27 जुलाई 2025

काल भैरव अष्टकम अर्थ सहित

 


काल भैरव अष्टकम

देवराज सेव्यमान पावनांघ्रि पङ्कजं व्याल यज्ञ सूत्रमिन्दु शेखरं कृपाकरम् ।

नारदादि योगिवृन्द वन्दितं दिगंबरं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ १॥

जिनके चरण कमलों की पूजा देवराज इन्द्र द्वारा की जाती है; जिन्होंने सर्प को एक यज्ञोपवीत के रूप में धारण किया है, जिनके ललाट पर चन्द्रमा शोभायमान है और जो अति करुणामयी हैं; जिनकी स्तुति देवों के मुनि नारद और सभी योगियों द्वारा की जाती है; जो दिगंबर रूप में रहते हैं, ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

भानुकोटि भास्वरं भवाब्धि तारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थ दायकं त्रिलोचनम् ।

काल कालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ २॥

जिनकी आभा कोटि सूर्यों के प्रकाश के समान है, जो अपने भक्तों को जन्म मृत्यु के चक्र से रक्षा करते हैं, और जो सबसे महान हैं ; जिनका कंठ नीला है, जो हमारी इच्छाओं और आशाओं को पूरा करते हैं और जिनके तीन नेत्र हैं; जो स्वयं काल के लिए भी काल हैं और जिनके नयन पंकज के पुष्प जैसे हैं; जिनके हाथ में त्रिशूल है; ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

शूलटंक पाशदण्ड पाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डवप्रियं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ३॥

जिनके हाथों में त्रिशूल, कुल्हाड़ी, पाश और दंड धारण किए हैं; जिनका शरीर श्याम है, जो स्वयं आदिदेव हैं और अविनाशी हैं और सांसारिक दुःखों से परे हैं; जो सर्वशक्तिमान हैं, और विचित्र तांडव उनका प्रिय नृत्य है; ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

भुक्ति मुक्तिदायकं प्रशस्त चारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्त लोकविग्रहम् ।

विनिक्वणन्मनोज्ञ हेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ ४॥

जो अपने भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति और मुक्ति, दोनों प्रदान करते हैं और जिनका रूप मनमोहक है; जो अपने भक्तों से सदा प्रेम करते हैं और समूचे ब्रह्मांड में, तीनों लोकों में में स्थित हैं; जिनकी कमर पर सोने की घंटियाँ बंधी हुई है और जब भगवान चलते हैं तो उनमें से सुरीले सुर निकलते हैं, ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

धर्मसेतु पालकं त्वधर्म मार्गनाशनं कर्मपाश मोचकं सुशर्म धायकं विभुम् ।

स्वर्णवर्ण शेषपाश शोभितांग मण्डलं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥

काशी नगर के स्वामी, भगवान कालभैरव, जो सदैव धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करते हैं, जो हमें कर्मों के बंधन से मुक्त करके हमारी आत्माओं को मुक्त करते हैं; और जो अपने तन पर सुनहरे रंग के सर्प लपेटे हुए हैं; ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

रत्नपादुका प्रभाभिरामपाद युग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्ट दैवतं निरंजनम् ।

मृत्युदर्प नाशनं कराल दंष्ट्रमोक्षणं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ६॥

जिनके दोनों पैरों में रत्नजड़ित पादुकायें हैं; जो शाश्वत्, अद्वैत इष्ट देव हैं और हमारी कामनाओं को पूरा करते हैं; जो मृत्यु के देवता, यम का दर्प नष्ट करने मे सक्षम हैं, जिनके भयानक दाँत हमारे लिए मुक्तिदाता हैं; ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धि दायकं कपालमालिका धरं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ७॥

जिनके हास्य की प्रचंड ध्वनि कमल जनित ब्रह्मा जी द्वारा रचित सृष्टियों को नष्ट कर देती हैं, अर्थात् हमारे मन की भ्रांतियों को दूर करती है; जिनके एक दृष्टिपात मात्र से हमारे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं; जो अष्टसिद्धि के दाता हैं और जो खोपड़ियों से बनी माला धारण किए हुए हैं, काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

भूतसंघ नायकं विशाल कीर्तिदायकं काशिवास लोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।

नीतिमार्ग कोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ८॥

जो भूतों के संघ के नायक हैं, जो अद्भुत कीर्ति प्रदान करते हैं; जो काशी की प्रजा को उनके पापों और पुण्य दोनों से मुक्त करते हैं; जो हमें नीति और सत्य का मार्ग दिखाते हैं और जो ब्रह्मांड के आदिदेव हैं, ऐसे काशी नगरी के अधिपति, भगवान कालभैरव को मैं नमन करता हूँ।

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञान मुक्तिसाधनं विचित्र पुण्य वर्धनम्।

शोक मोह दैन्य लोभ कोप तापनाशनं ते प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम्॥९॥

यह अतिसुंदर काल भैरव अष्टक, जो ज्ञान तथा मुक्ति का स्रोत है, जो व्यक्ति में सत्य और नीति के आदर्शों को स्थापित करने वाला है, जो दुःख, राग, निर्धनता, लोभ, क्रोध, और ताप को नाश करने वाला है । इस स्तोत्र का जो पाठ करता है वह भगवान कालभैरव अर्थात् शिव चरणों को प्राप्त करता है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके सुझावों के लिये धन्यवाद..
आपके द्वारा दी गई टिप्पणियों से मुझे इसे और बेहतर बनाने मे सहायता मिलेगी....
यदि आप जवाब चाहते हैं तो कृपया मेल कर दें . अपने अल्पज्ञान से संभव जवाब देने का प्रयास करूँगा.मेरा मेल है :-
dr.anilshekhar@gmail.com