गुरु पूर्णिमा पर तांत्रोक्त गुरु पूजन
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर तंत्रोक्त गुरु पूजन की विधि प्रस्तुत है ।
जिसके माध्यम से आप अपने सदगुरुदेव का पूजन कर सकते हैं क्योंकि मेरे गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ( डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी ) हैं इसलिए गुरुदेव जी के स्थान पर में उनका नाम ले रहा हूं आप अपने गुरु का नाम उनकी जगह पर ले सकते हैं ।
इस पूजन के लिए स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें । लकड़ी की चौकी या बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर पंचामृत या जल से स्नान कराके गुरु चित्र यंत्र या शिवलिंग जो भी आपके पास उपलब्ध हो उसे रख लें । अब पूजन प्रारंभ करें।
पवित्रीकरण
किसी भी कार्य को करने के पहले हम अपने आप को साफ सुथरा करते हैं ठीक वैसे ही पूजन करने से पहले भी अपने आप को पवित्र किया जाता है इसे पवित्रीकरण कहते हैं इसमें अपने ऊपर बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ की उंगलियों से छिड़कें या फूल या चम्मच जो भी आप इस्तेमाल करना चाहते हो उसके द्वारा अपने ऊपर थोड़ा सा जल छिड़क लें ।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।
आचमन
आंतरिक शुद्धि के लिए निम्न मंत्रों को पढ़ आचमनी से तीन बार जल पियें -
ॐ आत्म तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।
ॐ ज्ञान तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।
ॐ विद्या तत्त्वं शोधयामि स्वाहा ।
सूर्य पूजन
भगवान सूर्य इस सृष्टि के संचालन करता है और उन्हीं के माध्यम से हम सभी का जीवन गतिशील होता है इसलिए उनकी पूजा अनिवार्य है ।
कुंकुम और पुष्प से सूर्य पूजन करें -
ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।
हिरण्येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
ॐ पश्येन शरदः शतं श्रृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतं ।जीवेम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात ।।
ध्यान
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।
गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ॥
ध्यान मूलं गुरु: मूर्ति पूजा मूलं गुरो पदं ।
मंत्र मूलं गुरुर्वाक्य मोक्ष मूलं गुरुकृपा ॥
आवाहन
ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।
ॐ स्वच्छ प्रकाश विमर्श हेतवे श्री सच्चिदानंद परम गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।
ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे पारमेष्ठि गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि ।
षट चक्र स्थापन --
गुरुदेव को अपने षट्चक्रों में स्थापित करें -
श्री शिवानन्दनाथ पराशक्त्यम्बा मूलाधार चक्रे स्थापयामि नमः ।
श्री सदाशिवानन्दनाथ चिच्छक्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे स्थापयामि नमः ।
श्री ईश्वरानन्दनाथ आनंद शक्त्यम्बा मणिपुर चक्रे स्थापयामि नमः ।
श्री रुद्रदेवानन्दनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे स्थापयामि नमः ।
श्री विष्णुदेवानन्दनाथ ज्ञान शक्त्यम्बा विशुद्ध चक्रे स्थापयामि नमः ।
श्री ब्रह्मदेवानन्दनाथ क्रिया शक्त्यम्बा सहस्त्रार चक्रे स्थापयामि नमः ।
गुरु चरणों मे समर्पित करें
ॐ श्री उन्मनाकाशानन्दनाथ – जलं समर्पयामि ।
ॐ श्री समनाकाशानन्दनाथ – गंगाजल स्नानं समर्पयामि ।
ॐ श्री व्यापकानन्दनाथ – सिद्धयोगा जलं समर्पयामि ।
ॐ श्री शक्त्याकाशानन्दनाथ – चन्दनं समर्पयामि ।
ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ – कुंकुमं समर्पयामि ।
ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ – केशरं समर्पयामि ।
ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ – अष्टगंधं समर्पयामि ।
ॐ श्री विन्द्वाकाशानन्दनाथ – अक्षतं समर्पयामि ।
ॐ श्री द्वन्द्वाकाशानन्दनाथ – सर्वोपचारम समर्पयामि ।
दीपम
सिद्ध शक्तियों को दीप दिखाएँ
श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योतिं समर्पयामि ।
श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशम् समर्पयामि ।
श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं समर्पयामि ।
श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि ।
श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं समर्पयामि ।
श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध दीपं समर्पयामि ।
श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश दीपं समर्पयामि ।
