवारक पाशुपत मंत्र
मैं आगे की पंक्तियों में गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी के द्वारा प्रदान किए गए पाशुपत मंत्र का विवरण दे रहा हूं । यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप आदि शंकराचार्य के द्वारा भगवान पशुपति की आराधना के लिए प्रयुक्त हुआ था .... इसलिए यह बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है ।
यह शिव के अवतार द्वारा अपने मूल स्वरूप को प्रसन्न करने और जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुआ था ॥
यह एक ऐसा अचूक मंत्र है जो सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने में सहायक है....
इस मंत्र का जाप आप स्वयं कर सकते हैं । आपकी पत्नी कर सकती है, आपके बच्चे कर सकते हैं । आप इस मंत्र को उन सभी को बता सकते हैं जो भगवान शिव पर और सनातन धर्म में आस्था रखते हो....
पाशुपत मंत्र :-
॥ ॐ श्लीं पशुं हुं फट ॥
विधि :-
मंत्र जाप से पहले 3 ,11, 21,51 या 108 बार गुरु मंत्र का उच्चारण कर ले ।
॥ ॐ गुरु मंडलाय नमः ॥
इसके बाद आप पशुपत मंत्र का जितना आपकी शक्ति हो उतना जाप करें ।
पशुपति मंत्र के जाप के लिए किसी प्रकार के आयु, जाति ,लिंग, का बंधन नहीं है।
भगवान पशुपति का मंत्र होने के कारण इसमें स्थान, आसन, समय, दिशा, वस्त्र आदि का बंधन भी नहीं है । अर्थात आप इस मंत्र को चलते-फिरते भी जप सकते हैं ।
इसका जाप आप पूजन कक्ष में बैठकर भी कर सकते हैं । नदी तट पर बैठकर भी कर सकते हैं । इसे आप मंदिर में बैठकर जप सकते हैं तो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर भी जप सकते हैं । इसका जाप आप अपने कार्यस्थल में, अपने ऑफिस में ,अपनी रसोई में, कहीं भी कर सकते हैं,
शर्त यही है कि
आपकी आस्था देवाधिदेव महादेव पर हो, बाकी वह देख लेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com