25 दिसंबर 2023

भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर

भगवान शरभेश्वर दीक्षा और साधना शिविर 


भक्त प्रह्लाद ने जब रक्षा के लिए भगवान विष्णु की अभ्यर्थना की तब वे नरसिंह के स्वरूप में प्रकट हुए थे । उनका आधा शरीर सिंह का था और आधा शरीर मनुष्य का था । उनके उसे विकराल स्वरूप को देखकर पूरी सृष्टि दहल गई थी । हिरण्यकश्प का वध कर देने के बाद भी भगवान नरसिंह की उग्रता शांत नहीं हो पा रही थी । उनके क्रोध और उनके जाज्वल्यमान रूप को देखकर सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच रहा था !

जैसा की समान्यतः होता है जब कोई स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो एक ही देवता याद आते हैं .....
और वह है देवाधिदेव महादेव !
सभी देवताओं ने भगवान महादेव की शरण ली और उनसे इस संकट से निजात दिलाने के लिए प्रार्थना की । उन्होंने तुरंत ही एक अत्यंत प्रचंड और विकराल स्वरूप धारण किया । जिसे उनका शरभेश्वर स्वरूप कहा गया है ।


इस रूप में उनका मुख मंडल गरुड़ पक्षी की तरह है । देह सिंह की तरह और उनके दो पंख भी लगे हुए हैं ।
उनका यह स्वरूप इतना विकराल था कि जब वे भगवान नरसिंह के सामने प्रकट हुए तो स्वयं आवेशित नरसिंह हतप्रभ रह गए । उसके बाद भगवान शरभेश्वर ने नरसिंह स्वरूप को अपने पंजों में दबोचा और ब्रह्मांड का चक्कर लगा दिया । इस प्रकार चक्कर लगा लेने से भगवान नरसिंह की उग्रता शांत होकर नियंत्रित हो गई...
इस प्रकरण के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं या यूं कहा जाए कि इसका उल्लेख कम किया जाता है ....
भगवान शरभेश्वर एक अत्यंत गुप्त और तांत्रिक देवता है । उनकी आराधना, उनकी साधना करने वाले लोग नहीं के बराबर है ।
अगर आपके घर मे भगवान शरभ का कवच है, विग्रह है और आप नित्य उनका मंत्र जाप करते हैं तो वह आपके पूरे घर और परिवार को कवचित रखता है ।
यह साधना आपको अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा प्रदान करने मे समर्थ है !
विभिन्न प्रकार की रोग बाधाओं और तंत्र बाधाओं को यह समाप्त कर देती है ।
आपके आभामंडल को यह प्रबल बनाती है, जिससे लोग आपसे प्रभावित होने लगते हैं, या यूं कह लीजिये आपके अनुकूल होने लगेंगे ।
सेना, पुलिस जैसे जान जोखिम वाले कार्य करने वालों के लिए यह साधना अद्भुत रक्षाकारक परिणाम देती है ।
इसके अलावा भगवान शरभेश्वर की साधना उन लोगों को अवश्य करनी चाहिए जो किसी भी तरह से लोगों के कष्ट निवारण के लिए तंत्र साधना या प्रयोग करने की इच्छा रखते हैं, दूसरों का कल्याण करना चाहते हैं, भूत प्रेत बाधा से मुक्त करवाना चाहते हैं, उन सभी के लिए यह साधना सर्वश्रेष्ठ साधना है ।
एक तांत्रिक के रूप मे इस साधना को सिद्ध कर लेने के बाद इस ब्रह्मांड की शायद ही कोई शक्ति हो जिसे आप नियंत्रित न कर सकें......
यहां तक कि आपके स्पर्श मात्र से भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति सामान्य हो जाए, इतनी क्षमता यह दिव्य साधना आपको प्रदान कर सकती है ।

मंत्र तो आपको किताब से मिल जाएँगे । लेकिन इस साधना में दिक्कत यह है कि इस साधना के गोपनीय सूत्रों को प्रदान करने की क्षमता केवल उसी साधक या गुरु में होती है जिसने स्वयं भगवान शरभेश्वर की साधना सम्पन्न की हो..... और उनके आशीर्वाद को प्राप्त किया हो ।


गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी एक ऐसे ही प्रचंड साधक हैं, जिन्होंने न सिर्फ उनकी साधना सम्पन्न की है, बल्कि उनके अति दुर्लभ विग्रह को निखिलधाम, भोपाल मे स्थापित भी किया है । भगवान शरभ का मंदिर स्थापित करना एक अत्यंत जटिल तांत्रिक क्रिया है । इसीलिए पूरे भारत मे आपको गिनती के शरभ मंदिर मिलेंगे । निखिलधाम का शरभेश्वर मंदिर इतना प्रचंड है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.....
इसका अनुभव आप तभी कर सकते हैं जब निशाकाल मे गुरुदेव के सानिध्य मे आप वहाँ उपस्थित हो सकें ।
आज से लगभग आठ साल पहले मैंने गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से यह दीक्षा प्राप्त की थी और मुझे ऐसे ऐसे अनुभव हुए, जो अद्भुत थे .... यह एक प्रकार से साधक के अंदर शिवत्व जागृत करने की साधना है ......
जिसके बाद वह उद्घोष कर उठता है.....
शिवो S हम......



गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी इस नव वर्ष के अवसर पर इस अद्भुत साधना और दीक्षा को प्रदान करने का मानस आठ साल के बाद फिर से बना रहे हैं । उन्होंने इसके लिए इस बार 31 दिसंबर और 1 जनवरी को निखिलधाम, भोजपुर, भोपाल मध्यप्रदेश ( संपर्क फोन 07554269368 ) में
नववर्ष साधना शिविर आयोजित किया हुआ है । उसमे भाग लेकर आप इस अभूतपूर्व साधना को प्राप्त कर सकते हैं ....

यहां पर मैं आपको यह बताना जरूरी समझूंगा कि आज से लगभग 7-8 साल पहले उन्होंने एक बार यह दीक्षा और प्रयोग संपन्न करवाया था । उसके बाद एक लंबे अंतराल के बाद वे पुनः इस प्रयोग को संपन्न करवा रहे हैं । जो साधक इसका लाभ उठाना चाहते हैं वे इस अवसर का लाभ उठा लें.... क्योंकि हो सकता है कि इसकी दीक्षा और प्रयोग का अगला अवसर फिर से 8-10 साल के बाद ही आए.....
भगवान शरभेश्वर दीक्षा आपको सभी प्रकार से कवचित कर देती है ! क्योंकि जो नरसिंह जैसे उग्रतम देवता को दबोच ले उससे बड़ा कवच क्या हो सकता है ।
सर्वेश्वर दीक्षा प्राप्त व्यक्ति के ऊपर किसी भी प्रकार का तंत्र प्रयोग असर नहीं करता । यदि आप नित्य एक माला उनके मंत्र का जाप करते रहते हैं तो आपके आसपास एक ऐसा रक्षा कवच बन जाता है, जिसको तोड़कर आपको नुकसान पहुंचाने की क्षमता किसी भी इतर योनि में या किसी भी शक्ति में नहीं होती.....
क्योंकि.....
भगवान शरभेश्वर के नाम से ही बाकी सारे देवी देवता थरथर काँपते हैं, क्योंकि यह भगवान शिव का सबसे प्रचंड और सबसे उग्र रूप है .....
आप भी जानते हैं कि जब देवाधिदेव महादेव अपने प्रचंड संहारक रूप में आ जाते हैं तो उसके बाद सृष्टि में प्रलय प्रारंभ हो जाता है..... और उनके सामने कोई खड़ा ही नहीं हो सकता !
ऐसी अद्भुत साधना और दीक्षा को प्राप्त करने के लिए आप अगर इच्छुक हैं तो कोशिश करिए कि इस नव वर्ष के अवसर पर भोपाल पहुंचे और गुरुदेव स्वामी सुदर्शन नाथ जी से इस दीक्षा को और इस प्रयोग को प्राप्त करें !
नित्य मंत्र जाप करें !!
साल दो साल के अंदर आपको ऐसे ऐसे अनुभव होंगे जिसके विषय में आपने अपने जीवन में कभी नहीं सोचा होगा ।
बस आप इतना समझ लीजिए कि यह साधनाओं का सिरमौर है !
अद्भुत है !!
दुर्लभ है !!!
और.....
इसे प्राप्त करना जीवन का सौभाग्य है !

20 दिसंबर 2023

श्री छिन्नमस्ता विशेषांक : साधना सिद्धि विज्ञान दिसंबर 2023

महाविद्या छिन्नमस्ता साधना से संबंधित विशेष पूजन और मंत्र प्राप्त करने के लिए पढ़ें । साधना सिद्धि विज्ञान का दिसंबर अंक ।

प्राप्त करने और सदस्यता के लिए संपर्क करें । साधना सिद्धि विज्ञान कार्यालय
0755 4269368


4 दिसंबर 2023

उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री

 उच्च गुणवत्ता की हवन सामग्री 



हवन सामग्री या हविष्य को देवताओं का भोजन माना गया है । हविष्य की उच्च गुणवत्ता का हमेशा ध्यान रखते हुये ,सफेद चंदन, काली तिल , इलायची, आंवला,सुगंध कोकिला,सफेद चिरमटी,जटामासी,जायफल, नागरमोथा, राल, शिलाजीत, गुग्गल,जैसी तमाम औषधियों और जड़ी बूटियों के मिश्रण से हवन सामग्री तयार करने का विधान सनातन धर्म मे है ।

आजकल रेट कम रखने के चक्कर मे इनमे से अधिकांश चीजें हवन सामग्री मे से गायब हो गयी हैं । अब उसमे लकड़ी का बुरादा ज्यादा हो गया है । जिनकी वजह से हवन का पूरा लाभ नहीं मिल पाता ।