श्री विधीशालीनाम्बा पूर्ण दीपं समर्पयामि ।
नीराजन --
पात्र में जल, कुंकुम, अक्षत और पुष्प लेकर गुरु चरणों मे समर्पित करें -
श्री सोममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।
श्री सूर्यमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।
श्री अग्निमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।
श्री ज्ञानमण्डल नीराजनं समर्पयामि ।
श्री ब्रह्ममण्डल नीराजनं समर्पयामि ।
पञ्च पंचिका
अपने दोनों हाथों में पुष्प लेकर , दोनों हाथों को भिक्षापात्र के समान जोड़कर, निम्न पञ्च पंचिकाओं का उच्चारण करते हुए इन दिव्य महाविद्याओं की प्राप्ति हेतु गुरुदेव से निवेदन करें -
श्री विद्या लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री एकाकार लक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री महालक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री त्रिशक्तिलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री सर्वसाम्राज्यलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री विद्या कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री परज्योति कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री परिनिष्कल शाम्भवी कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री अजपा कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री मातृका कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री विद्या कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री त्वरिता कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री पारिजातेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री त्रिपुटा कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री पञ्च बाणेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री विद्या कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री अमृत पीठेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री सुधांशु कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री अमृतेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री अन्नपूर्णा कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री विद्या रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री सिद्धलक्ष्मी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री मातंगेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री भुवनेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री वाराही रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि ।
श्री मन्मालिनी मंत्र
अंत में तीन बार श्री मन्मालिनी का उच्चारण करना चाहिए जिससे गुरुदेव की शक्ति, तेज और सम्पूर्ण साधनाओं की प्राप्ति हो सके । इसके द्वारा सभी अक्षरों अर्थात स्वर व्यंजनों का पूजन हो जाता है जिससे मंत्र बनते हैं :-
ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ल्रृं एं ऐँ ओं औं अं अः ।
कं खं गं घं ङं ।
चं छं जं झं ञं ।
टं ठं डं ढं णं ।
तं थं दं धं नं ।
पं फं बं भं मं ।
यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं हंसः सोऽहं गुरुदेवाय नमः ।
गुरु मंत्र जाप
इसके बाद गुरु मंत्र का यथा शक्ति जाप करें ।
यदि आपके पास कोई गुरु मंत्र हो तो उसका जाप करें ना हो तो निम्नलिखित मंत्र का जाप करें
ॐ गुरुभ्यो नमः ।।
प्रार्थना --
लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् ।
शिष्य हृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।
त्रिपूज्यं विश्व वन्द्यं च विष्णुशम्भो प्रियं सुतं ।
क्षिप्र प्रसाद निरतं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।
मत्त मातंग गमनं कारुण्यामृत पूजितं ।
सर्व विघ्न हरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।
अस्मत् कुलेश्वरं देवं सर्व सौभाग्यदायकं ।
अस्मादिष्ट प्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहं ।।
यस्य धन्वन्तरिर्माता पिता रुद्रोऽभिषक् तमः ।
तं शास्तारमहं वंदे महावैद्यं दयानिधिं ।।
समर्पण --
सम्पूर्ण पूजन गुरु के चरणों मे समर्पित करें :-
देवनाथ गुरौ स्वामिन देशिक स्वात्म नायक: ।
त्राहि त्राहि कृपा सिंधों , पूजा पूर्णताम कुरु ....
अनया पूजया श्री गुरु प्रीयंताम तदसद श्री सद्गुरु चरणार्पणमस्तु ॥
इतना कहकर गुरु चरणों मे जल छोड़ें ।
शांति
तीन बार जल छिडके...
ॐ शान्तिः । शान्तिः ।। शान्तिः ।।।
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