इस दिशा मे "वेद समृति" के द्वारा "हवन प्री मिक्स" के नाम से हवन सामाग्री प्रस्तुत की गयी है जिसमे दुर्लभ जड़ी बूटियों का मिश्रण किया गया है ।
"हवन प्रीमिक्स" में जटामांसी, अश्वगंधा, तेजपत्ता, इंद्राज, अगर तगर, लाल गुंजा, सफेद गुंजा, केसर,  भीमसेनी कपूर, नागर मोथा, नागकेसर, कपूर, हरी इलायची, शतावरी जैसी विशिष्ट औषधियों के अलावा जावित्री, सफेद चंदन, पाउडर, अक्षत, राल, गूगल, लोबान, सहित तमाम औषधियों का मिश्रण उचित अनुपात में किया जाता है । इस विधि से तैयार हविष्य या हवन सामग्री से हवन करने से साधक या यज्ञ करने वाले को इष्ट की कृपा से मनोकामना की पूर्ति मे सहायता मिलती है ।
विशिष्ट देवियों जैसे महाविद्या बगलामुखी और महालक्ष्मी के विशेष हवन की सामग्री भी आप ऑनलाइन मंगा सकते हैं । अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- 7404561986

काल भैरव मंत्र प्रयोग

 काल भैरव मंत्र प्रयोग 



  • सभी प्रकार की तंत्र बाधाओं के शमन मे उपयोगी है । 
  • अमावस्या, कृष्ण पक्ष मे अष्टमी/ त्रयोदशी/चतुर्दशी  या सावन माह की किसी भी रात्रि करें|
  • अपने सामने एक सूखा नारियल , एक कपूर की डली , 11 लौंग, 11 इलायची, 1 डली लोबान या धुप रखें |
  • सरसों के तेल का दीपक जलाएं |
  • हाथ में नारियल लेकर अपनी मनोकामना बोलें | नारियल सामने रखें |
  • दक्षिण दिशा कीओर देखकर इस मन्त्र का 108 बार जाप करें |
  • अगले दिन जल प्रवाह करें । 





|| ॐ भ्रां भ्रीं भ्रूं भ्रः | ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रः |ख्रां ख्रीं ख्रूं ख्रः|घ्रां घ्रीं घ्रूं घ्र: | म्रां म्रीं म्रूं म्र: | म्रों म्रों म्रों म्रों | क्लों   क्लों क्लों क्लों |श्रों श्रों श्रों श्रों | ज्रों ज्रों  ज्रों ज्रों | हूँ हूँ हूँ हूँ| हूँ हूँ हूँ हूँ | फट | सर्वतो रक्ष रक्ष रक्ष रक्ष भैरव नाथ हूँ फट ||

काल भैरव अष्टकम

  काल भैरव अष्टकम


देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।

मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥


विधि :-

भैरवष्टमी,अमावस्या या नवरात्रि मे 108 पाठ करें ।

यह सभी प्रकार के पूजन के पूर्व रक्षा के लिए उपयोगी है।

विभिन्न प्रकार के रक्षा प्रयोगों मे इसे किया जा सकता है । 

काल भैरव साधना

  




काल भैरव साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में लाभकारी है :-
  • शत्रु बाधा.
  • तंत्र बाधा.
  • इतर योनी से कष्ट.
  • उग्र साधना में रक्षा हेतु.
काल भैरव मंत्र :-

|| ॐ भ्रं काल भैरवाय फट ||

विधि :-
  1. रात्रि कालीन साधना है.अमावस्या, नवरात्रि,कालभैरवाष्टमी, जन्माष्टमी या किसी भी अष्टमी से प्रारंभ करें.
  2. रात्रि 9 से 4 के बीच करें.
  3. काला आसन और वस्त्र रहेगा.
  4. रुद्राक्ष या काली हकिक माला से जाप करें.
  5. १०००,५०००,११०००,२१००० जितना आप कर सकते हैं उतना जाप करें.
  6. जाप के बाद १० वा हिस्सा यानि ११००० जाप करेंगे तो ११०० बार मंत्र में स्वाहा लगाकर हवन  कर लें.
  7. हवन सामान्य हवन सामग्री से भी कर सकते हैं.
  8. काली  मिर्च या  तिल का प्रयोग भी कर सकते हैं.
  9. अंत में एक कुत्ते को भरपेट भोजन करा दें. काला कुत्ता हो तो बेहतर.
  10. एक नारियल [पानीवाला] आखिरी दिन अपने सर से तीन बार घुमा लें, अपनी इच्छा उसके सामने बोल दें. 
  11. किसी सुनसान जगह पर बने शिव या काली मंदिर में छोड़कर बिना पीछे मुड़े वापस आ जाएँ. 
  12. घर में आकर स्नान कर लें. 
  13. दो अगरबत्ती जलाकर शिव और शक्ति से कृपा की प्रार्थना करें. 
  14. किसी भी प्रकार की गलती हो गयी हो तो उसके लिए क्षमा मांगे.
  15. दोनों अगरबत्ती घर के द्वार पर लगा दें.

गुरु वचनामृत